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लक्षद्वीप पर भिड़े भारत-मालदीव, मालदीव को बड़ा नुकसान होगा?

भारत-मालदीव विवाद की जड़ में क्या है? लक्षद्वीप पर बवाल क्यों शुरू हुआ?

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भारत-मालदीव विवाद की जड़ में क्या है? लक्षद्वीप पर बवाल क्यों शुरू हुआ?

मालदीव सुनते ही आपके मन में क्या ख़याल आता है? समंदर, छुट्टियां, हनीमून. पिछले कुछ दिनों में इसके मायने बदल गए हैं. इन दिनों मालदीव आंखों का कांटा बनता जा रहा है. सोशल मीडिया पर बायकॉट की मुहिम चल रही है. बुकिंग्स कैंसिल हो रहीं हैं. मंत्री सस्पेंड हो रहे हैं. लेकिन इतना बड़ा बदलाव हुआ कैसे? इस विवाद में लक्षद्वीप का ज़िक्र कहां से आया? आइए जानते हैं

मामले की शुरुआत होती है 4 जनवरी 2024 को.अरब सागर में बसे लक्षद्वीप से कुछ तस्वीरें बाहर आतीं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की. सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर वो लिखते हैं, 

कुछ समय पहले मुझे लक्षद्वीप के लोगों से मिलने का मौका मिला. मैं अभी भी उन द्वीपों की ख़ूबसूरती और वहां के लोगों की गर्मजोशी से अभिभूत हूं. जो भी एडवेंचर का शौक़ रखते हैं, लक्षद्वीप उनकी लिस्ट में ज़रूर होना चाहिए.

होने को तो ये प्रधानमंत्री के एक सामान्य दौरे की कहानी भर हो सकती थी. लेकिन इसने पड़ोस में बसे मालदीव में हलचल मचा दी. पीएम मोदी ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहीं भी मालदीव का नाम नहीं लिया था. मगर वहां के कुछ लोगों ने इसे अपनी पहचान से जोड़ लिया. दरअसल, 2020 से मालदीव में ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चल रहा है. उस कैंपेन के लीडर मोहम्मद मुइज़्जु नवंबर 2023 में राष्ट्रपति बन गए. तब से वो मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को निकालने पर अड़े हैं. समुद्र में रिसर्च से जुड़ा एक पुराना समझौता भी खत्म कर चुके हैं. हालांकि, भारतीय पर्यटकों पर कुछ नहीं कहा है. क्योंकि उनसे होने वाली कमाई मालदीव की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देती है.

इसलिए, जब पीएम मोदी लक्षद्वीप गए, उन्हें लगा कि भारत सरकार मालदीव आने वाले भारतीय पर्यटकों को रोकने की कोशिश कर रही है. वहां फिर से एंटी-इंडिया कैंपेन ने ज़ोर पकड़ा. कुछ सोशल मीडिया यूजर्स भारत के ख़िलाफ़ नस्लभेदी पोस्ट लिखने लगे. भारत को असभ्य बताने लगे. मुइज़्ज़ु सरकार के 03 जूनियर मिनिस्टर्स ने बहती धारा में हाथ धोने की कोशिश की. विवादित टिप्पणियां कीं. इसके बाद तो मामला हाथ से निकल गया. भारत सरकार ने ऑफ़िशल चैनल से अपनी आपत्ति दर्ज़ कराई. जिसके बाद मालदीव सरकार ने तीनों मंत्रियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया. कहा, ये उनके निजी विचार थे. हमारा उनसे कोई लेना-देना नहीं है.

इस सफ़ाई के बावजूद आग शांत नहीं हुई. मालदीव के विपक्षी नेताओं ने भारत का पक्ष लिया. अपनी सरकार को भारत से माफ़ी मांगने के लिए कहा. इधर, भारत में सेलिब्रिटीज़ ने लक्षद्वीप टूरिज्म का प्रचार शुरू कर दिया है. साथ ही साथ, वे मालदीव की आलोचना भी करने लगे हैं. सबकी पोस्ट्स का मज़मून लगभग एक जैसा है. दिलचस्प ये है कि उनमें से कई सेलिब्रिटीज़ का मालदीव आना-जाना लगा रहता है. इन सबके अलावा, भारत की ट्रैवल कंपनियां मालदीव की बुकिंग्स कैंसिल करने लगीं हैं. जानकार कहते हैं, ये मालदीव के लिए दोहरा झटका हो सकता है. एक तो उन्हें एक भरोसेमंद साथी से हाथ धोने की आशंका है. जब-जब मालदीव मुसीबत में फंसा है, भारत ने सबसे पहले मदद भेजी है. चाहे वो 1988 में ऑपरेशन कैक्टस चलाकर तख़्तापलट रोकना हो, 2004 की सुनामी हो या 2014 का जल संकट, भारत सबसे आगे खड़ा था. 

मालदीव की दूसरी आशंका पैसे से जुड़ी है.

मालदीव के पर्यटन मंत्रालय की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में सबसे ज़्यादा पर्यटक भारत से आए थे. कितने? 02 लाख 09 हज़ार 198. दूसरे नंबर पर रूस था. चीन एक समय तक पहले नंबर पर हुआ करता था. 2023 में उनके पर्यटकों की संख्या 01 लाख 88 हज़ार के आसपास रही.

- मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन से चलती है, ये बात कहना अतिशियोक्ति नहीं होगी. आंकड़े देखिए,  पर्यटन मालदीव की GDP का एक चौथाई हिस्सा कंट्रीब्यूट करता है. 
मालदीव में 70 फीसदी से ज़्यादा रोज़गार पर्यटन से कहीं न कहीं जुड़ा हुआ है.

- 2018 में मालदीव में भारतीय पर्यटक 5वें स्थान पर थे. लेकिन कोरोना के बाद साल 2021,22 और 23 में भारत से ही सबसे ज़्यादा लोग वहां पहुंच रहे हैं. 
भारत ने क्या योगदान दिया है? शिक्षा के क्षेत्र में – साल 2012-2013 से 170 से ज़्यादा मालदीव के छात्रों को ICCR स्कॉलरशिप मिली.  650 से ज़्यादा मालदीव के छात्रों को भारत के e-ITEC (Indian Technical and Economic Cooperation) प्रोग्राम से फायदा मिला है. मालदीव और भारत दोनों लंबे समय से सहयोगी रहे हैं. मालदीव ने भारत के कई संस्थानों के साथ MoU साइन किए हैं.  जैसे -

- भारत और मालदीव के इलेक्शन कमीशन के बीच  

- अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ़ मालदीव के बीच

- मालदीव पुलिस सर्विसेज और सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी बीच 

ये तो हुई लक्षद्वीप पर मचे ‘भारत बनाम मालदीव’ बवाल की कहानी. लेकिन मामला यहीं तक सीमित नहीं है. इस झगड़े की बुनियाद 2013 में ही रख दी गई थी. तब क्या हुआ था?

- 2013 में प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव (PPM) के अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम राष्ट्रपति बने. उनका झुकाव चीन की तरफ़ था. उनके कार्यकाल में भारत के साथ दूरियां बढ़ीं. भारत ने मालदीव को दो ध्रुव हेलिकॉप्टर्स दिए थे. सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशंस के लिए. भारतीय सैनिक ट्रेनिंग और उनके मैनेजमेंट के लिए गए. 2015 में PPM के अंदर ऐसा माहौल बनाया गया कि भारत अपनी सेना मालदीव पर थोप रहा है. फिर विरोध शुरू हुआ. 2016 में गयूम ने भारत को हेलिकॉप्टर्स वापस लेने की अपील की. एग्रीमेंट की डेडलाइन बढ़ाने से भी मना कर दिया. हालांकि, जब तक वैसा होता, सरकार बदल चुकी थी. 2018 में मालदीवन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के इब्राहिम मोहम्मद सोलिह राष्ट्रपति बने. सोलिह को प्रो-इंडिया माना जाता है. उनके शपथग्रहण समारोह में पीएम मोदी ख़ुद पहुंचे. प्रधानमंत्री बनते ही सोलिह ने हेलिकॉप्टर्स वाली डील की डेडलाइन आगे बढ़ा दी.

- उधर, गयूम पर भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग का आरोप लगा. उन्हें 11 बरस जेल की सज़ा सुनाई गई. गयूम के समर्थक नाराज़ हुए. सोलिह के ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट किया. धीरे-धीरे ये प्रोटेस्ट एंटी-इंडिया कैंपेन में बदलने लगा. आरोप ये भी लगा कि सोलिह सरकार संसद को बताए बिना भारत के साथ डिफ़ेंस डील कर रही है. भारत को नौसैनिक अड्डा बनाने के लिए जगह दे रही है. सोलिह इनकार करते रह गए. मगर ये भावना लोगों के मन में पैठ चुकी थी. उस दौर में इंडिया आउट कैंपेन को लीड करने वाले मोहम्मद मुइज़्जु ही थे. इसी को आधार बनाकर उन्होंने 2023 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा. और, जीते भी.

- नवंबर में शपथ लेते ही मुइज़्जु ने भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग की. फिर पहले दौरे पर तुर्किए चले गए. अमूमन मालदीव के राष्ट्रपति पहले विदेशी दौरे पर भारत आते हैं.

- नवंबर में ही दुबई में क्लाइमेट चेंज पर कॉन्फ़्रेंस ऑफ़ पार्टीज़ (COP28) की बैठक हुई. वहां वो पीएम मोदी से मिले. लौटकर बोले, भारत अपने सैनिकों को हटाने के लिए तैयार हो गया है. जबकि भारत ने आधिकारिक तौर पर अभी तक कुछ नहीं कहा है. अब नए बरस में लक्षद्वीप को लेकर शुरू हुआ हंगामा डिप्लोमेटिक वॉर में बदल गया है. ये तो हुआ भारत-मालदीव विवाद का तिया-पांचा. लेकिन जानकार कहते हैं, लॉन्ग-टर्म में ये तकरार भारत की सुरक्षा और विदेश-नीति के लिए फ़ायदेमंद नहीं है. इससे पहले अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका और नेपाल में हमें झटका लग चुका है. अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश हो रही है. 

अब भारत-मालदीव विवाद की अपडेट्स जान लेते हैं.

- भारत के साथ चल रहे विवाद के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्जु चीन पहुंच गए हैं. उनका दौरा 12 जनवरी तक चलेगा.  इस पर भारत की नज़र भी रहेगी.
- 08 जनवरी को भारत ने मालदीव के उच्चायुक्त इब्राहिम शहीब को तलब किया. पीएम मोदी के ख़िलाफ़ हुई विवादित टिप्पणियों के लिए आपत्ति दर्ज कराई.
- 08 जनवरी को ही मालदीव के विदेश मंत्रालय ने भारतीय उच्चायुक्त मनु महावर के साथ मीटिंग की. इसमें दोनों देशों के संबंधों के भविष्य पर चर्चा हुई.