तारीख़ थी 2 नवंबर, साल था 1990. अयोध्या गोलियों से घड़घड़ा रही थी. चारों तरफ़ लाशें थीं, खून के धब्बे थे. और ऐसे वक़्त में एक महिला भी थी, जो कार सेवकों को बचाने में लगी थी. क्या है उस महिला की कहानी, सुनिए उन्हीं की जुबानी. देखिए पूरा वीडियो.
तारीख़ थी 2 नवंबर, साल था 1990. अयोध्या गोलियों से घड़घड़ा रही थी. चारों तरफ़ लाशें थीं, खून के धब्बे थे. और ऐसे वक़्त में एक महिला भी थी, जो कार सेवकों को बचाने में लगी थी. क्या है उस महिला की कहानी, सुनिए उन्हीं की जुबानी. देखिए पूरा वीडियो.