जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam terror attack) में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में एक नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. नाम है असल मास्टरमाइंड (mastermind) का. और नाम लेने के पीछे एक वजह भी है. वजह है एक बयान. पहले आप ये वीडियोज़ देखिए.
पहलगाम अटैक का असली मास्टरमाइंड, कैसे बनाया प्लान? कहां है ऑफिस? पूरी कहानी!
उसका खानदान देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान गया, और बेटे ने की गंदी हरकत!
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वीडियो नंबर एक
वीडियो नंबर दो
ये वीडियो आया है पाकिस्तान से. और बोल रहे शख्स का नाम है - जनरल आसिम मुनीर (Asim Munir). पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (Pakistan Army Chief). वो टू नेशन थ्योरी का ज़िक्र कर रहे हैं. वो कश्मीर में 'आजादी' की लड़ाई लड़ रहे लोगों के साथ रहेंगे, ऐसा भी दावा कर रहे हैं.
आसिम मुनीर का ये बयान तो आया बहुत पहले था, लेकिन 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद ये वीडियो फिर से सोशल मीडिया पर नुमाया हुआ. एक स्वस्थ थ्योरी बनी - पहलगाम में हुए हमले में पाकिस्तान की आर्मी का सीधा हाथ है.
पाकिस्तान के हाथ वाली थ्योरी पर आगे बात करेंगे. लेकिन पहले पर्सन ऑफ इन्टरेस्ट पर चर्चा. कौन है आसिम मुनीर, और कैसे इस शख्स का नाम उन तमाम गतिविधियों में आता है, जो एंटी-इंडिया होती हैं?
आसिम मुनीर की पहली नौकरी भारत के खिलाफ़!साल 1947. भारत की आजादी के बाद विभाजन हुआ. और हुआ एक बड़ी संख्या में माइग्रेशन. इसी माइग्रेशन के एपिसोड में पंजाब के जालंधर से एक पंजाबी मुस्लिम, सैयद सरवर मुनीर की फैमिली पाकिस्तान में मौजूद टोबा टेक सिंह पहुंची. यहां कुछ समय गुजारने के बाद ये परिवार चला गया रावलपिंडी और वहां के ढेरी हसनाबाद में सेटल हो गया.
साल 1968 में इस परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ, नाम रखा गया सैयद आसिम मुनीर अहमद शाह. आसिम मुनीर ने मदरसे में पढ़ाई की. क्रिकेट में फास्ट बोलिंग की. कुछ सालों बाद आसिम मुनीर ने जापान के फुजी स्कूल, क्वेटा के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, क्वालालंपुर के मलेशियाई आर्म्ड फोर्सेज कॉलेज, और इस्लामाबाद की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की.
साल 1986 में आसिम मुनीर का सैन्य करियर शुरु हुआ. पाकिस्तानी सेना की फ्रन्टीयर फ़ोर्स रेजीमेंट की 23वीं बटालियन में कमीशन मिला. ध्यान दें कि वो फ्रन्टीयर फ़ोर्स रेजीमेंट ही है, जिससे हमारी भारतीय सेना का 1965 और 1971 के युद्ध के समय सामना हुआ था.
सालों की नौकरी के बाद आसिम मुनीर को ब्रिगेडियर की पोस्ट पर प्रमोशन मिला, और काम करने को मिली पाकिस्तानी आर्मी की आई कोर. यानी दुश्मन फौज की वो टुकड़ी, जिसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पैर जमाए हुए हैं. साल 2014 में आसिम मुनीर को एक और प्रमोशन मिला. मेजर जनरल की उपाधि मिली. और कमान मिली पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में तैनात सेनाओं को सम्हालने की.
ISI चीफ़ बनने का सफरजानकार बताते हैं कि आसिम मुनीर सेना में होने के साथ-साथ नियुक्ति-ट्रांसफर-बर्खास्तगी वाली इंटरनल पॉलिटिक्स में भी शामिल रहे. किसी की चाटुकारिता और किसी के लिए कुछ कर जाने का वायदा करते थे. ऐसे में साल 2016 में मुनीर को फायदे वाली कुर्सी मिली. कुर्सी पाकिस्तान की मिलिट्री इंटेलिजेंस के प्रमुख की. मुनीर दो सालों तक इस कुर्सी पर रहे. फिर साल 2018 में और बड़ी कुर्सी मिली. ऐसी कुर्सी, जिस पर बैठने वाला शख्स पाकिस्तान की सत्ता को कंट्रोल करता है. आतंकियों और मिलिटेन्ट गतिविधियों को अंजाम देता है. दहशतगर्दों को पनाह देता है. लेकिन नाम मिलता है जासूसों के बॉस का. ये कुर्सी थी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी Inter-Services Intelligence यानी ISI के डायरेक्टर जनरल की.
ये वो समय था जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे इमरान खान. कहा जाता है कि आसिम मुनीर पर उनकी खास कृपादृष्टि थी. इस वजह से ISI चीफ की कुर्सी दी गई थी. लेकिन साल 2019 में हुई एक घटना ने आसिम मुनीर की रुखसती का प्लॉट लिख दिया.
आसिम मुनीर ने भारत के खिलाफ घटिया काम कियाफरवरी 2019. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF जवानों के कॉन्वॉय पर सुसाइड बॉम्बर ने हमला किया. इसमें CRPF के 40 जवानों की मौत हो गई. इसे ही पुलवामा हमला कहा गया.
इस हमले के बाद भारत ने 26 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा के अंदर मौजूद बालाकोट में एरियल स्ट्राइक की थी. इस हमले में पुलवामा हमले के जिम्मेदार संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर गोलाबारी की गई. कई आतंकवादियों की मौत का दावा भी सामने आया. भारत के इस अटैक के बाद पाकिस्तान की बहुत किरकिरी हुई. इससे बचने के लिए पाकिस्तान ने विदेशी पत्रकारों का दौरा भी करवाया. ये ज़ाहिर करने की कोशिश की कि भारत के इल्जाम बेबुनियाद हैं.
लेकिन पाकिस्तान की साख गिरती ही रही. 27 फरवरी को पाकिस्तानी वायुसेना के जेट बालाकोट स्ट्राइक का बदला लेने भारत में घुसे. प्लान था कि बॉम्ब गिराया जाएगा. लेकिन भारतीय वायुसेना ने भांप लिया, और मिग-21 बाइसन एयरबॉर्न हुए. इस इंगेजमेंट के दौरान भारत का विमान पाकिस्तानी सेना के अंदर क्रैश हुआ और उसमें सवार विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान युद्धबंदी बना लिए गए. 1 मार्च को उन्हें पाकिस्तान ने रिहा कर दिया. और अभिनंदन भारत वापिस आ गए.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस समय ये सारा कुछ घट रहा था, उस समय पाकिस्तान में ISI के DG की कुर्सी पर बैठे थे आसिम मुनीर. कहा जाता है कि आसिम मुनीर की अध्यक्षता वाली एक कमिटी ने ही सेनाओं को ये सुझाव दिया था कि बालाकोट का बदला इंडिया पर हमला करके लिया जाए. जिसके बाद ये पूरा घटनाक्रम सामने आया.
इमरान खान की ‘बीबी’ के चक्कर में गई कुर्सी!22 मार्च, 2019 को भारत और पाकिस्तान ने शांति समझौता कर लिया. और कुछ ही महीनों बाद यानी जुलाई 2019 में मुनीर को ISI DG की कुर्सी से तत्कालीन पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान ने हटा दिया.
उस दौरान इमरान और आसिम मुनीर में बहुत खटपट हुई थी. कहा गया कि मुनीर को इसलिए हटाया गया, क्योंकि वो इमरान की पत्नी बुशरा बीबी पर लगे भ्रष्टाचार के इल्ज़ामों की जांच करवाना चाहते थे. इमरान ने इस आरोप का खंडन भी किया. लेकिन ISI चीफ को 8 महीने बाद ही कुर्सी से उतारकर पंजाब में कोर कमांडर बना देना, और उसके बाद रावलपिंडी के सेना हेडक्वॉर्टर में सप्लाई ऑफिस देखने बैठा देने का मतलब लोगों ने निकाल लिया.

इमरान के चलते पाकिस्तान में सेना की बहुत किरकिरी हुई, लेकिन मुनीर का संगठन उनके साथ खड़ा रहा. इमरान आरोप लगाते रहे कि सेना के लोग उनकी जान लेना चाहते हैं, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. ऐसे इमरान सीन से बाहर हो गए, कुर्सी पर बैठे शाहबाज शरीफ़.
लोगों को लगा कि अब कुछ हो नहीं सकता. क्योंकि 27 नवंबर, 2022 के दिन आसिम मुनीर को सेना की नौकरी से रिटायर होना था. लेकिन एक रोचक घटनाक्रम सामने आया. पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने आसिम मुनीर को रिटायर करने से इनकार कर दिया. सर्विस बनी रहेगी - आसिम मुनीर को ऐसा भरोसा दिलाया गया.
कुर्सी पर बैठते ही शुरू किया इंडिया पर हमला!और रिटायरमेंट की डेट से ठीक तीन दिन पहले यानी 24 नवंबर, 2022 को आसिम मुनीर को चिट्ठी मिली - आपको पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (या पाक आर्मी चीफ) का पद दिया जाता है. 29 नवंबर को ज्वाइन किया. आसिम मुनीर को मिला रावलपिंडी के चकलाला एरिया में मौजूद आर्मी हेडकॉर्टर का सबसे बड़ा ऑफिस. कहा जाता है कि ऐसा पाक के पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ़ के कहने पर किया गया था.

जैसे ही आसिम मुनीर को आर्मी चीफ की कुर्सी मिली, वो समय आ गया, जब एक अलग ढंग से पाकिस्तान से घुसपैठ शुरू हुई. एक नया तरीका अपनाया गया. अब के पहले तक आतंकी संगठनों में कश्मीर के स्थानीय युवाओं की भर्ती की जाती थी. लेकिन सूत्र बताते हैं कि आसिम मुनीर ने पाकिस्तान की आर्मी से रिटायर हुए लोगों की भर्ती की जमीन तैयार की. इसमें स्पेशल फोर्सेज़ के भी जवान शामिल रहे हैं, जो सीमा पार करके भारत आते हैं, और भारतीय लोगों पर टारगेट करके हमले करते हैं.
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में भी यही बात हो रही है. टारगेट करके अटैक, और सीधी हत्याएं…. ये आतंकियों की नई पौध है.
और सवाल वही - इसके पीछे लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर का कितना बड़ा हाथ है?
वीडियो: पहलगाम हमला: क्या अपडेट सामने आए? आतंकियों ने चिन्हित कर हमला किया?