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8000 करोड़ रुपये का कर्जा लेकर देश से निकल रहे थे नरेश गोयल, पत्नी संग फ्लाइट से धर लिए गए

और ये नरेश गोयल कोई और नहीं जेट एयरवेज कंपनी के मालिक रहे हैं.

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कभी देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज के मालिक रहे नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता गोयल को फ्लाइट से उतारकर हिरासत में ले लिया गया है.
25 मई, 2019. शाम के करीब 3 बजकर 25 मिनट हो रहे थे. मुंबई से दुबई जाने के लिए एमिरेट्स की फ्लाइट EK 507 छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने के लिए तैयार थी. उड़ान का वक्त था शाम के 3 बजकर 35 मिनट. पैसेंजर बैठ चुके थे. सेफ्टी एनाउंसमेंट हो चुके थे. लेकिन फिर फ्लाइट के पायलट को एक सिग्नल मिला और उसने फ्लाइट रोक दी. वो फ्लाइट को रनवे से घुमाकर पार्किंग में ले आया. फ्लाइट में कुछ और लोग चढ़े. ये सिक्योरिटी ऑफिसर और इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के अधिकारी थे. उन्होंने फ्लाइट में सवार एक महिला और एक पुरुष को अपने साथ चलने को कहा. दोनों लोग उनके साथ चले आए और फिर दोनों लोगों को हिरासत में ले लिया गया.

नरेश गोयल पर अलग-अलग बैंकों का करीब 8 हजार करोड़ रुपये का बकाया है.

किसी को भी कुछ समझ नहीं आया. करीब डेढ़ घंटे के बाद फ्लाइट फिर से उड़ गई. लेकिन ये दो लोग हिरासत में ही थे. ये दोनों लोग पति-पत्नी थे, जिनका नाम था नरेश गोयल और अनीता गोयल. देश की सबसे बड़ी विमान कंपनियों में से एक जेट एयरवेज के मालिक और मालकिन, जिनपर सरकारी बैंकों का करीब 8 हजार करोड़ रुपये का बकाया है. बकाए की राशि और देश छोड़ने की आशंका को देखते हुए सरकार की ओर से नरेश गोयल और उनके परिवार वालों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था. लेकिन नरेश गोयल और उनकी पत्नी किसी तरह से फ्लाइट पकड़ चुके थे. नरेश गोयल को मुंबई से दुबई और फिर वहां से लंदन चले जाना था. लेकिन एजेंसियों की सतर्कता ने नरेश गोयल को भागने से रोक लिया.
देश छोड़कर क्यों भाग रहे थे नरेश गोयल?
Naresh Goyal, Founder Chairman of Jet Airways poses with Jet Airways Airbus at Sahar International Airport in Mumbai, Maharashtra, India
सितंबर, 2018 तक जेट एयरवेज पर करीब 13 हजार करोड़ रुपये का बकाया था.

कंपनी सितंबर, 2018 तक 13 हजार करोड़ रुपए के घाटे में थी. कंपनी पर इस वक्त करीब 8 हजार करोड़ रुपए कर्ज है. कंपनी को मार्च 2019 तक 3120 करोड़ रुपए का लोन चुकाना था. वो नहीं चुका पाई. 120 विमानों वाली जेट एयरलाइन कर्मचारियों को सैलरी और कर्ज का ब्याज तक नहीं दे पाई. जेट की उड़ान चलती रहे, इसके उसे फौरन 3500 करोड़ रुपए की जरूरत थी, लेकिन पैसे नहीं मिले. नतीजा हुआ कि 17 अप्रैल, 2019 से फ्लाइट बंद हो गई. बैंकों ने पैसे देने से इन्कार कर दिया. बैंकों ने नरेश गोयल से कहा कि पहले अपना रिवाइवल का प्लान बताए फिर देखेंगे. नरेश गोयल प्लान नहीं बता पाए. इमरजेंसी लोन के लिए बैंकों से गुहार लगाई, लेकिन जवाब मिला कि पहले वो शेयर बेचकर पैसा जुटाएं फिर नया कर्ज मिलेगा. नरेश गोयल को जब हर तरफ से नाकामी हाथ लगी, तो देश छोड़ने की सोची. सोचा कि विदेश जाकर एतिहाद और हिंदुजा समूह के अधिकारियों से बात करें. ये इसलिए भी था कि मई के दूसरे हफ्ते में हिंदुजा समूह ने कहा था कि वह जेट एयरवेज में निवेश करने पर ध्यान दे रही है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका. नरेश गोयल और अनीता गोयल विदेश जा पाते, उससे पहले ही धर लिए गए.
ट्रैवल एजेंसी का क्लर्क, जिसने बनाई एयरलाइंस कंपनी
Naresh Goyal, Chairman of Jet Airways ( Aviation, Portrait )
नरेश गोयल ट्रैवल एजेंसी में क्लर्क रहे थे.

1991-92 के दौर में जब भारत में उदारिकरण की शुरुआत हुई तो एक ट्रैवल एजेंसी में क्लर्क रहे नरेश गोयल ने 1992 में जेट एयरवेज कंपनी बनाई. 1993 में टैक्सी ऑपरेटर के तौर पर उड़ान शुरू की और साल 1995 आते-आते जेट एयरवेज एक फुल फ्लैज्ड एयरलाइन कंपनी के तौर पर काम करने लगी. कंपनी का मुख्यालय मुंबई में था. 2005 में कंपनी अपना आईपीओ लेकर आई. आईपीओ यानी इनीशियल पब्लिक ऑफर कोई कंपनी तब लेकर आती है, जब वो शेयरों के जरिए पहली बार आम जनता को अपनी हिस्सेदारी बेचती है. साल 2010 आते-आते जेट देश की सबसे बड़ी एयलाइन कंपनी बन गई. इस बीच साल 2007 में जेट ने उस वक्त की दिग्गज एयरलाइंन कंपनी सहारा का अधिग्रहण कर लिया. साल 2012 तक जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी बनी रही.
कभी सबसे बड़ी कंपनी थी, फिर क्यों आई ऐसी नौबत?
2012 में जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी बन गई थी.
2012 में जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी बन गई थी.

साल 2008 से दुनिया के तमाम देशों को इकनॉमिक स्लोडाउन यानी आर्थिक मंदी ने अपनी चपेट में ले लिया था. दुनिया भर की तमाम एयरलाइंस इसकी चपेट में आती जा रही थीं. जेट एयरवेज भी इससे अछूती नहीं रही. साल 2011-12 में जेट एयरवेज को 1 हजार 236 करोड़ रुपए का घाटा हुआ. इस घाटे के साथ ही नरेश गोयल को लग गया कि हालात जल्दी न संभाले गए, तो और बिगड़ सकते हैं. लंदन में रहने वाले नरेश गोयल ने अपने परिवार के साथ दुबई में बसने का फैसला लिया. अब तक किंगफिशर पूरी तरह बैठ चुकी थी. इस बीच भारत सरकार ने साल 2012 में ही देसी विमान सेवाओं में 49 फीसदी विदेशी निवेश यानी विदेशी पैसा लगाने की इजाजत दे दी. नरेश गोयल ने सरकार की पॉलिसी का फायदा उठाया. अबूधाबी की कंपनी एतिहाद एयरवेज को 24 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी. साल 2013 में ये हिस्सेदारी 2058 करोड़ रुपए में बेची गई. इस सौदे से नरेश गोयल को बड़ी उम्मीदें थीं. उनका मानना था विदेशी पैसा लगते ही जेट एयरवेज संकट से निकल आएगी. अब तक जेट एयरवेज की हालत इतनी खराब हो गई कि उसको कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ने लगे. मगर नरेश गोयल का अनुमान सही नहीं निकला. उल्टे इस सौदे को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को विपक्ष ने सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया.
महंगा तेल, कंपनी का बढ़ा खर्चा और बढ़ता गया घाटा
महंगे होते तेल और प्रति किलोमीटर ज्यादा खर्च ने जेट एयरवेज को इस हालत में खड़ा कर दिया.
महंगे होते तेल और प्रति किलोमीटर ज्यादा खर्च ने जेट एयरवेज को इस हालत में खड़ा कर दिया.

एतिहाद से समझौते के बाद भी जेट एयरवेज के दिन बहुत ज्यादा नहीं बदले. इसकी दो बड़ी वजहें थीं. पहली, हवाई जहाज का महंगा होता तेल. इसे एटीएफ कहते हैं. दूसरी वजह थी, कंपनी के बेतहाशा खर्चे. रिसर्च एजेंसी स्टेट बैंक कैपिटल की एक रिपोर्ट के मुताबिक जेट का प्रति किलोमीटर खर्च 3 रुपया 17 पैसा था. इसके मुकाबले स्पाइसजेट का प्रति किलोमीटर खर्च 2 रुपया 53 पैसे और इंडिगो का खर्च सिर्फ 2 रुपया 4 पैसा है. जाहिर है जेट का खर्च सबसे ज्यादा था, इस वजह से कंपनी पर दबाव भी सबसे ज्यादा था. और यही वजह है कि जेट कंपनी का घाटा 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और कर्ज 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया. अब इससे बचने के लिए नरेश गोयल विदेश जा रहे थे, लेकिन कामयाब नहीं हो सके.

जेट एयरवेज जिस संकट में घिरा है, उसके पीछे मालिक नरेश गोयल की ये चूक है