The Lallantop

Rajnandgaon Loksabha Seat Result : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल BJP के संतोष पांडेय से लगभग 45 हज़ार वोटों से चुनाव हार गए

Bhupesh Baghel Rajnandgaon Loksabha Seat Results: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव सीट से Congress ने Chhattisgarh के पूर्व मुख्यमंत्री Bhupesh Baghel को टिकट दिया था. जबकि वहीं BJP के तरफ़ से इस सीट से वर्तमान सांसद Santosh Pandey चुनावी मैदान में हैं.

post-main-image
भूपेश बघेल और संतोष पांडेय में टक्कर. (फ़ोटो - इंडिया टुडे/इंस्टाग्राम संतोष पांडेय)

राजनांदगांव लोकसभा सीट (Rajnandgaon Loksabha) से कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को 6,67,646 वोट मिले हैं. जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संतोष पांडेय (Santosh Pandey) को 7,12,057 वोट. इस तरह से संतोष पांडेय ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को 44,411 वोटों से चुनाव हरा दिया है.

विधानसभा चुनाव हारने के 6 महीने बाद भूपेश बघेल का फिर चुनावी टेस्ट हुआ. इस बार कांग्रेस ने उन्हें राजनांदगांव लोकसभा सीट से टिकट दिया. राजनांदगांव सीट कांग्रेस और भूपेश बघेल के लिए सिर्फ़ एक सीट नहीं, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था. 8 मार्च को उनके टिकट की घोषणा के बाद से ही बघेल सड़कों पर दिखे. हालांकि उनके सामने संतोष पांडेय थे. पांडेय ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी भोलाराम साहू को 1 लाख से भी ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया था. देखना ये होगा कि क्या बघेल की लोकप्रियता, जो उनके मुख्यमंत्रित्व काल में और विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान स्पष्ट दिखाई दे रही थी. वो लोकसभा चुनाव में उनकी मदद कर पाएगी या नहीं. हालांकि, विधानसभा चुनाव में उनको इससे ख़ासा मदद नहीं मिली थी. कांग्रेस 35 सीटों पर सिमट गई, जबकि BJP को चुनाव में 54 सीटें मिली थीं. बघेल ख़ुद अपने सीट पर 19 हज़ार के मामूली मार्जिन से ही जीते थे. अब छत्तीसगढ़ की 'संस्कारधानी' के नाम से मशहूर राजनांदगांव ने संतोष पांडेय को फिर अपना सांसद चुन लिया है.

राजनांदगांव/Rajnandgaon2014 का नतीजा

2014 के चुनाव में BJP के अभिषेक सिंह को कुल 6 लाख 43 हज़ार 473 वोट मिले थे. अभिषेक छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे हैं. रमन सिंह का क्षेत्र में बहुत प्रभाव है. इसका फायदा अभिषेक सिंह को भी मिला. उस वक़्त कांग्रेस के कमलेश्वर वर्मा को 4 लाख 07 हज़ार 562 वोट मिले थे.

2019 का नतीजा

BJP के संतोष पांडेय को 6 लाख 62 हज़ार 387 वोट मिले. उस समय संतोष पांडेय ने कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू को हराया था. भोलाराम को 5 लाख 50 हज़ार 421 वोट मिले थे. संतोष पांडेय इस बार फिर मैदान में थे.

इस बार के प्रत्याशी कौन?

BJP- संतोष पांडेय.
कांग्रेस- भूपेश बघेल

जातिगत समीकरण

राजनांदगांव सामान्य श्रेणी की संसदीय सीट है. चाणक्य की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2011 की जनगणना के अनुसार सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं का प्रतिशत लगभग 11.7, वहीं अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं का प्रतिशत 24.1, जबकि मुस्लिम मतदाताओं का प्रतिशत 2.2 प्रतिशत है. ओबीसी बहुल इस सीट पर जाति कोई बड़ा फ़ैक्टर नहीं लगता, क्योंकि यहां अलग-अलग जातियों के उम्मीदवार लोकसभा चुनाव जीतते रहे हैं. मसलन रमन सिंह राजपूत रहे है, जबकि दूसरे उम्मीदवारों में ओबीसी के नेता भी रहे हैं.

ये भी पढ़ें - छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल के खिलाफ FIR!

इतिहास

राजनांदगांव से कांग्रेस ने 8 बार और एक बार उपचुनाव,  BJP ने 7 बार, तो वहीं जनता पार्टी ने एक बार चुनाव जीता है. पूर्व खैरागढ़ राजपरिवार के सदस्यों ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 7 बार इस सीट से चुनाव जीता है. राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह ने 1957 और 1962 में, जबकि 1967 में रानी पद्मावती ने कांग्रेस से चुनाव जीता. हालांकि, 1971 में कांग्रेस ने सबको चौंकाते हुए रामसहाय पांडेय को मैदान में उतारा. इससे पद्मावती देवी ने बगावत कर दी. लेकिन चुनाव रामसहाय पांडेय ही जीते.

1977 में समीकरण बदले, जब जनता पार्टी से मदन तिवारी ने सीट अपने नाम की. इसके बाद राजघराने ने फिर वापसी की. 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी शिवेंद्र बहादुर सिंह ने सीट पर जीत दर्ज की और 1984 में भी इस जीत को बरकरार रखा. हांलाकि 1989 में BJP ने धरमलाल गुप्ता को उतारा और उन्होंने कांग्रेस के शिवेंद्र सिंह को हराया भी. 1996 में BJP के अशोक शर्मा फिर जीते. लेकिन अगली बार राजनांदगांव का पड़ला पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के पक्ष में गया. 1998 में वोरा राजनांदगांव से सांसद बने.

लेकिन इसके बाद पड़ला फिर पलटा और ऐसे पलटा कि फिर कांग्रेस कभी आम चुनावों में ये सीट जीत नहीं पाई. 2007 के उपचुनाव के बाद कांग्रेस यहां जीत ही नहीं पाई. 1999 में उस समय के लो-प्रोफ़ाइल नेता और पूर्व विधायक रमन सिंह BJP की तरफ़ से मैदान में उतरे और जीत दर्ज की. उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके वोरा को हरा दिया. इसके बाद 2004 में BJP के प्रदीप गांधी, 2009 में मधुसूदन यादव, 2014 में अभिषेक सिंह (रमन सिंह के बेटे), और 2019 संतोष पांडे ने जीत दर्ज की. बता दें, 2005 में कैश-फ़ॉर-क्वेरी घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद गांधी ने अपनी सदस्यता खो दी थी. इससे 2007 में सीट पर उपचुनाव कराने पड़े, जिसमें खैरागढ़ राजघराने के सदस्य देवव्रत सिंह ने जीत दर्ज की.

इस बार तगड़ी फ़ाइट

पिछले पांच आम चुनावों से BJP राजनांदगांव सीट से जीत दर्ज कर रही है. 2019 के चुनाव में BJP के संतोष पांडेय ने 1.11 लाख से ज़्यादा मतों से सीट जीती थी. इससे पहले कि BJP अपनी जीत के लिए आश्वस्त हो, 6 महीने पहले हुए विधानसभा के नतीज़े उनके सामने आ रहे होंगे. दिसंबर 2023 में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के मुताबिक़, राजनांदगांव लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभा सीटों - पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी और मोहला-मानपुर में कांग्रेस को 5 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि BJP ने तीन सीटें ही जीती थी. इनमें कांग्रेस ने खैरागढ़, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, खुज्जी और मोहला मानपुर और BJP ने पंडरिया, कवर्धा और राजनांदगांव जीते थे. इनमें तीन बार मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह के राजनांदगांव की सीट भी शामिल है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में करारी हार के बावजूद कांग्रेस ने इलाक़े में अपनी बढ़त बनाई हुई थी.

ये भी पढ़ें - भूपेश बघेल ने इन वादों को पूरा किया ही नहीं!

प्रचार में आमने-सामने

भूपेश बघेल और संतोष पांडेय के चुनावी प्रचार में एक संयोग भी हुआ. दोनों चुनाव प्रचार के दौरान एक गांव के एक मोहल्ले में आमने-सामने आ गए. दरअसल, खैरागढ़ विधानसभा के बिरनपुरकला गांव में दोनों नेता आपस में मिले. BJP प्रत्याशी संतोष पांडेय गांव वालों से मिलकर निकल रहे थे, उसी दौरान कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल गांव में जा रहे थे. दोनों आपसे में मिले, बातचीत की. फिर मुलाक़ात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी डाली गई. भूपेश बघेल ने इस मिलन पर लिखा,

"राम राम जी"

हालांकि, इसे लेकर उन्होंने संतोष यादव पर तंज भी कसा और 'जाने', 'आने' का समय भी बता दिया. उन्होंने लिखा,

"संतोष पांडेय जी से आज चुनाव प्रचार के दौरान भेंट हुई. उनके “जाने” का समय था और मेरे “आने” का."

अब संतोष पांडेय चुनाव जीत चुके हैं.

वीडियो: छत्तीसगढ़ कांग्रेस में अंदर की लड़ाई सामने आई, क्या होगा भूपेश बघेल का भविष्य?