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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या हंस रहे हैं

48 साल का एक युवा नेता उनका नाम नहीं ले पाता और उसका मज़ाक उड़ाने वाला हर शब्द अनुनासिक बनाकर बोलता है.

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त्रिभुवन
त्रिभुवन

त्रिभुवन जी ने ये आर्टिकल मूलत: अपनी फेसबुक वॉल
पर लिखा था, जिसे हम उनकी इजाज़त से आपको पढ़ा रहे हैं. त्रिभुवन जी पेशे से पत्रकार हैं और तबीयत से लेखक. एक शब्द में पाना चाहें, तो साहब विद्या-व्यसनी हैं.



अगले साल होने वाले आम चुनाव नज़दीक आ रहे हैं और देश का राजनीतिक परिदृश्य बहुत ही रोचक हो गया है. ख़ासकर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने इस परिदृश्य में कई रंग भर दिए हैं. मैं प्रसिद्ध टीवी शो 'टॉम ऐंड जेरी' का बहुत शौकीन रहा हूं और मेरे बच्चों ने यह शो मुझे बहुत ही दिखाया है. आज ऐसा लगता है कि टॉम सिर्फ़ टॉम नहीं रह गया है. उसने जेरी की तेज़-तर्रार बुद्धि का भी हरण कर लिया है और जेरी बेचारा टॉम की तरह बुद्धू बनकर रह गया है. वो बार-बार कोशिशें करता है, लेकिन टॉम कितनी चतुराई से अपनी ग़लतियों पर पर्दा डालकर जेरी को छका देता है. लगता है, भारतीय राजनीति के टॉम और जेरी को देखकर 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' जैसे महान इंजीनियर भी हंस रहे हैं!

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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या हंस रहे हैं, क्योंकि देश के प्रतिपक्ष का सबसे बड़ा नेता और जो युवा और सुशिक्षित भी है, उनका नाम ठीक से उच्चारित नहीं कर सकता. एक भाषण में पांच बार कोशिश करके भी. देश के प्रधानमंत्री इस युवा नेता को ये चुनौती दे रहे हैं कि वह देश के उस प्रतिष्ठित इंजीनियर का नाम बोलकर दिखा दें, जिसे उनके पिता के नाना की सरकार ने 1955 में भारत रत्न दिया था.


पंडित नेहरू और विश्वेश्वरय्या
पंडित नेहरू और विश्वेश्वरय्या

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या हंस रहे हैं, क्योंकि 133 साल पुरानी एक पार्टी का 48 वर्षीय युवा नेता एक नाम भी ठीक से नहीं ले सकता और जो उसका उपहास उड़ा रहा है और जिसे अपने उच्चारण का बहुत भरोसा है, वह हर शब्द ही अनुनासिक बनाकर बोलता है. वह 'मित्रो' को अपने हर भाषण में 'मित्रों' कहता है और संबोधन अभिव्यक्ति का नियम भूल जाता है, जो कि इस देश के हर सरकारी स्कूल की तीसरी कक्षा से पढ़ाया जाता है. हालांकि, बहुत से लोग यहां भी 'मित्रो' और 'मित्रों' को लेकर लंबी बहस कर सकते हैं, क्योंकि हमारे यहां उच्चारण कोई गंभीर विषय ही नहीं है.

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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या हंस रहे हैं, क्योंकि एक आदमी जो बिना देखे पढ़ने का दावा करता है, वह मिसिज़ सिरीसेना के Mrs हिज्जों को मिसिज़ के बजाय पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने M R S पढ़ता है और अपनी ग़लती भी नहीं सुधारता. इसे कहते हैं आत्मविश्वास. वह तक्षशिला को बड़े गर्व से बिहार में बता देते हैं और झेंपते भी नहीं हैं. वे चंद्रगुप्त मौर्य को गुप्तकाल का योद्धा घोषित करते हैं और तालियां बटोरते हैं. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या हंस रहे हैं, क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि 1947 में एक 'रुपीया' एक डॉलर के बराबर हुआ करता था, जबकि दुनिया जानती है कि उन दिनों डॉलर नहीं, पाउंड अंतरराष्ट्रीय मुद्रा थी और एक रुपया करीब 30 सेंट के बराबर हुआ करता था.

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या हंस रहे हैं; क्योंकि देश का एक बहुत बड़ा नेता बता रहा है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी गुजराती थे. और तो और मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या हंस रहे हैं; क्योंकि बिना काग़ज़ पर लिखा हुआ देखे निधड़क बोल रहे नेताजी इतिहास की यादें ताज़ा करते हुए बता रहे हैं कि बिहार के बहादुर लोगों ने सिकंदर के दांत खट्‌टे कर दिए थे. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या अपना सिर खुजा रहे हैं कि आखिर उनके समय तो इतिहास में यही पढ़ाया जाता था कि सिकंदर को पौरस ने झेलम के पास ही रोक दिया था और वह वहीं से वापस लौट गया था. उसे तो गंगा पार करने की भी नौबत नहीं आई.


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सब हुनर है

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या हंस रहे हैं, क्योंकि मोहनलाल गांधी और लाल दरवाज़ा तो सामान्य बातें हैं, लेकिन अगर 1885 में बने किसी दल को 1857 में हुई क्रांति में ग़लत भूमिका के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए, तो शायद इस बात पर ठहाका भी लगाया जा सकता है.

लेकिन मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या ज़ोर-ज़ोर से हंस रहे हैं, क्योंकि इतनी चूकें करने के बाद भी एक नेता का विश्वास नहीं डिगता और वह मैदान में पूरे आत्मविश्वास से डटा रहता है और दूसरा अकबर रोड के अपने शयनकक्ष में हिन्दी के कुछ उद्घोषकों के सामने पहली कक्षा के किसी बच्चे की तरह 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' रट रहा है, क्योंकि उसे गली के सबसे बदमाश बच्चे ने एक उच्चारण भर की चुनौती देकर मॉनिटर बनने से मानो रोक दिया है!


इनके नाम पर इंजीनियर दिवस मनाया जाता है.
इनके नाम पर इंजीनियर दिवस मनाया जाता है.

आप कल्पना कर सकते हैं कि राहुल गांधी की रातें इन दिनों कैसे गुजर रही होंगी:- 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' का समवेत पाठ करते हुए! कमरे में घूम-घूमकर! मैं कल्पना कर सकता हूं, क्योंकि तीसरी कक्षा में 'मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या' जी का पाठ मेरी किताब में भी था और मेरे लिए इसे उच्चारित करना एक टेढ़ी खीर था.




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