पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) के बाद भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan Tension) के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान के मंत्री कह रहे हैं कि उन्होंने शाहीन और ग़ज़नवी जैसी मिसाइलें इंडिया के लिए ही रखी हैं. साथ ही पाकिस्तान परमाणु हमले की भी धमकी दे रहा है जैसा उसकी आदत है. एक तरफ जहां भारत में आतंकियों के सफाया हो रहा है, दूसरी तरफ पाकिस्तान रह-रहकर नियंत्रण रेखा (LoC) पर फायरिंग कर रहा है. इस बीच एक खबर आई है कि भारत की नौसैनिक क्षमता में एक बड़ा इजाफा होने जा रहा है. भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन विमानों (Rafale M) की डील 28 अप्रैल को साइन हुई है. भारत की ओर से डिफेंस सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह और इंडियन नेवी के वाइस एडमिरल के स्वामीनाथन इस डील के दौरान मौजूद रहे. 63 हजार करोड़ की इस डील के तहत फ्रांस से 22 सिंगल सीटर और 4 डबल सीटर विमान भारत आएंगे.
पाकिस्तान से टेंशन के बीच भारत का नया इक्का, न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम राफेल-एम की डील फाइनल
India के पास दो Aircraft Carriers हैं, जिनपर फिलहाल रूसी Mig-29K विमान तैनात हैं. Rafale-M के आने से भारत की Naval Power में तो इजाफा तो होगा ही, साथ ही Pakistan से चल रहे तनाव के बीच भारत को एक नई मजबूती मिलेगी.

इस गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट डील में जेट्स के साथ फ्लीट के रखरखाव, लॉजिस्टिकल सपोर्ट, प्रशिक्षण और स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग का पैकेज भी शामिल है. राफेल-एम परमाणु हथियार (Nuclear Warhead) ले जाने में सक्षम है. भारत की एयरफोर्स पहले से ही राफेल के एयरफोर्स वर्जन का इस्तेमाल कर रही है. भारत के पास फिलहाल 36 राफेल विमान हैं. हालिया डील के तहत भारत इन्हीं विमानों के नेवल वर्जन खरीदेगा. इन विमानों को भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा. तो समझते हैं कि क्या है इन विमानों की खासियत? और पाकिस्तान से चल रहे तनाव के बीच भारत की ये रक्षा डील कितनी अहम है.

आज के समय में जब भारत एक संप्रभु देश है, तब उसकी नौसेना को भी आधुनिक हथियारों से लेकर विमानवाहक पोत(Aircraft Carrier) जैसे बड़े हथियारों की ज़रूरत है. कहते हैं कि विमानवाहक पोत किसी भी नेवल वॉरफेयर में सफलता की कुंजी होते हैं. भारत के पास फिलहाल 2 एयरक्राफ्ट कैरियर है. अब कैरियर हैं तो इन पर उतरने वाले विमान भी चाहिए. भारत के पास 2 ऐसे विमान हैं जो एयरक्राफ्ट कैरियर पर ऑपरेट करने की क्षमता रखते हैं. ये विमान हैं Mig-29K और Light Combat Aircraft. Mig-29K को भारत ने रूस से ख़रीदा था. वहीं Light Combat Aircraft को भारत ने खुद अपने देश में डेवलप किया है. हालांकि इसपर अभी भी काम चल रहा है. ये विमान अभी भी डेवलपिंग स्टेज में है. अब चूंकि Mig-29K विमान पुराने हो रहे हैं और भारत की नेवल चुनौतियां बढ़ रही हैं ; ऐसे में इंडियन नेवी को जरूरत है ऐसे एयरक्राफ्ट की जो एयरक्राफ्ट कैरियर पर ऑपरेट कर सकें. यहीं से बात आई राफेल के मरीन वर्जन राफेल-एम की.
भारतीय वायुसेना भी राफेल का इस्तेमाल करती है. पर जैसा कि इसके नाम से ज़ाहिर है, राफेल मरीन यानी मरीन ऑपरेशंस में इस्तेमाल आना वाले राफेल. इसे राफेल-M भी कहा जाता है. इसे भी फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट एविएशन ही बनाती है. इस विमान में Active Electronically Scanned Array (AESA) रडार लगा हैै. ये रडार एक साथ ज़मीन, समुद्र और हवा में मौजूद टारगेट्स का पता लगा सकता है. ये एक सिंगल सीटर विमान है जिसके विंगस्पैन 10.90 मीटर लंबे हैं. लंबाई 15.30 मीटर और ऊंचाई 5.30 मीटर है. राफेल-M 24.5 टन का लोड लेकर टेक-ऑफ करता है. इसके अलावा 9.5 टन एक्स्ट्रा लोड उठाने की क्षमता भी इस विमान में है.

ये विमान 50 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई तक ऑपरेशंस कर सकता है. साथ ही इसका टर्न रेट, आसान भाषा में कहें तो हवा में कलाबाजी करने या मैनुवर करने की क्षमता भी अच्छी है. यही वजह थी कि राफेल-मरीन अपने प्रतिद्वंदी अमेरिकी कंपनी बोइंग के F/A-18 सुपर हॉर्नेट के मुकाबले इंडियन नेवी को ज्यादा पसंद आया. इसके रडार के बारे में एक बात है कि ये काफी अच्छे से काम करता है. टॉप स्पीड 1389 किलोमीटर प्रति घंटा है.

राफेल मरीन में इंडियन नेवी की दिलचस्पी के पीछे इसकी कुछ और खासियतें हैं. जैसे अगर आप एयरफोर्स के विमानों को देखें तो आमतौर पर उनके पास उड़ान भरने और लैंड करने के लिए बड़ा रनवे होता है. पर नेवी के विमानों के पास ऐसी सहूलियत नहीं होती. उन्हें एयरक्राफ्ट कैरियर के छोटे रनवे पर टेक-ऑफ और लैंड करना होता है. इसी वजह से उनके पीछे एक हुक होता है जो लैंड करते ही विमान को रोकने का काम करता है. राफेल के मरीन वर्जन में शॉर्ट टेक-ऑफ का फीचर मिलता है. माने ये विमान बिना लंबे रनवे के भी उड़ान भर लेते हैं. इसी फीचर की बदौलत ये एयरक्राफ्ट कैरियर के छोटे डेक पर आसानी से टेक-ऑफ और लैंड करने की क्षमता रखते हैं.
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