'चलत मुसाफिर उड़ गए रे उड़ने वाली चिड़िया', 'चल मेरी लुना', 'हमारा बजाज', 'मैंगो फ्रूटी फ्रेश एंड जुसी', 'विक्स की गोली लो, खिचखिच दूर करो'.
ऐडमैन पीयूष पांडे के किस्से, जिन्होंने डंडे पर मछलियां चिपका दीं और फेवीक्विक को हिट करा दिया
जिन्होंने 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' से लेकर 'कुछ ख़ास है हम सभी में' तक न जाने कितना कुछ यादगार लिखा.

हैलो फ्रेंड्स कैसा लग रहा हूं मैं, हूं न मैं क्यूट
(Source : vervemagazine.in)
ये वो लाइनें हैं जिन्हें आपने कभी न कभी जरूर गुनगुनाया होगा.
जैसे एक फिल्म को बनाने के पीछे बहुत सारे लोगों का दिमाग होता है. ठीक वैसे ही एक ऐड को बनाने के पीछे होते हैं, बहुत सारे क्रिएटिव लोग. आज चाहें हम इन ऐड्स को अपने टी वी प्रोग्राम के बीच में न आने दें लेकिन एक समय था जब हमारे पास ये चैनल बदलने का ऑप्शन नहीं हुआ करता था. तब जाने अनजाने में हम सारी ऐड्स रट लिया करते थे. आज भी वो सारे जिंगल हमें याद हैं. जैसे:निरमा, वॉशिंग पाउडर निरमा, दूध सी सफेदी निरमा से आएसावधान अगर आपने इस जिंगल को सुर ताल में नहीं गाया है. तो लोग आपको एलियन डिक्लेयर कर सकते हैं.
रंगीन कपड़ा भी खिल खिल जाए,
सबकी पसंद निरमा, वॉशिंग पाउडर निरमा.
याद कीजिए वो दिन जब इन ऐड्स को देखकर घरों में नई चीजों की फर्माइश कर दी जाती थी. ऐसे ही मन को लुभाने वाले विज्ञापनों के जन्मदाता हैं, पीयूष पांडे. जिन्होंने 'मिले सुर मेरा तुम्हारा', 'कैडबरी', 'फेवी क्विक', 'एशियन पेंट्स' और 'अतुल्य भारत' जैसे यादगार इश्तिहार बनाए हैं. इनका क्रिकेटर से एक क्रिएटिव डायरेक्टर तक का सफर बहुत सारे ट्विस्ट्स से भरा हुआ है. इनकी लाइफ के किस्से सुनकर आप उतना ही फ्रेश फील करेंगे, जितना उनके बनाए फनी ऐड्स को देखकर आज भी करते हैं.
चलिए आपको ऐड वर्ल्ड की सैर करवाते हैं.
#सात बहनों के बाद पैदा हुए5 सितंबर 1955. पीयूष का जन्म हुआ. घर के सारे लोग खुशी के मारे बावले हो गए. क्योंकि सात बहनों के बाद घर में लड़का जो आया था. वो दौर ही कुछ ऐसा था. उस वक्त लड़के का पैदा होना यानि कुल के दीपक का दुनिया में आना. आज भी कुछ जगहों पर लड़कों का पैदा होना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता. यही वजह थी कि परिवार में एक खुशी की लहर आ गई थी. बहनों ने बड़े होने के नाते, अपने भाई को पूरा प्यार दिया. पीयूष इंग्लिश मीडियम में पढ़ सकें, इसलिए वो सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ने लगीं. पढ़ाई में फिसड्डी, मगर खेल कूद और शरारतों में सबसे आगे थे पीयूष. कहते हैं,
मुझे हमेशा ऐसा लगा जैसे मेरी आठ मांए हों. बहनों ने हमेशा एक बच्चे की तरह पाला पोसा. इसीलिए मुझे बिगाड़ने के पीछे इनका ही हाथ रहा है.स्कूल जैसे-तैसे खेलते-कूदते पास कर लिया. जब कॉलेज जाने का वक्त आया. तो पीयूष पापा से बोले, 'मुझे दिल्ली पढ़ने जाना है'. नंबर कम थे. पापा को लगा जाने देता हूं कौन सा इसका एडमिशन हो जाएगा. वे हमेशा मौके देने में विश्वास रखते थे. इसलिए बोले जा पीयूष जा जी ले अपनी जिंदगी. किस्मत अच्छी थी. हुआ यूं कि स्पोर्ट्स कोटे ने अच्छे कॉलेज में एंट्री दिला दी.

लोग बहुत क्रिएटिव होते हैं और साथ ही साथ शरारती भी.आप भी देख लीजिए.
#प्रिंसीपल के घर बारात लेकर पहुंच गए
शरारतों की वजह से हर डिपार्टमेंट में पीयूष के चर्चे होने लगे. कॉलेज में दोस्त का साथ जो मिल गया था. जो भूत के नाम से फेमस था. असली नाम था, अनिल कुमार. दोनों ने कॉलेज में दहशत फैलाई हुई थी. अनिल कुमार दूसरी क्लास से जो साथ में थे. एक दिन दोनों सोच रहे थे कि कॉलेज के प्रिंसीपल की बेटी बहुत चौचक है. तो ऐसे में क्या किया जाए. उनका पीछा करना, उन्हें परेशान करना तो गलत होगा. बाद में डिसीजन लिया कि बारात लेकर सीधा घर जाया जाए. उसके बाद जो होगा वो देखा जाएगा. दोनों बारात लेकर घर पहुंचे. प्रिंसीपल भी अव्वल दर्जे के मसखरे थे. अंदर बुला कर दोनों को चाय पिलाई. पर शादी नहीं करवाई. धत्त तेरे की!
एक डाईंग कंपनी फैशन शो करवाने वाली थी. दोस्तों के साथ मिलकर कृष्ण लीला का सीन दोबारा रच दिया. सारी मॉडल्स के कपड़े चोरी कर लिए. फैशन शो का कबाड़ा हो गया. द शो मस्ट गो ऑन के चक्कर में सारी मॉडल्स को अपने कपड़ों में रैंप वॉक करना पड़ा. बाद में सारे कपड़े प्रिंसीपल के छत पर मिले. सबको डाउट पहले से ही था कि ये काम भूत ने किया है. बाद में खुद पीयूष ने सच का खुलासा किया.# टी टेस्टर की जॉब छोड़कर मुंबई पहुंच गए
कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो चुकी थी और नौकरी की तलाश शुरू. ऐसे में एक सीनियर कम दोस्त ज्यादा अरूण लाल ने इनको नौकरी के लिए कलकत्ता बुला लिया. कलकत्ता पहुंचे. टी टेस्टर की नौकरी मिल गई. वैसे जो चाय के शौकीन हैं उनके लिए ये जॉब बहुत इंटरेस्टिंग है. इसमें एक आदमी को चाय की पत्तियां चबानी पड़ती है. उसके बाद थूकनी. थोड़ी देर बाद दूसरा इंसान उसे चखता है. फिर उसके टेस्ट का रिकॉर्ड लिखता है. टेस्ट का हर छोटे से छोटा ब्यौरा देना पड़ता है, इस जॉब में.

चाय टेस्ट करना मजेदार है.
मुंबई पहुंचे क्योंकि एक दिन अरूण लाल बोले कि 'मेरे एक दोस्त देबानाथ गुहा रॉय हिंदुस्तान थॉम्पसन में काम करते हैं. मैंने उनका काम देखा है. कसम से तू इन टी वी पर आ रही ऐड से ज्यादा अच्छी लाइनें लिख लेता है. तेरा काम यहां नहीं है, तुझे मुंबई चले जाना चाहिए'.
दोस्त के मोटीवेट करने के बाद मुंबई पहुंचे. ऑगिल्वी में इंटरव्यू दिया. ऑगिल्वी बहुत बड़ी विज्ञापन बनाने वाली कंपनी है. वहां क्रिएटिव टीम में तो जगह मिली नहीं तो ट्रेनी अकाउंटेंट ही बन गए. उस समय ऐड इंग्लिश में बना करते थे. ऑफिस में जैसे ही पता चला कि ये अच्छी हिंदी लिखते हैं. पीयूष को कभी-कभी हिंदी में काम दे देते. ये खुशी से करते. उस वक्त उन्हें पता नहीं था कि उनकी जिंदगी बदलने वाली है. एक बार उनके क्रिएटिव हेड चिंतामणी ने सनलाइट ब्रांड के लिए हिंदी कॉपी लिखने को दी. अगले दिन पीयूष तीन आइडियाज के साथ ऑफिस पहुंचे. सारे आइडिया सिलेक्ट हो गए. मीटिंग खत्म होने के बाद पीयूष क्रिएटिव टीम के साथ भिड़ गए. बोले कि ये काम मैंने किया है, लेकिन क्रेडिट सब आप ले गए.
क्रिएटिव टीम में तो कोई जगह खाली नहीं थी. इसके बाद सुरेश मलिक ने, जो क्रिएटिव डायरेक्टर थे, उन्हें हिंदी भाषा का कॉपी राइटर बना दिया. उनके लिए ये पोस्ट ख़ास तौर से बनाई गई थी.
# जब लिखा गया 'मिले सुर मेरा तुम्हारा'
जब 1987 में 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' बनाने का काम शुरू हुआ, तो सुरेश मलिक ने सिर्फ इतना कहा कि जो गाना बनेगा उसमें बारिश के पानी के भाप बनने और बरसने को एकता से जोड़ना है. पीयूष ने बस इसी जानकारी के सहारे पूरा गाना लिख डाला. बहुत पसंद भी किया गया. बात तब की है जब 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' हर घर मे पॉपुलर हो चुका था. एक दिन पांडे, पंडित भीमसेन जोशी को लेने एयरपोर्ट गए हुए थे. तब पंडित जी ने कहा,
"कहां तो मैं सिर्फ अपने सर्कल में पॉपुलर था, आपने तो मुझे हर घर में पहुंचा दिया."तो पांडे कहते हैं, आप भी कमाल करते हैं. मेरा मानना है कि आपने हमें पॉपुलर कर दिया है.
फिर से एक बार सुन लीजिए, कसम से आपके रोंगटे खड़े हो जाऐंगे:
#जब फेवी क्विक का आइडिया चिपका दिया
फेवी क्विक का ऐड बन रहा था. मगर मीटिंग में किसी का दिमाग नहीं चल रहा था. पांडे बाहर से आए और बोले इतनी देर से क्या कर रहे हो? क्रिएटिव टीम बोली कि दिमाग का दही हो रखा है. समझ नहीं आ रहा इस फेवी क्विक की ऐड में ऐसा क्या डालें कि ये प्रोडक्ट हिट हो जाए. एक जगह दिमाग अटका पड़ा है. पांडे बोले,
'इसमें करना ही क्या, एक आदमी मछली पकड़ रहा है, यहां तक तुमने बना लिया है. होगा ये कि इसके बाद दूसरा आदमी आएगा और फटाफट मछली पकड़ कर ले जाएगा. क्योंकि उसके डंडे पर फेवी क्विक लगी होगी'.घंटों से चल रही वो मीटिंग एक मिनट में खत्म हो गई और आइडिया एकदम हिट हो गया.
वीडियो देखते हुए हंसते-हंसते लोट पोट हो जाइए:
#वो ऐड जिन्हें हम कभी भूल नहीं पाऐंगे
कैडबरी का विज्ञापन बन रहा था. कुछ स्वाद है ज़िंदगी में. जिसमें मैच जीतने की खुशी में एक फैन पिच में नाचते हुए पहुंच जाती है. इस रोल के लिए बहुत सी लड़कियों के ऑडिशन लिए गए. खूबसूरत और एक से बढ़कर एक डांसर. मगर आखिर में जिसे लिया गया वो डांसर नहीं थी. लेकिन उसने दिल खोलकर झूम-झूम कर ऐसे डांस किया कि हर तरफ पीयूष के ऐड की चर्चा होने लग गई.
आज भी ये ऐड बार-बार देखी जाती है, आप भी देख लीजिए:
'राजस्थान में पैदा हुए. इसलिए राजस्थान इनके अंदर बसता है. जो भी सीखा राजस्थान की गलियों में सीखा. उस जमाने में पले. जब गलियों में चीजें आवाजें डाल कर बेची जाती थी. आज चीजों को बेचने के नए-नए आइडिया देते हैं. अतुल्य भारत', 'पधारो म्हारे देश' और 'न जाने क्या दिख जाए', पीयूष के ही कॉन्सेप्ट हैं.
सरल भाषा में कोई बात कैसे रखी जा सकती है, बस इसी को अपने दिमाग में ऱखकर कुछ भी बनाते हैं और वो कुछ रिकॉर्ड बना देता है. इनसे मिल लिए तो मानो एड के देवता के दर्शन कर लिए. इनके क्रिएटिव आइडिया के धमाल के चलते इन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. वर्तमान में ये ऑगिल्वी के चीफ क्रिएटिव ऑफिसर हैं.

ऐसे क्या देख रहे हो भैया, मजाक कर रहा हूं.
source: cnbcfm.com
ये किस्से Outlook Business के एक आर्टिकल Secret Diary of Piyush Pandey by Krishna Gopalan से लिए गए हैं.
ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं कामना ने की है.
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