तारीख, 21 जुलाई 2024. सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल होने लगा. इस वीडियो में कुछ वर्दीधारी एक व्यक्ति को जबरन एक गाड़ी में बैठा रहे थे. वीडियो साबुजबाग इलाके का बताया गया. ज़ाहिर था कि ये किसी की गिरफ़्तारी का वीडियो है. पर वीडियो में दिखने वाला व्यक्ति कोई आम आदमी नहीं बल्कि इस समय बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रोटेस्ट का सबसे बड़ा चेहरा, ढाका यूनिवर्सिटी का तेजतर्रार छात्र नेता नाहिद इस्लाम था.
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Bangladesh Crisis: पुलिस ने इन तीनों छात्र नेताओं को गिरफ्तार कर टॉर्चर किया था. फिर इनसे जबरन वीडियो बनवाया, जिसमें इन्होंने लोगों से आंदोलन को वापस लेने की अपील की. ये तीन छात्रनेता थे, नाहिद इस्लाम (Nahid Islam), आसिफ महमूद (Asif Mahmud) और अबू बकर मजूमदार (Abu Bakar Majumder)
नाहिद इस्लाम. पहचान, सिर पर बांग्लादेश (Bangladesh) का झंडा, प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों का सबसे बड़ा चेहरा. नाहिद की पहचान उस आंदोलन के को-ऑर्डिनेटर के तौर है, जो सरकारी नौकरी में कोटे को लेकर शुरू हुआ था और जिसने धीरे-धीरे शेख हसीना की सरकार के खिलाफ बड़ा और हिंसक रूप ले लिया.
21 जुलाई को वीडियो वायरल होने से कुछ पहले पुरबाचैल्फ में एक पुल के नीचे नाहिद बेहोश पड़े मिले. वो बुरी तरह घायल थे जिससे ये ज़ाहिर था कि उन्हें बुरी तरह से पीटा गया है. फिर कैलेंडर पर पांच दिन बीते और आई 26 जुलाई, 2024 की तारीख. इस दिन नाहिद अस्पताल में थे. अपना इलाज करा रहे थे. पर पुलिस अस्पताल पहुंची और नाहिद को फिर से उठा लिया. इस गिरफ्तारी के बाद 29 जुलाई को उन्हें स्टूडेंट्स से मिलने की इजाज़त दी गई. हालांकि इस इजाज़त से पहले फिर से एक वीडियो सामने आया. इसमें नाहिद लोगों से अपील कर रहे थे कि आंदोलन ख़त्म कर वापस जाएं. पर ये पूरा सच नहीं था.आरोप है कि पुलिस ने नाहिद और उनके साथियों से ज़बरदस्ती टॉर्चर कर ये वीडियो बनवाया था. 4 अगस्त को नाहिद का एक बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा
"आज हमने सिर्फ लाठी उठाई है, लेकिन लाठी से काम नहीं बना तो हम बंदूक उठाने को भी तैयार हैं. प्रधानमंत्री हसीना देश को सिविल वॉर की तरफ ले जा रही हैं. उन्हें खुद तय करना होगा कि वो पद छोड़ेंगी या पीएम बने रहने के लिए खून-ख़राबे का सहारा लेंगी."
इस बयान के अगले दिन नाहिद और उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए. पीएम हसीना का विरोध इस कदर बढ़ा कि आखिरकार उन्होंने देश छोड़ दिया. 6 अगस्त को नाहिद का एक और बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि
"मैं ये जीत उन स्टूडेंट्स को समर्पित करता हूं जो इस आंदोलन के दौरान शहीद हुए हैं. "
पहले अबू बकर को 19 जुलाई को गिरफ़्तार किया गया. फिर 2 दिन बाद उन्हें छोड़ दिया गया. अबू ने मीडिया से बात करते हुए बताया था कि पुलिस उन पर प्रोटेस्ट वापस लेने का प्रेशर बना रही थी. जब वो नहीं माने तो नाहिद और आसिफ के साथ उन्हें भी 26 जुलाई को पुलिस ने उठा लिया.
इन प्रोटेस्ट्स का दूसरा चेहरा थे नाहिद इस्लाम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर, पूरे समय उनका साथ देने वाले आसिफ महमूद. आसिफ उन लोगों में से हैं जिन्हें 26 जुलाई को नाहिद के साथ ढाका पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच ने उठाया था. जब आसिफ को गिरफ्तार किया गया तब वो नाहिद साथ अस्पताल में अपना इलाज करा रहे थे. उस समय पुलिस ने कहा था की आसिफ की सुरक्षा को खतरा है. इसलिए उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है. जिस वीडियो में नाहिद इस्लाम लोगों से प्रोटेस्ट को ख़त्म करने की अपील कर रहे थे, उस वीडियो में उनके साथ आसिफ भी थे. 5 अगस्त को शेख हसीना ने जब देश छोड़ा उसके बाद सबसे पहली प्रतिक्रिया देने वालों में आसिफ महमूद भी थे. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा की ये आंदोलन देश में गलत नीतियों के खिलाफ था. हम देश में मिलिट्री रूल के पक्ष में नहीं हैं.
अबू बक्र मजूमदारइन प्रोटेस्ट्स में तीसरे लीडर का नाम है अबू बक्र मजूमदार. अबू बक्र मजूमदार ने नाहिद और आसिफ के साथ मिलकर प्रोटेस्ट्स को लीड किया. अबू बकर ढाका यूनिवर्सिटी में जिओग्राफी के स्टूडेंट हैं. हालिया प्रोटेस्ट्स में काफी एक्टिव रहे. 26 जुलाई को अबू बकर को भी अस्पताल से उठाया गया और दबाव डालकर वीडियो बनवाया गया. 5 जून को आरक्षण पर दिए फैसले के बाद बक्र ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट की शुरुआत की थी.
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