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UPSC की नई अध्यक्ष प्रीति सूदन ने किया था ई-सिगरेट बैन, पद के दुरुपयोग का आरोप भी लगा था!

Who is Preeti Sudan: प्रीति सूदन आंध्र प्रदेश कैडर की 1983 बैच की रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं. आंध्र प्रदेश में वो वित्त, योजना, आपदा प्रबंधन, पर्यटन और कृषि की प्रभारी थीं. उन्होंने वर्ल्ड बैंक के लिए सलाहकार के रूप में भी काम किया है. उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में भी काम किया है.

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UPSC की नई अध्यक्ष- प्रीति सूदन. (तस्वीर: इंडिया टुडे)

1983 बैच की IAS अधिकारी प्रीति सूदन (Preeti Sudan), 1 अगस्त को UPSC के नए अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार ग्रहण करेंगी. इससे पहले मनोज सोनी ने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले ही इस पद से अपना इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा था कि वो व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं. इन दिनों पूजा खेडकर (Puja Khedkar) विवाद के कारण UPSC चर्चा में रहा है. खेडकर महाराष्ट्र काडर की ट्रेनी IAS थीं. उनपर अपने पद के दुरुपयोग करने और फर्जी विकलांगता सर्टिफिकेट के साथ फर्जी OBC (NCL) सर्टिफिकेट बनवाने का भी आरोप लगा.

कौन हैं Preeti Sudan?

प्रीति सूदन आंध्र प्रदेश कैडर की (1983) बैच की रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं. आंध्र प्रदेश में वो वित्त, योजना, आपदा प्रबंधन, पर्यटन और कृषि की प्रभारी थीं. उन्होंने वर्ल्ड बैंक के लिए सलाहकार के रूप में भी काम किया है. उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में भी काम किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें सरकारी प्रशासन के कई क्षेत्रों में करीब 37 वर्षों का अनुभव है. प्रीति केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव भी रही हैं. 2020 में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के रूप में उनका कार्यकाल खत्म हो गया था. इस पद पर उन्होंने 3 साल तक काम किया. उनके कार्यकाल के अंतिम 6 महीनों में उन्होंने कोविड-10 महामारी से जुड़े मामलों को संभाला. वो 2022 से UPSC मेंबर के पद पर कार्यरत हैं. रिटायर होने से पहले उन्हें 3 महीने का एक्सटेंशन भी मिला था.

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इससे पहले वो खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में सचिव थीं. उन्होंने अर्थशास्त्र में MPhil किया है. प्रीति सूदन ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमी से सामाजिक नीति एवं योजना विषय में MSC की डिग्री हासिल की है. उन्हें कई राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का क्रेडिट दिया जाता है. ऐसे कार्यक्रम हैं- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और आयुष्मान भारत. इसके अलावा नेशनल मेडिकल कमिशन और ई-सिरगेट को बैन करने वाले विधेयक को तैयार करने में भी उनकी अहम भूमिका मानी जाती है.

प्रीति 2020 से महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए स्वतंत्र पैनल (IPPR) के सदस्य के रूप में भी काम कर चुकी हैं. IPPR एक स्वतंत्र समूह है जो ये जांच करता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), कोविड-19 महामारी से कैसे निपटता है.

पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था

फरवरी 2021 में प्रीति सूदन जब रिटायर हो चुकी थीं तब आंध्र प्रदेश सरकार ने उन पर अपने पद के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था. उनके रिटायर होने के 7 महीने के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव आदित्य नाथ दास ने उनके खिलाफ एक आदेश जारी किया था. और पूछा था कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए.

राज्य सरकार ने उन पर अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. आरोप ये भी लगा कि उन्होंने नियमों को नजरअंदाज करके अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया

क्यों लगे आरोप?

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मामला 2005 और 2006 का है. ये मामला इस अवधि के दौरान कुछ असाधारण छुट्टियों को 'अर्नड लीव' या ‘हाफ पेड’ लीव में बदलने से संबंधित था. प्रीति उस समय राज्य में नागरिक आपूर्ति निगम की प्रबंध निदेशक थीं. उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने परिवार से मिलने के लिए 1 मार्च, 2005 से एक साल की असाधारण छुट्टी प्राप्त की थी.

इसके बाद उन्होंने विश्व बैंक की विकास अनुसंधान इकाई के साथ अध्ययन करने के लिए USA में अपने समय का उपयोग करने के लिए सरकार की अनुमति के लिए आवेदन किया. USA में उनके पति और 1983 बैच के IAS अधिकार रणदीप सूदन, विदेशी असाइनमेंट पर काम कर रहे थे. इसके बाद प्रीति सूदन की छुट्टी 31 मई, 2006 तक के लिए आगे बढ़ा दी गई थी. बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अवर सचिव ने इन छुट्टियों को 'अर्नड लीव' या ‘हाफ पेड’ में बदल दिया था. आंध्र प्रदेश सरकार ने 2021 में इस पर आपत्ति जताई थी. राज्य सरकार ने आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) की सहमति के बिना अपने अंदर काम करने वाले कर्मचारियों को प्रभावित किया. 

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