30 अप्रैल 2020 को ऋषि कपूर चले गए. ना जाने कितनों को रोता हुआ छोड़कर. ऋषि कपूर का फ़िल्मी फ़लक बहुत बड़ा था. दशकों की मेहनत थी. दर्जनों फ़िल्में थीं. ‘चांदनी’ और ‘क़र्ज़’ जैसी फ़िल्मों से ऋषि ने अपनी पीढ़ी के इश्क़ की झंडाबरदारी की और नई पीढ़ी को ‘मुल्क’ का मुराद अली बनकर समझाइश दी कि ‘एक मुल्क काग़ज़ पे नक्शों की लकीरों से नहीं बनता’. बहरहाल, आइए आपको पढ़वाते हैं ऋषि कपूर के वो 20 डायलॉग, जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं –
ऋषि कपूर के वो 20 डायलॉग, जिन्हें ज़माना शौक़ से सुनता था, है और रहेगा
इश्क़ की झंडाबरदारी की तो मुल्क को समझाइश भी दी.

ऋषि कपूर का फ़िल्मी सफ़र दशकों पुराना रहा. उनके खाते में 'क़र्ज़' और 'बॉबी' आईं तो 'मुल्क' और 'दो दुनी चार' भी आईं.
1# नवाज़िश, करम, शुक्रिया मेहरबानी ...मुझे बख्श दी आपने ज़िंदगानी – मजनू फ़िल्म – लैला मजनू (1976)
2# दुनिया के सितम याद, ना अपनी वफ़ा याद ... अब कुछ भी नहीं मुझको मुहब्बत के सिवा याद – मजनू फ़िल्म – लैला मजनू (1976)
3# गर्मी में गरम चाय, ठंडक पहुंचाती है – राज नाथ फ़िल्म – बॉबी (1973)
4# हम दिल्ली वाले मुल्क के साथ-साथ दिल पर भी हुकूमत करना जानते हैं – रोहित फ़िल्म – चाँदनी (1989)
5# प्रेम तो वो रोग है जो आसानी से लगता है, लेकिन जब लगता है फिर कभी मिटता नहीं – देवधर फ़िल्म – प्रेम रोग (1982)
6# रीत रिवाज़ इंसान की सहूलियत के लिए बनाए जाते हैं, इंसान रीत रिवाज़ों के लिए नहीं – देवधर फ़िल्म – प्रेम रोग (1982)
7# प्यार करने वाले ऐतबार का सर्टिफ़िकेट नहीं मांगते – मौंटी फ़िल्म – क़र्ज़ (1980)
8# मरने से पहले मैं चाहता हूं कि मेरे परिवार के साथ एक फैमिली फोटो हो, जिसके नीचे टाइटल होगा, 'कपूर एंड संस, सिंस 1921' - अमरजीत कपूर फिल्म - कपूर एंड संस (2016)
9# जाने से पहले एक आख़िरी बार मिलना क्यों ज़रूरी होता है? – वीर सिंह फिल्म - लव आज कल (2009)
10# हमसे नहीं, उनसे जाकर इजहार-ए-मोहब्बत कीजिए, वर्ना हमारी तरह खाली हवेलियां खरीदते फिरोगे – अली फ़िल्मी - दिल्ली, 6 (2009)
11# अमां, कभी तो लपट बनो या अंदर ही अंदर सुलगते रहोगे – अली फ़िल्मी दिल्ली, 6
12# एक मुल्क काग़ज़ पे नक्शों की लकीरों से नहीं बनता – मुराद अली फिल्म – मुल्क (2018)
13# मेरी जवाबदारी आपसे नहीं है, अपने ईमान से है, अपने मुल्क से है – मुराद अली फिल्म – मुल्क (2018)
14# ‘वो’ और ‘हम’ मुल्क को नहीं बनाते हैं, ‘हम’ मुल्क को बनाते हैं – मुराद अली फिल्म – मुल्क (2018)
15# ट्रिगर खींच, मामला मत खींच – गोल्डमैन फ़िल्म – D Day (2013)
16# ये मुल्क तो मेरी मां है, और मुंबई शहर मेरी माशूका - गोल्डमैन फ़िल्म – D Day (2013)
17# बिकते तो सभी हैं, कुछ पैसे से और कुछ जज़्बात से - गोल्डमैन फ़िल्म – D Day (2013)
18# ख़ाली फ़ीस भरने से पापा होने की ड्यूटी पूरी नहीं होती, पापा की ड्यूटी होती है बच्चों की ख़ुशियाँ - संतोष दुग्गल फ़िल्म - दो दुनी चार (2010)
19# बिंदी रक़म के आगे लगे तो रक़म दस गुना बढ़ जाती है ...और लड़की के माथे पर लगे तो उसकी ख़ूबसूरती हज़ार गुना बढ़ जाती है - सोमेन फ़िल्म - प्रेम ग्रंथ (1996)
20# जी करता है तुम्हारी हर ख्वाहिश, हर इच्छा को अपना मक़सद बना लूं - शेखर फ़िल्म - दामिनी (1993)
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