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'कुछ न करके' 70 सालों तक सबसे लोकप्रिय कैसे बनी रहीं महारानी एलिज़ाबेथ?

ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ की पूरी कहानी.

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8 सितंबर को महारानी का निधन हो गया (फोटो - गेटी)

एक रोज़ की बात है. अपने स्कॉटलैंड के बारमोरल कैसल के बाहर एलिज़ाबेथ सैर पर थीं. उनके साथ उनकी सुरक्षा के लिए चल रहे थे रिचर्ड ग्रिफिन. दो अमेरिकी टूरिस्ट उसी रस्ते पर घूम रहे थे. एलिज़ाबेथ की आदत थी लोगों को हेलो कहने की. ये सुनकर दोनों रुक गए. और बतियाने लगे कि वो कहां जाने वाले हैं, ब्रिटेन में कहां घूमे, आदि. उनकी बातों से साफ़ था कि उन्हें नहीं पता कि सामने ब्रिटेन की महारानी है. इसके बाद वो पूछते हैं, "आप कहां रहती हैं?"

एलिज़ाबेथ जवाब देती हैं, "यूं तो मैं लन्दन में रहती हूं लेकिन यहीं पास में मेरा समर होम है. मैं पिछले 80 सालों से यहां घूमने आ रही हूं."

"80 सालों से! तब तो आप क्वीन से मिली होंगी?"

एलिज़ाबेथ मुस्कुराते हुए कहती हैं, "नहीं, मैं तो नहीं मिली. लेकिन रिचर्ड उनसे कई बार मिले हैं."

दोनों रिचर्ड ग्रिफिन की और मुख़ातिब होकर पूछते हैं, “वो असल जिंदगी में कैसी हैं?”

ग्रिफिन मुस्कुराते हुए जवाब देते हैं, "थोड़ी खड़ूस हैं, लेकिन उनका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर गज़ब का है."

ये सुनकर दोनों एलिज़ाबेथ को अपना कैमरा पकड़ाकर रिचर्ड के साथ एक तस्वीर लेने को कहते हैं. एक तस्वीर एलिज़ाबेथ के साथ भी ली जाती है. और, फिर दोनों अपने अपने रस्ते चले जाते हैं. एलिज़ाबेथ रिचर्ड से कहती हैं, "जब ये दोनों अपने दोस्तों को ये तस्वीरें दिखाएंगे, काश मैं वहां मौजूद होती."

एलिज़ाबेथ की मौत के बाद ब्रिटेन के तमाम लोग ऐसे ही किस्सों से अपनी रानी को याद कर रहे हैं. ब्रिटेन में 70 से कम की उम्र की जनता ने ताउम्र सिर्फ एक ही मोनार्क को जाना है. आज आपको बताते हैं ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ की पूरी कहानी. 

लिलिबेट से कैसे बनीं एलिज़ाबेथ

एलिज़ाबेथ के बचपन का नाम था, लिलिबेट. 21 अप्रैल, 1926 को जब उनकी पैदाइश हुई, तो उनके रानी बनने का ख़्याल किसी को दूर-दूर तक न था. उनके दादा किंग जॉर्ज पंचम के बाद लाइन में अगला नंबर उनके अंकल का था. जिंदगी किसी भी साधारण ब्रिटिश लड़की सी थी, लेकिन पढ़ने के लिए स्कूल जाने की इजाज़त नहीं थी. फिर अचानक ज़िंदगी में एक मोड़ आया. एलिज़ाबेथ के अंकल एडवर्ड, जो राजा बन गए थे, उन्होंने गद्दी छोड़ने का ऐलान किया. उन्हें एक अमेरिकन महिला से प्यार हो गया था. शादी की ज़िद के चलते एडवर्ड को गद्दी छोड़नी पड़ी. एलिज़ाबेथ के पिता जॉर्ज-6th राजा बन गए. उस वक़्त वो दस साल की थीं. इसी बीच दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया. एसोसिएटेड प्रेस ने आर्टिकल में उनका नाम छापा, ‘Princess Auto Mechanic.’ क्यों? क्योंकि युद्ध के दौरान ब्रिटेन की राजकुमारी सेना में मेकेनिक का काम कर रही थी.

इसी दौर में उनकी मुलाकात भारत के आख़िरी वाइसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन के भतीजे फ़िलिप से हुई. प्यार हुआ और साल 1947 में दोनों ने शादी कर ली. ब्रिटेन मंदी से गुज़र रहा था. हर ख़र्चे में कटौती की जा रही थी. ब्रिटने की होने वाली महारानी भी इससे महफूज नहीं रहीं. उनकी शादी का गाउन ख़रीदने के लिए युद्ध समय पर जारी किए गए कूपन्स का उपयोग किया गया. राजकुमारी के तौर पर एलिज़ाबेथ बहुत लोकप्रिय थी. उन्हें अच्छे से अच्छा गाउन मिले, इसके लिए ब्रिटेन भर की लड़कियों ने उनके लिए अपने कूपन भेजे.

राजकुमारी रहते हुए ही उन्होंने अपनी शाही ज़िम्मेदारियां संभालनी शुरू कर दी थीं. साल 1952 में जब फ़िलिप और एलिज़ाबेथ कॉमनवेल्थ के दौरे पर थे, उन्हें ख़बर मिली कि उनके पिता किंग जॉर्ज की मौत हो गई है. वो दोनों केन्या में थे. एलिज़ाबेथ महारानी बन गईं. मोनार्क बनते वक़्त ऑप्शन होता है कि आप अपना रॉयल नेम बदल सकें. एलिज़ाबेथ ने अपना वही नाम रखने का फ़ैसला किया. इस तरह लिलिबेट बन गईं क्वीन एलिज़ाबेथ द सेकेण्ड. सेकेण्ड, इसलिए कि उनसे पहले 16वीं सदी में एक और एलिज़ाबेथ रानी रह चुकी थीं. साल 1953 में एलिज़ाबेथ का राज्याभिषेक हुआ. पहली बार दुनिया ने इस सेरेमनी को लाइव टीवी पर देखा.

महारानी एलिज़ाबेथ और प्रिंस फ़िलिप (फोटो - AP)

एलिज़ाबेथ के महारानी बनने के बाद एक और सवाल खड़ा हुआ, कि राज परिवार का सरनेम क्या होगा? प्रथा थी कि पत्नी को पति का सरनेम यूज़ करना होता है. फ़िलिप ने हाउस ऑफ़ एडिनब्रा का नाम सुझाया, क्यूंकि उन्हें ड्यूक ऑफ़ एडिनब्रा की पद्यवी मिली थी. लेकिन उनके अंकल लॉर्ड माउंटबेटन ने सुझाया कि वो माउंटबेटन नाम चुने. वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और एलिज़ाबेथ की दादी क्वीन मैरी चाहते थे कि एलिज़ाबेथ पुश्तैनी सरनेम चुने, यानी विंडसर. एलिज़ाबेथ ने ऐसा ही किया. उनके बच्चों का सरनेम विंडसर ही रहा. ये बात प्रिंस फ़िलिप के लिए बेज़्ज़ती वाली थी. उन्होंने कहा था कि पूरे ब्रिटेन में वो एकमात्र आदमी हैं, जो अपने बच्चों को अपना सरनेम नहीं दे सकते. ऐसे ही रानी बनने के बाद कई ऐसी घटनाएं हुईं, जो पति-पत्नी के बीच तनाव के कारण बने.

ऐसा ही कुछ एलिज़ाबेथ की बहन के साथ हुआ. वो एक डिवोर्सी से शादी करना चाहती थीं, लेकिन चर्च ऑफ़ इंग्लैंड इसके ख़िलाफ़ था. एलिज़ाबेथ मजबूर थीं. उन्होंने शादी की इजाज़त नहीं दी.

ब्रिटेन के नए राजा किंग चार्ल्स का जन्म एलिज़ाबेथ की शादी के एक साल बाद हुआ. दो साल बाद उन्हें एक बेटी हुई. और, 1960 और 1964 में उनके दो और बेटे हुए. इस दौरान उन्होंने दुनिया भर के देशों का दौरा किया. इनमें वो देश शामिल थे जो पहले ब्रिटिश राज के अंतर्गत आते थे. यानी कॉमनवेल्थ. इसके अलावा 15 ऐसे देश भी थे जहां ब्रिटेन का मोनार्क सम्राट या साम्राज्ञी माने जाते रहे हैं. मसलन, न्यूजीलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश.

भारत दौरे का क़िस्सा

1961 में उन्होंने पहली बार बतौर ब्रिटने की महारानी भारत का दौरा किया. और, गणत्रंत दिवस पर परेड का निरीक्षण भी किया. हालांकि, भारत को आज़ाद हुए तब कुछ ही साल हुए थे. ऐसे में तब प्रधानमंत्री नेहरू और एलिज़ाबेथ को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. हिंदी के महान कवि बाबा नागार्जुन ने कटाक्ष करते हुए लिखा था,

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी, 
यही हुई है राय जवाहरलाल की

7 दशक तक महारानी रहते हुए एलिज़ाबेथ कई विवादों का हिस्सा भी रहीं. अपनी बहू प्रिंसेज़ डायना के साथ रिश्तों के लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी. डायना शाही परिवार के मुक़ाबले काफी आज़ाद विचारों की थी. ब्रिटिश टैबलॉयड्स महारानी की उनसे तुलना करते हुए पुराने विचारों का बताने लगे थे. इसके अलावा अपने पोते, प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्केल के एक इंटरव्यू के बाद भी उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. मेगन मार्केल ने तब शाही परिवार पर नस्लभेद के आरोप लगाया था. इसके अलावा उनके सबसे चहेते बेटे एंड्रयू पर अमेरिकी सेक्स रैकेट सरगना जेफ्री एपस्टीन के साथ रिश्तों का आरोप भी लगा. इन सब विवादों के बावजूद अपनी मृत्यु तक रानी एलिज़ाबेथ ब्रिटिश जनता में लोकप्रिय बनी रहीं.

लॉन्गेस्ट लिविंग मोनार्क (फोटो - AP)

उनके साथ एक बात ख़ास तौर पर जोड़ी जाती है, कि उन्होंने ब्रिटिश लोकतंत्र की मर्यादा कभी नहीं तोड़ी. कभी ज़ाहिर नहीं होने दिया कि उनका राजनैतिक मत क्या है. यहां तक कि ब्रेक्जि़ट को लेकर उनका मत क्या था, इस पर भी कभी कोई संकेत नहीं मिला. ब्रिटिश इतिहासकार रॉबर्ट लेसी के अनुसार इसकी सीख उन्हें अपने शुरुआती दिनों में ही मिल गई थी. 
लेसी नेटफ्लिक्स के शो ‘क्राउन’ के लिए बतौर कंसल्टेंट जुड़े हुए हैं. शो का एक सीन है. लंदन कोयला जलाने से होने वाले फॉग से जूझ रहा है. लोग अस्पतालों में भर्ती हैं. मौतें हो रही हैं. प्रधानमंत्री चर्चिल कुछ नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में विपक्ष एलिज़ाबेथ से मिलकर कहता है कि चर्चिल को उनके पद से हटा दें. एलिज़ाबेथ कश्मकश में हैं. वो इस संदर्भ में अपनी दादी क्वीन मैरी से पूछती हैं. मैरी कहती हैं, "ऐसा करना ठीक नहीं."

एलिज़ाबेथ पूछती हैं, "हेड ऑफ़ स्टेट होते हुए मैं कुछ न करूं, तो फिर मेरा काम क्या है?"

तब मैरी जो कहती हैं, वो उसी के साथ आपको छोड़ कर जाएंगे, क्योंकि ये पंक्ति केवल इस शो के लिए नहीं, एलीज़ाबेथ के पूरे जीवन और शासन के डिफ़ाइन करती है.

"कुछ न करना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है. और, कुछ न करने के लिए तुम्हें अपनी सारी ताकत का इस्तेमाल करना होगा. तटस्थ रहना इंसान का स्वाभाव नहीं है. लोग हमेशा चाहेंगे कि तुम मुस्कुराओ, सहमत हो या गुस्सा करो. लेकिन ऐसा करते ही तुम एक पक्ष में खड़ी हो जाओगी. और ये एक चीज़ है, जो रानी रहते हुए तुम नहीं कर सकती."

प्रिंसेस डायना के बारे में प्रिंस हैरी, मैगन ने क्या बताया?