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एडिसन ने टेस्ला को बर्बाद करने के लिए क्यों अपना सबकुछ झोंक दिया था?

Thomas alva edison और Nikola tesla की जंग विज्ञान के इतिहास की सबसे चर्चित लड़ाई मानी जाती है. कैसे एक समय आया जब एडिसन ने टेस्ला की बर्बादी में कसर ना छोड़ी? लोगों के बीच जमकर झूठ फैलाया, उन्होंने क्यों ऐसा किया था? AC और DC करंट की जंग इस हद तक कैसे पहुंच गई?

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बल्ब बनाने वाले थॉमस एल्वा एडिसन (बाएं) और निकोला टेस्ला (दाएं) के बीच की रार की कहानी काफी दिलचस्प है | फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स

थॉमस एल्वा एडिसन (Thomas alva edison). वो वैज्ञानिक जिन्होंने पहला प्रेक्टिकल लाइट बल्ब बनाया था, 'प्रेक्टिकल' शब्द का इस्तेमाल इसलिए क्योंकि लाइट बल्ब तो एडिसन वाले बल्ब से काफी पहले ही बन चुका था. जोसेफ स्वान (Joseph Swan) नाम के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने साल 1860 में कार्बन युक्त पेपर फ़िलामेंट का इस्तेमाल कर बल्ब (Bulb) बना लिया था. ये जलता भी था और 1878 में UK में इसका पेटेंट भी स्वान ने ले लिया था. लेकिन इसमें दिक्क्त दो थीं, एक तो ये तेज नहीं जलता था और दूसरा देर तक नहीं जल पाता था. अब ऐसे बल्ब का क्या ही फायदा. इसके साल भर बाद ही 1879 में थॉमस एल्वा एडिसन ने अपना बल्ब बना लिया. ये व्यावहारिक रूप से काफी देर तक जलता था, एक घर को कई घंटों तक रोशन करने के लिए पर्याप्त था. सो सबसे बड़ा क्रेडिट चला गया एडिसन को. और आज बच्चा-बच्चा बल्ब के लिए एडिसन को ही जानता है.

एडिसन ने कई महीनों और सालों तक एक हजार से ज्यादा बार प्रयोग किया था. रात-दिन, बस बल्ब बनाने में लगे रहते. पसीने छूट गए, तब जाकर बल्ब बना. इतनी मेहनत के बाद बल्ब बना और उसे भी उन्होंने लोगों से जलाने को मना कर दिया. सिर्फ मना नहीं किया, बल्कि लोगों को डराया भी. कहा कि अगर लोगों ने बिजली के खंभे से घरों में आने वाली लाइट से बल्ब जलाया तो उनकी मौत भी हो सकती है. बाकायदा इस डर को बनाये रखने के लिए सड़कों पर जानवरों को बिजली के झटके से मारकर दिखाया जाता था. छोड़ा तो इंसान को भी नहीं. ये सब इसलिए किया क्योंकि लोगों में बिजली के दूसरे रूप - अल्टरनेटिंग करंट (AC) - को लेकर डर बैठ जाए और वो उसका इस्तेमाल ना करें.

यहीं से आपके दिमाग में एक सवाल कौंधा होगा कि एक आदमी ने बल्ब बनाया. जिसके लिए उसे दौलत और शोहरत मिली. इसके बावजूद वो लोगों को बिजली से बल्ब ना जलाने को कहता. आप में से कुछ लोगों के दिमाग में हो सकता है ख्याल आया हो कि एडिसन ने ऐसा इसलिए किया होगा कि कहीं लोगों को करंट न लग जाए और कहीं उनकी मौत ना हो जाए... तो भाई ऐसा तो बिलकुल नहीं था, इसका मकसद कुछ और ही था, आखिर क्या था वो मकसद? एडिसन ऐसा क्यों कर रहे थे? वो क्यों चाहते थे कि लोग AC करंट से दूर रहे हैं और उससे बल्ब बिलकुल ना जलाएं. इसी पर बात करेंगे. और आपको इसके पीछे की पूरी कहानी बताएंगे.

बात शुरू करते हैं बल्ब ईजाद होने के बाद से. एडिसन ने 1880 में अपने बल्ब का पेटेंट ले लिया था. लेकिन, उनके आगे एक बड़ी समस्या थी, समस्या ये कि भाई घर-घर बल्ब जलवाया कैसे जाए? यानी घरों में बिजली कैसे पहुंचे? अब एडिसन ने एक ऐसा सिस्टम बनाने पर काम शुरू कर दिया, जिससे बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन (प्रोडक्शन) हो और डिस्ट्रीब्यूशन भी. एडिसन इसमें भी सफल हो गए. 1882 में उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में पहला पॉवर प्लांट स्थापित करने में कामयाबी पा ली. ये था डायरेक्ट करेंट (डीसी) का प्लांट. इसक बाद जब न्यूयॉर्क शहर के एक छोटे से हिस्से में पहली बार लाइट जली, तो लोग DC वाली बिजली को जादू की तरह देखने लगे और एडिसन को इसका जादूगर कहा जाने लगा. इस घटना की पूरी दुनिया में चर्चा हुई. देखते ही देखते एडिसन अमेरिका में आम आदमी से लेकर राष्ट्रपति तक की नजरों में चढ़ गए.

 फोटो: विकी मीडिया कॉमन्स

लेकिन, इतना सब होने के बाद भी एक बात थी जो एडिसन को खटकती थी, वो ये कि उन्हें पता था कि डीसी करंट ज्यादा दूर तक ट्रेवल नहीं कर सकता. जहां भी DC वाली बिजली का प्लांट लगाया जाता, ये उस एरिया में केवल आधा मील तक ही घरों और सड़कों को रोशन कर पाती. ऐसे में ज्यादा जगहों पर लाइट पहुंचाने के लिए ज्यादा पावर प्लांट की जरूरत पड़ती, यानी बहुत ज्यादा खर्चा. इस मामले में एडिसन को उस समय के अमेरिका के सबसे बड़े इन्वेस्टमेंट बैंकर जेपी मॉर्गेन का साथ मिला. मतलब काम एडिसन का और पैसा जेपी मॉर्गन का. कुल मिलाकर बिजली की दुनिया में दोनों का एक छत्र राज था और दोनों खूब प्रॉफिट कमा रहे थे. लेकिन, आम लोगों और व्यवसाइयों को तो बिजली महंगी पड़ ही रही थी. जिसकी चर्चा भी अक्सर सुनने को मिल जाती थी.

चर्चा निकोला टेस्ला तक पहुंची

ये चर्चा अमेरिका से 5 हजार मील दूर रह रहे एक 28 साल के नौजवान निकोला टेस्ला (Nikola Tesla) के कानों तक भी पहुंची. और इसने उन्हें परेशान कर दिया. वो इसलिए क्योंकि ये नौजवान जानता था कि एडिसन की महंगी डीसी बिजली का विकल्प उसके पास मौजूद है. और वो है बिजली का दूसरा रूप - अल्टरनेटिंग करंट यानी AC. लेकिन, टेस्ला के पास अपनी सोच को जमीन पर उतारने यानी प्रैक्टिकली दुनिया के सामने रखने के लिए कमी थी फंड की.

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टेस्ला ने अपनी बायोग्राफी में लिखा भी है कि जब वो आस्ट्रिया के ग्रेज स्थित पॉलिटेक्निक संस्थान से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्हें समझ आ गया था कि बिजली के जिस रूप यानी डीसी करंट को इतना बढ़ा-चढ़ाकर उपयोगी बताया जा रहा है, वो गलत है. निकोला टेस्ला के मुताबिक वो उसी समय दूसरे विकल्प यानी अल्टरनेट करंट को ज्यादा उपयोगी बनाने के बारे में सोचने लगे थे.

डायरेक्ट और अलटरनेट करंट (DC Vs AC current) के बारे में थोड़ा जानते हैं

डायरेक्ट करंट में इलेक्ट्रॉन सिर्फ एक ही दिशा में गतिमान होते हैं, जिससे बिजली को लंबी दूरी तक नहीं भेजा जा सकता. जबकि अल्टरनेट करंट में इलेक्ट्रॉन बार-बार अपनी दिशा बदलते हैं, जिससे बिजली न सिर्फ ज्यादा दूरी तक भेजी जा सकती है, बल्कि उसे कई तरीके से उपयोगी भी बनाया जा सकता है. हम इस समय घरों में जो बिजली इस्तेमाल करते हैं वो अल्टरनेट करंट ही है. हालांकि, ये बात सच है कि डायरेक्ट करंट, अल्टरनेट करंट से ज्यादा सुरक्षित है.

DC और AC करंट को समझ लिया, अब अपनी स्टोरी पर आते हैं. विजन ऑस्ट्रिया में रह रहे निकोला टेस्ला के पास था, उसे पाने का फॉर्मूला भी उनके पास था. बस चाहिए था तो एक ऐसा व्यक्ति जो उनकी सोच को समझे और सपोर्ट करे. उन्हें इस मामले में थॉमस एल्वा एडिसन से बढ़िया कोई दूसरा व्यक्ति नहीं दिखा. जून, 1884 की बात है जब निकोला टेस्ला ऑस्ट्रिया से अमेरिका के न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो गए. टेस्ला के पास एडिसन के ही एक पूर्व सहयोगी का खत था. एडिसन को संबोधित करते हुए पत्र में लिखा था,

‘मैं इस दुनिया के दो महान लोगों को जानता हूं. इनमें से एक एडिसन तुम हो और दूसरा वो व्यक्ति जो तुम्हारे सामने खड़ा है यानी निकोला टेस्ला!’

टेस्ला जब एडिसन से मिले उस समय एडिसन एक पानी के जहाज में लगाए गए अपने डायनमो यानी इलेक्ट्रिकल जेनरेटर के बारे में अपने कुछ सहयोगियों से चर्चा कर रहे थे. ये जनरेटर उनकी कंपनी 'एडिसन इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी' ने बनाया था, जो खराब हो गया था और डायरेक्ट करंट नहीं बना रहा था. एडिसन ने टेस्ला के सामने शर्त रखी कि अगर वो जहाज का डायनमो सही कर देंगे, तो उन्हें उनकी कम्पनी में काम मिल जाएगा. टेस्ला ने कुछ ही घंटों में ही डायनमो सही कर दिया. और एडिसन की कंपनी में काम करने लगे.

जब एडिसन वादे से पलट गए

इसी दौरान एडिसन की कम्पनी एक बड़ी परेशानी से जूझने लगी, कंपनी के जनरेटर्स में एक बड़ी दिक्क्त आने लगी. वो चलते-चलते अचानक बंद पड़ जाते थे. काफी कोशिशों के बाद भी ये फॉल्ट पकड़ में नहीं आया. इसी दौरान एक दिन टेस्ला एडिसन से उनके चैंबर में मिलने गए और उन्हें डायरेक्ट करंट की जगह अल्टरनेट करंट के इस्तेमाल का सुझाव दिया.

एडिसन टेस्ला की बात सुनकर एकदम चिढ गए, बोले-

AC करंट कभी विकल्प नहीं बन सकता, क्योंकि वो खतरनाक है, उसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता. अपने इस ब्लू प्रिंट को मेरे सामने से हटाओ और जाकर हमारे DC जनरेटर की समस्या को दूर करो. अगर तुमने ये कर दिया तो तुम्हें 50 हजार डॉलर दूंगा.

करीब महीने भर टेस्ला DC जनरेटर्स की खामी ढूंढने में लगे रहे और एक दिन उस समस्या को दूर कर दिया, जो एडिसन और उनकी कम्पनी का कोई दूसरा इंजीनियर दूर नहीं कर पा रहा था.

 फोटो: विकी मीडिया कॉमन्स

इसके बाद टेस्ला एडिसन के पास 50 हजार डॉलर मांगने पहुंचे. तो एडिसन ने हंसते हुए कहा-

'जब तुम पूरी तरह एक अमेरिकी बन जाओगे, तो मेरे उस 50 हजार डॉलर वाले जोक की खूब तारीफ करोगे'

यानी एडिसन अपने वादे से मुकर गए थे. एक डॉलर भी उन्होंने टेस्ला को नहीं दिया।

ऐसा कहा जाता है कि एडिसन एक साइंटिस्ट तो थे ही, साथ में बिजनेस मैन भी थे. और वो एक डॉलर भी खर्च करने से पहले सोचा करते थे. कुछ अमेरिकी राइटर्स तो ये भी लिखते हैं कि एडिसन को पता था टेस्ला को अगर मौका दिया जाए तो वो अल्टरनेट करंट को व्यवहारिक बना देंगे, लेकिन तब तक एडिसन डायरेक्ट करंट के बिजनेस में इतना पैसा लगा चुके थे और कमा भी रहे थे कि उन्हें उसके आगे कुछ नहीं दिखाई दे रहा था.

बहरहाल जब एडिसन ने टेस्ला को 50 हजार डॉलर देने मना कर दिया तो टेस्ला ने उनकी कम्पनी छोड़ दी. बस यहीं से नींव पड़ गई, उस जंग की जो इन दो साइंटिस्ट के बीच कभी खत्म नहीं हुई.

टेस्ला को वेस्टिंगहाउस का साथ मिला

थॉमस एल्वा एडिसन की कम्पनी छोड़ने के बाद निकोला टेस्ला के पास पैसों की किल्ल्त हो गई थी. ऐसे में जो काम मिला, करना पड़ा. सड़कों पर खुदाई की एक ऐसी कम्पनी के लिए जो एडिसन की बिजली कम्पनी के लिए तार बिछा रही थी. तार बिछाने वाली कंपनी के एक ठेकेदार को टेस्ला की काबिलियत और उनके मकसद के बारे में पता लगा. ठेकेदार टेस्ला को वेस्टर्न यूनियन नाम की एक इलेक्ट्रिक कंपनी में लेकर गया. टेस्ला कंपनी को किसी तरह ये समझाने में सफल रहे कि अगर उन्हें मौका मिले तो वो ऐसा AC पावर सिस्टम और अलटरनेट करंट वाला AC  मोटर बना सकते हैं, जिससे बिजली के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. कम्पनी ने टेस्ला को अपने यहां काम का प्रस्ताव दे दिया. यहीं टेस्ला ने एसी पावर सिस्टम और मोटर का विकास किया. इसके पेटेंट भी ले लिए. ये ऐसे आविष्कार थे जो बिजली सप्लाई क्षेत्र में एडिसन की कंपनी को पीछे छोड़ पछाड़ सकते थे.

निकोला टेस्ला (बाएं) और वेस्टिंग हाउस | फोटो: विकी मीडिया कॉमन्स

अब टेस्ला को एक ऐसे इन्वेस्टर की जरूरत थी जो उनके इन्वेंशन में पैसा लगा सके. टेस्ला को इस काम में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. क्योंकि उनके रिसर्च को ज्यादातर लोग जान चुके थे. चर्चाएं होने लगी थीं. टेस्ला की मदद में आगे आए साइंटिस्ट जॉर्ज वेस्टिंगहाउस. वेस्टिंगहाउस ने ट्रेन के एयरब्रेक्स की खोज की थी, जिसके चलते उनके पास काफी पैसा आ गया था. टेस्ला ने अपने आविष्कार 'वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी' को बेच दिए. इसके बाद उनके द्वारा विकसित किए गए AC मोटर ने जैसे बिजली की उपयोगिता को नए पंख दे दिए.

एडिशन ने सवाल उठा दिया

टेस्ला की प्रगति को देखकर थॉमस एल्वा एडिसन कहां चुप बैठने वाले थे. उन्हें लगा अगर टेस्ला ने घर-घर अल्टरनेट करंट से बिजली पहुंचा दी, तो उनकी कम्पनी और उनकी प्रतिष्ठा को तगड़ी चोट पहुंचेगी. एडिसन ने कहना शुरू कर दिया कि अल्टरनेट करंट को मीलों तक पहुंचाने के लिए हजारों वोल्टेज की जरूरत होगी. और अगर ये हजार वोल्टेज की बिजली कहीं पहुंच भी जाएगी, तो उसका इस्तेमाल कैसे होगा? यानी फिर उसे कम वोल्टेज में  कैसे बदला जाएगा?

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ये एक जायज सवाल था, और निकोला टेस्ला के आगे ये समस्या भी थी. लेकिन, इसका तोड़ उन्हें जल्द ही यूरोप से मिला. यूरोप में कुछ वैज्ञानिकों ने एक नई डिवाइस बनाई थी जिसका नाम रखा गया था ट्रांसफार्मर. इसी डिवाइस के आधार पर टेस्ला ने बड़े-बड़े ट्रांसफार्मर बनाए, जो हजारों वोल्टेज की बिजली को कम वोल्टेज में बदलकर इस्तेमाल करने लायक बना देते थे.

एडिसन ने शुरू किया टेस्ला के खिलाफ प्रोपेगेंडा

जब ट्रांसफार्मर वाली खबर एडिसन को मिली, तो उन्होंने एक नया पैंतरा अपनाया. टेस्ला के खिलाफ प्रोपेगेंडा कैंपेन शुरू कर दिया. एडिसन ने वो काम किया जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता था. अब उन्होंने लोगों के दिमाग में अल्टरनेट करंट को लेकर डर फैलाना शुरू कर दिया. खुद अख़बारों में आर्टिकल लिखते, आए दिन प्रेस से कहते कि अल्टरनेट करंट सेफ नहीं है और वो व्यावहारिक भी नहीं है. ये लोगों को मार देगा. 'डेथ करंट' है ये. आए दिन एडिसन की कम्पनी के लोग सड़कों पर जाते और कुत्ते-बिल्ली पकड़कर उन्हें अलटरनेट करंट के झटके देते. लोगों के सामने जानवरों को करंट से मार दिया जाता. एक हाथी तक को करंट लगाकर तड़पाया गया.

 फोटो: विकी मीडिया कॉमन्स

लोगों में डर पैदा करने के लिए थॉमस एल्वा एडिसन ने एक और भी वीभत्स काम किया. एक आदमी की तक जान ले ली. दरअसल, उस समय न्यूयॉर्क की राज्य सरकार मौत की सजा पाए कैदियों को फांसी के बजाय मृत्युदंड देने का अधिक ‘मानवीय विकल्प’ ढूंढ रही थी. एडिसन जो तब तक मौत की सजा के खिलाफ थे, उन्होंने इसमें भी मौका ढूंढ लिया. वो सरकार के पास पहुंचे और अल्टरनेट करंट के जरिए कैदी को मौत देने की सिफारिश की. बोले- ये करंट इतना तेज है कि कैदी की कुछ सेकेंड्स में मौत हो जाएगी और उसे दर्द भी नहीं होगा. 1890 में एक मर्डर के जुर्म में मौत की सजा पाए विलियम केमलर नामक कैदी को अल्टरनेट करंट के जरिए मौत की सजा दी गई. उसे जिस कुर्सी पर बिठाकर करंट के झटके लगाए गए थे, उसे एडिसन ने ही अपने एक कर्मचारी से डिजाइन करवाया था और उसमें वेस्टिंग हाउस कंपनी का AC जनरेटर लगाया गया था.

एडिसन का साफ़ सोचना था कि कैदी को करंट लगाकर मौत की सजा दिए जाने की बात दूर तक जाएगी और लोगों के दिलों में टेस्ला वाले अल्टरनेट करंट को लेकर डर बैठ जाएगा.

 फोटो: विकी मीडिया कॉमन्स
कैसे एडिसन की सब कोशिशें फेल हो गईं?

तमाम कोशिशों के बाद भी एडिसन का ये प्रपोगेंडा सफल नहीं हुआ. क्योंकि टेस्ला और वेस्टिंगहाउस लोगों को ये समझाने में कामयाब हो रहे थे कि वो जहां भी बिजली लेकर जाएंगे, सुरक्षा के इंतजाम पहले किए जाएंगे. दूसरा ये कि टेस्ला की बिजली एडिसन वाली बिजली से सस्ती भी थी. इसलिए टेस्ला को नए कॉन्ट्रैक्ट लगातार मिल रहे थे.

इसी दौरान टेस्ला और वेस्टिंगहाउस को एक ऐसा कॉन्ट्रेक्ट मिला जिसके बाद एडिसन ठंडे पड़ गए. ये कॉन्ट्रैक्ट था शिकागो में हुए वर्ल्ड फेयर में बिजली की आपूर्ति करने का. टेस्ला के साथी वेस्टिंगहाउस की इलेक्ट्रिक कंपनी ने ये करार जनरल इलेक्ट्रिक कम्पनी को हराकर जीता था. जनरल इलेक्ट्रिक कम्पनी में साल भर पहले ही एडिसन की कंपनी का विलय हुआ था. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट हारना एडिसन के लिए बहुत बड़े झटके जैसा था.

शिकागो वर्ल्ड फेयर में 10 हजार बल्ब लगाए गए थे, टेस्ला जानते थे कि उनके लिए ये ऐसा मौका है जिसके बाद उनपर कोई सवाल नहीं उठा सकेगा. फेयर वाली रात जब एक साथ 10 हजार बल्ब जले तो अगले दिन सुबह अमेरिका से लेकर यूरोप तक इसकी चर्चा हुई. ये वो मौका था जब दुनिया ने मान लिया कि इलेक्ट्रिसिटी की लड़ाई में टेस्ला ही अव्वल हैं.

शिकागो वर्ल्ड फेयर में जलती लाइट | फोटो: विकी मीडिया कॉमन्स

थॉमस एल्वा एडिसन, टेस्ला के खिलाफ कुछ नया प्रोपेगेंडा सोचते, उससे पहले ही वेस्टिंगहाउस को नियाग्रा वॉटरफॉल में एक जलविद्युत पॉवर प्लांट के लिए एसी जनरेटर बनाने का बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिल गया. तेजी से काम हुआ और साल 1896 में इस पावर प्लांट से टेस्ला ने 26 मील दूर न्यूयॉर्क के बफ़ेलो शहर में बिजली पहुंचानी शुरू कर दी. ये कारनामा दो वैज्ञानिकों की जंग के खत्म होने पर अंतिम मोहर लगने जैसा साबित हुआ.

लेकिन, फिर आया साल 1912. इस साल इन दोनों वैज्ञानिकों से जुड़ी एक चर्चा वैज्ञानिकों के बीच काफी आम थी. ये चर्चा तब शुरू हुई, जब इस साल का नोबेल पुरस्कार घोषित हुआ. अमेरिका और यूरोप के कुछ वैज्ञानिकों का कहना था कि इस साल का फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार इलेक्ट्रिसिटी के क्षेत्र में निकोला टेस्ला और थॉमस एल्वा एडिसन को संयुक्त रूप से मिलना चाहिए. लेकिन, कहा जाता है कि टेस्ला ने एडिसन के साथ नोबेल साझा करने से इनकार कर दिया था, जिस वजह से उस साल ये अवार्ड उन्हें नहीं दिया गया.

इससे एक बात मान ली गई, वो ये कि निकोला टेस्ला के मन में थॉमस एल्वा एडिसन को लेकर जो कड़वाहट बन गई थी, वो फिर कभी खत्म नहीं हुई.

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