15 जुलाई 1955 को नेहरू भारत रत्न से नवाज़े गए.
15 जुलाई 1955 को चाचा नेहरू भारत रत्न के सम्मान से नवाज़े गए थे. उस वक़्त के राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने उन्हें सम्मानित किया था. लेकिन मजे की बात ये है कि नेहरू ने ख़ुद ही ये सम्मान ले लिया था. असल में नियम ये है कि प्रधानमंत्री हर साल भारत रत्न के लिए राष्ट्रपति को कुछ प्रस्ताव भेजते हैं. राष्ट्रपति उसे फाइनल करते हैं और रत्न दिया जाता है. 1955 में जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे तो उन्हें कैसे भारत रत्न मिल सकता है? ये सवाल कई बार उठा है. आरटीआई में भी पूछा गया है. जवाब मिला कि राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने ख़ुद ही तय कर लिया कि नेहरू को रत्न मिलना चाहिए. ऐसा ही कुछ इंदिरा गांधी के साथ भी हुआ जब 1971 में उन्हें भारत रत्न दिया गया.
रत्न देने वालों को रिटर्न गिफ्ट
ये रिटर्न गिफ्ट ही तो है. 1955 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने नेहरू को भारत रत्न दिया. 1962 में समाज सेवा के लिए राजेन्द्र प्रसाद को भी भारत रत्न दिया गया. ठीक इसी तर्ज पर 1971 में तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरी ने उस वक़्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भारत रत्न दिया. बदले में 1975 में वी.वी. गिरी को भी भारत रत्न से नवाज़ा गया. हो गया न हिसाब बराबर. मजे की बात ये कि देश में किसी भी राष्ट्रपति को पद पर रहते भारत रत्न नहीं मिला जबकि नेहरू और इंदिरा को प्रधानमंत्री रहते ये पुरस्कार दिए गए.
कुछ फैक्ट्स
- भारत रत्न उस शख्स को मिलता है जिसने मानवता के लिए किसी भी क्षेत्र में उम्दा काम किया हो.
- रत्न देते वक्त नस्ल, क्षेत्र, भाषा, लिंग या जाति पर गौर नहीं करते लेकिन आप देखें तो अब तक 45 लोगों को भारत रत्न मिल चुका है जिनमें से 40 पुरुष हैं और सिर्फ 5 महिलाएं.
- 26 जनवरी के दिन भारत के राष्ट्रपति ये रत्न देते हैं.
- पहले मरने के बाद किसी को भारत रत्न नहीं मिलता था लेकिन 1955 के बाद मिलने लगा.
- पहली बार साल 1954 में सी राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सीवी रमन को भारत रत्न दिए गए.
- सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बाद 1992 में भारत रत्न दिया गया था लेकिन बाद में वापस ले लिया गया.
- ऐसा नहीं कि भारत रत्न सिर्फ भारतीय नागरिक को ही दिया जाए. अब तक 2 विदेशियों अब्दुल गफ्फार खान (1987) और नेल्सन मंडेला (1990) को भी रत्न दिया गया है.
- एक साल में ज्यादा से ज्यादा 3 व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है.
- भारत रत्न को नाम के साथ पदवी के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते.
- इसके साथ कोई रकम नहीं दी जाती. लेकिन राष्ट्रपति का साइन किया हुआ एक प्रमाण पत्र मिलता है और साथ में एक मेडल भी.
सुविधाओं का बोनस
- रत्न पाने वालों को जिंदगी भर Income Tax नहीं भरना पड़ता.
- हमेशा के लिए भारत में एयर इंडिया की प्रथम श्रेणी और रेलवे की प्रथम श्रेणी में मुफ्त यात्रा.
- जरूरत पड़ने पर Z-grade की सुरक्षा दी जाती है.
- VVIP के बराबर का दर्जा दिया जाता है.
- हर राज्य में स्टेट गेस्ट की सुविधा दी जाती हैं.
- विदेश यात्रा में भारतीय दूतावास द्वारा उन्हें हर संभव सुविधा मिलती है.
नेहरू और किस्से
बच्चों पर जान छिड़कने वाले चाचा नेहरू ने कुछ ऐसी बातें की हैं जो दिल जीत लेती है. किसी की बात का जवाब देते हुए नेहरू ने कहा,
अधिकांश लोग सदैव छोटी-छोटी बातों में उलझे रहते हैं और उसके बारे में सोच-सोचकर दिमाग़ ख़राब करते हैं. मेरा नज़रिया अलग है और मुझ पर छोटी-छोटी बातों का कोई असर नहीं होता.
जब जवाहरलाल नेहरू छुटपन में थे तब उनके पिता मोतीलाल नेहरू भारत को आज़ाद कराने की मुहिम में शामिल थे. इसका असर नेहरू पर भी पड़ा. मोतीलाल ने पिंजरे में तोता पाल रखा था. एक दिन जवाहर ने तोते को पिंजरे से आज़ाद कर दिया. मोतीलाल को तोता बहुत प्रिय था. मोतीलाल ने जवाहर से पूछा, 'तुमने तोता क्यों उड़ा दिया. जवाहर ने कहा, 'पिताजी पूरे देश की जनता आज़ादी चाह रही है. तोता भी आज़ादी चाह रहा था, सो मैंने उसे आज़ाद कर दिया'. एक बार एक छात्र ने उनसे ऑटोग्राफ लेने के लिए अपनी कॉपी देते हुए कहा, 'इसमें सिग्नेचर कर दीजिए. नेहरू जी ने उसमें अपने दस्तख़त अंग्रेज़ी में कर दिए. छात्र को पता था कि नेहरू हिन्दी में ही हस्ताक्षर करते हैं. उसने पूछ लिया, 'आप तो हिन्दी में हस्ताक्षर करते हैं. नेहरू मुस्कराते हुए बोले, 'भाई, तुमने सिग्नेचर करने को बोला था, हस्ताक्षर करने को नहीं'. भाखड़ा बांध से सिंचाई योजना का उद्घाटन होना था। नेहरू को योजना के व्यवस्थापकों ने चांदी का फावड़ा उद्घाटन करने के लिए पकड़ाया इस पर नेहरू झुंझला गए. उन्होंने पास में पड़ा लोहे का फावड़ा उठाया और उसे ज़मीन पर चलाते हुए कहा, 'भारत का किसान क्या चांदी के फावड़े से काम करता है.'
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