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लेबनान में पेजर के बाद वॉकी-टॉकी ब्लास्ट में किसका हाथ?

17 सितंबर को हज़ारों पेजर्स में धमाका हुआ था. अगले दिन हिज़बुल्लाह के वॉकी-टॉकीज़ में विस्फ़ोट होने लगा. इसका आरोप भी इज़रायल पर लगा है. पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट के ज़रिए इज़रायल क्या हासिल करना चाहता है?

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तस्वीर 18 सितंबर, 2024 की है. जगह, लेबनान में हिज़्बुल्लाह के गढ़ बालबेक का एक घर. सोफे पर ब्लास्ट हो चुकी वॉकी-टॉकी डिवाइस के अवशेष दिखाई दे रहे हैं. ध्यान से देखने पर ICOM लोगो भी देखा जा सकता है. (फ़ोटो-AFP)

लेबनान में धमाकों का सिलसिला लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा. 17 सितंबर को हज़ारों पेजर्स में धमाका हुआ था. अगले दिन हिज़बुल्लाह के वॉकी-टॉकीज़ में विस्फ़ोट होने लगा. 18 सितंबर के धमाके में 20 लोग मारे जा चुके हैं. जबकि पांच सौ से ज़्यादा घायल हुए हैं. इसका आरोप भी इज़रायल पर लगा है. इज़रायल ने धमाकों पर तो कुछ नहीं कहा. मगर जो कहा, वो ज़्यादा गंभीर है. रक्षा मंत्री योआव गलांत बोले,

संघर्ष की धुरी अब उत्तर की ओर बढ़ रही है. हम अपने सैनिक, संसाधन और ऊर्जा उत्तर की ओर लगा रहें हैं. हम बंधकों को नहीं भूले हैं, न ही हम अपने दक्षिण (गाज़ा पट्टी) के लक्ष्यों को भूल रहे हैं. हम अपने कर्तव्यों को लेकर प्रतिबद्ध हैं और हम उन्हें एक साथ निभाने की ओर बढ़ रहे हैं.

गलांत का इशारा लेबनान की तरफ़ था. लेबनान में हिज़बुल्लाह है. जो 08 अक्टूबर 2023 से इज़रायल पर हमले कर रहा है. इसके चलते उत्तरी बॉर्डर पर रहने वाले इज़रायली नागरिकों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा. अब सरकार उनको वापस लाने की कोशिश कर रही है. इसके लिए ज़रूरी है कि हिज़बुल्लाह का ख़तरा कम किया जाए. इज़रायल ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. गाज़ा पट्टी में लड़ रहे कुछ सैनिकों को लेबनान बॉर्डर पर भेजा गया है. इन सबके बीच हिज़बुल्लाह पर सिलसिलेवार ढंग से हमले होने लगे हैं. आइए समझते हैं वॉकी-टॉकी धमाकों की पूरी कहानी. क्या इज़रायल एक और जंग शुरू करने वाला है? और इस स्थिति में हिज़बुल्लाह का अगला कदम क्या हो सकता है?

Yoav Gallant
इज़रायल के रक्षा मंत्री योआव गलांत (फ़ोटो-AFP)

तारीख़, 17 सितंबर 2024. दोपहर के साढ़े तीन बजे थे. लेबनान में कई जगहों पर बीप की आवाज़ सुनाई दी. वहां हिज़बुल्लाह के पेजर्स पर एक कोडेड मेसेज आया था. पेजर एक किस्म का कम्युनिकेशन डिवाइस है. इसका इस्तेमाल ऑडियो और टेक्स्ट मेसेज भेजने में होता है. आज के ज़माने में गिने-चुने लोग ही पेजर रखते हैं. उनमें हिज़बुल्लाह भी है. उनको डर था कि इज़रायल मोबाइल को आसानी से ट्रैक कर सकता है. इसलिए, फ़रवरी 2024 में हिज़बुल्लाह के सरगना हसन नसरल्लाह ने अपने लोगों को मोबाइल से दूर रहने के लिए कहा. यूं तो हिज़बुल्लाह बहुत पहले से पेजर यूज कर रहा था. नसरल्लाह के भाषण के बाद उसमें तेज़ी से इजाफ़ा हुआ.

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तस्वीर में 17 सितम्बर, 2024 को ब्लास्ट हुए एक पेजर के अवशेष दिखाई दे रहे हैं.  (फ़ोटो-AFP)

फिर उन्होंने नए पेजर्स का ऑर्डर दिया. जो ऑर्डर उनको मिला, उसमें ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो की ब्रैंडिंग थी. गोल्ड अपोलो का कहना है कि जिस मॉडल के पेजर्स में धमाका हुआ, वो हम नहीं बनाते. हंगरी की कंपनी BAC कंसल्टिंग बनाती है. बस ब्रैंडिंग हमारी थी. 

इसके बाद सबकी नज़र BAC कंसल्टिंग पर इनायत हुईं. इस कंपनी की कहानी भी दिलचस्प है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, ये कंपनी 2022 में बनी थी. जो इसका एड्रेस है, उस पर 13 और कंपनियां रजिस्टर्ड हैं. BAC का किसी और कंपनी से व्यापार या कोई सामान भेजने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. उसने अपने ब्रोशर में दावा किया है कि वो यूरोपियन कमिशन और यूके सरकार के साथ काम कर चुकी है. हालांकि, इस दावे की पुष्टि नहीं हो पाई है. BAC में सिर्फ़ एक शेयरधारक है. वही सीईओ भी है. उसने NBC न्यूज़ से कहा कि हमारी कंपनी पेजर नहीं बनाती. उसके बाद उससे कोई बात नहीं हुई है. BAC की वेबसाइट इंटरनेट से ग़ायब हो चुकी है.

हंगरी की सरकार क्या कह रही है? उनका कहना है कि धमाके वाले पेजर्स कभी हंगरी में थे ही नहीं. हंगरी में BAC कंसल्टिंग की कोई फ़ैक्ट्री नहीं है.

फिर ये पेजर्स बनाए किसने?

इसका एक जवाब अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की रिपोर्ट में मिलता है. NYT ने अमेरिकी और इज़रायली ख़ुफ़िया अधिकारियों के हवाले से दावा किया है कि असल में ये शेल कंपनी है. इसको मोसाद ने बनाया था. उन्होंने दो-तीन शेल कंपनियां और बनाईं थी. फिर वे हिज़बुल्लाह के ऑर्डर का इंतज़ार करने लगे. जब ऑर्डर मिला, उन्होंने उनमें बारूद और स्विच लगाकर सप्लाई करना शुरू किया. रिपोर्ट के मुताबिक़, हिज़बुल्लाह को पहला शिपमेंट 2022 में मिला था. नसरल्लाह की वॉर्निंग के बाद सप्लाई बढ़ा दी गई. उसने आदेश दिया था कि मीटिंग्स में फ़ोन नहीं लाना है. पेजर को हमेशा साथ रखना है. जंग की सिचुएशन में सारे निर्देश पेजर पर दिए जाएंगे.

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तस्वीर में लेबनानी सेना 19 सितम्बर, 2024 को दक्षिणी लेबनान में ज़मीन पर मिले वॉकी-टॉकी को कंट्रोल्ड ब्लास्ट करने की तैयारी करती हुई दिख रही है.  (फ़ोटो-AFP)

फिर 17 सितंबर की दोपहर आई. लगभग तीन हज़ार पेजर्स पर एक मेसेज पहुंचा. हिज़ुबल्लाह के लोगों को लगा कि हाईकमान से निर्देश आया है. मगर ये कहीं और से आया था. जैसे ही उन्होंने बटन दबाया, उसमें धमाका हो गया. पेजर ब्लास्ट में 12 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि तीन हज़ार से अधिक लोग घायल हो गए. कई घायलों को ईरान और इराक़ ले जाना पड़ा. इस घटना पर मिला-जुला रिएक्शन आया. हिज़बुल्लाह ने बदले की चेतावनी दी. अमेरिका ने अनभिज्ञता का दावा किया. ईरान ने सख़्त लहजे में निंदा की. बेल्जियम ने जांच की मांग की. कई देशों ने संयम बरतने की अपील की.

18 सितंबर को पेजर ब्लास्ट में मारे गए लोगों की अंतिम यात्रा शुरू हुई. उसी दौरान फिर से धमाके हुए. अबकी दफ़ा हिज़बुल्लाह के वॉकी-टॉकीज़ में विस्फोट हो रहा था. वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल चुनिंदा लोगों तक कोई जानकारी पास करने में होता है. इसकी सूरत टेलीफ़ोन जैसी होती है. ऊपर की तरफ़ एंटीना लगा होता है. इसको आपने अक्सर पुलिस के पास देखा होगा.

हिज़बुल्लाह के पास वॉकी-टॉकी आई कहां से? 

शुरुआती पड़ताल में पता चला है कि ये जापानी कंपनी ‘आई-कॉम’ की वॉकी-टॉकीज़ थीं. इसका मॉडल है - IC-V82. आई-कॉम ने क्या कहा? उसने पल्ला झाड़ लिया है. कहा, ये मॉडल हमने पिछले 10 बरसों से नहीं बनाया. इसकी बैटरीज़ भी हम नहीं बना रहे हैं. हम सिर्फ़ आधिकारिक डिस्ट्रिब्यूटर्स के ज़रिए अपने प्रोडक्ट्स सप्लाई करते हैं. कहा जा रहा है कि किसी ने वॉकी-टॉकीज़ की सेकेंड कॉपी बनाकर हिज़बुल्लाह को सप्लाई की. लेकिन ये कब और कहां हुआ होगा, इसको लेकर कोई पुष्ट जानकारी नहीं है. आई-कॉम ने जांच कराने का वादा किया है.

जांच का नतीजा जब आएगा, तब आएगा. उससे पहले आरोपों और धमकियों का दौर शुरू हो गया है. हिज़बुल्लाह ने वॉकी-टॉकी ब्लास्ट का आरोप भी इज़रायल पर लगाया है. बदला लेने की बात कही है. उसका अगला क़दम क्या होगा, ये पूरी तरह से हसन नसरल्लाह पर निर्भर करेगा. 19 सितंबर की शाम उसका संबोधन होने वाला है. जिस वक़्त हम ये वीडियो रेकॉर्ड कर रहे हैं, उसका भाषण शुरू नहीं हुआ था. 

इज़रायल के हैरतअंगेज़ ऑपरेशंस

भले ही लेबनान ब्लास्ट को आश्चर्य से देखा जा रहा हो, मगर इसमें कुछ नया नहीं है. इज़रायल का नाम इस तरह की घटनाओं में पहले भी आ चुका है. सबसे हालिया उदाहरण हमास के पॉलिटिकल लीडर इस्माइल हानिया का है. 30-31 जुलाई की दरम्यानी रात ईरान में उसकी हत्या हो गई. ईरान के इस्लामिक रेवॉल्युशनरी गार्ड्स कोर (IRGC) ने कहा कि शॉर्ट-रेंज की मिसाइल से हमला हुआ था. जबकि इज़रायली सूत्रों का कहना था कि हानिया के कमरे में बम लगाया गया था. अलजज़ीरा ने हमास के सूत्रों के हवाले से दावा किया कि हानिया ने इनसिक्योर सिम या वॉट्सऐप यूज किया था. इसी वजह से उसकी लोकेशन मोसाद को पता चली.

नवंबर 2020 में ईरान के अंदर परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह की हत्या हो गई. उनकी हत्या में आर्टिफ़िशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया था. सड़क किनारे ट्रक पर मशीनगन लगाया गया था. लेकिन उसको चलाने वाले इज़रायल में बैठे थे. हत्या के बाद उन्होंने ट्रक को उड़ा दिया था.

1996 में इज़रायल की इंटरनल ख़ुफ़िया एजेंसी शिन बेत ने याह्या अय्याश को निशाने पर लिया. अय्याश हमास के लिए बम बनाने के लिए कुख्यात था. उसको ‘इंजीनियर’ के नाम से बुलाया जाता था. उसके बनाए बमों से कई इज़रायली नागरिकों की जान गई थी. शिन बेत ने उसको मारने के लिए दिलचस्प प्लान बनाया. उन्होंने एक फ़िलिस्तीनी शख़्स को अपने साथ मिला लिया. फिर उसको एक फ़ोन लेकर अय्याश के पास भेजा. उस शख़्स ने अय्याश को बताया कि उसके पिता कॉल करेंगे. असल में शिन बेत ने फ़ोन में 50 ग्राम बारुद भर दिया था. जैसे ही उसने फ़ोन उठाया, धमाके में उसकी मौत हो गई.

इन सबके अलावा भी इज़रायल ने दुनियाभर में हैरतअंगेज़ ऑपरेशंस को अंज़ाम दिया है. चॉकलेट में ज़हर मिलाने से लेकर सुई से हत्या करने तक, अनगिनत कहानियां हैं. हालांकि, इज़रायल यदा-कदा ही इनमें अपनी भूमिका स्वीकार करता है.

वीडियो: लेबनान मे Pager Blasts के बाद Walkie Talkies में विस्फोट