ये उस दहशत भरे नाम की कहानी है, जिसने डेढ़ दशक तक दक्षिण के दो राज्यों की सरकारों की सांसों को सांसत में रखा. वो, जिसने डीएसपी को किडनैप करके एक हजार करोड़ की फिरौती मांगी. जिसने दाई को इशारा किया और अपनी दुधमुंही बच्ची को मरवा डाला, क्योंकि वो नहीं चाहता था कि जंगल में उसे तलाशती पुलिसिया बूटों की आवाज़, रोती हुई बच्ची की आवाज सुनकर, उसके नजदीक आ जाए. ये वीरप्पन की कहानी है. वो हत्यारा जिसने एक फॉरेस्ट अधिकारी की हत्या की और उनके सर को धड़ से अलग कर उससे फुटबॉल की तरह खेलता रहा. जिसे साल 2004 में अक्टूबर के एक दिन 338 राउंड फायर के बाद मार डाला गया. आज उसी वीरप्पन के आतंक की, एक ऐसी कहानी, जिसे सुनकर समझ आएगा कितना खतरनाक था वो दौर! आज की किताब है, वीरप्पन को मारने वाली तमिल नाडु स्पेशल टास्क फ़ोर्स के मुखिया रहे, के. विजय कुमार की लिखी किताब, “वीरप्पन: चेजिंग दी ब्रिगांड”. इसे छापा है, रूपा प्रकाशन ने. देखें वीडियो.