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मध्यप्रदेश में 'यादव' CM, UP-बिहार की 120 लोकसभा सीटों का मामला सेट, BJP बड़ा गेम खेल गई?

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मोहन यादव को मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री (Mohan Yadav MP CM) बनाने का उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की राजनीति (Yadav Politics in UP Bihar) पर असर पड़ सकता है. ख़ासकर 2024 के लोकसभा चुनाव में.

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मोहन यादव को MP में CM बनाकर भाजपा को अखिलेश और लालू के यादव वोटबैंक में सेंध लगाने का मौका मिल सकता है.

तारीख़- 19 अप्रैल, 2014. जगह- कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा. मौका- लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की एक जनसभा.

लोकसभा चुनाव से पहले प्रचार के लिए भारतीय जनता पार्टी के PM कैंडिडेट और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पहुंचे हुए हैं. अमूमन लंबे-लंबे भाषण देने वाले नरेंद्र मोदी व्यस्त शेड्यूल के चलते यहां करीब 10 मिनट ही भाषण देते हैं. लेकिन एक बात कहना नहीं भूलते..

"यदुवंशियों के साथ मेरा बहुत क़रीबी नाता है. उन्हें चिंता करने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है. भारतीय जनता पार्टी उनके साथ खड़ी रहेगी. जब जनता की सेवा की बारी आई थी तो श्रीकृष्ण को भी मथुरा छोड़कर द्वारका जाना पड़ा था."

अब तारीख़ बदलिए और लिखिए- 25 जुलाई, 2022. जगह- लखनऊ. मौका- चौधरी हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि.

इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को PM मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया और हरमोहन सिंह यादव के भारतीय राजनीति में योगदान को जमकर सराहा. हरमोहन सिंह यादव यूपी में यादव समुदाय के बड़े कद्दावर नेता रहे हैं. 1989 में जब मुलायम सिंह यादव पहली बार मुख्यमंत्री बने तो हरमोहन सिंह का सरकार में ऐसा रुतबा था कि लोग उन्हें ‘मिनी CM’ कहकर बुलाते थे. ख़ुद मुलायम उन्हें ‘छोटे साहब’ कहकर बुलाते थे.

तारीख़ फिर बदलिए. अब लिखिए- 11 दिसंबर, 2023. जगह- भोपाल. मौका- मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम का एलान.

कई नाम रेस में थे. शिवराज सिंह चौहान जैसा बड़ा और विश्वसनीय नाम भी. लेकिन भाजपा ने सबको चौंकाते हुए मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने का एलान किया.

इन 3 वाकयों से स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए यादव समाज के वोट कितनी अहमियत रखते हैं. नरेंद्र मोदी ने 2014 से बार-बार हिन्दी पट्टी, ख़ासकर UP, बिहार में यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है. अब मध्यप्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाना भाजपा का बहुत बड़ा दांव है. क्या इसका असर उत्तर प्रदेश और बिहार में भी देखने को मिलेगा, जहां यादव सहित OBC वोटरों की बड़ी संख्या है?

UP, बिहार में यादव और OBC संख्या में कितने हैं?

CSDS के आंकड़ों के मुताबिक- उत्तर प्रदेश की 24-25 करोड़ की आबादी में करीब 40 फीसदी आबादी OBC की है और इसमें से भी 10 फीसदी यादव आबादी है. बिहार में अभी हाल ही में जातिगत जनगणना के आंकड़े आए थे. इसके मुताबिक राज्य की 13 करोड़ की आबादी में से 27 फीसदी OBC हैं. राज्य में 15 फीसदी आबादी यादवों की है.

राजनीतिक रूप से UP, बिहार के यादव कितने ताकतवर हैं?

उत्तर प्रदेश में यादव वोट बैंक के महत्व को इस तरह समझ सकते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में 80 फीसदी से ज़्यादा यादवों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया. हालांकि भाजपा ने नॉन-यादव OBC को अपने साथ लेकर सपा को सत्ता में तो वापसी नहीं करने दी, लेकिन यादवों के एकतरफा साथ ने सपा को ऑल-टाइम हाईएस्ट वोट शेयर दिला दिया. करीब 33 फीसदी वोट.

बिहार में RJD ने मुस्लिम-यादव संयोजन के दम पर 15 साल तक शासन किया. हालांकि पिछले कुछ समय से RJD सत्ता से बाहर रही, लेकिन अब JDU के साथ गठबंधन कर पार्टी ने फिर सत्ता में वापसी कर ली है और अपने इस वोट बैंक को फिर तराश रही है.

इन 2 राज्यों में यादव किसके साथ रहते हैं?

उत्तर प्रदेश में यादवों को परंपरागत रूप से सपा के साथ ही माना जाता रहा है और इसी का नतीजा है कि राज्य में पिछले 5 चुनाव में से 2 बार सपा की सरकार बनी है. अभी ये पार्टी सूबे की प्रमुख विपक्षी पार्टी है. बिहार में भी यादवों को लालू यादव के साथ ही माना जाता है. तेजस्वी-नीतीश अब एक हैं और लालू भी मार्गदर्शक के तौर पर थोड़े-बहुत एक्टिव हुए हैं. क्या दोनों राज्यों में ये साथ ऐसा ही है या दरका है, ये सवाल हमने किया लोकनीति CSDS के को-डायरेक्टर संजय कुमार से. उन्होंने कहा,

"ये कहना बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा कि UP में यादवों का सपा से और बिहार में RJD से मोहभंग हुआ है. अभी ये साथ काफी मजबूत है. हालांकि यादवों के वोट करने का पैटर्न विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अलग-अलग ही रहता है. अखिलेश और लालू यादव को विधानसभा में यादवों का जितना साथ मिलता है, उतना लोकसभा में मिलना मुश्किल होता है. क्योंकि पिछले 2 लोकसभा चुनाव में मोदी-फैक्टर भी रहा है."

इस प्रयोग के लिए BJP ने MP को ही क्यों चुना?

इस सवाल के जवाब में संजय कुमार कहते हैं,

"पिछले साल भाजपा ने उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई. लेकिन वहां योगी का अभी एक कार्यकाल ही हुआ था, ऐसे में उन्हें किसी यादव CM से रिप्लेस करना का कोई तुक ही नहीं था. उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनी, लेकिन वो इतना बड़ा राज्य नहीं है कि वहां कोई प्रयोग करके बाकी राज्यों में संदेश भेजा जा सके. फिर भाजपा को ये बड़ी जीत मिली है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में. UP से MP की सीमाएं लगती हैं और ये बड़ा राज्य भी है. इसलिए इस प्रयोग के लिए मध्यप्रदेश को ही चुना गया."

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मध्यप्रदेश के एक भाजपा नेता नाम न लिखने की शर्त पर बताते हैं कि कुछ समय पहले जेपी नड्डा की अध्यक्षता में भाजपा की एक बैठक हुई थी. इस बैठक में ये तय हुआ था कि OBC CM वाला प्रयोग करने के लिए सबसे मुफीद राज्य मध्यप्रदेश ही होगा. वजह- यहां भाजपा का बड़ा संगठन है, वैचारिक रूप से पार्टी के पास बैकअप है और यहां का सवर्ण वर्ग पार्टी के इस मूव पर उतना रिएक्टिव नहीं होगा, जितना कि UP में हो सकता है.

पार्टी कांग्रेस के OBC वाले कार्ड पर जवाब भी देना चाहती थी, लिहाजा इन सब समीकरणों से मोहन यादव को टॉप जॉब मिलना तय हो गया. भाजपा की रणनीति यही है कि इसके सहारे सपा और राजद को उत्तर प्रदेश और बिहार में 2024 में घेरा जाए. आख़िर दोनों राज्य मिलाकर कुल 120 लोकसभा सीटों की बात है.

वीडियो: MP CM मोहन यादव के नाम की सिफारिश किसने की, मोदी ने शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा क्या संदेश दिया?