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इतने आसान तरीके से मुझे किसी ने इनकम टैक्स का ताम-झाम नहीं समझाया

2018-19 आम बजट आने ही वाला है, तैयारी कर लीजिए!

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हम सब जानते हैं कि दुनिया की तरह ही भारत में भी अलग-अलग तरह के सैकड़ों टैक्स होते हैं. पिछले साल चर्चा में रहा जीएसटी भी एक तरह का टैक्स है, जिसने अलग-अलग तरह के सैकड़ों टैक्स अपने में मर्ज कर लिए थे. इसी तरह 'इनकम टैक्स', जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, आपकी इनकम यानी आय पर लगने वाला टैक्स या कर है.
'इनकम टैक्स' से संबंधित टर्मीनलॉजी जैसे कि - टैक्स रिटर्न, टैक्स रिबेट, सेक्शन 80C वगैरह - सब अगले लेवल की बातें हैं जो तब तक हमको समझ नहीं आनी जब तक हमको इनकम टैक्स की बेसिक जानकारी न हो जाए. और एक बार हमको इनकम टैक्स की पूरी गणित समझ आ गई तो बाकी चीज़ें हमारे लिए बाएं हाथ का खेल होंगी – फिर चाहे बात इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने की हो या रिबेट पाने की. तो आइए हम इनकम टैक्स का सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण पाठ सबसे आसान भाषा में जानते हैं.
इनकम टैक्स को कैलक्यूलेट करना इसलिए मुश्किल है क्यूंकि इसमें साधारण अंक-गणित से इतर छः और कैलकुलेशन यानी छः और दिक्कते हैं. इन छः दिक्कतों को बताने से पहले आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहेंगे
  • ये दिक्कतें टैक्स कैलक्यूलेट करने भर की हैं, लेकिन इन कैलकुलेशन की दिक्कतों के वजह से ही इनकम टैक्स और अधिक 'सामजिक' हो पाता है और एक निम्नवर्गीय के ऊपर मध्यमवर्गीय और उच्च वर्गीय की तुलना में अपेक्षाकृत कम भर पड़ता है.
  • हर बजट में इनकम टैक्स का स्लैब और राशियां बदलती रहती हैं, लेकिन फिर भी एक बार आपको नीचे बताई गईं छः चीज़ें आ गईं तो इनकम टैक्स कैलक्यूलेशन में बस संख्याएं बदलने की जरूरतें पड़ेंगी.



कैलक्यूलेशन # 1:

स्लैब
इनकम टैक्स कैलकुलेट करना इसलिए मुश्किल है क्यूंकि ये ‘फ्लैट’ नहीं है. फ्लैट क्या होता है आइये समझें :-
यदि भारत में इनकम टैक्स ‘दस प्रतिशत फ्लैट’ होता तो आपकी वार्षिक आय जो भी होती उसमें से दस प्रतिशत काट के आपको मिल जाता. उदहारण स्वरूप यदि आपकी आय एक लाख रूपये वार्षिक होती तो दस हज़ार रूपये काट के बाकी का नब्बे हज़ार आपको मिल जाता.
लेकिन इससे इतर भारत (और लगभग हर देश) में टैक्स के 'स्लैब', या हिंदी में कहें तो स्तर/श्रेणियां, हैं. यानी एक निश्चित राशी तक कुछ और टैक्स और उसके बाद कुछ और. नीचे हमने वर्ष 2017-18 के विभिन्न स्लैब दिए हुए हैं. और उनकी काल्पनिक 'फ्लैट टैक्स प्रणाली' से तुलना भी की है:
Income Tax Slab - 1
सभी आय वार्षिक आधार पर हैं.



कैलक्यूलेशन # 2:

एक 'कैच'
केवल टैक्स स्लैब ही दिक्कत नहीं है, टैक्स स्लैब में भी एक 'कैच' है. इस कैच को एक सिंपल से उदहारण से समझते हैं:
ऊपर दिए गए टैक्स स्लैब के हिसाब से यदि आपकी सालान इनकम बीस लाख है तो आपका टैक्स कटना चाहिए – बीस लाख का तीस प्रतिशत यानी – छः लाख.
...लेकिन नहीं!
आपका टैक्स काटने के लिए आपको हर स्लैब से गुज़रना होगा. आइए बताते हैं कैसे –
# अपने बीस लाख रुपयों को लेकर पहले स्लैब से गुजरिए और ढाई लाख वहां पर छोड़ दीजिए  –  इन ढाई लाख तक आपको कोई टैक्स नहीं देना है.

# अब आपके पास बचे हैं साढ़े सत्रह लाख इसमें से ढाई लाख आप दूसरे स्लेब में छोड़ दीजिए – इन ढाई लाख का टैक्स हुआ पांच प्रतिशत के हिसाब से – 12,500.

# अब आपके पास बचे हैं पन्द्रह लाख और आप आ गए तीसरे स्लैब में यहां पर छोड़ दीजिए पांच लाख और – इन पांच लाख का टैक्स हुआ बीस प्रतिशत के हिसाब से – 100,000.

# अब भी आपने पास बचे है दस लाख और आप हैं चौथे स्लैब में. ये अंतिम स्लैब है और इसलिए बचे हुए दस लाख रुपए का तीस प्रतिशत के हिसाब से टैक्स हुआ – 300,000.
तो आपका टोटल टैक्स हुआ – 412,500 ( 12,500 + 100,000 + 300,000) न कि 600,000. तो कैलकुलेशन तो ज़्यादा करना पड़ा लेकिन पैसे काफी बच गए. नहीं?
Income Tax Slab - 2



कैलक्यूलेशन # 3: 

87 A रिबेट या छूट
ये भी गणित के हिसाब से तो दिक्कत है लेकिन इसका भी अन्य की तरह ही आर्थिक फायदा ही है.
# सबसे महत्वपूर्ण बात - यदि आपकी कुल आय तीन लाख पचास हज़ार से कम है तभी ये रिबेट(छूट) मिलेगी. तो एक सिंपल बात – यदि आपकी आय तीन लाख पचास हज़ार या उससे अधिक है तो इस कैल्क्यूलेशन में पड़िए ही नहीं और सीधे चौथी दिक्कत या कैल्क्यूलेशन पर स्किप कीजिए.

# दूसरी महत्वपूर्ण बात – 87 A के अंतर्गत आपको महत्तम 2,500 रुपए की छूट मिलती है.
अब देखिए ढाई लाख वार्षिक आय पर तक तो आपको वैसे ही छूट मिल रही है. तो, 87 A का दायरा हो जाता है – ढाई से साढ़े तीन लाख तक.
  • जिसकी आय तीन लाख होगी उसे भी 2,500 रूपये का रिबेट मिलेगा क्यूंकि तीन लाख आय वाले को अन्यथा इनकम टैक्स यूं देना पड़ता = (300,000 – 250,000)x5/100 = 2,500 (जब हमने दूसरी कैलक्यूलेशन डिस्कस की तो जाना कि ढाई लाख तक कोई टैक्स नहीं और बाकी पर पांच प्रतिशत)
  • और, जिसकी आय तीन लाख पचास हज़ार होगी उसे भी 2,500 रूपये का रिबेट मिलेगा. क्यूंकि महत्तम 2,500 रुपए की छूट मिलती है.
तो ये सवाल उठता है कि जब तीन लाख वार्षिक आय वाले और तीन लाख पचास हज़ार वार्षिक आय वाले, दोनों को ही 2,500 रूपये की छूट मिल रही है तो 87 A रिबेट का स्लैब तीन लाख पचास हज़ार क्यूं रक्खा गया है, तीन लाख क्यूं नहीं?
उत्तर बहुत सिंपल है – तीन लाख पचास हज़ार तक की आय उसमें रखी गई है क्यूंकि उसके बाद यदि आपकी आय एक रुपया भी अधिक हुई तो 87 A के अंतर्गत एक रुपया भी इनकम टैक्स रिबेट नहीं मिलेगा. अब यदि तीन लाख स्लैब रखा जाता तो तीन लाख एक रुपए वाले को भी रिबेट नहीं मिलता. अभी कम से कम ढाई हज़ार ही सही, या तीन लाख के अमाउंट के ऊपर ही सही, रिबेट तो साढ़े तीन लाख तक की आय वालों को भी मिल रहा है न?
Income Tax Slab - 3



कैलक्यूलेशन # 4:

सरचार्ज
- यदि आपकी आय पचास लाख (वार्षिक) से कम है तो इस दिक्कत/कैल्क्यूलेशन को स्किप कीजिए. लेकिन यदि आपकी आय पचास लाख से अधिक है तो जो भी टैक्स बना ऊपर के चार कैल्क्यूलेशन के बाद उस टैक्स का दस प्रतिशत आपको और देना पड़ेगा. और यदि आपकी आय एक करोड़ से अधिक है तो आपको, जो भी ऊपर के चार कैल्क्यूलेशन के बाद टैक्स बना उस टैक्स का पन्द्रह प्रतिशत और देना पड़ेगा.
Income Tax Slab - 4



कैलक्यूलेशन # 5:

सेस!
सेस भी एक तरह का टैक्स ही है बस इसमें और टैक्स में अंतर यही होता है कि CESS (सेस) किसी विशेष प्रयोजन के लिए होता है और यदि उस विशेष प्रयोजन के लिए जितने रुपए चाहिए होते हैं उतने इकट्ठे हो जाएं तो CESS लिया जाना बंद हो जाता है.
ये सब आर्दश परिभाषाएं हैं, हम अपने कैलकुलेशन की तरफ लौटते हैं.
CESS गणितीय हिसाब से सबसे छोटी दिक्कत है. बस जो भी ऊपर के गुणा भाग से इनकम टैक्स बना आपका उसका तीन प्रतिशत सरकार को और दे दीजिए, तो सेस भी हो गया.


कैलक्यूलेशन # 6:

मार्जिनल रिलीफ:
एक स्थिति पर गौर करें - यदि आपकी इनकम है पचास लाख तब आपको कुछ भी सरचार्ज नहीं देना लेकिन यदि आपकी इनकम हो गई पचास लाख दस रूपये तो पूरे टैक्स पर सरचार्ज हो गया 10 प्रतिशत यानी तनख्वाह बढ़ी दस रुपए और टैक्स बढ़ गया लगभग एक लाख पैंतीस हज़ार रूपये. तो इससे अच्छा तो आप अपने बॉस से कहोगे कि मेरी दस रुपया तनख्वाह बढ़ाओ ही मत (वो भी सालाना).
तो इस स्थिति से निपटने के लिए होता है -  मार्जिनल रिलीफ. मतलब जब आप सरचार्ज के दायरे में आएं तो यह सुनश्चित करने के लिए कि जितनी आपकी इनकम बढ़ी उससे ज़्यादा कहीं आपका टैक्स न बढ़ जाए आपको मार्जिनल रिलीफ दिया जाता है, या टैक्स में छूट दी जाती है.

अंततः : ऊपर के सभी तरह के कैलक्यूलेशन्स में टैक्स रिबेट आदि को नहीं लिया गया है और केवल विशुद्ध इनकम टैक्स की बात की गई है. यदि आप 80C या इनकम टैक्स की ऐसी किसी अन्य धारा के अंतर्गत आयकर में छूट पाते हैं तो आपको उसी के अनुसार अपने कैलकुलेशन करने होंगे. लेकिन फिर भी ऊपर की छः गणनाओं से आपको पूरी सहायता मिलेगी.




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