नवीन निश्चल की बेहतरीन फिल्मों को याद किया जाए तो उस लिस्ट में 'धुंध' का नाम आना लाज़मी है. 1973 में बनी 'धुंध' बी आर चोपड़ा का बेहतरीन काम था. अगाथा क्रिस्टी के नॉवेल पर बनी ये सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म उस दौर में काफी कामयाब रही थी. इस फिल्म में नवीन ने चंद्रशेखर का किरदार निभाया था, जिससे एक धुंध भरे दिन एक एक्सीडेंट हो जाता है. मदद के लिए वो पास ही के एक घर चला जाता है जहां उसके पल्ले एक लाश पड़ती है. और मिलती है गन थामे रानी नाम की एक लड़की जो बताती है कि उसने अपने पति का मर्डर कर दिया है. आगे का घटनाक्रम काफी रोचक है. उसके लिए फिल्म देखिए.
हम सबने ज़िंदगी के उस दौर में, जब मुहब्बत का कीड़ा काट जाता है, एक गाना ज़रूर गुनगुनाया होगा. किसी ख़ास के लिए.
“तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है, के जहां मिल गया.” ये मीठा गाना नवीन निश्चल और प्रिया राजवंश पर फिल्माया गया है. हंसते ज़ख्म फिल्म का ये गीत आज भी याद किया जाता है.
लीजिये एक बार फिर सुनिए: https://www.youtube.com/watch?v=3GYp_B2J_hI थोडा फास्ट फॉरवर्ड करते हैं. खोसला का घोंसला. छोटे बजट में बनी लेकिन धुंआधार सफल रही फिल्म. एक फ्रॉडिए के साथ फ्रॉड करना है. उसको वो ज़मीन बेचनी है जो है ही नहीं. इसके लिए एक एनआरआई चाहिए. नवीन निश्चल बने हैं वो एनआरआई. एक थियेटर ग्रुप चलाने वाले ‘बापूजी’ ये ठगी करने के लिए राज़ी तो हो गए हैं लेकिन डरे हुए है. उस डर को बेहतरीन ढंग से परदे पर उतारा था नवीन निश्चल ने.
नवीन ने अपने समय की हर लीडिंग एक्ट्रेस के साथ काम किया है. रेखा हो या राखी, सायरा बानो हो या आशा पारेख. हर किसी के साथ एक अलग किरदार में नज़र आए हैं. लेकिन हर एक्टर की तरह नवीन ने भी फ़िल्मी दुनिया का कड़वा सच झेला है. एक किस्सा वो खुद बताते हैं.
वे एक फिल्म के प्रिमियर में मेट्रो थिएटर जा रहे थे. उन दिनों इम्पाला नाम की कार बड़े लोगों की पहचान हुआ करती थी. नवीन भी इसी कार से थिएटर पहुंचने वाले थे. मेट्रो थिएटर के बाहर सभी पत्रकार बड़े-बड़े दिग्गजों का इंतज़ार कर रहे थे. जैसे ही नवीन की कार वहां पहुंची, आदतन पत्रकार अपना कैमरा लिए उस कार की ओर भागे. नवीन ने कार का दरवाजा खोला और बाहर आए. उन्हें देखते ही सारे कैमरे नीचे झुक गए. पत्रकारों के चेहरे पर आई उत्तेजना कहीं खो गई. कारण सिर्फ इतना था कि कुछ समय से नवीन की फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर खास चल नहीं रही थी.
नवीन की ज़िंदगी का वो लम्हा अक्सर ही उन्हें मायूस कर देता था.
अपने करियर में ही नहीं असल जिंदगी में भी नवीन ने काफ़ी उतार-चढ़ाव देखा है. नवीन और उनके भाई प्रवीण को उनकी दूसरी पत्नी गीतांजलि के सुसाइड केस में गिरफ्तार किया गया था. नवीन का कहना था उस सुसाइड के जिम्मेदार वो नहीं उनकी पत्नी का डिप्रेशन था.
19 मार्च 2011 को नवीन मुंबई से पुणे जा रहे थे. अपने दोस्त गुरमीत और रणधीर कपूर के साथ होली मनाने. रणधीर उन्हें पुणे के रास्ते में मिलने वाले थे. इससे पहले कि वो मुलाक़ात हो पाती नवीन की अचानक आई हार्ट अटैक से मौत हो गई. नवीन हमेशा से ही क्विक और पेनलेस डेथ चाहते थे. ये उनके खुद के शब्द थे. उनकी ये चाहत ईश्वर ने पूरी कर दी.
ये स्टोरी आस्था आदर्श ने की है.
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