4 दिसंबर को भारत की नौसेना ‘नेवी डे’ के रुप में मनाती है. यानी वो दिन जब 1971 की जंग में इंडियन नेवी ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था. उसी दिन की याद में हर साल नेवी डे मनाया जाता है. मगर इस साल भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने नौसेना दिवस के ठीक पहले कुछ ऐसा कह दिया, जो सुर्खियों में है. एडमिरल त्रिपाठी नेे पाकिस्तानी नौसेना की हैरतअंगेज़ रूप से बढ़ती हुई क्षमता पर हैरानी जाहिर की है. एडमिरल त्रिपाठी कहते हैं,
'50 जहाज, 8 सबमरीन...' पाक नौसेना की बढ़ती ताकत ने नेवी चीफ की टेंशन बढ़ाई, कितने तैयार हैं हम?
Indian Navy Day: 1971 की जंग में भारत की नेवी ने ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत पाकिस्तानी नेवी को भारी नुकसान पहुंचाया था. इसी के उपलक्ष्य में साल 1972 से हर साल 4 दिसम्बर को नौसेना दिवस मनाया जाता है. मगर इस साल नेवी डे से ठीक पहले भारत के नौसेना अध्यक्ष का बयान सुर्खियों में बना हुआ है.
"हम पाकिस्तानी नौसेना में हुई आश्चर्यजनक वृद्धि से अवगत हैं. उनका लक्ष्य 50 जहाजों वाली सेना बनना है. उनकी अर्थव्यवस्था का हाल देखते हुए, ये बहुत आश्चर्यजनक है कि वो इतने सारे जहाज कैसे बना रहे हैं या खरीद रहे हैं. उन्होंने अपने लोगों के कल्याण के बजाय हथियारों को चुनने का फैसला किया है."
एडमिरल त्रिपाठी ने आगे कहा,
"चीन की मदद से पाकिस्तानी नौसेना के कई वॉरशिप और पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं, जो दर्शाता है कि चीन पाकिस्तानी नौसेना को मजबूत बनाने में रुचि रखता है. आठ नई पनडुब्बियां पाकिस्तानी नौसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगी, लेकिन हम उनकी क्षमताओं से पूरी तरह अवगत हैं. हमारी नजरें एक्स्ट्रा-रीजनल फोर्सेज पर हैं. जिनमें चीन की PLA नेवी, उनके वॉरशिप, रिसर्च वेसल शामिल हैं. PLA नेवी कहां है, और क्या कर रही है, ये सब हमें पता है."
अब सवाल ये उठता है कि पाक नेवी ने इतनी क्षमता हासिल कैसे कर ली. और उससे भी बड़ा सवाल ये कि भारत की नौसेना, पूर्वी और पश्चिमी फ्रंट यानी चीन और पाकिस्तान दोनों से एक साथ निपटने के लिए कितनी तैयार है. नेवी डे के बहाने इस सभी सवालों के जवाब खोजने की कोशिश करेंगे मगर सबसे पहले चर्चा नौसेना दिवस की…
4 दिसम्बर ; इस दिन को भारत की नौसेना, नेवी डे के रूप में मनाती है. भारतीय नौसेना वैसे तो किसी परिचय की मोहताज नहीं है. भारतीय नौसेना ने जितने भी ऑपरेशंस में हिस्सा लिया है, उसमें अपना लोहा मनवाया है. 1971 की जंग में भारत की नेवी ने ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत पाकिस्तानी नेवी को भारी नुकसान पहुंचाया था. पाकिस्तान की सबसे उन्नत सबमरीन PNS Ghazi एक भी गोला दागे बिना अपने सभी सैनिकों के साथ हमेशा के लिए बंगाल की खाड़ी में समा गई. साथ ही भारतीय जहाजों ने कराची बंदरगाह पर इतनी जबरदस्त बमबारी की, जिससे उनके तेल और गैस के इंस्टॉलेशंस में आग लग गई और कराची पोर्ट कई दिनों तक जलता रहा. इसी के उपलक्ष्य में साल 1972 से हर साल 4 दिसम्बर को नौसेना दिवस मनाया जाता है.
हाल के दिनों में देखें तो अरब महासागर में यमन के हूती विद्रोहियों और समुद्री लुटेरों द्वारा जहाजों पर किये जाने वाले हमलों के दौरान अगर किसी ने इन जहाजों को संकट से बाहर निकाला है तो वो इंडियन नेवी है. उससे पहले देखें तो 26/11 के हमले के दौरान NSG के आने से पहले होटल ताज में गौतम अडानी समेत कई VVIPs की जान भी नेवी के मार्कोस कमांडोज़ ने बचाई थी. पर जरूरी नहीं कि अगर आपकी क्षमता में इजाफा हो रहा हो तो आपका पड़ोसी शांत बैठा रहे. हम बात कर रहे हैं चीन और पाकिस्तान की. दोनों ही हमारे इतने प्यारे पड़ोसी हैं कि हम दोनों से जंग लड़ चुके हैं.
ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स को देखें तो चीन की नौसेना दुनिया में दूसरी सबसे ताकतवर नौसेना है. वहीं पाकिस्तान इस सूची में 32वें स्थान पर आता है. रही बात भारत की तो इस इंडेक्स में भारत 8 वें स्थान पर है. यानी निश्चित तौर पर हम नेवल पावर के मामले में पाकिस्तान से आगे पर चीन से काफ़ी पीछे हैं. अगर बात करें चीन की तो चाइनीज नेवी दुनिया में दूसरी सबसे ताकतवर नौसेना है. वहीं भारत इस सूची में आठवें स्थान पर आता है. ग्लोबल फायरपावर की सूची के मुताबिक दोनों पड़ोसी देशों में 6 स्थान का अंतर है.
वहीं अगर बात करें पाकिस्तान की तो पाकिस्तानी नेवी दुनिया में 32 वें स्थान पर है. हालांकि भारत के नेवी चीफ के बयान के अनुसार फिलहाल में पाकिस्तानी नेवी काफ़ी जोर-शोर से अपनी क्षमता में इजाफा कर रही है. और इस काम में उसकी मदद कर रहा है चीन. हालिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने चीन के मदद से 50 नए वॉरशिप्स बनाने का खाका लगभग तैयार कर लिया है. पर ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के आंकड़ों को देखें तो अभी पाकिस्तान और भारत के बीच 24 रैंक का फासला है.
बेस्ट ऑफ द बेस्टचीन और पाकिस्तान के मुकाबले भारतीय नौसेना की ताकत जानने के बाद चलते हैं भारतीय नौसेना के बेस्ट ऑफ द बेस्ट कहे जाने कमांडोज़ की तरफ. इंडियन नेवी की इस फोर्स ने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है. वजह है इनकी टफ ट्रेनिंग और तीनों तरह के युद्ध जल, थल और नभ माने पानी, ज़मीन और आसमान में लड़ने की इनकी काबिलियत.
26/11साल 2008, तारीख थी 26 नवंबर, मुंबई के ताज होटल पर लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमला किया. लोग अंदर फ़ंसे थे जिनमें एक नाम भारत के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडानी का भी था. 2008 में दिखी उन तस्वीरों से हमें याद है. की भारत के जाबांज NSG कमांडो ने आतंकियों का सफ़ाया किया. लेकिन क्या आपको पता है, NSG से पहले एक और टीम ताज में लैंड की थी. ये वो टीम थी जिन्होंने अडानी समेत कई लोगों को बचाया और तब तक मोर्चा सम्भाले रखा, जब तक NSG नहीं आई. ये लोग मार्कोस के कमांडो थे. इन्हीं में से एक कमांडो प्रवीन कुमार तेवतिया ने इस घटना पर एक किताब भी लिखी है जिसका शीर्षक है, "26/11 BRAVEHEART: My Encounter with Terrorists That Night"
मार्कोस इंडियन नेवी की स्पेशल कमांडो फ़ोर्स है. जैसे आर्मी की पैराशूट रेजीमेंट की स्पेशल फोर्स और एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो हैं, उसी तर्ज पर हैं मार्कोस. इसके अलावा मई 2022 में कश्मीर में जी 20 देशों की बैठक हुई. सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाक-चौबंद थी. श्रीनगर की सड़कों पर काली वर्दी पहने NSG कमांडो सुरक्षा में तैनात थे. लेकिन बात सिर्फ़ ज़मीन की नहीं थी. नेवी के स्पेशल कमांडोज़ जिन्हें मार्कोस कहा जाता है, डल झील में सुरक्षा में लगे हुए थे. पानी पर काम करने वाली ये इंडिया की सबसे एलीट फ़ोर्स है, जो किसी भी इमरजेंसी सिचुएशन में सबसे पहले एक्टिव होती है.
अरब महासागर के रक्षककुछ रोज़ पहले अरब सागर में लाइबेरिया के झंडे वाला एक कार्गो शिप MV Lila Norfolk ट्रैवल कर रहा था. ये शिप ब्राज़ील में रियो डी जिनेरियो के Acu Port से बहरीन के Khalifa Bin Salman पोर्ट तक यात्रा करने वाला था. और इस मालवाहक जहाज़ में आयरन ओर लदा हुआ था. MV Lila सोमालिया के तट से गुज़र रहा था तभी उसपर 5 से 6 हथियारबंद समुद्री लुटेरों ने हमला किया और जहाज़ पर क़ब्ज़ा कर लिया. सोमालिया के पास समुद्री लुटेरों के हमला करने की ये पहली घटना नहीं थी. लेकिन लुटेरे इस जहाज़ के बारे में एक बात नहीं जानते थे. इस जहाज़ पर सवार 21 में से 15 क्रू मेंबर्स भारतीय थे. लिहाज़ा एक्शन में आई इंडियन नेवी और नेवी के बेस्ट ऑफ द बेस्ट कहे जाने वाले मार्कोस कमांडोज़. मार्कोस के शिप पर पहुंचने और रेस्क्यू करने तक सारे समुद्री लुटेरे जहाज छोड़कर भाग चुके थे.
मार्कोस की शुरुआतअमरीकी सेना की एक एलीट फोर्स है, नाम है नेवी सील्स. वही नेवी सील्स, जिन्होंने 2011 में ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में उसके घर में घुसकर मारा था. SEALS का मतलब है सी, एयर एण्ड लैन्ड यानि वो सैनिक जो जमीन, आसमान और पानी, तीनों में लड़ने में सक्षम होते हैं. नेवी सील्स की ही तर्ज पर भारतीय सेना के तीनों अंगों के पास अपनी एलीट फ़ोर्स है. इंडियन आर्मी की स्पेशल फोर्सेज़ हैं पैरा स्पेशल फोर्स, एयरफोर्स में गरुड़ कमांडोज़ और इंडियन नेवी के लिए मार्कोस. फ़ुल फ़ॉर्म- मरीन कमांडो फ़ोर्स.
मार्कोस की स्थापना हुई थी साल 1987 में. हालांकि इसकी नींव एक तरह से इससे बहुत पहले रखी जा चुकी थी. साल 1955 में. ब्रिटेन की मदद से इंडियन नेवी ने कोच्चि में एक डाइविंग स्कूल शुरू किया. मकसद था नेवी के गोताखोरों को पानी के अंदर जंग लड़ने की ट्रेनिंग देना. पानी के अंदर से जाकर दुश्मन के ठिकानों पर बम लगाना आदि. लेकिन 1971 के युद्ध में ये यूनिट कुछ खास छाप नही छोड़ पाई. फिर आया साल 1986, इंडियन नेवी ने एक स्पेशल फोर्स बनाने की सोची. आर्मी के पैरा एसएफ की तर्ज़ पर. उनका मकसद एक ऐसी फ़ोर्स बनाने का था जो मैरीटाइम वारफेयर, छापामार युद्ध, जासूसी और काउंटर टेररिज्म जैसे मिशंस को अंजाम दे सके.
1955 में शुरू किए गए डाइविंग स्कूल से तीन ऑफिसर्स को सलेक्ट किया गया और उन्हें यूएस नेवी सील्स के साथ Coronado, California में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया. इसके बाद उन्हें ब्रिटेन की रॉयल नेवी की एलीट फ़ोर्स 'स्पेशल बोट सर्विस' के साथ भी ट्रेनिंग के लिए भेजा गया. आधिकारिक तौर पर फरवरी 1987 में मुम्बई में INS अभिमन्यु पर मार्कोस की स्थापना हुई जो कि इसका होम बेस भी है. तब इसका नाम इंडियन मरीन स्पेशल फोर्स हुआ करता था. आगे चलकर इन्हें मार्कोस पुकारा जाने लगा. मार्कोस हवा,ज़मीन और पानी तीनों जगह लड़ने के लिए ट्रेंड होते हैं. इनका निकनेम क्रोकोडाइल होता है क्योंकि ये किसी मगरमछ की तरह ही पानी के अंदर मिशन को अंजाम देने में सक्षम होते हैं. इनका ध्येय वाक्य है THE FEW, THE FEARLESS. माने जितने कम, उतने निडर.
ट्रेनिंगमार्कोस की ट्रेनिंग 2 हिस्सों में होती है. अगर आपको मार्कोस कमांडो बनना है तो पहले आपको 20 साल की उम्र में इंडियन नेवी जॉइन करनी होगी. इसके बाद मार्कोस के लिए अप्लाई किया जाता है. पहले स्टेज में तीन दिनों तक फ़िज़िकल फिटनेस और एप्टीट्यूड टेस्ट होता है. करीब 80 प्रतिशत कैंडिडेट्स इसी में बाहर हो जाते हैं. इस टेस्ट को पास करने के बाद बारी आती है Hell Week यानी नर्क के बराबर माने जाने वाली एक हफ्ते की ट्रेनिंग की. ये ट्रेनिंग कुछ-कुछ यूएस नेवी सील्स के ही हेल वीक जैसी ही होती है. जिसमें बिना सोए बहुत ज़्यादा शारीरिक मेहनत कराई जाती है. अगले 80 परसेंट कैंडिडेट्स इस 'हेल वीक' में बाहर हो जाते हैं. फिर बचे हुए कैंडिडेट्स को फाइनल ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है. कैंडिडेट्स को ट्रेनिंग के दौरान कई और कोर्स भी करने होते हैं. मसलन,
-पैराशूट जंपिंग
-रिवर राफ्टिंग
-Evasive Driving Course: ये ऐसी ट्रेनिंग है जिसमें किसी भी गाड़ी को बिना चाभी के चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है.
-इंटेलीजेंस कोर्स
-सबमरीन ऑपरेशंस
-हर तरह के एक्सप्लोसिव्स को डिसेबल करने की ट्रेनिंग.
- हर तरह के हथियारों की पूरी जानकारी.
-हाथ पैर बांधकर तैरने की ट्रेनिंग.
करीब-करीब 2 साल की ट्रेनिंग के बाद मार्कोस कमांडोज़ तैयार हो जाते हैं , हालांकि इनकी ट्रेनिंग पूरे सर्विस के दौरान चलती रहती है. जहां तक वर्दी की बात है, इंडियन नेवी कि यूनिफॉर्म जहां सफेद रंग की होती है वहीं मार्कोस की वर्दी काले रंग की होती है. इनके पास कई तरह के अत्याधुनिक हथियार होते हैं. असल में कौन से हथियार मार्कोस इस्तेमाल करते हैं ये तो कोई नहीं जानता पर कुछ कॉमन हथियार हैं जो हर मरीन कमांडो द्वारा इस्तेमाल किये जाते हैं, जैसे
-TAVOR X95.
-कार्ल गुस्ताव एम 3 रॉकेट लॉन्चर
-IWI Tavor Tar 21
-APS Underwater Rifle
-AK 103 असॉल्ट राइफल
-बेरेटा पिस्टल
-अधिकतर कमांडोज़ की फेवरेट हेक्लर एण्ड कोच की एमपी 5 सबमशीन गन
हथियारों के अलावा मार्कोस कई अत्याधुनिक गैजेट्स और कई तरह की गाड़ियां इस्तेमाल करते हैं. इनमें हिंदुस्तान एरनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित हेलिकोप्टर 'ध्रुव',
-ऑगस्टा वेस्टलैन्ड सी किंग ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर,
-चेतक हेलीकॉप्टर्स
-ऑल टेरेन व्हीकल्स
-टू पर्सन स्विमिंग डिलिवरी व्हीकल
1987: ऑपरेशन पवन- अपनी स्थापना के बाद मार्कोस को पहली बार काम मिला. श्रीलंका के लिट्टे के उग्रवादियों से निपटने का. मार्कोस ने पानी के अंदर से तैरते हुए लिट्टे के कब्जे वाले जाफना और त्रिंकोमली के बंदरगाहों को तबाह कर दिया. इस मिशन को लीड करने वाले लेफ्टिनेंट अरविन्द सिंह को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
1988: ऑपरेशन कैक्टस- मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति माउमून अब्दुल गयूम की सरकार का तख्तापलट होने वाला था. एन वक्त पर इंडियन नेवी ने पहुंचकर उनकी सरकार बचा ली.
1993: मार्कोस को सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में यूएन पीसकीपिंग मिशंस के लिए भेजा गया.
इसके अलावा यमन में ऑपरेशन राहत, और 2008, 2013, 2017 में दो बार और फिर 2020 में मार्कोस ने समुद्री लुटेरों द्वारा हाइजैक शिप्स को रेस्क्यू किया. एक कहानी ये भी है कि 4 मार्च 2018 को दुबई से एक बोट में भाग रही वहाँ कि प्रिन्सेस शेख लतीफा को मार्कोस ने ही पकड़ा और फिर उन्हें यूएई अथॉरिटीज़ को सौंप दिया.
सम्भव है मार्कोस और भी कई मिशंस अंजाम दे चुके होंगे क्योंकिअधिकतर मिशंस क्लासीफाइड होते हैं यानी आम जनता तक इनकी जानकारी कम ही पहुँच पाती है. देशभर में मार्कोस कमांडोज की संख्या कितनी है हैं, ये भी बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है. यहां तक कि इनके परिवार को भी नहीं पता होता कि ये मार्कोस या मरीन कमांडो हैं.
बीते कुछ सालों में मार्कोस का महत्व काफ़ी बढ़ गया है. समुद्री लुटेरों के बढ़ते हुए ख़तरे के बीच साल 2022 में भारत सरकार ने एंटी पायरेसी ऐक्ट पारित किया. जिसके तहत समुद्र में 200 नॉटिकल माइल्स तक जहाजों पर किसी भी तरह की पायरेसी, कब्ज़ा, हमला या बंधक बनाने की स्थिति में भारतीय नौसेना को एक्शन लेने की पावर दी गयी. इसी एक्ट के चलते MV LILA के केस में इंडियन नेवी को डिसिजन लेने में अधिक समय नहीं लगा.
पायरेसी के अलावा इजरायल-हमास जंग की वजह से यमन और रेड सी के पास जहाजों पर हो रहे हमलों का ख़तरा बढ़ गया है. लिहाज़ा मार्कोस की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है. और इसी कारण इंडियन नेवी मार्कोस को और भी मॉडर्न बनाने की तैयारी में लगी है, उदाहरण के लिए मार्कोस कमांडोज़ को ICS यानी इंटीग्रेटेड कॉम्बैट सिस्टम से लैस करने की तैयारी चल रही है. साथ ही इंडियन नेवी मार्कोस के लिए नए तरह के लाइटवेट बैलिस्टिक हेलमेट और कम्युनिकेशन डिवाइसेस भी ख़रीदने की तैयारी कर रही है. जिससे उनकी ऑपरेशनल क्षमताओं में इजाफा होगा. साथ ही इंडियन नेवी ने लर्सन एंड टूब्रो द्वारा निर्मित एक 2 पर्सन सबमरीन का इस्तेमाल खासतौर पर मार्कोस के लिए करना शुरू किया है.
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