साल 2012 में देश भर में रेप के कुल 24,923 मामले रिपोर्ट किए गए थे. उसी साल, 16 दिसंबर की रात, देश की राजधानी में चलती बस में एक युवती के साथ गैंगरेप हुआ और उसकी मौत हो गई. जिसके बाद देश भर में विरोध हुआ, लोग सड़कों पर उतरे. प्रदर्शन किए गए. लोगों पर लाठियां बरसाई गईं. तब देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से सवाल भी पूछा गया, “जिस देश में तीन बेटियों के पिता होम मिनिस्टर हों, प्रधानमंत्री तीन बेटियों के पिता हों. वहां इंडिया गेट और जंतर मंतर पर लड़कियों के बाल खींचकर घसीटा जाए, पुलिस उनको डंडे मारे, ये कैसे स्वीकार्य है?”
10 सालों में रेप के 3.6 लाख केस, सजा बस इतने मामलों में हुई, पूरी तस्वीर चिंता में डाल देगी!
NCRB के सबसे हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में गर्भवती महिलाओं के साथ रेप के 34 मामले दर्ज किए गए, वहीं 224 मामले उन महिलाओं के साथ रेप के दर्ज किए गए, जो कंसेंट या सहमति देने की अवस्था में नहीं थीं. इसी साल 110 मामले शारीरिक या मानसिक तौर पर विकलांग महिलाओं के साथ बलात्कार के दर्ज किए गए.

साल 2012 की इस घटना के बाद, देश भर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर कड़े सवाल खड़े किए गए, जवाब मांगे गए. साल 2013 में देश में रेप के 33,707 मामले दर्ज किए गए. साल 2014 में 36,735. ये सरकारी आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के हैं.
सबसे हालिया आंकड़े साल 2022 के हैं. इस साल औसतन हर दिन करीब रेप के 87 मामले दर्ज किए गए. इसी साल 248 रेप या गैंगरेप के साथ हत्या - 31,516 रेप - 3,288 रेप के प्रयास और 83,344 मामले महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से किए गए हमले के दर्ज किए गए.
नीचे लगे ग्राफ्स को स्लाइड करके आप, साल 2020-2022 में अलग-अलग राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध और रेप के दर्ज मामले देख सकते हैं.
कमोबेश महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के इतने ही मामले हर साल दर्ज किए जाते हैं. मिंट की एक खबर में बताए आंकड़ों की माने, तो कई दर्ज नहीं भी किए जाते हैं.
साल 2015-16 के नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट और NCRB, 2014-16 के आंकड़ों के आधार पर मिंट ने अनुमान लगाया था कि महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के करीब 85% मामले रिपोर्ट नहीं किए गए. इनमें पति द्वारा की गई यौन हिंसा या मैरिटल रेप के आंकड़े शामिल नहीं थे. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर ये आंकड़े शामिल कर लिए जाएं तो महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के करीब 99% मामले पुलिस में रिपोर्ट नहीं किए गए.
बावजूद इसके साल 2012 से 2022 के बीच रेप के 3.6 लाख से भी ज्यादा मामले पुलिस ने दर्ज किए. औसतन 99 मामले हर दिन. वहीं इन दर्ज किए गए मामलों में दोष 30 फीसद से भी कम मामलों में साबित किया जा सका.

रॉयटर्स की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, NCRB के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 से लेकर 2022 तक रेप के मामलों में कॉनविक्शन रेट या दोषसिद्धि की दर 27-28% रही है. यानी 100 में से करीब 27 मामलों में आरोप साबित किया जा सका. आरोपी को सजा हुई.
वहीं महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में पेंडेंसी रेट के आंकड़े भी ठीक नजर नहीं आते. Deccan Herald की एक खबर के मुताबिक, इन मामलों में पेंडेंसी रेट 90 से 95 फीसद तक रहा. यानी 100 में से 5-10 मामले अदालतों में निस्तारित किए जा सके.
आरोपी कौन था?NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में 2,324 मामलों में रेप का आरोपी, पीड़िता के परिवार का सदस्य था. 14 हजार से ज्यादा मामलों में आरोपी कोई दोस्त, ऑनलाइन फ्रेंड, लिव इन पार्टनर या अलग हो चुका पति था.
वहीं इसी साल, 13 हजार से ज्यादा मामलों में आरोपी फैमिली फ्रेंड, पड़ोसी या एंप्लॉयर था. महज 1062 मामलों में आरोपी अपरिचित था या उसकी पहचान नहीं थी.

पुलिस द्वारा रेप के मामलों के निबटारे की बात करें तो साल 2022 में 31 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए. वहीं पिछले साल (2021) के करीब 13 हजार रेप के मामले लंबित थे. करीब 4 हजार मामलों में फाइनल रिपोर्ट गलत मिली. वहीं 1,921 मामलों में दोष सच होते हुए भी, पर्याप्त सबूत नहीं जुटाए जा सके. ऐसा NCRB के आंकड़ों से मालूम चलता है.
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साल 2022 में कोर्ट द्वारा रेप के मामलों के निबटारे की बात करें, तो रेप या गैंगरेप के बाद हत्या के करीब एक हजार मामले पिछले साल के पेंडिंग थे. रेप के 1 लाख 70 हजार से ज्यादा मामले पिछले साल के पेंडिंग थे.
साल 2022 में रेप के मामलों में कॉनविक्शन रेट 27.4 फीसद था. यानी हर 100 में से करीब 27 मामलों में सजा सुनाई गई. वहीं 10% रेप के मामलों में ही ट्रायल पूरा हो पाया.
इसी साल गैंग रेप या रेप के साथ हत्या के मामलों में कॉनविक्शन रेट 69.4 फीसद था. लेकिन पेंडेंसी पर्सेंटेज 95 फीसद. कहें तो हर 100 में से 5 मामलों में ही ट्रायल पूरा हो पाया.
गर्भवती महिलाओं के साथ रेप के 34 मामलेसाल 2022 में गर्भवती महिलाओं के साथ रेप के 34 मामले दर्ज किए गए, वहीं 224 मामले उन महिलाओं के साथ रेप के दर्ज किए गए, जो कंसेंट या सहमति देने की अवस्था में नहीं थीं.
इसी साल 110 मामले शारीरिक या मानसिक तौर पर विकलांग महिलाओं के साथ बलात्कार के दर्ज किए गए. साथ ही 4,681 मामले एक ही महिला के साथ बार-बार रेप करने के भी दर्ज किए गए.
अकेले साल 2022 में दर्ज रेप के 32 मामलों में पीड़िता की उम्र, 6 साल से कम थी, 87 मामलों 60 साल से ज्यादा.

साल 2022 में बच्चों के साथ अपराध के एक लाख साठ हजार से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए. जिनमें करीब 40 फीसद मामले बच्चों के साथ यौन अपराधों के एक्ट, POCSO (Protection of Children from Sexual Offences Act) में दर्ज किए गए. इनमें बच्चों के साथ किए गए रेप के मामले भी शामिल हैं.
देश भर में साल 2022 में बच्चियों के खिलाफ यौन अपराधों (POCSO) के दर्ज मामले थे- 62,095. जिनमें करीब 37 हजार चाइल्ड रेप और 20 हजार मामले बच्चों के यौन उत्पीड़न के दर्ज किए गए.

मामले आए, पुलिस तक पहुंचे, कोर्ट तक पहुंचे, कुछ में सजा हुई, कुछ में नहीं. ऐसे में जानते हैं कि जेल में कैदी किन मामलों में बंद हैं. इनमें रेप के मामले में कितने कैद में हैं? NCRB जेल में बंद कैदियों के आंकड़े एक रिपोर्ट में निकालती है. सबसे हालिया आंकड़े साल 2022 की Prison Statistics India 2022 Report में मिलते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 के अंत तक देश की अलग-अलग जेलों में 1,17,296 कैदी बंद थे, जिन पर आरोप साबित किया जा चुका है. इनमें से करीब 1 लाख इंसानी शरीर को प्रभावित करने वाले अपराधों में सजा काट रहे हैं. जिनमें सबसे ज्यादा करीब 63 हजार हत्या के मामलों में सजा काट रहे हैं. वहीं करीब 18 हजार कैदी रेप के मामलों में सजा काट रहे थे.
सिर्फ महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों के मामलों की बात करें, तो करीब 23 हजार कैदी इन मामलों में कैद में हैं. जिनमें से करीब 76% रेप के मामलों में सजा काट रहे हैं.
अंडरट्रायल कैदीअगर विचाराधीन कैदियों की बात करें. यानी जो जेल में थे, लेकिन उन्हें सजा नहीं सुनाई गई थी, जिनका ट्रायल चल रहा था. तो ऐसे करीब 73 हजार कैदी महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में बंद थे. जिनमें से 64 फीसद या 47 हजार रेप के मामलों में कैद थे.
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