आज से पांच हज़ार साल पहले आदमी कैसे रहता होगा? वो क्या खाता होगा? क्या पहनता होगा? उसका रहन सहन कैसा होगा? वो अगर शिकार करता होगा तो कैसे? उसने धातु का इस्तेमाल करना कैसे सीखा होगा. इन सवालों के जवाब इतिहासकार और पुरातत्वविद लम्बे समय से खोजने की कोशिश करते रहे हैं. लेकिन फिर जैसा कहते हैं , हज़ार शब्द -एक तस्वीर. नीचे दिखाई गई ये तस्वीर फोरेंसिक रीकंस्ट्रक्शन द्वारा बनाई गई है. और ये उस आदमी की तस्वीर है जो आज से पांच हजार साल पहले जिंदा था. इस आदमी का नाम है. ओत्ज़ी. (Ötzi the Iceman)
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ओत्ज़ी- असल में एक ममी है. लेकिन एक ऐसी ममी जिसका लगभग पूरा शरीर सही सलामत है. त्वचा बाक़ी है. मांसपेशियां हैं. यहां तक कि दिल, गुर्दा, जिगर सब सही सलामत हैं. इतना ही नहीं. ओत्ज़ी के कपड़े सही सलामत है. हथियार साथ हैं. और हमें ये भी मालूम है कि ओत्ज़ी के शरीर पर कितने और कैसे टैटू बने हैं. 5 हज़ार साल पहले आदमी टैटू क्यों बना रहा था? (Europe's oldest mummy)
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पांच हजार साल पुरानी एक कहानी
कहानी हज़ारों साल पहले की है. लेकिन शुरुआत करते हैं साल 1991 से. 19 सितंबर की तारीख. ऑस्ट्रिया और इटली के बीच आल्प्स की पहाड़ियों पर दो जर्मन हाइकर्स घूम रहे थे. जब अचानक उन्हें काफ़ी ऊंचाई पर एक लाश दिखाई दी. लाश का सिर और कंधा बाहर की ओर निकला हुआ था जबकि बाक़ी हिस्सा बर्फ में धंसा हुआ था. किसी बेचारे पर्वतारोही की दुर्घटना में मौत हुई होगी. परिवार वाले इंतज़ार कर रहे होंगे. ये सोचकर उन दो हाइकर्स ने अधिकारियों को लाश की जानकारी दी. लाश का मेडिकल टेस्ट हुआ. टेस्ट हुआ था मौत की वजह पता लगाने के लिए. लेकिन सामने आई एक अजीबोगरीब कहानी. ये लाश कोई आम लाश नहीं थी. ये शख़्स आज से 5 हज़ार साल पहले मरा था. पुरातत्वविदों के लिए ये सोने की खदान मिलने जैसा था. क्योंकि लाश एकदम सही सलामत थी. (The famous frozen mummy)
पांच हज़ार साल से इस लाश के बचे रहने का कारण था, उसका बर्फ में दबे रहना. ये ऐसा ही था मानों किसी लाश को कोल्ड स्टोरेज में रख दिया गया हो. जिसके कारण उसका शरीर नष्ट नहीं हुआ. वैज्ञानिकों ने उसे नाम दिया- ओत्ज़ी द आइसमैन. वैज्ञानिकों ने परीक्षण से ओत्ज़ी के बारे में पता लगाया. ओत्ज़ी की मौत कुछ 5300 साल पहले हुई थी. ये मानव इतिहास का वो दौर है जिसे कॉपर युग के नाम से जाना जाता है. ईसा से 3 हज़ार साल पहले कॉपर युग का आखिरी दौर चल रहा था. इंसान कबीलों में रहता था. और दुनिया के अलग अलग कोनों में सभ्यता के बीज पड़ने लगे थे. ओत्ज़ी से पहले इस दौर के बारे में हमें सिर्फ अंदाजा लगाया गया था. ओत्ज़ी बोल नहीं सकता था, लेकिन फिर भी वो अपने दौर की पूरी कहानी बयान कर सकता था. मसलन वो खाता क्या था, रहता कैसे था, पहनता क्या था? आदि. (5000-year-old mummy)
यूं महज डिटेल बताएंगे तो कहानी थोड़ी बोरिंग हो जाएगी. इसलिए चलिए क़िस्से के रूप में जानते है वो कहानी जो ओत्ज़ी के शरीर, कपड़ों और उसके पास मिली चीजों से पता चली. ओत्ज़ी साहब की हाइट थी, पांच फुट तीन इंच. जब मरे तब उम्र थी 40 के आसपास. हालांकि मरने से पहले ओत्ज़ी ने एक भरपूर ज़िंदगी जी थी. ओत्ज़ी ने लम्बी यात्रा की थी? ये कैसे पता. दरअसल उसके पेट में अलग आग फूलों का पराग मिला. जिससे पता चलता था की उनकी मौत फूल खिलने के मौसम में हुई थी. फूल खिलने का मौसम यानी गर्मियों का मौसम. और लम्बी यात्रा वाली बात दावे से इसलिए कह सकते हैं क्योंकि पराग एक प्रकार का नहीं था. अलग अलग फूलों का था. जो एक दूसरे से लम्बी दूरी पर पाए जाते थे.
ओत्ज़ी रहता कहां था और काम क्या करता था? रणबीर कपूर और दीपिका की फ़िल्म तमाशा याद होगी आपको. जिसमें रणबीर और दीपिका कोर्सिका में मिलते हैं. कोर्सिका फ्रांस के पास एक द्वीप है. ओत्ज़ी के DNA से वैज्ञानिकों को पता चला कि ओत्ज़ी का DNA कोर्सिका के लोगों से मैच करता है. यानी उसके पूर्वज इसकी इलाके के थे. अंदाज़े से बताया जा सकता है, कि ओत्ज़ी शायद गडरिए जैसा कोई काम करता था. और भेड़ आदि जानवर चराता था.
ओत्ज़ी खाता क्या था?
ओत्ज़ी के पेट में गेहूं की एक किस्म का अनाज और हिरन का मांस था. जो उन्होंने मरने से कुछ ही घंटे पहले खाया था. कुछ और जानवरों का मांस भी ओत्ज़ी को नसीब था क्योंकि हिरण के अलावा और जानवरों का मांस भी उनके पेट से मिला. हालांकि ऐसा नहीं था कि मांस आसानी से मिल जाता था. ओत्ज़ी शिकार किया करता था. जो उसके पास मिले धनुष और बाण से साबित हुआ. जैसा पहले बताया ओत्ज़ी कॉपर युग का मनुष्य था. इसलिए अपने तीर की नोक में वो धातु का इस्तेमाल किया करता था. इसके अलावा ओत्ज़ी के पास एक कुल्हाड़ी भी थी. जिसमें लगे निशानों से पता चलता था कि उसका खूब इस्तेमाल किया गया होगा.
खाने के अलावा ओत्ज़ी के पहनावे में भी पर्याप्त सोफिस्टिकेशन था. ओत्ज़ी एक लबादा ओढ़े रखता था. घास से बना हुआ. साथ में कोट. बेल्ट. एक जोड़ी पतलून. एक लंगोट. ये सभी चमड़े से बने हुए थे. और चूंकि ओत्ज़ी को फैशन का भी पर्याप्त ख़याल था. इसलिए वो चमड़ा भी अलग अलग जानवरों का इस्तेमाल किया करता था. ओत्ज़ी के सिर पर एक टोपी रहती थी. जिसमें एक पट्टा बंधा हुआ करता था. इसके अलावा उसकी बेल्ट में एक पाउच लटका रहता था, जिसका इस्तेमाल वो छोटी मोटी चीजें जैसे, खुरचनी, हड्डी का सूआ और आग जलाने का चकमक पत्थर रखने के लिए करता था. आग ओत्ज़ी की सबसे बड़ी दोस्त थी. उसके फेफड़ों के ऊपर कालिख की एक मोटी परत चढ़ी हुई थी, जिससे पता चलता था कि बहुत सारा वक्त ओत्ज़ी ने आग के ही आसपास गुज़ारा है.
अब जानिए एक हैरान करने वाली बात. ओत्ज़ी जूते भी पहनता था. और खड़ाऊ टाइप नहीं. बाक़ायदा चमड़े के जूते. जिनका सोल हिरन की खाल से बना होता था. इनके अलावा पेड़ की छाल को आपस में बुनकर जूतों में एक जाली लगी होती थी. इस जाली के अंदर घास के बुने हुए मोजे टाइप होते थे. ये मामला इतना कॉम्प्लिकेटेड होता था कि पुरातत्वविदों को लगता है, ओत्ज़ी के जमाने में भी एक मोची हुआ करता था, जो जूते बनाने का काम करता था.
टैटू क्यों बनाए थे?
इतना सब जानकर लगता है कि ओत्ज़ी चाहे अपने टाइम के हिसाब से ही सही. सारे जुगाड़ का इंतजाम रखता था. और लाज़मी है. चूंकि ये सब चीज़ें ठंड में ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी थीं. इसलिए ओत्ज़ी ने इन सबका ख़याल रखा होगा. लेकिन एक बात जो थोड़ी मुश्किल से समझ आती है, वो ये है कि ये ओत्ज़ी अपने शरीर पर टैटू क्यों बनवा रहा था. वैज्ञानिकों को ओत्ज़ी के शरीर पर एक दो नहीं पूरे 61 टैटू मिले. जबकि माना जाता था कि टैटू की कला कुछ तीन हज़ार साल पहले चीन में शुरू हुई थी. इससे पहले आप सोचें कि ओत्ज़ी टैटू में टाइम वेस्ट कर रहा था. ओत्ज़ी के बारे में कुछ और चीजें जानिए.
आम धारणा है की नेचर में रहो तो स्वास्थ्य अच्छा होता है. पुराने लोगों का स्वास्थ्य आज के लोगों से बेहतर होता था, ये भी कई बार सुना होगा आपने. लेकिन असलियत ये है कि विज्ञान के आने से पहले मनुष्य की हालत बहुत ख़राब होती थी. बीमारी क्यों होती है, आदमी को ये तक मालूम नहीं था. अधिकतर बच्चे पैदा होते ही मर जाते थे. और जो बचते उन्हें कब कौन सी बीमारी पकड़ ले, इसका भी कोई हिसाब नहीं था. ओत्ज़ी की हालत भी ऐसी ही थी. वैज्ञानिक परीक्षण के अनुसार 40 की उम्र में ओत्ज़ी का दिल कमजोर हो चुका था. उसे लाइम नाम की बीमारी थी. जिसमें हड्डियों में दर्द होने लगता है. उसकी आंत में राउंड वॉर्म नाम का एक कीड़ा था. जिसके कारण यकीनन उसे पेट की तकलीफ रहा करती होगी. ओत्ज़ी के नाखून में सफेद लाइनें थी. जिनसे पता चला कि वो मरने से पहले छ महीने के दौरान तीन बार बीमार पड़ा था.
अब इतनी बीमारी थी तो कोई इलाज भी करता होगा. इसी इलाज का नतीजा थे, वो टैटू तो ओत्ज़ी के शरीर में मिले थे. वैज्ञानिकों के अनुसार बहुत संभावना है कि अक्यूपंक्चर जैसी किसी प्रक्रिया में ये टैटू बने होंगे. ये टैटू दरअसल आड़ी तिरछी लाइनें थी. जो त्वचा को घिसकर उस में चारकोल रगड़ने से बनाई गई थी. ओत्ज़ी के शरीर में 19 जगहों पर ये टैटू थे. और कई टैटू तो एक के ऊपर एक बनाए गए थे.अब इतना जानने के बाद अंत में जानते हैं कि ओत्ज़ी की मौत कैसे हुई?
ये अपने आप में दिलचस्प कहानी है. क्योंकि जहां ओत्ज़ी की लाश मिली. उससे लगता था कि शायद पहाड़ से गिरने के कारण उसके मौत हुई होगी. लेकिन ओत्ज़ी चाहे पुराना आदमी रहा हो. वो बेवकूफ नहीं था कि जब ज़िंदगी में पहले ही इतना एडवेंचर हो, उसके बावजूद यूं ही बर्फीली पहाड़ियां चढ़ता फिरे. ओत्ज़ी की मौत का राज साल 2012 में पता चला. डीप एक्स रे के दौरान उसके दाएं कंधे में एक घाव के नीचे एक तिरछी नुकीली चीज़ मिली. ये एक तीर का अगला हिस्सा था, जो धातु का बना था. इससे पता चलता था कि ओत्ज़ी की हत्या हुई थी. किसी ने उसकी पीठ पर तीर चलाकर उसकी हत्या की थी. हत्या किसने की? ये तो नहीं पता लगाया जा सकता. लेकिन क्यों की? इस बारे में वैज्ञानिक ख़ासकर फॉरेंसिक साइंटिस्ट जरूर कुछ कहने की हालत में हैं.
ओत्ज़ी के पास जो चीजें मिली. वो सही सलामत थीं. मसलन उसकी बेल्ट में रखे पाउच में रखी चीजें. उसकी कुल्हाड़ी भी उसके पास थी. और धनुष भी. इसका मतलब ये हत्या लूट या चोरी के इरादे से तो नहीं की गई होगी. क्योंकि तब सोना था नहीं. और कॉपर जैसी धातुओं से कीमती कुछ और होता होगा, ऐसा कोई सबूत अभी तक मिला नहीं. अंदाज़े से बताया जा सकता है कि शायद किसी पर्सनल कारण से ओत्ज़ी की हत्या हुई हो. या बात किसी मिसेज़ ओत्ज़ी की रही हो. इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता. सच्चाई जो हो. ओत्ज़ी मर गया. लेकिन शायद उसे भी नहीं पता था कि उसकी मौत के पांच हज़ार साल बाद वो अपने बारे में इतना कुछ बता जाएगा. हालांकि मरने के बाद ओत्ज़ी अब पर्याप्त सुकून की हालत में है. उसके शरीर को इटली के एक म्यूजियम में रखा गया है. जहां -6 डिग्री सेल्सियस तापमान बरकरार रखा जाता है. ताकि ओत्ज़ी संभव हो तो आगे अपने बारे में और बता सके.
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