एक बाप, जो पहली बार अपनी बच्ची से मुलाक़ात का इंतज़ार कर रहा था. एक हंसता-खेलता परिवार, जो अपनी नई-नवेली बहू के स्वागत में निहाल हुआ जा रहा था. एक पति, जो कोरोना लॉकडाउन के बाद पहली बार अपने परिवार से मिलने वाला था. कितने क़िस्से, कितना इंतज़ार. सब खत्म हो गया. बाकी रह गई है कसक. और, उठती हूक के तले दबी प्रार्थनाएं. कि सब आशंकाएं शून्य साबित हों.
आज बात एक प्लेन क्रैश की
प्लेन जो उड़ान भरने के चार मिनट बाद ही प्लेन रडार से गायब हो गया. फिर मिला सिग्नल. तलाश हुई तो प्लेन के कुछ हिस्से, मानव अंग और कुछ कपड़े. ये दुर्घटना कैसे हुई? ऐसा क्या हुआ कि एक देश की एयरलाइन इंडस्ट्री सवालों के घेर में खड़ी हो गई है. पूरा मामला विस्तार से बताते हैं.
हिन्द और प्रशांत महासागर के बीच बसा एक देश है, इंडोनेशिया. ये देश 13,000 से अधिक द्वीपों का समूह है. लगभग 27 करोड़ की आबादी. पिछले कुछ सालों में यहां की एयरलाइन इंडस्ट्री में तेज़ी देखी गई है. एयर ट्रांसपोर्ट लोगों की पहली पसंद बनकर उभरा है. लेकिन जब बात सुरक्षा की आती है, तब इंडोनेशिया हवाई सफ़र के क्षेत्र में दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में गिना जाता है. पिछले एक दशक में 600 से ज़्यादा विमान दुर्घटनाएं.
इंडोनेशिया 13,000 से अधिक द्वीपों का समूह है. (गूगल मैप्स)
शनिवार, 09 जनवरी को इस आंकड़े में एक और अंक जुड़ गया. इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता का सुकर्णो-हत्ता एयरपोर्ट. दोपहर के 2:36 मिनट हुए थे. इसी समय पर श्रीविजया एयरलाइंस की फ़्लाइट संख्या SJ182 ने उड़ान भरी. विमान में कुल 62 लोग सवार थे. 50 यात्री और 12 क्रू मेंबर्स. कई यात्री और क्रू मेंबर्स सुबह की फ़्लाइट से जाने वाले थे. लेकिन उसमें लोग पर्याप्त नहीं थे. इसलिए उन्हें श्रीविजया एयरलाइंस में शिफ़्ट कर दिया गया.
सब गणनाएं ठीक ढंग से चलतीं, तो इस विमान को 90 मिनट बाद पोंतिअनक एयरपोर्ट पर उतरना था. मगर सब ठीक नहीं रहा. उड़ान भरने के चार मिनट बाद ही प्लेन रडार से गायब हो गया. उसका ज़मीन से संपर्क टूट गया. प्लेन अपनी नज़र खो चुका था. और, न ही उसे लोकेट किया जा सकता था.
उड़ान भरने के चार मिनट बाद विमान रडार से गायब हो गया. (तस्वीर: एपी)
विमान में सवार सभी 62 लोगों की मौत
ठीक उसी समय पास के लानसांग द्वीप पर कुछ मछुआरे समंदर में जाने की तैयारी कर रहे थे. भारी बारिश के बावजूद. ये उनका रोज़ का काम था. उन्होंने अपने नाव खोल दिए थे. वे जाल फेंकने ही वाले थे. तभी उन्होंने जोर का धमाका सुना. समंदर का पानी कई मीटर ऊपर उछला. धातु के कुछ टुकड़े उनकी नाव से भी टकराए. मछुआरों को लगा, वहां या तो बम हमला हुआ है या फिर सुनामी आने वाली है. ये खतरे की घंटी थी. उन्होंने आगे जाना मुल्तवी कर दिया. वे नाव लेकर वापस लौट आए.
वापस तो जवाब भी आना था. प्लेन के पायलट का. लेकिन नहीं आया. फिर एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल ने ये जानकारी आगे बढ़ाई. जल्दी ही विमान के लापता होने की ख़बर टीवी चैनलों पर फ़्लैश होने लगीं. इसके बाद मिनिस्ट्री, सेना और नौसेना हरक़त में आई.
मौक पर मौजूद मछुआरों और स्थानीय लोगों की निशानदेही पर तलाशी अभियान शुरू हुआ. हेलिकॉप्टर्स, जहाजों और गोताखोरों को काम पर लगाया गया. रविवार को जावा सागर में एक ही जगह पर मलबे का बड़ा हिस्सा मिला. 26 बोरियों में भरकर सामान निकाले गए. इनमें प्लेन के टुकड़े, इंसानी जिस्म के हिस्से और कुछ कपड़े थे. अभी तक एक भी साबुत इंसान नहीं मिला है. जीवित या मृत. आशंका जताई जा रही है कि विमान में सवार सभी 62 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, अभी तक किसी ने भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है.
हेलिकॉप्टर्स, जहाजों और गोताखोरों ने 26 बोरियों में भरकर प्लेन का मलबा निकाला है. (तस्वीर: एपी)
अभी तक क्या जानकारियां सामने आई हैं?
#1
प्लेन रडार से गायब होने से पहले एक मिनट में 10 हज़ार फ़ीट से अधिक नीचे आ गया था. आशंका जताई जा रही है कि पायलट ने अपना कंट्रोल खो दिया था.
#2
प्लेन जावा सागर में क्रैश हुआ. मलबा समंदर में 23 मीटर नीचे मिला है. अभी तक एक भी सर्वाइवर का पता नहीं चल सका है.
#3
इंडोनेशिया की नेशनल आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के कमांडर ‘मार्शल हादी जाहजेंतो’ ने बताया कि प्लेन के ब्लैक बॉक्स से सिग्नल मिल रहा है. इसे मॉनिटर किया जा रहा है.
#4
जांच एजेंसियों का दावा है कि प्लेन पानी में गिरने के बाद क्रैश हुआ है. उसमें हवा में धमाका नहीं हुआ. हालांकि, जब तक ब्लैक बॉक्स को ढूंढ नहीं लिया जाता, इसकी पुष्टि करना मुश्किल है.
इंडोनेशिया में यात्री विमानों के क्रैश होने की ये पहली घटना नहीं है
अक्टूबर, 2018 में लायन एयर फ़्लाइट 610 जकार्ता एयरपोर्ट से उड़ान भरने के 12 मिनट बाद ही रडार से गायब हो गया था. बाद में ये जावा सागर में मिला. इस क्रैश में 189 लोग मारे गए थे. प्लेन में सवार एक भी शख़्स ज़िंदा नहीं बचा था. इस क्रैश के लिए ‘बोइंग 737 मैक्स 8’ के डिजाइन और सुरक्षा उपायों में खामियों को जिम्मेदार ठहराया गया था.
इंडोनेशिया में पिछले एक दशक में 600 से ज़्यादा विमान दुर्घटनाएं हुई है. (तस्वीर: एपी)
दिसंबर, 2014 में एयर एशिया की फ़्लाइट संख्या 8501 जावा सागर में क्रैश कर गई. इसे इंडोनेशिया के सुराबाया से सिंगापुर जाना था. इस हादसे में 162 लोग मारे गए थे. थोड़ा और पीछे जाएं तो 2007 में हुआ गरुड़ एयरलाइंस के हादसे का ज़िक्र ज़रूरी हो जाता है. 07 मार्च, 2007 को योग्याकार्ता एयरपोर्ट पर उतरने के दौरान प्लेन रनवे से आगे निकल गया. वो रुका एक धान के खेत में. वहां उसमें आग लग गई. 140 में से 21 लोग ज़िंदा जल गए.
इस हादसे के बाद यूरोपियन यूनियन ने इंडोनेशिया की सभी 51 एयरलाइंस पर बैन लगा दिया था. इंडोनेशिया का कोई विमान यूरोप के हवाई-क्षेत्र में दाखिल नहीं हो सकता था. इसी तरह, अमेरिका ने भी 2007 से 2016 तक इंडोनेशियाई एयरलाइंस पर प्रतिबंध लगा रखा था. इंडोनेशिया ने इस कमी पर काम किया. उन्होंने अपने सुरक्षा मानकों को मज़बूत बनाया. जून, 2018 में यूरोपियन यूनियन ने बैन खत्म कर दिया. लेकिन हादसों का सिलसिला नहीं रुका.
जहां तक श्रीविजया एयरलाइंस की बात है. इसकी शुरुआत साल 2003 में हुई थी. ये इंडोनेशिया की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी है. मुख्यतौर पर, ये इंडोनेशिया के भीतर और पड़ोसी देशों में अपना कारोबार करती है. श्रीविजया एयरलाइंस बाकी एयरलाइंस की तुलना में काफी सुरक्षित मानी जाती है. पहली बार इस एयरलाइंस के इतिहास में इतनी बड़ी दुर्घटना दर्ज़ की गई है.
श्रीविजया एयरलाइंस बाकी एयरलाइंस की तुलना में काफी सुरक्षित मानी जाती है.
फिर ये हादसा कैसे हुआ?
शुरुआती डेटा की मानें, तो इस दुर्घटना के पीछे तीन बड़ी वजहें हैं. पहली, खराब मौसम. इस प्लेन की टाइमिंग दोपहर के 1:30 बजे थी. लेकिन खराब मौसम के कारण इसे डिले किया गया. जब विमान उड़ा, उस वक़्त भी तेज़ बारिश हो रही थी. इंडोनेशिया का मौसम तूफ़ान और बिजली गिरने की घटनाओं के लिए कुख्यात रहा है.
दूसरी वजह है, आदम जमाने का विमान. श्रीविजया एयरलाइंस की फ़्लीट में शामिल बोइंग विमानों की औसत उम्र 17 साल रही है. जो प्लेन क्रैश हुआ है, वो 26 साल पुराना था. बोइंग 737-500 सीरीज़ का ये प्लेन 2012 में श्रीविजया एयरलाइंस की फ़्लीट में शामिल हुआ था. उससे पहले ये कॉन्टिनेंटल एयरलाइंस और यूनाइटेड एयरलाइंस होल्डिंग्स में अपनी सेवाएं दे चुका था.
क्रैश में मारे गए लोगों के परिजन. (तस्वीर: एपी)
क्या प्लेन की उम्र इस क्रैश के लिए ज़िम्मेदार है? इस बारे में अभी कुछ भी दावे से नहीं कहा जा सकता.
तीसरी वजह है, एयरलाइंस इंडस्ट्री में चल रही गलाकाट दौड़. जानकारों का दावा है कि हवाई यात्रा को सस्ता बनाने की रेस में एयरलाइंस सुरक्षा मानकों से समझौता कर रही हैं. वे पुराने प्लेन खरीदती हैं. वे सुरक्षित यात्रा के उपायों पर खर्च करने से झिझकती हैं. उनका एकमात्र मकसद होता है, ज़्यादा से ज़्यादा फायदा.
जब तक इस हादसे की जांच पूरी नहीं हो जाती, किसी पर आरोप लगाना उचित नहीं जान पड़ता. इतना तो सच है कि इस वक़्त उभरी खामियों को समय रहते दूर कर लिया जाए. ताकि एक और दुर्घटना को रोका जा सके. कई मासूम ज़िंदगियां बचाई जा सकें. ताकि बहुतों का इंतज़ार कामयाब साबित हो.