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अपनी ही पार्टी में अस्तित्व तलाश रहे लालू यादव! एक बार फिर पोस्टर से हटी तस्वीर

Tejaswi Yadav ने 2020 के चुनाव में, Lalu Yadav के दौर में बनी RJD की छवि से उभरने की कोशिश की. उन्होंने लालू के कुछ पुराने फैसलों के लिए माफी भी मांगी. नीतियों में बदलाव किए. हाल में उनके कुछ बयानों से कतराते नजर आए. क्या तेजस्वी फिर से उसी पुरानी स्ट्रेटजी पर चल पड़े हैं?

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राजद कार्यालय के बाहर लगा पोस्टर. (तस्वीर: मोहम्मद कैफ)

बिहार विधानसभा चुनाव 2020. तेजस्वी यादव ने राजद को लीड किया. सिर्फ लीड ही नहीं किया बल्कि खूब जोड़ लगाया. चुनावी सभाओं को संबोधित करने में उस साल रिकॉर्ड बना गए. तेजस्वी का ऐसा क्रेज था कि महागठबंधन में शामिल अन्य दलों के उम्मीदवारों ने भी उन्हें अपने प्रचार के लिए मांगा. उन्होंने औसतन दिन के 16 से 17 सभाओं को संबोधित किया. राजनीतिक हलकों में उनके समर्थक कहा करते कि तेजस्वी ने हेलीकॉप्टर को बैलगाड़ी की तरह दौड़ाया. नतीजा ये निकला कि उनकी पार्टी को बिहार में सबसे ज्यादा सीटें हासिल हुईं. इन सबमें राजद के मुखिया लालू यादव के नाम, तस्वीर और छवि से कन्नी काटी गई. अब जब बिहार में फिर से चुनाव आने वाले हैं, कहा जा रहा है कि तेजस्वी ने वही नीति (Lalu Yadav on RJD Poster) अपनाई है.

पटना स्थित राजद के कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगा है. इस जगह पर लगे उस बड़े साइज के पोस्टर को RJD की वर्तमान नीति या उनके “स्टैंड” से जोड़ा जाता है. राजद ही नहीं बल्कि वीरचंद पटेल मार्ग पर स्थित सभी पार्टी दफ्तरों के बाहर लगे पोस्टर, उस पार्टी की नीतियों या बदलावों के संदेशवाहक होते हैं.

इस बार राजद कार्यालय के बाहर जो पोस्टर लगा है, उससे लालू यादव की तस्वीर गायब है. माना जा रहा है कि तेजस्वी 2020 वाली नीति अपना रहे हैं, जब उन्होंने राजद को “लालू-राबड़ी वाली जंगलराज” की छवि से बाहर निकालने की कोशिश की थी. हालांकि, लालू तब जेल में थे और चुनावी रैलियों में नहीं पहुंच पाए थे. इसके अलावा, लालू के हाल के कई ऐसे बयान भी हैं जिससे तेजस्वी कन्नी काटते दिखे हैं.

"Tejaswi Yadav- नया नेतृत्व, पुराने विचार"

राजद की वर्तमान राजनीति में लालू यादव की प्रासंगिकता क्या रह गई है? राजनीतिक विश्लेषक प्रेम कुमार मणि इस बारे में कहते हैं,

मैं किसी व्यक्ति विशेष पर तो कोई टिप्पणी नहीं करूंगा लेकिन पार्टी की नीतियों पर बात करूंगा. अभी तो लालू यादव ही राजद के चीफ हैं. मैं जब पार्टी में था (2020 के चुनाव में प्रेम कुमार मणि राजद में थे. 2022 में पार्टी से अलग हो गए.), तब भी हमलोग चाहते थे कि तेजस्वी यादव को ही पार्टी को लीड करना चाहिए. वो युवा चेहरे हैं. लालू अब 70 के दशक के नेता रह गए हैं. अब उनकी राजनीति से लोग थक गए हैं. मंडल कमीशन को भी अब करीब 34 साल हो गए हैं. अब सब कुछ बदल गया है. अब उस पुरानी राजनीति के लिए जगह नहीं है.

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उन्होंने आगे कहा,

2020 के चुनाव में लालू यादव को पोस्टर से बिल्कुल अलग रखा गया. तेजस्वी ने जब रोजगार और युवाओं की बात की तो इसका फायदा भी हुआ. भले ही सरकार नहीं बनी लेकिन सबसे ज्यादा सीटें मिलीं. फिर बीच में लालू यादव को लगा कि पार्टी से उनकी पकड़ कमजोर हो गई है तो वो फिर से पार्टी को पुराने रास्त पर ले गए.

प्रेम कुमार मणि ने कहा कि तेजस्वी अब अगर लालू को पोस्टर से हटा भी देते हैं, तो भी अब इसका कुछ खास फायदा नहीं होगा. वो कहते हैं,

देश में अब उस तरह की किसी भी पार्टी का भविष्य नहीं है, जो एक परिवार के केंद्र में है. ऐसे में तेजस्वी फिर से उसी पुराने रास्ते पर चले गए हैं. राजद में भले ही नया नेतृत्व है लेकिन विचार पुराने ही है.

"Lalu कभी अप्रसांगिक नहीं हो सकते"

एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर इस बारे में कहते हैं,

पोस्टर पर लालू की तस्वीर हो या ना हो, इससे उनकी प्रासंगिकता कम नहीं होती. वो मास लीडर हैं. मुझे तो लगता है कि 2020 में जब वो जेल में थे, तब उन्हीं का आइडिया रहा होगा (पोस्टर वाली नीति), ताकि उनके जेल में रहते तेजस्वी एक स्थापित नेता बन जाएं. गांधी मैदान में एक बड़ी सभा की गई. अब वो एक स्थापित नेता हैं.

उन्होंने आगे कहा,

एक तरफ जहां लोग मानते हैं कि तेजस्वी, लालू को ही रिप्रजेंट करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ लोग ये भी मानते हैं कि उनको नीतीश कुमार से प्रशासनिक कुशलता मिली है. इसलिए ऐसा नहीं कह सकते कि पोस्टर से फोटो हटने से उनका महत्व कम होता है. तेजस्वी पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने खुलके माफी मांगी है. सुशील मोदी जब उनको 'भूरा बाल साफ करो' वाला नारा याद दिलाते थे, तब उन्होंने माफी मांगी. उन्होंने A to Z और “MY-BAAP” की पार्टी जैसे नारे भी दिए.

"ये एक प्रैक्टिकल मूव है"

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के प्रोफेसर पुष्पेंद्र कहते हैं,

ये एक प्रैक्टिकल मूव है. लालू की जो भी लीगेसी है लेकिन उनके दौर को “जंगलराज” से जोड़ा जाता है. लालू भले ही कहें कि उन्होंने OBC को रोजगार नहीं दिया पर आवाज दी. लेकिन वर्तमान में राजद को उस छवि से पिंड छुड़ाने की जरूरत है. हालांकि, इससे पार्टी की संपूर्ण राजनीति में लालू की प्रासंगिकता कम नहीं हो जाती. लेकिन बड़े स्तर समीकरण या तालमेल के लिए ये एक बेहतर रणनीति है. राजद को मुस्लिमों का समर्थन है, यादवों का भी है. अब दलित और अगड़े वोटर जो उनसे छिटक गए हैं. उनको साथ लाने के लिए पुरानी छवि से निकलना जरूरी है. साथ ही तेजस्वी अपने बलबूते पर राजनीति करने वाले नेता हैं, इस छवि को भी आगे बढ़ाना है.

लालू की छवि से निकलना चाहते हैं तेजस्वी?

तेजस्वी के विरोधी, वो चाहें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या कोई और नेता… तेजस्वी के विरोध के लिए वो लालू की "जंगलराज" वाली छवि के फॉर्मूले का इस्तेमाल करते हैं. मसलन कि नीतीश जब भी बोलते हैं, कुछ इस तरह अपनी बात शुरू करते हैं- “अरे पहले कुछ था? ये सब हमलोगों ने किया है.” वो लालू यादव के उसी पुराने दौर का जिक्र करते हैं. इसलिए तेजस्वी का प्रयास है कि उन्हें लालू-राबड़ी के उस दौर से अलग करके आंका जाए. वो बार-बार अपने 17 महीने की सत्ता और उस दौरान दिए नौकरियों को दोहराते हैं.

मसलन कि तेजस्वी यादव ने लालू यादव के दौर के कुछ फैसलों के लिए माफी भी मांगी है. 2022 का मई महीना था. पटना के बापू सभागार में परशुराम जयंती के मौके पर भूमिहार-ब्राह्मण एकता मंच ने एक कार्यक्रम रखा था. तेजस्वी ने कहा,

गलती हर किसी से होती है, उस गलती को सुधारने का मौका मिलना चाहिए. रिश्ते बनते-बिगड़ते हैं. हम आपके (भूमिहार-ब्राह्मण समाज) साथ हाथ बढ़ाने आए हैं.

लालू की राजनीति के पुराने दौर को अगड़ो के खिलाफ और पिछड़े-दलितों को लामबंद करने से जोड़ा जाता है. तेजस्वी इसके विपरित गए और उन्होंने ब्राह्मण-भूमिहार समाज के लोगों को भी जोड़ने का प्रयास किया. टिकट बंटवारे में भी उन्होंने इस बात का ध्यान रखा. 2022 में ही बिहार विधान परिषद के चुनाव हुए थे. राजद ने 21 में 5 सीटों पर भूमिहार उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 3 को जीत भी मिली थी. आगे भी उन्होंने इस समीकरण को बनाए रखने का प्रयास किया है.

Lalu Yadav के हाल के बयान

पत्रकारों के पूछे जाने पर लालू ने नीतीश के लिए राजद के दरवाजे खुले होने पर सहमति दे दी थी. और INDIA गठबंधन के नेतृत्व के बदलाव पर भी उन्होंने बयान दिया था. ऐसे बयानों पर तेजस्वी ने कुछ इस तरह सफाई दी- “अरे! वो तो ऐसे ही कह देते हैं. पत्रकार बार-बार उनसे पूछते रहते हैं तो उनको चुप कराने के लिए कह देते हैं.”

इस मामले पर राजद का पक्ष जानने के लिए लल्लनटॉप ने पार्टी के कई प्रवक्ताओं से संपर्क किया. एजाज अहमद ने कहा कि वो पटना से बाहर हैं और इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. शक्ति यादव ने कहा कि वो किसी कार्यक्रम में व्यस्त हैं और अभी बात नहीं कर सकते. पार्टी की ओर से जवाब आने पर उसे स्टोरी में जोड़ दिया जाएगा.

वीडियो: बीजेपी ने तेजस्वी यादव पर AC और टोटी गायब करने का लगाया आरोप, RJD ने अब ये जवाब दिया