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Newsclick वालों पर UAPA की जिन धाराओं में मुकदमा, उनमें कितनी सजा मिल सकती है?

Newsclick के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ और HR हेड अमित चक्रवर्ती को UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया है. Newsclick का ऑफिस भी सील किया गया है.

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न्यूज़क्लिक के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ पुलिस की गिरफ्त में हैं. न्यूज़क्लिक के ऑफिस से इलेक्ट्रॉनिक सामान जब किए गए हैं.(फोटो सोर्स- Wikimedia और PTI)

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने न्यूज़ पोर्टल न्यूज़क्लिक (Newsclick) का ऑफिस सील कर दिया है. न्यूज़क्लिक पर आरोप है कि उसे चीन के पक्ष में प्रोपेगेंडा (प्रचार) करने के लिए पैसा मिला था. न्यूजक्लिक के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ और HR हेड अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर 7 दिन के लिए पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है. पोर्टल के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी Unlawful Activities (Prevention) Act, UAPA के तहत मामला दर्ज हुआ है. UAPA के प्रावधानों में किन कामों को आतंकवादी कृत्य कहा गया है, कितनी सजा है, विस्तार से जानेंगे.

UAPA के प्रावधान और सजा

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, न्यूज़क्लिक के खिलाफ FIR में मुख्य आरोप यह है कि उसे USA के जरिए, चीन से अवैध फंडिंग की गई. ये भी पता चला है कि UAPA की कई धाराओं में FIR दर्ज की गई है. इनमें सबसे प्रमुख है धारा 16, इसके तहत आतंकी कृत्यों/गतिविधियों के लिए सजा तय होती है. UAPA की धारा 15 में आतंकवादी कृत्यों की परिभाषा दी गई है. इसके तहत आने वाले अपराध गंभीर प्रकृति के होते हैं. इनके लिए कम से कम 5 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. अगर किसी आतंकी कृत्य की वजह से किसी की मौत हो जाती है, तो फांसी की भी सजा है.

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UAPA किस पर लगता है?

धारा 15 में लिखा है,

"वह व्यक्ति जो भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, [आर्थिक सुरक्षा], या संप्रभुता को खतरा पहुंचाने, खतरा पहुंचाने के इरादे से या लोगों या लोगों के किसी समूह में आतंक फैलाने के इरादे या आतंक फैलाने की संभावना के साथ कोई काम करता है."

इस प्रावधान में किसी की मौत की वजह बनने या संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकने वाले बम, डायनामाइट या दूसरे किसी विस्फोटक पदार्थ के इस्तेमाल का जिक्र है. साथ ही देश में किसी भी समुदाय के जीवन के लिए जरूरी चीजों की आपूर्ति रोकने, भारत की नकली करेंसी छापकर, सिक्के बनाकर या किसी भी दूसरे मटेरियल की तस्करी करके या सर्कुलेट करके भारत की मौद्रिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाने जैसे कृत्यों को आतंकी कृत्य माना गया है.

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न्यूज़क्लिक पर UAPA की कौन सी धाराएं हैं?

न्यूज़क्लिक पर UAPA की कई धाराएं लगाई गईं हैं. जैसे गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सेक्शन 13, आतंकी कृत्य के लिए सेक्शन 16, आतंकी कृत्यों के लिए पैसा जुटाने के लिए सेक्शन 17, साजिश के लिए सेक्शन 18, कंपनी या ट्रस्ट द्वारा अपराध किए जाने पर 22(C) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. साथ ही IPC की धारा 153A (पहचान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 120B (आपराधिक साजिश) भी लगाई गई हैं.

UAPA क़ानून, साल 1967 में बना. साल 2008 और 2012 में कांग्रेस सरकार के वक़्त इसे और मजबूत किया गया. UAPA क़ानून, सरकार और प्रशासन को भारतीय दंड संहिता (IPC) की तुलना में ज्यादा शक्तियां देता है. इसके तहत बनाए गए आपराधिक क़ानून, सामान्य आपराधिक क़ानूनों से ज्यादा सख्त हैं. UAPA के तहत सरकार को किसी आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए ज्यादा वक़्त मिल जाता है, जमानत की शर्तें और सख्त होती हैं.

जमानत मिलना क्यों मुश्किल? 

UAPA के तहत जमानत देने या इनकार करने के लिए कोर्ट ये देखता है कि आरोपी के खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है या नहीं. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट को सबूतों और परिस्थितियों का विश्लेषण नहीं करना चाहिए, बल्कि राज्य (प्रशासन) ने जो मामला पेश किया है उसकी टोटैलिटी (समग्रता) देखनी चाहिए. व्यवसायी जहूर अहमद वटाली को आतंकी फंडिंग मामले में अगस्त 2017 में गिरफ्तार किया गया था. NIA बनाम जहूर अहमद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने UAPA के अधीन जमानत के प्रावधानों का जिक्र किया. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि जमानत से इनकार करने के लिए कोर्ट को सिर्फ इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि व्यक्ति के खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है या नहीं, उसे सबूत की योग्यता या उसकी स्वीकार्यता पर विचार नहीं करना चाहिए.

UAPA की धारा 43D(5) में लिखा है,

“इस अधिनियम के चैप्टर IV और VI के तहत दंडनीय अपराध के आरोपी को, उसके बॉन्ड या जमानत पर तब तक रिहा नहीं किया जाएगा, जब तक पब्लिक प्रॉसीक्यूटर (सार्वजानिक अभियोजक) को इस जमानत की अर्जी पर सुनवाई का मौक़ा न दिया गया हो.”

माने जमानत की अर्जी पर सुनवाई के बाद ही फैसला किया जा सकता है.

वीडियो: 2001 में UAPA के तहत गिरफ्तार हुए लोगों के खिलाफ नहीं मिले सबूत, कोर्ट ने किया बरी