संविधान दिवस है, तो बात संविधान की ही करेंगे. हमारे संविधान में प्रस्तावना के साथ 448 अनुच्छेद हैं. 12 अनुसूचियां, और 5 परिशिष्ट हैं. अभी तक इसे 103 बार संशोधित किया जा चुका है. प्रस्तावना का मूल विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया, जिसे दुनिया का सबसे पुराना लिखित संविधान माना जाता है.
संविधान की प्रस्तावना को इसकी आत्मा कहा जाता है. इसमें क्या लिखा है, पहले वो देख लेते हैं.
अंग्रेजी में ये प्रस्तावना ये रही:हम भारत के लोग, भारत को एक संप्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्रदान करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० "मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं.
किसी भी देश का संविधान वहां का सर्वोच्च कानून होता है जिसके आधार पर देश चलाया जाता है. संविधान से ऊपर कुछ नहीं होता. (तस्वीर: विकिमीडिया कॉमन्स)
इस प्रस्तावना में संविधान में समाहित जितने भी मूल्य और आदर्श हैं, उनको शामिल किया गया है. लेकिन यहां इस्तेमाल किए गए शब्दों के मतलब क्या हैं? इन सभी शब्दों को यहां लिखने के पीछे संविधान निर्माताओं की क्या मंशा थी? चलिए, इसे भी समझ लेते हैं.WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a SOVEREIGN SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC and to secure to all its citizens JUSTICE, social, economic and political; LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship; EQUALITY of status and of opportunity; and to promote among them all FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the unity and integrity of the Nation; IN OUR CONSTITUENT ASSEMBLY this 26th day of November 1949, do HEREBY ADOPT, ENACT AND GIVE TO OURSELVES THIS CONSTITUTION.
भारत के संविधान पर दस्तखत करते पंडित जवाहरलाल नेहरू. (तस्वीर: विकिमीडिया कॉमन्स)
We, the people of India: हम, भारत के लोग. यानी संविधान जिनसे बना है. जो इस संविधान के स्रोत हैं.
Sovereign: संप्रभु. यानी ऐसा देश जो किसी दूसरे के प्रभाव से/प्रभुता से मुक्त है. अपने सभी निर्णय लेने के लिए पूर्णतया स्वतंत्र है, और उस पर किसी बाहरी शक्ति का कोई प्रभाव नहीं होगा.
Socialist: समाजवादी. ये शब्द 1976 में 42वें संशोधन के बाद जोड़ा गया. समाजवाद एक विचारधारा है जो ये मानती है कि समाज में सभी लोगों तक संपन्नता का हिस्सा पहुंचना चाहिए. धन-सम्पत्ति भी समाज से ही उपजती है. तो उसका बंटवारा भी शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीकों से लोगों के बीच होना चाहिए. लोकतांत्रिक समाजवाद की ये विचारधारा कहती है कि धन समाज के कुछ लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए. उत्पादन के साधनों पर लोगों का मिला-जुला मालिकाना हक़ होना चाहिए.
Secular: धर्म-निरपेक्ष. यानी भारत देश का अपना कोई घोषित धर्म नहीं है. जैसे पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है. पर भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां पर सरकार और धार्मिक समूहों के बीच कोई भी संबंध यहां के संविधान और कानून के हिसाब से तय होता है. देश के हर नागरिक को अपना धर्म मानने, उसे अपनाने, और उसका प्रचार करने का हक़ है. किसी के साथ उसके धर्म के आधार पर भेदभाव करना गैरकानूनी है. ये शब्द भी 42वें संशोधन में जोड़ा गया था.
Democratic: लोकतांत्रिक. भारत देश की जनता अपने प्रतिनिधि खुद चुनती है. वोट के माध्यम से. सभी के वोटों का महत्त्व बराबर है. जनता के द्वारा जनता का प्रतिनिधि चुना जाता है. जनता के लिए.
Republic: गणराज्य. यानी जनता द्वारा प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया व्यक्ति ही उसका प्रमुख होगा. ये पद वंशानुगत नहीं होगा.
इसके बाद जो शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, उनका अर्थ भी समझ लेते हैं.
Justice: न्याय. भारत का संविधान सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक स्तर पर न्याय देने का वादा करता है.
Liberty: स्वतंत्रता. अपने विचारों को व्यक्त करने की, अपना धर्म चुनने की, अपने लिए नौकरी चुनने की, अपने प्रतिनिधि चुनने की, अपने और समाज की बेहतरी के लिए विकल्प चुनने की स्वतंत्रता.
Equality: बराबरी. यानी समता. धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर लोगों के बीच राज्य की तरफ से कोई भेदभाव नहीं होगा. संविधान की नज़र में सब बराबर हैं.
Fraternity: भाईचारा/बंधुत्व. सभी नागरिकों के बीच आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना.
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसमें कई देशों के संविधानों से प्रेरणा लेकर चीज़ें शामिल की गई हैं. यही नहीं, इसे एक जीवित संविधान कहा जाता है. क्योंकि समय के साथ इसमें बदलाव होते आए हैं. इन्हीं बदलावों की बिनाह पर भारत का संविधान अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखे हुए है.
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