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लादेन अपने पालतू कुत्तों के साथ क्या करता था?

ओसामा के बेटे ने एक इंटरव्यू में उसके बारे में कई खुलासे किए हैं!

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ओसामा बिन लादेन

‘ओसामा बिन लादेन कुत्तों पर केमिकल हथियारों की टेस्टिंग करता था.
वो अपने नाबालिग बेटे को बंदूक चलाना सिखाता था.
अमेरिका ने लादेन की लाश को समंदर में नहीं फेंका होगा.’

ये दावे करने वाला जो शख़्स है, वो 9/11 हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन अलक़ायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन का बेटा है. नाम, उमर बिन लादेन. वही उमर, जिसे लादेन अपने आतंक का राज-पाट सौंपना चाहता था. लेकिन वो उससे पहले ही भाग निकला. आगे क्या हुआ? ब्रिटिश अख़बार ‘द सन’ को दिए इंटरव्यू में उमर ने कई चौंकाने वाले राज़ जाहिर किए हैं.

ओसामा बिन लादेन. ये नाम सुनकर आपको क्या याद आता है?

काली-सफेद दाढ़ी, उजला कुर्ता, छोटी-छोटी आंखों वाला एक अधेड़ उम्र का आदमी. वो शॉल ओढ़े पालथी मारकर गद्दे पर बैठा रहता था. उसके चेहरे पर शांति का भाव होता था. अगर कोई उसे पहली बार में देखता तो उसके चेहरे पर संतत्व की झलक दिखती. जैसे-जैसे नज़र का दायरा बढ़ता, नक़ाब हटने लगता और फिर समझ में आता कि वो शख़्स कितना ख़तरनाक है.

> ओसामा बिन लादेन, वो जिसने अमेरिका पर 9/11 हमले की साज़िश रची. इस हमले में लगभग तीन हज़ार लोग मारे गए थे.

> उससे पहले वो केन्या और तंज़ानिया में अमेरिकी दूतावासों पर बॉम्ब ब्लास्ट करवा चुका था. इन धमाकों में दो सौ से अधिक लोगों की जान गई थी.

> इससे पीछे जाएं तो, 1980 के दशक में लादेन अमेरिका के पैसों पर सोवियत संघ के ख़िलाफ़ जंग लड़ रहा था. वो अपने परिवार की अकूत संपत्ति छोड़कर अफ़ग़ानिस्तान आया था. उसके परिवार के बिजनेस के बारे में आगे बताएंगे.

पहले लादेन की कहानी पूरी कर लेते हैं.

09 सितंबर 2001 को 19 आतंकियों ने अमेरिका में चार पैसेंजर प्लेन्स को हाईजैक किया. दो प्लेन्स वर्ल्ड ट्रेड टॉवर्स से टकराए गए. एक को पेंटागन की इमारत पर गिरा दिया गया. चौथे प्लेन के यात्रियों ने हाईजैकर्स से लड़कर शहर से बाहर एक खेत में क्रैश करवा दिया. इन घटनाओं में सभी यात्रियों के साथ-साथ सभी हाईजैकर्स भी मारे गए. उन्होंने हमले से पहले कोई धमकी नहीं दी थी. उनका कोई बयान उपलब्ध नहीं था. फिर भी कुछ घंटों के अंदर ही अमेरिकी अधिकारियों ने साफ़ कर दिया कि इस हमले के पीछे अलक़ायदा और उसका सरगना ओसामा बिन लादेन है. लादेन ने इस आरोप से इनकार कर दिया. उसने तीन बरस बाद 2004 में हमले की ज़िम्मेदारी क़बूली थी.

9/11 के समय लादेन अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद था. पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में अलक़ायदा के आतंकी रहते थे. उन्हें तालिबान सरकार का पूरा सपोर्ट मिला हुआ था. अमेरिका ने लादेन और हमले में शामिल एक-एक साज़िशकर्ता को सौंपने की मांग की. तालिबान ने कहा, अगर लादेन दोषी है तो कागज़ दिखाइए. अगर सबूत मिल गया तो हम लादेन पर इस्लामी अदालत में मुकदमा चलाएंगे. तालिबान तुरंत अलक़ायदा को अपने यहां से हटाने के लिए तैयार नहीं हुआ. मुल्ला उमर ने तो यहां तक कहा कि किसी को सौंपने का कोई सवाल ही नहीं उठता.

इस बीच खुफिया एजेंसी सीआईए की स्पेशल टीम अफ़ग़ानिस्तान में दाखिल हो चुकी थी. उन्हें यूके की खुफिया एजेंसी का भी साथ मिला. वे लादेन को तलाशने के साथ-साथ आगे के कैंपेन के लिए भी रेकी कर रहे थे. आख़िरकार, 07 अक्टूबर 2001 को अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान पर हवाई हमले शुरू कर दिए. 14 अक्टूबर को तालिबान सरकार का डिप्टी पीएम हाजी अब्दुल कबीर ने कहा कि हम लादेन को सौंपने के लिए तैयार हैं. हमारी तीन शर्त है,

- पहली शर्त, हमें लादेन के ख़िलाफ़ सबूत चाहिए.
- दूसरी शर्त, अमेरिका को हवाई हमला बंद करना होगा.
- तीसरी शर्त, लादेन को ऐसे किसी देश में भेजा जाएगा, जो अमेरिका के दबाव में ना आए.

उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश कैम्प डेविड में वीकेंड बिताने गए हुए थे. लौटने पर रिपोर्टर्स ने उनसे तालिबान की शर्तों पर सवाल पूछा. बुश बोले, ‘दोष-निर्दोष पर विचार-विमर्श की कोई ज़रूरत नहीं है. हमको पता है कि लादेन दोषी है.’

दिसंबर 2001 में अमेरिका ने नेटो के सहयोगियों के साथ ग्राउंड पर उतरकर सैन्य अभियान शुरू कर दिया. 03 दिसंबर को तोरा बोरा की पहाड़ियों पर मुठभेड़ शुरू हुई. इसमें लादेन के दो सौ से ज़्यादा लोग मारे गए. लेकिन लादेन बच गया. वो वहां से भाग निकला. बाद में बुश सरकार ने माना कि तोरा बोरा में लादेन को नहीं पकड़कर भारी ग़लती हुई.

तोरा बोरा की लड़ाई के बाद ही तालिबान सरकार का पतन हो गया. तालिबान के बड़े नेता भागकर पाकिस्तान चले आए. मीडिया रपटों में दावा किया जाता है कि इन नेताओं को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने अपने यहां शरण दी थी. दिलचस्प ये रहा कि पाकिस्तान ‘वॉर ऑन टेरर’ में अमेरिका का भी पार्टनर था.

तालिबानी नेता पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बॉर्डर के पास के इलाकों में यदा-कदा दिख जाया करते थे. लेकिन तोरा बोरा से भागने के बाद लादेन का कोई पता नहीं चल रहा था. उसका एक वीडियो टेप 2004 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले जारी हुआ. इसमें उसने 9/11 हमले की ज़िम्मेदारी ली थी. इसके बाद उसके कुछ ऑडियो टेप्स मीडिया में आए. इसमें वो पाकिस्तान और इज़रायल के ख़िलाफ़ जिहाद छेड़ने की बात करता था. 2007 में अमेरिका की संसद के ऊपरी सदन सेनेट ने लादेन पर रखा इनाम 200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 400 करोड़ कर दिया. मगर वे उसका पता लगाने में नाकाम रहे. 2009 में जब बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तब लादेन ने उन्हें भी चुनौती दी थी.

ओबामा ने चैलेंज स्वीकार किया. 02 मई 2011 की तड़के सुबह यूएस नेवी की सील्स टीम ने पाकिस्तान के ऐब्टाबाद में ऑपरेशन चलाकर लादेन को मारने का दावा किया. ये भी कहा गया कि लादेन की लाश को समंदर में फेंक दिया गया है. ताकि कोई उसका स्मारक बनाकर उसकी इबादत ना करने लगे. लादेन का चैप्टर यहां पर खत्म हो गया.

अब उसकी फ़ैमिली के बारे में जान लेते हैं.

अलग-अलग रिपोर्ट्स में लादेन के बच्चों को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं. किसी रिपोर्ट में कहा जाता है कि उसके 56 बच्चे थे. किसी में कहा गया कि ये संख्या बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती है, उसके सिर्फ 19 बच्चे थे. सबके बारे में तो मीडिया में पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन उसके कुछ बेटों ने ख़ूब सुर्खियां बटोरी.

- लादेन का सबसे बड़ा बेटा था, अबदल्लाह बिन लादेन. उसने कभी अपने पिता की आतंकी गतिविधियों की आलोचना नहीं की. लादेन की मौत के बाद उसने अमेरिकी अधिकारियों से सबूत भी मांगा था. द सन की रिपोर्ट के अनुसार, वो फिलहाल सऊदी अरब के जेद्दाह में रहता है. वो सरकार की वॉचलिस्ट में है. उसके देश से बाहर जाने पर पाबंदी है.

- एक और बेटा साद बिन लादेन अलक़ायदा का एक्टिव मेंबर था. उसने कई आतंकी घटनाओं की प्लानिंग भी की. जुलाई 2009 में वो अमेरिका के एक ड्रोन हमले में मारा गया.

- एक और था, हमज़ा बिन लादेन. उसको अलक़ायदा का अगला लीडर माना जा रहा था. वो अपने पिता की मौत का बदला लेने की फ़िराक़ में था. एब्टाबाद में मिली चिट्टियों से ये पता चला कि ओसामा, हमज़ा को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर ट्रेन कर रहा था. 2019 में यूएस आर्मी के एक सीक्रेट ऑपरेशन में हमज़ा भी मारा गया.

लादेन की जिन संतानों के बारे में पब्लिक डोमेन में जानकारी उपलब्ध है, वे सभी किसी ना किसी रूप में अपने पिता की विरासत को ही आगे बढ़ा रहे थे. एक को छोड़कर. आज की कहानी का मुख्य किरदार भी वही है. उमर बिन लादेन. वो ओसामा का चौथा बेटा है.

उमर मार्च 1981 में जेद्दाह पैदा हुआ था. उस समय लादेन अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत संघ के ख़िलाफ़ लड़ रहा था. उमर का पूरा बचपन युद्ध के माहौल में बीता. वो कुछ समय के लिए सूडान भी गया. वहां से निर्वासित होने के बाद वो वापस अफ़ग़ानिस्तान पहुंचा. तालिबान की सरकार आने के बाद लादेन ने अफ़ग़ानिस्तान को अलक़ायदा का गढ़ बना लिया. उसके आतंकी वहीं पर ट्रेनिंग पाते थे. लादेन अपने बच्चों को भी उसी माहौल में ढालना चाहता था. अधिकतर बच्चे चुपचाप उसकी बात मान गए. लेकिन उमर को उसमें दिलचस्पी नहीं थी. इसके लिए उसकी ख़ूब पिटाई होती थी. उसे बंदूक चलाने के लिए मजबूर किया जाता था. लादेन उमर को अलक़ायदा की कमान सौंपना चाहता था. लेकिन उमर इसके लिए तैयार नहीं था. अप्रैल 2001 में उसने अफ़ग़ानिस्तान छोड़ दिया.

उमर यूरोप और मिडिल-ईस्ट के कई देशों में रहा. कई देशों ने उसका वीजा एप्लीकेशन ये बताकर रद्द किया कि उसकी वजह से उनके देश में राजनैतिक हंगामा हो सकता है. इस दौरान उसे कई बार मेंटल ट्रॉमा के चलते अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. ईजिप्ट में इलाज के दौरान ही उसकी मुलाक़ात ज़ेना से हुई. ज़ेना, उमर से 24 बरस बड़ी थी. दोनों ने शादी कर ली. जब तक लादेन की मौत नहीं हुई थी, उमर कई बार मीडिया के सामने आया. इसमें उसने अपने पिता से आतंक का रास्ता छोड़ने की अपील की थी.

लादेन की मौत के बाद उसने यूएन से मामले की जांच करने के लिए कहा. अमेरिका ने उसकी मांग को सिरे से नकार दिया.

कुछ समय बाद उमर फ़्रांस चला गया. वो नॉरमेण्डी में अपनी पत्नी के साथ रहने लगा. मार्च 2021 में अरब न्यूज़ ने एक रिपोर्ट पब्लिश की. पता चला कि उसने कोविड लॉकडाउन के बीच पेंटिंग का पेशा अपना लिया. उसकी एक-एक पेंटिंग सात-सात लाख रुपये में बिकती हैं.

आज हम उमर बिन लादेन की चर्चा क्यों कर रहे हैं?

दरअसल, 30 नवंबर को उमर ने ब्रिटिश अख़बार द सन को एक इंटरव्यू दिया. उमर अपनी पत्नी के साथ क़तर में फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप देखने पहुंचा है. ये इंटरव्यू दोहा में ही रेकॉर्ड किया गया. इसमें उमर ने अपने पिता से जुड़े कुछ और राज़ जाहिर किए हैं.

- उमर ने बताया कि लादेन उसके पालतू कुत्तों पर केमिकल हथियार टेस्ट किया करता था. इसमें उमर नाराज़ रहा करता था.

- लादेन अपने बच्चों को टेररिस्ट ट्रेनिंग कैंप्स में एके-47 चलाने के लिए कहा करता था. जो मना करते थे, उनकी जमकर पिटाई की जाती थी. उमर ने कहा कि मैं भी लादेन के आतंक का एक सर्वाइवर ही हूं.

उमर की अपने पिता से आख़िरी बात क्या हुई थी?

इस सवाल पर उसने कहा, मैंने उनसे अलविदा कहा और उन्होंने मुझे. इसके अलावा कोई और बात नहीं हुई. जाहिर तौर पर वो मुझसे बहुत खुश नहीं थे.

- उमर को आज भी उसके पिता की पहचान से जोड़ा जाता है. उसने कहा, मैं सोचता था कि मेरे पिता की मौत के बाद सब ठीक हो जाएगा. लेकिन लोग मुझे उसी पहचान के आधार पर जज करते हैं.

- लादेन की लाश पर उमर ने कहा,

मुझे थोड़ा शक है. अगर मुझे उनकी लाश को दफनाने का मौका मिलता तो ज़्यादा अच्छा होता. मुझे लगता है कि वो उनकी लाश को अमेरिका ले गए. वहां के लोगों को दिखाने के लिए.

फिलहाल, उमर बिन लादेन फ़्रांस में ही रह रहा है. वो दूसरी बार ब्रिटिश वीजा के लिए अप्लाई कर रहा है. उसे 2020 में एक बार ब्रिटेन में घुसते ही वापस लौटा दिया गया था. उमर का इरादा बस इतना है कि उसकी पहचान उसके पिता के साथ ना जोड़ी जाए और उसकी पेंटिंग बिक जाए. वो आम इंसानों की तरह अपना जीवन बिताना चाहता है. 

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