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पहलगाम हमले के बाद आर्मी का पलटवार, घाटी में फिर दिखा ध्रुव का दम, जनवरी से थी उड़ान पर रोक

Indian Army, Navy और Airforce द्वारा उड़ाए जा रहे Dhruv Helicopters को Grounded कर दिया गया था. Pahaalgam Attack के बाद Indian Army ने जम्मू-कश्मीर में Counter Terrorism Operations में मदद के लिए ध्रुव को Limited Flying Operations की परमिशन दे दी है.

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ध्रुव हेलीकॉप्टर का लड़ाकू वर्जन (PHOTO-Indian Air Force)

पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) के बाद इंडियन आर्मी ने जमीन पर खड़े ध्रुव हेलीकॉप्टर्स (Dhruv Helicopter) को वापस से उड़ाने की हरी झंडी दे दी है. इससे पहले जनवरी 2025 में भारत की आर्मी, नेवी और एयरफोर्स द्वारा उड़ाए जा रहे 300 से अधिक ध्रुव हेलीकॉप्टर्स को क्रैश के बाद ग्राउंडेड (उड़ने की मनाही) कर दिया गया था. पहलगाम हमले के बाद इंडियन आर्मी ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों (Counter Terrorism Operations) में मदद के लिए एएलएच ध्रुव को सीमित उड़ान (Limited Flying Operations) भरने की परमिशन दे दी है.

5 जनवरी, 2025 को गुजरात के पोरबंदर एयरपोर्ट के रनवे पर इंडियन कोस्ट गार्ड का एक ध्रुव हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस घटना में हेलीकॉप्टर के दो पायलट्स और एक एयर क्रू गोताखोर (Air Crew Diver) की मौत हो गई थी. इसके बाद से जांच पूरी होने तक इन हेलीकॉप्टर्स के पूरे बेड़े को उड़ने से रोक दिया गया था. तो समझते हैं कि क्या खासियत है ध्रुव हेलीकॉप्टर की जिसे आर्मी ने पहलगाम हमले के बाद वापस से फ्लाई करने का फैसला किया है.

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इंडियन एयरफोर्स का ध्रुव हेलीकॉप्टर (PHOTO-HAL)
ध्रुव का सफर

1984 में HAL द्वारा ध्रुव हेलीकॉप्टर प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई. उसी साल HAL ने ALH (Advanced Light Helicopter) को ‘ध्रुव’ का नाम दिया. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य था सेनाओं को एक ऐसा चॉपर देना जो ट्रांसपोर्ट, यात्री, ट्रैवल के अलावा फोर्सेज की रैपिड तैनाती और सर्च एंड रेस्क्यू मिशन में इस्तेमाल किया जा सके. तो समझते हैं, क्या है इस हेलीकॉप्टर की खासियत? और क्यों सेना इसका इस्तेमाल सर्च ऑपरेशन में कर रही है? पहले नजर डालते हैं इस हेलीकॉप्टर के सफर पर.

इस चॉपर के पहले प्रोटोटाइप ने 1992 में उड़ान भरी. पर इसके बाद 2002 तक ये प्लान अटक गया. इसके पीछे पहली वजह बताई गई 1992 में देश में आई इकोनॉमिक क्राइसिस. और दूसरी वजह बताया गया अमेरिका को. दरअसल 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर कई सारे प्रतिबंध लगा दिए. लिहाजा अमेरिका से आने वाले LHTEC 800 इंजन की सप्लाई पर गरारी अटक गई.

इसके बाद फ्रेंच कंपनी Safran की Turbomeca ने भारत को TM 333 2B2 इंजन टर्बोशाफ्ट इंजन सप्लाई किए जिन्हें ध्रुव में लगाया गया. हालांकि ये इंजन भी चॉपर को जरूरी पावर नहीं दे पा रहे थे. तो फ्रेंच कंपनी ने HAL के साथ मिलकर एक नए इंजन Ardiden को डेवलप किया जिसे ‘शक्ति’ नाम दिया गया. साल 2002 में जाकर ध्रुव को पहले कोस्ट गार्ड, फिर आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में शामिल किया जा सका. यानी अगर सब ठीक और समय पर चलता तो भारत को लगभग 10 साल पहले ये चॉपर मिल जाते. हालांकि अब भी इनमें खामियां सामने आ रही हैं. 5 जनवरी को गुजरात के पोरबंदर में क्रैश के बाद से ही इन हेलीकॉप्टर्स के पूरे बेड़े को ग्राउंडेड (उड़ने की मनाही) कर दिया गया. तब से इनकी पूरी फ्लीट ज़मीन पर ही थी. अब समझते हैं, क्या है इनकी विशेषता जिसकी वजह से ये सेना के ऑपरेशंस में इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

खासियत

इस हेलीकॉप्टर को सेना अपने ऑपरेशंस में इस्तेमाल कर रही है. मुख्य वजह है भार उठाने की इसकी क्षमता. ये चॉपर 1500 किलोग्राम तक एक्स्ट्रा पेलोड उठा सकता है. साथ ही 12 सैनिकों को भी ले जा सकता है. ये एक चार रोटर ब्लेड (हेलीकॉप्टर के पंख) वाला हेलीकॉप्टर है जो कई आधुनिक फीचर्स से लैस है. इसमें अमेरिकी कंपनी लॉर्ड कॉर्पोरेशन द्वारा बनाया गया 'वाइब्रेशन कंट्रोल सिस्टम' है जो उड़ान के दौरान इसे स्थिरता प्रदान करता है. इसे बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अनुसार हेलीकॉप्टर की लंबाई 15.2 मीटर, चौड़ाई 13.2 मीटर और ऊंचाई 4.98 मीटर है. ध्रुव के कई वर्जन हैं जिसकी वजह से सेना जरूरत के हिसाब से इसके अलग-अलग वर्जंस का इस्तेमाल करती है. ध्रुव में मार्क 1 से लेकर मार्क 4 वर्जन तक शामिल हैं. मार्क 4 वर्जन को हथियारों से भी लैस किया गया है.इसके कुछ फीचर्स पर नजर डालें तो-

  •  इंटरचेंज हो जाने रोटर ब्लेड 
  • बिना बियरिंग के टेल ब्लेड 
  • संयुक्त एयर फ्रेम 
  • शीशे का कॉकपिट 
  • शाफ व फ्लेयर डिस्पेंसर: हमला होने के दौरान ये फ्लेयर या एल्युमीनियम के टुकड़े छोड़ते हैं जिससे आ रही मिसाइल या रॉकेट अपना रास्ता भटक जाती है.
  • डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम.
  • FADEC (Full Authority Digital Engine Control) सिस्टम: ये प्रणाली मैनुअल या एनालॉग कंट्रोल्स की जगह डिजिटली इंजन को मैनेज करती है. यह इंजन के तापमान और प्रेशर जैसे इनपुट डेटा के आधार पर काम करता है. उड़ान के दौरान ये सटीकता पाने के लिए ईंधन के प्रवाह (Fuel Flow) और बाकी इंजन सेटिंग्स को ऑटोमैटिकली कंट्रोल करता है. 
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हथियारों से लैस ध्रुव मार्क -4 (PHOTO- Indian Air Force)


ध्रुव के 3 वर्जन सैनिकों को ले जाने या सर्च ऑपरेशन में इस्तेमाल किए जाते हैं. जबकि हथियारबंद वर्जन मार्क 4 को हमला करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके हथियारों को देखें तो इसमें कई ऐसे हथियार हैं जो लड़ाई के दौरान इसे एक बेहतर चॉपर बनाते हैं, जैसे…

  • तुरेट गन (गोल घूमने वाली बंदूक)
  • रॉकेट्स
  • हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Air To Air Missiles)
  • हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल (Air To Ground)
  • इंफ़्रारेड जैमिंग सिस्टम 
  • ऑब्सटेकल से बचने का सिस्टम 
  • हेलमेट पॉइंटिंग सिस्टम
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हवा में करतब दिखाते एयरफोर्स के ध्रुव हेलीकॉप्टर्स (PHOTO- Sarang Helicopter Display Team)

ये हेलीकॉप्टर लगातार 3-4 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है. अधिकतम रेंज 630 किलोमीटर है जबकि टॉप स्पीड 292 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसके अलावा भी ध्रुव कई तरह के मिशंस में इस्तेमाल किए जाते हैं, जैसे-

  •  पैसेंजर/कम्युटर हेलीकॉप्टर 
  • वीआईपी मूवमेंट
  • घायल/मृतकों को निकालना 
  • सुरक्षाबलों की तत्काल तैनाती 
  • एयर सपोर्ट 
  • सर्च एंड रेस्क्यू 
  • ट्रेनिंग 
  • भारी सामान उठाना

पहलगाम हमले के बाद सेना ने फिर से इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है. पहलगाम हमले के बाद से ये हेलीकॉप्टर्स लगातार घाटी के चक्कर लगा रहे हैं. हालांकि ध्रुव के ग्राउंडेड हेलीकॉप्टर्स के बेड़े में से कुछ को ही उड़ाया जा रहा है. बाकी चॉपर्स जमीन पर ही हैं.

(यह भी पढ़ें: पहलगाम हमला: 'डिफेंस अताशे' कौन होते हैं और उनका काम क्या है? भारत के एक्शन की वजह जान लीजिए)

वीडियो: Pahalgam Attack से पहले Pakistan Army Chief Asim Munir ने क्या कहा था?