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Israel Hamas War के बीच जानें बचाने की जुगत में लगे गुमनाम फ़रिश्ते

UNRWA के 38 लोगों की मौत भी हो चुकी है. वो ईंधन की सप्लाई शुरू करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इज़रायल मान नहीं रहा है.

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UNRWA के स्वास्थ्य केंद्र से दवाएं लेकर जाती हुई फिलिस्तीनी महिला (प्रतीकात्मक फोटो- Reuters)

इज़रायल-हमास युद्ध (Israel Hamas War) की चर्चा के बीच, आप UNRWA का जिक्र भी लगातार सुन रहे होंगे. ये संयुक्त राष्ट्र की संस्था है, जो न सिर्फ़ गाज़ा पट्टी, बल्कि वेस्ट बैंक, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन जैसे देशों में रह रहे फिलिस्तीनी शरणार्थियों को स्वास्थ्य, शिक्षा और राहत जैसी सेवाएं देती है. 7 अक्टूबर को इज़रायल पर हमास के हमले के बाद शुरू हुई जंग में अब तक फ़िलिस्तीनियों की मदद कर रहे UNRWA के 38 लोग मारे जा चुके हैं.

इसकी वेबसाइट पर बोल्ड में लिखा है-

“हम फिलिस्तीनी शरणार्थियों को सहायता और सुरक्षा प्रदान करते हैं.”

 गाज़ा में UNRWA, आम लोगों के वास्ते दिन-रात काम कर रही है. ये संस्था कब बनी, कैसे काम करती है, गाज़ा में इसकी मौजूदगी कितनी अहम है और फिलवक्त UNRWA को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, विस्तार से सारे सवालों के जवाब जानेंगे.

UNRWA कब बनी?

UNRWA माने The United Nations Relief and Works Agency for Palestine Refugees in the Near East. हिंदी में कहें तो फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए 'संयुक्त राष्ट्र की राहत एवं कार्य एजेंसी'. साल 1948 में जब इज़रायल का गठन हुआ, तो अरब मुल्कों ने उसपर हमला कर दिया था. इस लड़ाई में इज़रायल की जीत हुई और आधुनिक इज़रायल की नींव मज़बूत हुई, जिसने अपने नागरिकों का ध्यान भी रखा.

लेकिन लड़ाई के दौरान बेघर हुए लाखों फिलिस्तीनियों का कोई खैरख्वाह नहीं था. क्योंकि इन लोगों की अपनी कोई सक्षम सरकार नहीं थी. संघर्ष के बीच ये लोग जान बचाकर जॉर्डन, मिस्र, सीरिया और लेबनान पहुंचे. इसके बाद साल 1949 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव जारी किया, जिसके तहत UNRWA का गठन हुआ. इसका काम था- बेघर हुए फिलिस्तीनियों की मदद करना, उनकी बुनियादी जरूरतों का ख़याल रखना. UNRWA का मुख्यालय गाज़ा पट्टी और जॉर्डन की राजधानी अम्मान में है. अपने गठन के वक़्त ये एक अस्थायी एजेंसी थी, लेकिन जरूरत के हिसाब से इसका कार्यकाल बढ़ाया जाता रहा है.

UNRWA, उन फ़िलिस्तीनियों को शरणार्थी मानती है, जो 1948 के अरब-इज़रायल संघर्ष से कम से कम दो साल पहले तक फ़िलिस्तीन में रह रहे थे. गाज़ा और वेस्ट बैंक में बने रिफ्यूजी कैंपों के अलावा, सीरिया, जार्डन और लेबनान में रह रहे फ़िलिस्तीनी लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने की जिम्मेदारी, UNRWA लेता है. UNRWA की वेबसाइट के मुताबिक अभी 59 लाख फ़िलिस्तीनी, इसके रजिस्टर्ड शरणार्थी हैं. 

UNRWA की रसद की मदद (फोटो सोर्स - AFP)

इनमें से 16 लाख फिलिस्तीनी गाज़ा के हैं. करीब 9 लाख वेस्ट बैंक में हैं. इन दोनों इलाकों को फ़िलिस्तीनी, अपना देश मानते हैं. इनके अलावा UNRWA के साथ रजिस्टर्ड 24 लाख फिलिस्तीनी शरणार्थी, पड़ोसी देश जॉर्डन में हैं, जबकि करीब 4 लाख 50 हजार शरणार्थी लेबनान में और 5 लाख, 80 हजार शरणार्थी सीरिया में हैं. गाज़ा के साथ ही इन सभी इलाकों में UNRWA के स्कूल, राहत शिविर, अस्पताल और दूसरी फैसिलिटीज़ काम करती हैं.

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UNRWA का काम

फ़िलहाल हम सिर्फ गाज़ा में UNRWA के काम जानेंगे. वेबसाइट के मुताबिक,

-फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए UNRWA के कुल 58 कैंप हैं. इनमें से 8 गाज़ा पट्टी में हैं.
-UNRWA द्वारा 706 स्कूल चलाए जाते हैं. इनमें 5 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. 294 स्कूल अकेले गाज़ा में हैं. इन स्कूलों में गाज़ा के करीब 3 लाख बच्चे पढ़ते हैं.
-गाज़ा के स्कूलों में करीब 9 हजार लोग काम करते हैं. जबकि UNRWA के सभी स्कूलों में कुल मिलाकर करीब 20 हजार लोगों का स्टाफ है.
-UNRWA के कुल 140 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. इनमें से 22 गाज़ा में हैं. इन क्लीनिक्स में हर साल करीब 7 लाख मरीजों का इलाज होता है. अकेले गाज़ा के क्लीनिक्स में UNRWA 3 लाख से ज्यादा मरीजों का इलाज करती है. 
-UNRWA के तहत फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए करीब 3 हजार स्वास्थ्य कर्मी काम करते हैं. इनमें से करीब 1 हजार लोग गाज़ा में काम करते हैं.
-UNRWA करीब 18 लाख फिलिस्तीनी शरणार्थियों को आपातकालीन स्थितियों में खाना और आर्थिक मदद देता है. अकेले गाज़ा में करीब 12 लाख लाभार्थी हैं.
-3 लाख से ज्यादा लोगों को सामजिक सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. इनमें से एक लाख के करीब लोग गाज़ा में हैं.
-UNRWA जरूरतमंद फिलिस्तीनियों को लोन भी देता है. उसने अब तक 23 हजार से ज्यादा लोगों को तकरीबन 240 करोड़ रुपए का कर्ज दिया है.

ये डाटा, जनवरी 2023 तक का है. हालांकि फिलिस्तीन में हालात सामान्य तो कभी नहीं रहते, लेकिन फिलहाल स्थितियां गंभीर हैं. कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि वहां मानवीय संकट है. जीने के लिए जरूरी लगभग सभी चीजों की कमी है चाहे खाना हो, पानी हो या दवाएं हों. ऐसे में UNRWA की भूमिका और जरूरी हो जाती है.
 

UNRWA हेल्थ सेंटर (फोटो सोर्स- UN)

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गाज़ा में UNRWA का काम

बीती 25 अक्टूबर को UNRWA द्वारा जारी बुलेटिन के मुताबिक ग़ाज़ा में लगभग 20 लाख लोग UNRWA के रजिस्टर्ड शरणार्थी हैं. इनमें से 6 लाख से ज्यादा लोग इज़रायल के हवाई हमले शुरू होने के बाद से UNRWA की इमारतों में शरण लिए हुए हैं. UNRWA की इमारतें भी, इज़रायल के हमलों की चपेट में आई हैं. अब तक उसकी 38 से ज्यादा फैसिलिटीज़ प्रभावित हुई हैं. जंग के 18वें दिन यानी 24 अक्टूबर को उसके 3 कर्मचारी मारे गए हैं. और अब तक कुल 38 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है.

फोटो सोर्स - AFP

UN न्यूज़ वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूएन न्यूज़ ने जॉर्डन के अम्मान में मौजूद UNRWA की कम्युनिकेशन डायरेक्टर जूलियट टौमा से 11 अक्टूबर को बात की थी. जूलियट के मुताबिक, फिलहाल उनकी संस्था के डॉक्टर, नर्स और टीचर मिलाकर करीब 13 हज़ार लोग, गाज़ा में मानवीय मदद कर रहे हैं. वो इन्हें 'गुमनाम नायक' (Unsung Heroes) कहती हैं.

जूलियट, कुछ और बातें भी बताती हैं, वो कहती हैं,

"हम ग़ाज़ा पट्टी में 80 से ज्यादा स्कूलों में हमले से बचकर आए लोगों की मदद कर रहे हैं. हमारे पास 14 डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर हैं. हमें बच्चों के स्कूल बंद करने पड़े हैं. UN वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम के तहत, हम लोगों को गद्दे, सोने की जगह, साफ पानी, भोजन वगैरह मुहैया करवा रहे हैं. हमसे जो हो पा रहा है, कर रहे हैं. लेकिन हमारा काम प्रभावित हो रहा है."

वो कहती हैं कि 16 सालों से गाज़ा पट्टी में ब्लॉकेड जारी है. 12 लाख लोग UNRWA की मदद पर निर्भर हैं. 7 अक्टूबर के बाद से हमें मानवीय मदद नहीं मिल पा रही है. यहां तक कि हम UNRWA के भी पूरे स्टाफ को मदद के लिए यहां नहीं ला पा रहे. 

फोटो सोर्स- AP

लोगों को भोजन कैसे मिल रहा है? इस सवाल पर जूलियट कहती हैं कि गाज़ा में बहुत कम सप्लाई है, कुछ ही दिनों में यहां बुनियादी जरूरतों का सामान और ईंधन वगैरह ख़त्म हो जाएगा.

ये 11 अक्टूबर के इंटरव्यू में जूलियट के बयान हैं. 25 अक्टूबर को UNRWA द्वारा जारी आखिरी बुलेटिन के हिसाब से उसके शरणार्थी कैंपों में क्षमता से तीन गुना ज्यादा तक भीड़ है. गाज़ा में कुल 22 हेल्थ सेंटर्स में से सिर्फ 8 सेंटर्स, खान यूनुस और रफ़ा इलाके में काम कर पा रहे हैं. 13 हजार के स्टाफ में से 5 हजार लोग अभी भी शेल्टर्स में लोगों की मदद कर रहे हैं. अस्पतालों वगैरह में लोगों की जान बचाने के लिए कोशिशें जारी रहें इसके लिए ईंधन की सख्त जरूरत है.

UNRWA के शेल्टर होम (फोटो सोर्स- AFP)
UNRWA को फंड कैसे मिलता है?

आप वेबसाइट पर जाएंगे तो सीधे डोनेट का ऑप्शन मिल जाएगा. कोई भी डोनेट कर सकता है. लेकिन UNRWA के मुताबिक, उसे कुल फंड का 93 फीसद तक मिडिल ईस्ट के देशों की सरकारों से और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से मिलता है. साल 2021 में UNRWA को कुल 12 करोड़ रुपए की मदद मिली थी. करीब 8 करोड़ रुपए की गैर सरकारी मदद भी मिली थी. UN की दूसरी एजेंसीज से UNRWA को काम करने में व्यावहारिक मदद मिलती है. इसके अलावा, छोटी लोकल कंपनीज, कई मल्टीनेशनल कंपनीज और गैर सरकारी फाउंडेशंस भी उसके कामों में संसाधन, तकनीक के स्तर पर मदद करते हैं. साल 2021 में UNRWA को सबसे ज्यादा फंड देने वाले देश USA, जर्मनी, यूरोपियन यूनियन, स्वीडन, जापान, यूके, स्विटजरलैंड, नॉर्वे, फ़्रांस और कनाडा थे. इनके अलावा UNRWA को रहमतान लिल अलामीन फाउंडेशन, इस्लामिक रिलीफ USA, मुस्लिम हैंड्स जैसे ऑर्गनाइजेशंस से भी मदद मिली. 

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