परवीन (Parveen Babi) के मरने के बाद संपत्ति पर हक जताने कई लोग आ गये. पर 56 की उम्र में मरते वक्त परवीन अकेले थीं. मर गई थीं. किसी को पता नहीं था. 3 दिन हो गये थे. जब दरवाजे से ब्रेड-दूध नहीं हटा तो किसी ने पुलिस को खबर दी थी. परवीन की कहानी समुद्र की तरफ देखते उस बेडरूम की ही तरह है जो कभी उसके साथ चल नहीं पाता. हमेशा तन्हा रहता है.
परवीन की मौत के 11 साल बाद बंबई हाई कोर्ट ने उनकी संपत्ति पर फैसला दिया. ये फैसला भी परवीन की जिंदगी जैसा ही आया. सरप्राईज करने वाला. उनकी संपत्ति का 80% कमजोर औरतों और बच्चों के लिये जायेगा. परवीन की वसीयत पर 2005 में उनकी मौत के बाद से ही बवाल चल रहा था. ये वसीयत उनके मामा के पास मिली थी. पर उनके बाकी रिश्तेदारों ने इल्जाम लगा दिया कि ये वसीयत नकली है. परवीन के पास समुद्र की तरफ देखता हुआ 4 बेडरूम का एक बंगला था. जूनागढ़ में हवेली. ये हवेली जूनागढ़ के नवाब ने परवीन के डैड को दिया था. गहने और बैंक में पैसा. वसीयत के मुताबिक 80% हिस्सा जूनागढ़ की बाबी कम्युनिटी के लिये जायेगा जिससे परवीन भी आती थीं. ये देखेंगे उनके मामा. 20% मामा को मिलेगा. बाकी किसी को कुछ नहीं मिलेगा. 80% में से 10% परवीन के कॉलेज को मिलेगा. ये कॉलेज अहमदाबाद में है जहां परवीन ने इंगलिश में एमए किया था.कल्पना करिये कि एक खूबसूरत अदाकारा जो बालीवु़ड में आई ठंड के मौसम में उड़ते बर्फ के फाहों की तरह. उन्मुक्त. ऐसा लगा कि बॉलीवुड में बिकनी परवीन के अप्रूवल का इंतजार कर रही थी. परवीन के पहनने के बाद बिकिनी की खुद को लेकर शर्म खत्म हो गई. बॉलीवुड में वो परिधान बन गया. कांफिडेंस का. मानक बन गया फ्रीडम का. सही-गलत का नहीं पता. पर हुआ यही था.
पर कुछ वक्त बाद इसी परवीन को देखा गया न्यूयॉर्क के JFK एयरपोर्ट पर. चार पुलिसवाले परवीन को हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाये ले जा रहे थे. मेंटल हॉस्पिटल में. क्योंकि परवीन ने सिक्यूरिटी चेक कराने से मना कर दिया था. और मेंटली डिस्टर्ब की तरह चिल्ला रही थीं.
Parveen Babi: टाइम मैगजीन के कवर पर आनेवाली पहली भारतीय एक्ट्रेस थीं परवीन.
# परवीन बाबी को लेकर अलग-अलग दावे किसी ने कहा कि उनको सिजोफ्रेनिया था. जो धीरे-धीरे उनको घुलाता रहा. कोई कहता शराब की लत ने वैसा बना दिया. जानकार लगने वाले कहते ये जेनेटिक डिसऑर्डर है. जिनका दिल परवीन को देख धड़कता था वो परवीन के प्रेमियों डैनी, कबीर बेदी, महेश भट्ट पर इल्जाम मढ़ते थे. फिर किसी ने परवीन को एक ट्रक में गद्दों के अंदर घुड़मुड़ाते देखा था. डर से कांपते. 60 के दशक में. जब अहमदाबाद में दंगे भड़क गये थे. कहते हैं कि मरने का ये डर परवीन के अंदर इस कदर घुस गया कि वो पूरी जिंदगी नासूर बन के फूटता रहा. उनको प्यार करने वाले भी मरहम ना लगा सके. एक वक्त था जब परवीन अपने दोस्त अमिताभ पर इल्जाम लगाती रहतीं कि वो मुझे मरवाना चाहता है. सुपरस्टार के साथ उनकी सारी फिल्में कैंसिल हो गईं.
6 साल अमेरिका में रहने के बाद परवीन जब 1989 में इंडिया आईं तो खुद एक प्लकार्ड लेकर खड़ी थीं. यकीन था कि उनको लेने आये उनके सेक्रेटरी पहचान नहीं पायेंगे. लाखों दिलों को धड़काने वाली सुपरस्टार को पता था कि एयरपोर्ट पर कोई पहचान नहीं पायेगा. सेक्रेटरी वेदप्रकाश शर्मा परवीन को देख के लरझ गये थे. बेडौल शरीर, बिखरे बाल. जले हुये ताजमहल की तरह लग रही थीं परवीन.
परवीन बॉबी और कबीर बेदी
बिल क्लिंटन के खिलाफ केस दर्ज करवाया था परवीन ने. कि वो उनको मारना चाहते हैं. लोग जब मिलने आते तो वो टेप रिकॉर्डर में हर बात रिकॉर्ड करतीं. अपने डॉक्टर पर भरोसा नहीं करती थीं. अपनी मां पर भी नहीं. अंडे का पीला वाला हिस्सा खातीं. और कुछ नहीं. पके खाने से डर लगता कि ये उनको मारने के लिये बनाया गया है. हर किसी से यही डर था कि वो उनको मारने आया है. चेहरे पर फफोले पड़ गये थे. गैंग्रीन हो गया था. पुलिस थाने चली गईं कि संजय दत्त के खिलाफ सबूत हैं उनके पास. हर किसी की कंप्लेंट लिखवाने चली जातीं थाने. लोग चाह के भी इनकी मदद नहीं कर पाते थे.
प्रोतिमा बेदी को छोड़कर कबीर बेदी ने परवीन से रिश्ता बनाया था. इसके बाद प्रोतिमा जब दोनों से मिलीं तो हैरान रह गईं कि उनसे ज्यादा डर परवीन को था कि कबीर छोड़ देगा. फिर जब महेश भट्ट से मिलीं तो उस समय परवीन सुपरस्टार थीं. दोनों का प्यार आसमान पर था. अपने पिता के त्रिकोण प्यार को देखा था महेश ने. फिर खुद उसी तिलिस्म में फंसे थे. पर छोड़ नहीं पा रहे थे. एक दिन जब वो परवीन से मिलने पहुंचे तो देखा कि फिल्मी कॉस्ट्यूम पहने हाथ में चाकू लिये परवीन कोने में खड़ी थीं. कह रही थीं कि सब मुझे मारना चाहते हैं. तभी महेश को इनकी बीमारी के बारे में पता लगा था.
फिर महेश की पत्नी को लेकर दोनों में तल्खी बढ़ने लगी. एक बार दोनों बेड में थे. बिना कपड़ों के. प्यार करने जा रहे थे. ये तल्खी इतनी बढ़ गई कि महेश ने तय़ कर लिया कि अब परवीन के साथ रिश्ता नहीं रह सकता. क्योंकि प्यार जहरीला होता ही है. एक घूंट में नहीं उड़ेला जा सकता. धीरे-धीरे कर पीना पड़ता है. परवीन महेश के पीछे भागीं. घर के बाहर तक. एकदम निर्वस्त्र. पर महेश नहीं लौटे.
20 जनवरी 2005 को मरने के बाद परवीन की बॉडी क्लेम करने वाला कोई नहीं था. महेश भट्ट ने ही क्लेम किया. शायद ये उनका ट्रिब्यूट था परवीन को.
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