2 अक्टूबर. गांधी जयंती. कुछ लोगों के लिए महात्मा गांधी को याद करने का दिन. ज्यादातर के लिए छुट्टी. यानी कहीं घूमने-फिरने का मौका. हालांकि, ये जरूरी नहीं कि सब लोग गेड़ी मारने निकल जाएं. पर जो निकलेंगे, उन्हें चाहिए होगा ‘महात्मा गांधी’ का साथ. वैचारिक नहीं, 'कागजी'. जेब में पड़े नोटों का साथ जिन पर छपी होती है गांधी जी की तस्वीर. पर क्या आपको पता है आपके वॉलेट में पड़े नोट में महात्मा गांधी की जो तस्वीर (Mahatma Gandhi on Indian Currency) है उसके लिए वो पहली चॉइस नहीं थे? पता है तो ठीक, पर जिन्हें नहीं पता उन्हें बताना जरूरी है.
भारतीय नोट को निहारते हुए कभी सोचा है उस पर महात्मा गांधी से पहले कौन था?
महात्मा गांधी की 100वीं जयंती के मौके पर पहली बार हुआ कि गांधी की तस्वीर करेंसी नोट पर छापी गई. लेकिन ये परमानेंट कब हुआ?
गांधी तो आजादी के बाद हम सबके बीच से चले गए. लेकिन उनके विचार हमारे बीच आज भी जीवित हैं, और रहेंगे. इन विचारों के बीच गांधी की कई तस्वीरें हमारे और आपके जेहन में हमेशा के लिए चस्पा हो गई हैं. इन्हीं में से एक है भारतीय करेंसी में बनी उनकी तस्वीर. वैसे ही जैसे अमरीकी डॉलर में जॉर्ज वॉशिंग्टन की तस्वीर बनी है. पाकिस्तानी करेंसी में मोहम्मद अली जिन्ना को दर्शाया गया है. पर यहां बात गांधी जयंती और उनकी भारतीय करेंसी में बनी तस्वीर की हो रही है. गांधी की तस्वीर हमारी करेंसी के लिए पहला विकल्प नहीं थी. हालांकि, देश की आजादी के बाद सभी का मानना था कि Father of the Nation को करेंसी में होना चाहिए.
गांधी नहीं तो कौन?गांधी की तस्वीर के अलावा भारतीय नोट पर छापने के लिए और क्या विकल्प थे, इस पर RBI की वेबसाइट बताती है,
“14 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की गई. हालांकि, गणतंत्र की स्थापना 26 जनवरी, 1950 को हुई. इस अंतराल के दौरान, रिजर्व बैंक ने मौजूदा नोट इशू करना जारी रखा. भारत सरकार ने 1949 में नए डिजाइन का एक रुपये का नोट जारी किया. इस दौरान स्वतंत्र भारत के लिए प्रतीकों का चयन किया जाना था. शुरुआत में ये सहमति हुई कि राजा की तस्वीर को महात्मा गांधी की तस्वीर से रिप्लेस किया जाएगा. इसको लेकर कई डिजाइन तैयार किए गए.”
इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के अनुसार गांधी की तस्वीर के स्थान पर सारनाथ के Lion Capital के चयन पर आम सहमति बनी थी. नोटों का नया डिजाइन काफी हद तक पिछले नोटों की तर्ज पर ही था. देश आजाद हुआ तो कई तरह के बदलाव और एक्सपेरिमेंट्स भी किए जा रहे थे. करेंसी के साथ भी ऐसा ही हुआ. 1950 और 60 के दशक के नोटों पर बाघ और हिरण जैसे जानवरों की तस्वीरें छापी गईं. भारत विकास की ओर बढ़ रहा था तो इसे दिखाने के लिए हीराकुंड बांध, आर्यभट्ट सैटेलाइट और बृह्देश्वर मंदिर की तस्वीरें भी छापी गईं. इन डिजाइनों के माध्यम से भारत के विकास और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ देश की संस्कृति को दर्शाने की कोशिश की गई.
पहली बार गांधी करेंसी में दिखे!साल 1969. महात्मा गांधी की 100वीं जयंती का मौका. इस साल पहली बार हुआ कि गांधी की तस्वीर करेंसी नोट पर छापी गई. इस खास नोट में महात्मा गांधी बैठे हुए दिखाई गए और बैकग्राउंड में उनका सेवाग्राम आश्रम दिख रहा था. महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय करेंसी पर नियमित रूप से 1987 से छपना शुरू हुई. राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने 500 रुपये के नोट जारी करने का फैसला किया. जिसमें गांधी की तस्वीर को शामिल करने पर सहमति बनी. ये सब 1978 में जनता पार्टी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी के नौ साल बाद हुआ.
फिर आया 1990 का दशक. 1996 में RBI ने महात्मा गांधी सीरीज के नए नोटों की एक सीरीज शुरू की. इन नोट में अधिक सिक्योरिटी फीचर्स लाए गए. वॉटरमार्क और सिक्योरिटी थ्रेड्स को अपनाया गया. और इसी के साथ करेंसी में महात्मा गांधी की तस्वीर एक परमानेंट फीचर बन गई.
गांधी के अलावा भी कई नाम थेये बात तो हुई करेंसी नोट में गांधी की तस्वीर की. पर गांधी के अलावा भी कई ऐसे नाम थे, जिन्हें करेंसी नोट में छापने का सजेशन आया था. इस लिस्ट में जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल जैसे नाम शामिल हैं. यहां तक कि देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश जैसे देवताओं का भी सुझाव दिया जाता रहा.
2016 में एक सवाल सामने आया कि क्या सरकार नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर बदलने पर विचार करेगी? इसके जवाब में वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया था कि एक समिति ने पहले ही निर्णय ले लिया है कि करेंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है.
वीडियो: तारीख: उस जेल की कहानी जहां गांधी और गोडसे दोनों रहे