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Oreo बिस्किट की कहानी, जिसे दूध में डुबाने के लिए दूसरी कंपनी की नैया 'डुबा' दी गई

Oreo cookies कोई पहला प्रोडक्ट नहीं है. अंग्रेजी में कहें तो copycats, मतलब टीपा हुआ टाइप मामला है. 1912 में लॉन्च होने से पहले एक दूसरी कंपनी ऐसा ही प्रोडक्ट बना चुकी थी. मार्केट में बिक भी रहा था, मगर फिर Oreo बनाने वाली कंपनी ने कुछ ऐसा किया कि पहली कंपनी पर डुप्लिकेट का ठप्पा लग गया.

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ओरियो 'बिस्कुट' की कहानी.

एक ब्रांड है, 100 साल से भी ज्यादा पुराना. 21वीं सदी के बेस्ट सेलिंग ब्रांड का तमगा इनके पास है. k pop वाले Blackpink ग्रुप से लेकर महेंद्र सिंह धोनी और रणवीर सिंह तक इसके ब्रांड एम्बेसडर रहे हैं या अभी भी हैं. इतना पढ़कर शायद आप कहोगे भाई क्यों बोर कर रहे. सीधे-सीधे बोलो कि Oreo की बात कर रहे हो. आप शायद खीज कर ये भी कह सकते हो कि आप क्या नया बताओगे इस प्रोडक्ट के बारे में, हम खा रहे हैं मस्ती से. जनाब आप खाते रहिए, हम भी खाते हैं, मगर बस इतना बताना था…

Oreo cookies कोई पहला प्रोडक्ट नहीं है. अंग्रेजी में कहें तो copycats, मतलब टीपा हुआ टाइप मामला है. 1912 में लॉन्च होने से पहले एक दूसरी कंपनी ऐसा ही प्रोडक्ट बना चुकी थी. मार्केट में बिक भी रहा था. मगर फिर Oreo बनाने वाली कंपनी ने कुछ ऐसा किया कि पहली कंपनी पर डुप्लिकेट का ठप्पा लग गया. यही स्टोरी हम बताने वाले हैं.

मार्केट में दूसरे

साल 1912 में तब की National Biscuit नाम की अमेरिकी कंपनी ने Oreo Biscuit के नाम से अपना प्रोडक्ट बाजार में उतारा. दो बिस्किट के बीच क्रीम वाले यूनीक (ऐसा कंपनी का कहना था) प्रोडक्ट को बहुत धूम-धड़ाके के साथ लॉन्च किया गया. मगर पब्लिक से कोई खास रेस्पॉन्स नहीं मिला. इसकी वजह थी Hydrox नाम का एक और प्रोडक्ट जिसे 'सनशाइन' नाम की एक और बिस्किट कंपनी ने 1908 में बाजार में उतारा था.

blue and yellow plastic pack
Oreo

Hydrox भी इसी कॉन्सेप्ट वाला बिस्किट था और मार्केट में अपनी जगह बना चुका था. ठंडे दूध वाले ग्लास में डुप्प करके इसको खाने का अपना अलग ही मजा था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Hydrox और Oreo की पैकिंग भी एक जैसी ही थी. नीली वाली जो आज भी मार्केट में नजर आती है.

Hydrox

Oreo Biscuit की मार्केट में जगह बनाने के लिए कंपनी ने हर जतन किया. 1921 में प्रोडक्ट का नाम बदलकर Oreo Sandwich किया. फिर 1937 में Oreo Crème Sandwich, मगर बिस्किट दूध में ‘डूबा’ नहीं.

निगेटिव ब्रांडिंग से बदली किस्मत

अब इसे किस्मत बदलना कहें या कंपनी की ताकत, कई सालों तक जब Oreo का कुछ नहीं हुआ तो कंपनी ने अपने ब्रांड की जगह Hydrox पर फोकस किया. ऐसा माहौल बनाया कि Hydrox असली प्रोडक्ट नहीं है. कथित तौर पर Hydrox को Harpic से भी जोड़ा गया क्योंकि दोनों बाहर से एक जैसे दिखते थे.

कंपनी का कारनामा रंग लाया. साल 1950 में कंपनी ने अपने प्रोडक्ट को फिर से रीब्रांड किया और जानबूझकर कीमत प्रीमियम कर दी. ऐसा करने का मकसद Hydrox को सस्ता और बेकार प्रोडक्ट बताना था. काम बन गया और Oreo लोगों के मुंह लग गया. प्रोडक्ट ने बाजार में अपनी पकड़ बना ली और Hydrox नकलची प्रोडक्ट जैसा दिखने लगा. साल 1975 में कंपनी ने फिर एक बार नाम बदला और Oreo Chocolate Sandwich Cookie नाम रखा गया जो आज भी चल रहा. वहीं Hydrox की हालत ऐसी हो गई कि साल 1986 के The New York Times के एक अंक में इसको “the Pepsi to the Oreo's Coca-Cola” तक कहा गया. 

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आज Oreo कंपनी दुनिया जहान के 100 देशों में रोज के 9 करोड़ से ज्यादा बिस्किट बेचती है. बात करें Hydrox  की तो वो आज भी जिंदा है और Oreo की हालिया मालिक कंपनी Mondelez International से बाजार में और कोर्ट में लड़ती रहती है. साल 2015 में Leaf नाम के ब्रांड ने Hydrox को फिर से बाजार में उतारा. साल 2020 में गूगल सर्च में एकदम से Hydrox कुकीज भयंकर तरीके से नजर भी आया. हालांकि इसके पीछे का कारण तब के अमेरिकी प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप थे. उन्होंने Covid-19 के इलाज के लिए hydroxychloroquine के इस्तेमाल की वकालत की थी, जिसके बाद बिस्किट की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई थी.