डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 प्रवासी भारतीयों को लेकर यूएस मिलिट्री एयरक्राफ्ट 5 फरवरी को भारत पहुंचा. इसे लेकर भारत में काफी हंगामा हुआ. विपक्ष ने सरकार पर कई हमले किए. और तमाम आरोपों के बीच चर्चा में रहा वो मिलिट्री एयरक्राफ्ट जिसमें बैठाकर भारतीयों को डिपोर्ट किया गया. इस एयरक्राफ्ट का नाम सी-17 ग्लोबमास्टर (C-17 Globemaster) है. इस विशालकाय ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को अमेरिका के अलावा और भी कई देशों की सेनाएं इस्तेमाल करती हैं. तो समझते हैं कि क्या है इस जहाज की खासियत?
अमेरिका ने जिस C-17 विमान से डिपोर्ट किए भारतीय, उस ग्लोबमास्टर का तिया पांचा जान लीजिए
वर्तमान में C-17 Globemaster विमान को पूरी दुनिया में 8 देश और एक मिलिट्री संगठन ऑपरेट कर रहे हैं. इसमें सबसे अधिक 223 विमान सिर्फ US Air Force ऑपरेट करता है. Indian Airforce भी 11 सी-17 विमानों का संचालन करती है.


अमेरिका की कंपनी मैक्डॉनल डगलस/बोइंग द्वारा बनाया गया सी-17 ग्लोबमास्टर एक चार इंजन वाला, टी-टेल (T-Tail) के आकार का ट्रांसपोर्ट जहाज है जो मिलिट्री के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है. मैक्डॉनल डगलस के YC-15 ट्रांसपोर्ट विमान को सी-17 की पूर्वज माना जाता है. बोइंग साउथ कैरोलाइना की वेबसाइट पर जाएं तो इस जहाज की पहली उड़ान के बारे में जानकारी मिलती है. बोइंग के फील्ड इंजीनियर और टेक्निकल सपोर्ट मैनेजर वॉल्टर ऐलेन सी-17 ग्लोबमास्टर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताते हैं
लगता है जैसे कल ही की बात है जब हमने बोइंग सी-17 पर काम शुरू किया था. मुझे याद है जब हाथी जैसे विशाल जहाज ने टैक्सी-वे पर चला शुरु किया था. वहां खड़े लोग उसके चार इंजनों की दहाड़ सुन रहे थे. सी-17 जितना लंबा था, उतना ही चौड़ा भी था. जैसे ही जहाज की नोज़(सबसे आगे का हिस्सा) हवा में ऊपर उठी, वहां खड़ी भीड़ ने उसे चीयर किया क्योंकि पहला सी-17 सेना को सर्विस देने के लिए अपनी पहली उड़ान पर था.
ये 14 जून, 1993 की तारीख थी. पर सी-17 की कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. ये तो बस उसके सफर की शुरुआत थी. 1993 में अमेरिकी एयरफोर्स में शामिल किए जाने के बाद से सी-17 ने अब तक कई सफल मिशंस को अंजाम दिया है. इसमें 2021 में अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फौज को निकालने से लेकर राहत-बचाव सामग्री पहुंचाने और लंबी दूरी के रेस्क्यू मिशंस शामिल हैं.
जहाज की खासियतेंसी-17 ग्लोबमास्टर को फिलहाल भारत समेत 8 और देश इस्तेमाल कर रहे हैं. चूंकि ये एक ट्रांसपोर्ट या कार्गो विमान की श्रेणी में आता है, इसलिए इस विमान की सबसे बड़ी खूबी है इसकी भार उठाने की क्षमता. सी-17 ग्लोबमास्टर 1 लाख 64 हजार 900 (74,797 किलोग्राम) माने लगभग 12 व्यस्क हाथियों के बराबर वजन उठाने में सक्षम है. अगर कोई पेलोड न हो तो ये विमान 6 हजार 230 नॉटिकल मील यानी 11 हजार 537 किलोमीटर की उड़ान बिना रिफ्यूलिंग के भर सकता है.

साथ ही सी-17 ग्लोबमास्टर में हवा में ईंधन भरने की भी क्षमता है. ग्लोबमास्टर को टेक-ऑफ करने के लिए 7 हजार 740 फीट माने 2359.15 मीटर के रनवे की जरूरत होती है. वहीं लैंडिंग के लिए इसे 3 हजार फीट यानी 914 मीटर का एयरफील्ड चाहिए. इस विमान में दिन और रात, दोनों समय लैंड करने की सुविधा है. सी-17 ग्लोबमास्टर के विंग्सस्पैन से विंगलेट टिप (डैनों के अंत तक) की लंबाई 169.8 फीट, विमान की लंबाई 174 फीट है. इसमें Pratt and Whitney PW2040 के चार इंजन लगे हैं. हर इंजन 40 हजार 440 पाउंड का थ्रस्ट जेनरेट करता है जिससे भारी लोड के साथ भी ये विमान बड़ी आसानी से टेक-ऑफ करता है.
ग्लोबमास्टर को उड़ाने के लिए 2 पायलट्स की जरूरत पड़ती है. विमान में 2 फुल टाइम हेड-अप-डिस्प्ले लगे हैं जो उड़ान के दौरान पायलट को सारी जरूरी जानकारी देते रहते हैं. सी-17 में डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स नेविगेशन सिस्टम और कम्युनिकेशन सिस्टम ओपन आर्किटेक्चर (COSA) लगा है जो इसे बेहतर नेविगेशन और बिना रुकावट के बेस से संपर्क बनाए रखने में मदद करता है.

सी-17 ग्लोबमास्टर विमान में समय-समय पर कंपनी द्वारा बदलाव किए जाते रहे हैं. वर्तमान में 275 सी-17 विमान पूरी दुनिया में मौजूद हैं. इसमें सबसे अधिक 223 विमान सिर्फ अमेरिका ऑपरेट करता है. अमेरिका के सी-17 विमान उसके 12 एयरबेसेज़ पर तैनात रहते हैं. भारतीयों को डिपोर्ट करने से पहले भी 2021 में ये विमान सुर्खियों में आया था. इस साल अमेरिका अपने सैनिकों के साथ अफ़ग़ानिस्तान से रुखसती ले रहा था. इस विमान के लैंडिंग गियर पर लटककर भागने की कोशिश में कुछ लोग मारे गए थे.

इसके अलावा भारत, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कुवैत, क़तर, और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की सेनाएं सी-17 ग्लोबमास्टर का इस्तेमाल कर रही हैं. साथ ही NATO द्वारा बनाया गया 12 देशों का एक समूह जिसे Strategic Airlift Capability (SAC) कहा जाता है, वो भी इस विमान को अपने मिशंस में इस्तेमाल करता है. बात करें भारत की तो वर्तमान में इंडियन एयरफोर्स 11 सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों को ऑपरेट कर रही है. भारत को 11वां सी-17 बोइंग द्वारा 2019 में डिलीवर किया गया था.

14 दिसंबर 2023 को सोमालिया के तट से करीब 600 नॉटिकल माल दूर एक समुद्री कार्गो जहाज़ को सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने बंधक बना लिया. इंडियन एयरफोर्स के विंग कमांडर और सी-17 के कप्तान अक्षय सक्सेना को इंडियन नेवी के मार्कोस कमांडोज़ को सोमालिया के तट पर पहुंचाने का काम सौंपा गया. उन्होंने विमान के सारे एमिटर बंद कर के काफी कम ऊंचाई पर लगातार 10 घंटे की उड़ान भरी. उन्होंने सफलतापूर्वक इंडियन नेवी के मार्कोस कमांडोज़ को सटीक जगह पर रबर बोट्स में पैरा ड्रॉप किया. इसके बाद मार्कोस ने MV Ruen जहाज़ के 17 क्रू मेंबर्स को रेस्क्यू किया था. सोमालिया में अंजाम दिए गए इस मिशन के लिए उन्हें वायुसेना मेडल से सम्मानित किया गया. इसके अलावा भी कई मिशंस में C-17 ने भारत के लोगों की जान बचाई, मसलन
- सितंबर 2024 में भारत ने लाओस, विएतनाम और कंबोडिया में Yagi तूफान के बाद आई बाढ़ के बाद वहां के लोगों के लिए सी-17 ग्लोबमास्टर से वाटर प्यूरीफायर, कंबल, बर्तन, जेनरेटर्स, स्लीपिंग बैग्स और मच्छरदानी जैसी राहत सामग्री भेजी.
- इंडियन एयरफोर्स के सी-17 ने मई 2023 में युद्धग्रस्त सूडान से 192 लोगों को रेस्कयू किया.
- 6 फरवरी 2023 में तुर्किए में जबरदस्त भूकंप आया. इस भूकंप ने तुर्किए से सीरिया तक भयंकर तबाही मचाई. 5 हजार से अधिक लोगों ने इस भूकंप में अपनी जान गंवा दी. भारत ने इस आपदा में मदद करने के लिए चार सी-17 ग्लोबमास्टर में तुर्किए के लिए राहत सामग्री के अलावा 30 बेड का एक फील्ड हॉस्पिटल और 99 सदस्यों वाली राहत टीम को तुर्किए रवाना कर दिया.
-नवंबर 2023 में उत्तराखंड के Silkyara Tunnel धंसने से टनल में 40 मजदूर फंस गए. इंडियन एयरफोर्स के सी-17 ने बचाव में काम आने वाले 22 टन के उपकरणों को इंदौर से देहरादून तक ट्रांसपोर्ट किया.
-ऑपरेशन गंगा के तहत एयरफोर्स ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए 20 से अधिक उड़ानें भरीं. इस दौरान यूक्रेन के पड़ोसी देशों में लैंड कर वहां रह रहे भारतीयों को सुरक्षित घर वापस लाया गया.
- अगस्त 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद पूरे देश मे ऊहापोह की स्थिति बन गई. इंडियन एयरफोर्स ने मोर्चा संभालते हुए सी-130 को काबुल के लिए रवाना किया. इस सी-130 ने 120 भारतीय डिप्लोमैट्स और अधिकारियों को सुरक्षित भारत पहुंचाया.
-जुलाई 2016 में ऑपरेशन संकट मोचन के तहत भारत के विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह (रिटायर्ड) के नेतृत्व में 300 भारतीयों को एयरलिफ्ट किया.
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