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35 साल से कैद आदमी को नाइट्रोजन से दी जा रही मौत, पूरी दुनिया में हो रहा विरोध!

अमेरिका में पहली बार नाइट्रोजन गैस से दी जाएगी मौत की सज़ा.

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लोग कैपिटल पनिशमेंट के ख़िलाफ़ विरोध कर रहे हैं. (फ़ोटो - एजेंसी)

अमेरिका का दक्षिणपूर्वी राज्य अलबामा. एक व्यक्ति पर सुपारी लेकर हत्या के आरोप लगे थे. साल 1996 में एक जूरी ने 11-1 से सिफ़ारिश की थी, कि आरोपी को उम्रक़ैद की सज़ा दी जाए. जज ने जूरी के फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया और मौत की सज़ा दे दी. ये प्रथा अब क़ानूनी नहीं है. लगभग तीन दशक बाद अब अलबामा सरकार आरोपी को सज़ा-ए-मौत देने के नए तरीक़े खोज रही है. पहले ज़हरीले रसायनिक इंजेक्शन देना तय किया गया, पर इंजेक्शन देने वालों को उनकी नस ही नहीं मिली. तो अब अमेरिकी प्रशासन उसे नाइट्रोजन के ज़रिए मारेगा. प्लास्टिग बैग पहनाएगा और जबरन उसके नथूनों में नाइट्रोजन गैस ठूसी जाएगी.

अमेरिका के 25 जनवरी, 2024 - यानी हमारे 26 - को उसकी मौत का दिन तय किया गया है.

केस क्या है?

जूरी की सिफ़ारिश और जज के फ़ैसले से 7 साल पहले की बात है. मार्च, 1988. गार्डियन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, स्मिथ और उनके एक साथी जॉन पार्कर ने पैसों के लिए एक धर्म उपदेशक की पत्नी एलिज़ाबेथ सेनेट की हत्या कर दी थी. दोनों ने पहले उन्हें चाकू मारा और फिर पीट-पीटकर मार डाला. स्मिथ और उनके साथी को इसके लिए एक-एक हज़ार डॉलर दिए गए थे. जांच शुरू हुई. जांच में पता चला कि एलिज़ाबेथ के पति चार्ल्स सेनेट का अफे़यर चल रहा था, वो क़र्ज़ में डूबा हुआ था और उसने अपनी पत्नी के नाम पर बीमा लिया हुआ था. शक की सब सुइयां उसी पर थीं. हफ़्ते भर बाद चार्ल्स सेनेट ने आत्महत्या कर ली.

स्मिथ हत्या का एक आरोपी था, जिसे किसी ने चार्ल्स से मिलवाया था. मुक़दमा शुरू हुआ. स्मिथ ने ये तो स्वीकार किया कि वो एलिज़ाबेथ सेनेट को पीटने गया था, हत्या के इरादे से इनकार किया. अगले साल, 1989 में उनका दोष सिद्ध हो गया. जूरी ने उसे आजीवन कारावास देने की सिफ़ारिश की, लेकिन जज ने उसे सज़ा-ए-मौत सुनाई.

हालांकि, 1992 में उसकी दोषसिद्धि और मौत की सज़ा को पलट दिया गया, क्योंकि राज्य ने जाति के आधार पर कई संभावित जूरी सदस्यों को बाहर कर दिया था. तब तक ये केस चर्चा में आ चुका था. अख़बारों में जमकर कवरेज हो रही थी, रिहाइशियों की नज़र भी केस पर थी.

जूरी के ख़िलाफ़ दोबारा गए जज

1996 में स्मिथ पर एक बार फिर जेफ़्रसन काउंटी में हत्या का मुक़दमा चलाया गया. इस बार भी उसका पक्ष वही- 'पीटने गया था, जान से मारने नहीं'. बचाव पक्ष ने भी यही तर्क दिया कि अगर केनेथ स्मिथ ने जानबूझकर एलिज़ाबेथ सेनेट की हत्या नहीं की, तो उसे मौत की सज़ा नहीं दी जा सकती. मुक़दमे के दौरान पुलिस और जांच एजेंसियां ख़ून और उंगलियों के निशान जैसे अहम फ़ॉरेंसिक या ठोस साक्ष्य नहीं पेश कर पाईं. ये तक साबित हो गया कि हत्या के लिए इस्तेमाल किया गया चाकू स्मिथ के साथी जॉन पार्कर का था.

मगर अलबामा के क़ानून के तहत, एक व्यक्ति किसी दूसरे के आपराध के लिए क़ानूनी रूप से जवाबदेह माना जाएगा, अगर उसने अपराध में उसका साथ दिया हो या बढ़ावा दिया हो. हालांकि, बचाव पक्ष ने तर्क किया कि भले ही स्मिथ का इरादा सेनेट को चोट पहुंचाने का था. लेकिन उस पर तब तक हत्या का आरोप नहीं लगाया जा सकता, जब तक कि ये न साबित हो कि उसने हत्या के 'इरादे' से हमला किया हो.

स्मिथ के पक्ष में भी कुछ गवाहियां भी हुईं. लेकिन अप्रैल, 1996 में स्मिथ को कैपिटल मर्डर का दोषी ठहराया गया. जूरी ने सिफ़ारिश की, कि उसे परोल के बिना उम्रक़ैद दी जाए. मगर यहां भी जज नहीं माने. जूरी की सिफ़ारिश को ख़ारिज कर दिया और उसे बिजली के झटके से मौत की सज़ा सुना दी.

उसके साथी जॉन पार्कर पर भी मुक़दमा चला और उस बिचौलिए - बिली विलियम्स - पर भी, जिसने उसे चार्ल्स सेनेट से मिलवाया था. विलियम्स को बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई और जॉन पार्कर को मौत की सज़ा. जून, 2010 में जॉन पार्कर को फांसी दे दी गई. 10 साल बाद, 2020 में विलियम्स की जेल में मौत हो गई.

क्या कहता है केनेथ स्मिथ?

केनेथ स्मिथ जेल में रहा. साढ़े तीन दशक से जेल में ही है. बस इस डर से कौंधता है कि कब उसका दिन आएगा.

"काश मैंने कुछ चीज़ें न की होतीं या अलग तरीक़े से की होतीं. आदमी के जीवन में एक सेकंड, एक क्षण सब कुछ तय कर सकता है. और, यही एकमात्र घटना रही है. 35 सालों के कारावास में मेरी अफ़सरों से कभी झड़प नहीं हुई. क़ैदियों के साथ कभी लड़ाई नहीं हुई."

फिर भी अलबामा और पूरे अमेरिका में कई लोगों का मानना है कि उसने जो किया उसके लिए वो सज़ा का हक़दार है. वो उनसे क्या कहता है?

"मैं 35 साल से जेल में हूं. मुझे सज़ा कैसे नहीं मिली? पैंतीस साल! मैं 35 सालों से सज़ा काट रहा हूं."

केनेथ स्मिथ का परिवार है. पत्नी हैं, मां हैं और एक बेटा है.

नवंबर, 2020 में उसकी मृत्यु का दिन मुक़र्रर किया गया था. स्मिथ को 'हॉलमैन करेक्शनल फैसिलिटी' नाम की जेल के एक कथित 'डेथ चैम्बर' में ले जाकर ज़हरीले रसायन के इंजेक्शन लगाए जाने थे, लेकिन वे इसमें नाकाम रहे. इंजेक्शन देने वालों को उनकी नस नहीं मिल रही थी. स्मिथ के वकीलों का कहना था कि सज़ा देने वालों ने स्मिथ के शरीर में असंख्य जगह इंजेक्शन चुभो दिए थे.

आख़िरकार नस न मिल पाने की वजह से इंजेक्शन नहीं दिया जा सका और उस रोज़ डेथ वॉरंट निरस्त हो गया. लेकिन अलबामा प्रशासन उन्हें एक बार फिर मौत देने जा रहा है.

कैसे होती है नाइट्रोजन से मौत?

अमेरिका में 27 राज्य मृत्युदंड की अनुमति देते हैं. सबसे आम तरीका घातक इंजेक्शन है. हालांकि, कुछ राज्य असल में मृत्युदंड नहीं देते हैं. मसलन, आठ राज्यों में राज्यपालों या अदालतों ने फांसी रोक दी है.

जिस नई विधि से अलबामा में स्मिथ को मारा जाने वाला है, उसे नाइट्रोजन हाइपोक्सिया कहते हैं. इसमें क़ैदी को प्लास्टिक बैग पहनाया जाता है. पाइप के ज़रिए नाइट्रोजन डाली जाती है. नाइट्रोजन हवा में होती ही है, लेकिन इतनी उच्च सांद्रता की नाइट्रोजन जब इंसान के अंदर जाती है, तो इससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और अंततः मृत्यु हो जाती है.

ये एक ऐसी तकनीक है, जिसे पशु चिकित्सक किसी जानवर की इच्छामृत्यु के लिए भी नैतिक आधार पर ख़ारिज करते हैं. केवल सूअरों को ऐसे मारा जाता है. इस विचार को शुरुआत में 2015 में ओक्लाहोमा ने अपनाया था, लेकिन फिर इसे जारी नहीं रखा.

चेताया ये भी गया है कि अगर सील सही नहीं लगी, तो ऑक्सीजन मास्क में घुस सकती है और लंबी-कष्टदायक मौत का सबब बन सकती है. शरीर में भारी मरोड़ उठ सकते हैं. हो सकता है कि गैस लीक हो जाए और कमरे में मौजूद लोगों को भी मार दे. स्मिथ के वकील भी चपेट में आ सकते हैं, क्योंकि वो भी उस समय मौजूद रहेंगे.

स्मिथ कहते हैं,

"उन्होंने मुझे ठीक होने का मौक़ा ही नहीं दिया. मैं अभी भी पहली सज़ा के ख़ौफ़ से पीड़ित हूं और अब मुझे दोबारा मरने जाना है. वो मुझे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर भी नहीं होने देंगे. आप समझ रहे हैं, ये एक सतत स्ट्रेस-डिसऑर्डर है, जो चला ही जा रहा है.

ऐसा करने वाला व्यक्ति संभवतः एक राक्षस के रूप में देखा जाएगा. लेकिन जब सरकार ऐसा करती है, तो आप जानते हैं, ये कुछ और ही हो जाता है."

कैपिटल पनिशमेंट की मुख़ालफ़त करने वाले सड़कों पर सज़ा को कम करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन जब सरकार ऐसा करती है…