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संविधान में 'केरल' लिखा है तो नाम बदल कर 'केरलम' क्यों किया जा रहा?

इससे पहले, 2023 के अगस्त महीने में भी पिनाराई विजयन सरकार ने नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था.

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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन.

सोमवार, 24 जून को केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया कि संविधान में राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ (Keralam) किया जाए. साल भर के समय में ये दूसरी बार है, जब ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है. इससे पहले, 2023 के अगस्त महीने में भी पिनाराई विजयन सरकार ने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था.

इस बार पारित हुए प्रस्ताव में लिखा है,

"मलयालम में हमारे राज्य का नाम केरलम है... हालांकि, संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल लिखा गया है. ये विधानसभा सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से अनुरोध करती है कि संविधान के अनुच्छेद-3 के तहत राज्य का नाम बदलकर केरलम किया जाए."

दरअसल, पिछले प्रस्ताव में एक कमी रह गई थी. पिछली बार ये मांग तो की कई थी कि संविधान की पहली अनुसूची में संशोधन किया जाए. तो इसका मतलब था कि आठवीं अनुसूची (आधिकारिक भाषाओं की सूची) में भी संशोधन करना होगा. लेकिन प्रस्ताव में ये बात स्पष्ट नहीं लिखी थी. इसीलिए प्रस्ताव को संशोधित किया गया और फिर से पेश किया गया है.

केरलम की कहानी

1920 के दशक में संयुक्त मलयालम भाषी राज्य या 'ऐक्य केरल आंदोलन' की मांग ने पहली बार ज़ोर पकड़ा. तब मलयालम बोलने वाले त्रावणकोर और कोचीन की रियासतों में फैले हुए थे. कुछ मद्रास प्रेसीडेंसी के मालाबार ज़िले में भी थे. आंदोलन का मक़सद था कि तमाम मलयालम भाषियों के लिए भाषाई आधार पर एक अलग राज्य बने.

रामकृष्ण पिल्लै जैसे नेताओं के नेतृत्व में ये शांतिपूर्ण आंदोलन तीन दशकों तक चलता रहा. आज़ादी के बाद 1949 में दो रियासतों को मिलाकर त्रावणकोर-कोचीन राज्य बनाया गया. फिर अंततः 1956 में मलयालम-भाषियों के लिए एक राज्य का गठन किया गया. राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत, मद्रास के दक्षिण कनारा ज़िले में कासरगोड, मद्रास के मालाबार ज़िले और त्रावणकोर-कोचीन को मिलाकर 'केरल' राज्य बनाया गया. केरल के नेता कहते हैं कि राज्य का मूल नाम उनकी भाषा में 'केरलम' था, और संविधान की आठवीं अनुसूची में इसे केरल (Kerala) कर दिया गया.

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केरला, असल में केरलम का अंग्रेज़ी संस्करण है. जैसे, इलाहाबास का अलाहाबाद और ठाकुर का टैगोर. 'केरलम' शब्द की जड़ों से कई थियरीज़ नत्थी की जाती हैं. मसलन,

- एक थियरी है कि केरलम चेर साम्राज्य से आया. चौथी से तीसरी BCE के दौरान - चोल और पांड्यों के समकक्ष - पश्चिमी घाट में एक राजवंश था, चेर. उन्होंने अपने राज में राज्य का नाम चेरलम रखा. पीएस सचिनदेव की पुस्तक 'कल्चर एंड मीडिया: इकोक्रिटिकल एक्सप्लोरेशन' के मुताबिक़, समय के साथ चेरलम हो गया केरलम.

- इसी किताब में एक और थियरी लिखी है. दरअसल, नारियल को आंचलिक भाषा में ‘केर’ कहते हैं. तो केर की ज़मीन से बना केरलम. ('चेर' को लेकर एक और थियरी है. ये एक पुराने तमिल शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है ‘जुड़ना’.)

- जर्मन भाषाविद् डॉ. हरमन गुंडर्ट के मुताबिक़, कन्नड़ा में ‘केरम’ शब्द का अर्थ ‘चेरम’ होता है.

नाम बदली की राजनीति नई नहीं है. आजकल तो ख़ासी लोकप्रिय है. केरल के लिए भी 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीएस अच्युतांदन ने कई अन्य विधायकों के साथ इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन कोई प्रस्ताव पारित नहीं हो सका.

दरअसल, राज्य का नाम बदलने के लिए संसद की मंज़ूरी चहिए होती है, और ये एक जटिल प्रक्रिया है. पश्चिम बंगाल ने भी 2011 और 2016 में राज्य का नाम बदलकर 'पश्चिम बंग' करने की कोशिश की थी, लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया था. नाम बदलने का सफल प्रयास हाल के वक़्त में 'ओडिशा' था. साल 2011 में उड़ीसा (Orissa) को ओडिशा (Odisha) कर दिया गया है.

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