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सरहद पर चीन के CH5 के सामने कितना कारगर होगा अमेरिका से खरीदा जाने वाला MQ9B ड्रोन

India vs China: अमेरिका से खरीदे जाने वाले 31 MQ9B Drones में से 15 भारतीय नौसेना को मिलेंगे. जबकि 8-8 ड्रोन आर्मी और एयरफोर्स के हिस्से में आएंगे. Indian Navy के हिस्से में निगरानी का सबसे लंबा इलाका आता है. लिहाजा उसके हिस्से में ज्यादा ड्रोन आएंगे. मगर तीनों ही मोर्चों पर मुख्य चुनौती होगी चीन के CH-5 ड्रोन.

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चाइनीज CH5 के सामने अमेरिकी MQ9B कितना कारगर? (फोटो- रॉयटर्स)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2023 में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान जिस अमेरिकी प्रीडिएटर ड्रोन सौदे पर सहमति जताई थी. आखिरकार उस पर अंतिम मुहर लग गई है. अमेरिकी डिफेंस फर्म जनरल एटॉमिक्स सिस्टम के साथ 3.5 बिलियन डॉलर (लगभग 29 हजार करोड़ रुपये) की लागत से 31 MQ9B ड्रोन खरीदने की डील साइन कर ली गई है. अमेरिका से खरीदे जाने वाले 31 MQ9B Drones में से 15 भारतीय नौसेना को मिलेंगे. जबकि 8-8 ड्रोन आर्मी और एयरफोर्स के हिस्से में आएंगे. Indian Navy के हिस्से में निगरानी का सबसे लंबा इलाका आता है. लिहाजा उसके हिस्से में ज्यादा ड्रोन आएंगे. मगर तीनों ही मोर्चों पर मुख्य चुनौती होगी चीन के CH-5 ड्रोन. ख़बर है कि पाकिस्तान भी इस ड्रोन को हासिल करने के चक्कर में है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अमेरिका से आने वाला ड्रोन, अपने चीनी प्रतिद्वंदी के सामने कितना कारगर होगा.

किस काम आएगा MQ9B ड्रोन?

MQ9B Drones का निर्माण करने वाली अमेरिकी कंपनी का दावा है कि इसे मानवीय सहायता, आपदा राहत, सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया जा सकता है. इसके अलावा लॉ इम्फोर्समेंट, हवा से जमीन पर अटैक (Anti-Surface Warfare), पनडुब्बी रोधी ऑपरेशन (Anti-Submarine Warfare) और समुद्री बारूदी सुरंगों को नष्ट करने के अभियान (Airborne Mine Counter Measures) में इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही साथ इस ड्रोन से लंबी दूरी के रणनीतिक ऑपरेशन (Long-Range Strategic ISR) और लंबी दूरी के टारगेट को हिट करने (Over-the-Horizon Targeting) का काम भी लिया जा सकता है. इस ड्रोन को पहाड़ी इलाकों, रेगिस्तान, जंगली इलाकों और महासागर में ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है. दूसरी तरफ चीन के CH-5 का इस्तेमाल भी इन सभी उद्देश्यों के लिए किया जाता है.

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MQ9B ड्रोन की खूबियां

जवाहिरी जैसे आतंकी को अमेरिका ने इसी ड्रोन से निशाना बनाया था. इस ड्रोन का निर्माण जनरल एटॉमिक्स सिस्टम (GAC) करती है. पहली बार दुनिया ने 2007 में रिमोट से ऑपरेट होने वाले इस पायलट रहित विमान को आसमान में उड़ते देखा था. एक विशालकाय ड्रोन है. GAC के इस ड्रोन का विंग स्पेन (दोनों पंखों समेत चौड़ाई) 24 मीटर है. इसका मैक्सीमम टेक ऑफ वेट (जितने वजन के साथ कोई विमान उड़ान भर सकता है) 4700 किग्रा है. जबकि ये 1746 किग्रा पेलोड (मिसाइल और बॉम्ब) लेकर उड़ान भर सकता है. इस ड्रोन की सर्विस सिलिंग (जितनी ऊंचाई तक कोई विमान उड़ान भर सकता है) 40000 फिट है. इस ड्रोन की अधिकतम रफ्तार 445 किमी/घंटा है. जबकि इसकी रेंज 1900 किमी है. MQ9B ड्रोन एक बार में लगातार 40 घंटे तक उड़ान भर सकता है. 

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CH5 ड्रोन की खूबियां

CH5 का निर्माण चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नॉलजी कॉरपोरेशन (CASC) करती है. इस ड्रोन की पहली उड़ान 2005 में हुई थी. यानी एमक्यू9बी से दो साल पहले. MQ9B के मुकाबले CH5 ड्रोन आकार में थोड़ा छोटा है. इसका विंग स्पेन- 21 मीटर है. MQ9B की तुलना में इसका मैक्सीमम टेक ऑफ वेट भी कम है यानी 3000 किग्रा. इस ड्रोन की पेलोड क्षमता 900 किग्रा है, यानी यहां भी अमेरिकी ड्रोन से कम. चीनी ड्रोन 30000 फिट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. बोले तो अपने प्रतिद्वंदी अमेरिकी ड्रोन से 10 हजार फिट कम. सिर्फ रेंज ही एक ऐसा पैरामीटर है जहां चीनी ड्रोन का पलड़ा भारी है यानी 100 किमी ज्यादा. CH-5 की रेंज 2000 किमी है. एक बार में ये ड्रोन लगातार 30 घंटों तक उड़ान भर सकता है. यानी यहां भी अमेरिकी ड्रोन से काफी पीछे.

MQ9B बनाम CH5 के हथियार

अमेरिकी MQ9B ड्रोन 4AGM 114 हेलफायर मिसाइल से लैस है. इसके अलावा इस ड्रोन में  2230 किग्रा वजन के गाइडेड बॉम्ब लोड किये जा सकते हैं. जबकि चाइनीज ड्रोन में 8 AR-One लेजर गाइडेड मिसाइल लगाए गए हैं. इसके अलावा इसमें FT-7 130 किग्रा गाइडेड बॉम्ब लोड रहते हैं. जबसे भारत और अमेरिका के बीच MQ9B ड्रोन डील पर बात चल रही है. तभी से पाकिस्तान भी चीन से CH5 लेने पर चर्चा कर रहा है.

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