अमेरिका की गन पॉलिसी को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है. बहस तो हो रही है, लेकिन कुछ गंभीर होता नहीं दिख रहा है.
लास वेगस शहर की दो पहचान हैं. जुएबाजी और बंदूक. दोनों चरम पर. इसी शहर में दुनिया का सबसे बड़ा गन शो होने जा रहा है. सालाना शो. इस खबर ने जैसे चिकोटी काट ली. दिमाग ने सोचा. बाजार सच में बहुत निर्मम होता है. कोई पैदा हो, तो भी सजता है. कोई मर जाए, तब भी सजता है. सजने का बहाना खोज ही लेता है. यहां का गन शो सर्टिफाइड खरीदारों के लिए किसी खजाने से कम नहीं. एक से एक मॉडल. अत्याधुनिक हथियार. दुकानदार पूछेगा, मल्टीपल ग्रेनेड लॉन्चर चाहिए कि पिस्टल-ग्रिप रिपिटिंग शॉटगन? लाइसेंसी दुकानों के अलावा निजी दुकानें भी खूब हैं. बल्कि प्राइवेट विक्रेता ज्यादा हैं. लाइसेंसी दुकानवाले तो फिर भी खरीदारों के बैकग्राउंड की जांच करते हैं. निजी दुकानदार कई बार नियमों की अनदेखी भी कर देते हैं. पहले ही हथियार रखने के नियम इतने लचीले हैं. फिर इन लचीले नियमों में भी ढील मिले, तो स्थिति कैसी होगी?
दुनिया की कुल आबादी में अमेरिका की हिस्सेदारी 5 फीसद होगी. दुनिया की कुल गन्स का 40 फीसद से ज्यादा यहां इकट्ठा है.
इस तस्वीर से आपको शायद अमेरिकी के गन कल्चर को समझने में मदद मिले. हाई वे पर लगे इस विज्ञापन में एक गन के लेटेस्ट मॉडल का ऐड दिख रहा है.
इतनी बड़ी मास शूटिंग के बाद भी कोई खास बदलाव नहीं आएगा! इसी शहर में रविवार को एक मास शूटिंग हुई. 59 लोग बेमौत मारे गए. मरने की वजह? एक मानसिक विक्षिप्त के पास हथियारों का जखीरा था. उसे कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं था. उसने बंदूक खरीदे. रायफल खरीदे. मशीनगन खरीदा. ढेर सारी गोलियां खरीदीं. एक होटल में कमरा बुक कराया. अपने कमरे की खिड़की खोली. उसपर मशीनगन लगाया. निशाना साधा. 22 हजार की भीड़ पर. अगर हथियार खरीदने पर कोई पाबंदी होती, तो ऐसे हत्याकांड को इतनी आसानी से अंजाम देना मुश्किल होता. आर्म्स कंट्रोल के मामले में अमेरिका के अंदर समाजवाद है पूरा. लोगों को बंदूकों से बहुत ज्यादा लगाव है. ये लगाव आज का नहीं. पीढ़ियों का है. कलेक्टिव. वहां बंदूकों को शान समझा जाता है. जैसे घरों में रेफ्रिजरेटर आम है, वैसे ही बंदूक भी आम हैं. लोगों को लगता है कि बंदूकों के बिना जीवन नहीं चल पाएगा.
जिस होटल की खिड़की से हत्यारे स्टीफन पेडॉक ने इस मास शूटिंग को अंजाम दिया, उसके ठीक सामने गन शो के विज्ञापन का बोर्ड लगा है.
मास शूटिंग हुई तो क्या, सालाना गन शो फिर भी होगा लास वेगस में सबसे बड़ा गन शो होता है. अमेरिका का नैशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फाउंडेशन. वो इस सालाना 'शॉट शो' को होस्ट करता है. उसने ऐलान किया. शो तो होकर रहेगा. इतना ही नहीं. खलल नहीं चाहिए. सो, लास वेगस मास शूटिंग का वहां जिक्र तक नहीं होगा. ये जगह चार मील दूर है. उस जगह से जहां स्टीवन पेडॉक ने अमेरिका के सबसे बड़े मास शूटिंग को अंजाम दिया. लास वेगस में जितने ट्रेड शो होते हैं, उनमें पांचवां सबसे बड़ा शो. पिछले साल के शो में करीब 56 करोड़ रुपये की बंदूकें, गियर और बाकी चीजों की प्रदर्शनी हुई थी. इनसे शिकार किया जा सकता है. शूटिंग की जा सकती है. मछलियां पकड़ी जा सकती हैं. ये सब हो या न हो, हत्याएं तो यकीनन की जा सकती हैं. ज्यादातर लोग अपनी हिफाजत को ही बंदूक खरीदने का कारण बताते हैं. ये अलग बात हैं कि इनमें से कई आगे चलकर हत्यारे निकलते हैं.
हमले में मारे गए एक शख्स की तस्वीर.
कहां से आई अमेरिका में ये गन संस्कृति अमेरिकी इतिहास का ही हिस्सा है ये गन कल्चर. औपनिवेशिक अमेरिका में सबसे पहले इंडियन्स ही थे, जिन्होंने सबसे पहले बंदूकों को पूरी तरह से गले लगाया था. इसमें मास्टरी हासिल की. डेविड जे सिल्वरमैन जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रफेसर हैं. उनकी किताब है एक. थंडरस्टिक्स: फायरआर्म्स ऐंड द वॉयलेंट ट्रान्सफॉर्मेशन ऑफ नेटिव अमेरिका. इसमें वो लिखते हैं. 200 साल से ज्यादा वक्त तक पूरे उत्तरी अमेरिका में इंडियन्स ने बंदूकों के इस्तेमाल से न केवल युद्ध के तौर-तरीके तय किए, बल्कि जिंदगी जीने का तरीका भी इससे ही तय होता रहा. शिकार के तरीके विकसित किए. बाकी इंडियन्स के साथ उनकी कूटनीति भी बंदूकों से तय होती थी. इंग्लैंड, फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड्स जैसी औपनिवेशिक शक्तियों के साथ निपटने का भी उनका ये ही जरिया रहा.
रविवार को हुई मास शूटिंग में ये युवती भी मारी गई. पुलिस ने मरने वाले सभी 59 लोगों में से 56 की पहचान कर ली है.
अधिकांश अमेरिकी बंदूक रखने को बुनियादी आजादी मानते हैं गृह युद्ध के बाद एक कानून पास हुआ. इसमें सभी वयस्क पुरुषों को जरूरत पड़ने पर बंदूक रखने की इजाजत दी गई. इस दौर की कल्पना करें, तो दिमाग में एक काउबॉय की तस्वीर उभरेगी. बंदूक थामे हुए. बंदूकें संघर्ष का प्रतीक थीं. ये सर्वाइवल का प्रतीक बनीं. ये इस दौर की खासियत थी. दौर बीत गया, लेकिन बंदूक के लिए अमेरिकी आबादी का लगाव कम नहीं हुआ. फायर आर्म्स के प्रति अमेरिकी जनता की इस दीवानगी का कनेक्शन इतिहास से जुड़ा है. CNN के एक सर्वे के नतीजे बताते हैं.अमेरिका में जिन लोगों के पास बंदूक है, उनमें से एक तिहाई लोग गन राइट को अपनी बुनियादी आजादी मानते हैं. इसे नियंत्रित करने की गंभीर कोशिश हुई ही नहीं. बल्कि लोगों की इस मानसिकता को बाजार ने अपनी ताकत बना लिया. खूब कैश किया, खूब कैश किया.
मृतकों की आत्मा की शांति के लिए जगह-जगह लोग कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. तस्वीर में नजर आ रही युवती ने भी अपनी टी शर्ट पर लास वेगस शहर के लोगों की हिम्मत बढ़ाने के लिए मैसेज लिखा है.
लास वेगस जैसी घटनाओं के बाद दो तरह की बहस छिड़ती है अब लोग खेल के लिए, शूटिंग के लिए, शिकार के लिए और हिफाजत के लिए फायर आर्म रखते हैं. डकैती जैसे गैरकानूनी कामों के लिए भी बंदूकों का जमकर इस्तेमाल होता है. मास शूटिंग की घटनाएं भी आम हो गई हैं. बंदूकों के कारण हादसे भी आए दिन होते रहते हैं. इनमें भी हजारों लोगों की जान जाती है. छिटपुट होती हैं, तो ज्यादा चर्चा नहीं होती. बड़ी होती हैं, तो कुछ दिन चर्चा होती है. फिर चीजें पहले की तरह चलने लगती हैं. अमेरिका में जितने लोग आतंकवादी घटनाओं में मरते हैं, उससे कहीं ज्यादा लोग गन कल्चर के कारण मारे जाते हैं. अभी लास वेगस में मास शूटिंग हुई. उससे पहले पल्स नाइटक्लब में हुई थी. उसके पहले न्यूटाउन में हुई. उसके पहले कोलंबाइन में हुआ था. जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, तो दो धड़े सामने आते हैं. उनके सवाल शायद हर बार ऐसे ही होते हैं:
पहला: इस तरह की हिंसा खत्म करने के लिए गन कंट्रोल कानूनों को सख्त करना चाहिए
दूसरा: अच्छे और बुरे लोग हर जगह होते हैं. आप चाहे कितने भी सख्त कानून बना लें, बुरे लोग बुरा काम करने के तरीके खोज ही लेंगे.
Lines of hundreds of blood donors stretched out for blocks following the Las Vegas attack. pic.twitter.com/RmsPQuYwIU
— AJ+ (@ajplus) October 4, 2017
लास वेगस शहर के लिए इमारत पर लिखा संदेश और प्यार के पैगाम के तौर पर बांधे गए दिल के आकार के बैलून.
नेवाडा में लोगों ने गन कंट्रोल की पहल की, प्रशासन फेल हुआ पिछले साल नवंबर में नेवाडा के वोटरों ने एक नए गन कंट्रोल कानून को मंजूर करवाया. इसके मुताबिक, निजी तौर पर बंदूक और हथियार बेचने वालों को ग्राहकों का बैकग्राउंड चेक करवाना था. ऐसे ही जैसे लाइसेंसी दुकान वाले कराते हैं. ये एक बड़ी जीत थी. उनकी जो गन कंट्रोल का समर्थन करते हैं. कानून मंजूर तो हुआ, लागू नहीं हुआ मगर. इसके लागू होने से कुछ दिन पहले स्टेट के अटॉर्नी जनरल ने टंगड़ी अड़ा दी. ऐडम पॉल लक्जाल्ट. इन्होंने कहा, नया कानून लागू नहीं किया जा सकता. ये अटॉर्नी जनरल रिपब्लिकन पार्टी के हैं. 2018 में गवर्नर भी बन सकते हैं.
साढ़े 500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इनमें से कई अब भी अस्पताल में भर्ती हैं. लोगों से रक्तदान करने की अपील की जा रही है. बड़ी संख्या में लोग ब्लड डोनेट करने पहुंच रहे हैं.
अमेरिका में गन कंट्रोल कानून सख्त करना बड़ा मुश्किल काम है नेवाडा का ये वाकया एक उदाहरण है. अमेरिका में गन कंट्रोल कानून को सख्त करना लोहे के चने चबाने जैसा काम है. एक तो इसे लेकर आम राय कायम नहीं होती. लोग बिल्कुल बंटे हुए हैं. जब जनता सहयोग करती है, तो प्रशासन पैर पीछे खींच लेता है. गन मार्केट इतना मजबूत है कि इसके आगे कोई भी विरोध चलता नहीं. मौजूदा कानूनों में ही गन कंट्रोल का ज्यादा स्कोप नहीं है. संविधान का दूसरा संशोधन कुछ शर्तों के साथ हथियार रखने का अधिकार देता है. गन-राइट लॉबी इसे खूब भुनाती है. ओबामा ने गन कंट्रोल की बहस शुरू करने और इसे लेकर आम राय कायम करने की कोशिश की. कामयाबी नहीं मिली लेकिन उन्हें. रिपब्लिकन्स तो गन कंट्रोल के सख्त खिलाफ हैं. अव्वल तो उन्हें लगता ही नहीं कि ये कोई बड़ी दिक्कत है. नैशनल रायफल असोसिएशन के घोषित उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप वाइट हाउस में बैठे हैं. बदलाव आए, तो आए कहां से?
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