2022 की खबरों में पीएम मोदी, अमित शाह, राहुल गांधी, विराट कोहली, मेसी ये सब कीवर्ड रहे ही. लेकिन एक किरदार और है, जिसका नाम खबरों की हेडलाइन्स में खूब रहा. नाम- बुलडोजर. यूपी में खूब चलता है. किसी पर गलत काम का आरोप लगा, अगले दिन उसके घर पर बुलडोजर (Bulldozer) चल जाता है. अब तो एमपी के साथ-साथ दूसरे राज्यों से भी खबरें आने लगी हैं. रीवा में लड़की को पीटने का वीडियो वायरल हुआ तो आरोपी की झोपड़ी पर बुलडोज़र चल गया.
साल भर चला बुलडोजर, कहां-कहां क्या गिराया, कोर्ट से क्या सुनने को मिला?
इस साल बुलडोजर खबरों में रहा.
दिल्ली के जहांगीरपुरी में भी बुलडोजर चला था, खूब बवाल भी हुआ था. लेकिन इन बवालों के बीच लोग ये सवाल भी पूछते हैं कि क्या आरोप लगते ही किसी का घर तोड़ देना चाहिए? क्योंकि जो घर तोड़ा जाता है उसमें आरोपी के मां-बाप, पत्नी, बच्चे या परिवार के दूसरे सदस्य भी तो रहते हैं. और इनमें से किसी ने कोई अपराध तो किया नहीं होता. क्या उन्हें बेघर किया जाना चाहिए?
रायसेन में चला बुलडोजरमार्च के महीने में मध्य प्रदेश के रायसेन में एक गली से आदिवासी समुदाय के दो युवक निकल रहे थे. उनकी दूसरे समुदाय के युवकों से किसी बात पर उनकी कहासुनी हो गई. दोनों पक्षों में मारपीट शुरू हो गई. लोगों ने कई दुकानों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. हिंसा के दौरान गोलियां भी चलीं. कुल 24 से अधिक लोगों के घायल हुए. एक आदिवासी युवक की मौत हुई. इसके बाद चार आरोपियों के घरों और दुकानों पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया है. इनमें दोनों ही समुदाय के दो-दो लोगों के घर शामिल हैं.
मार्च के महीने में यूपी के सहारनपुर में दो भाइयों पर गैंगरेप का आरोप लगा. वारदात के बाद आरोपी फरार हो गए. पुलिस आरोपियों के गांव पहुंची और ढोल बजवाकर घोषणा की. कहा कि आरोपी जहां भी छिपे हों, पुलिस के हवाले कर दिया जाए. इसके बाद पुलिस घर पहुंची, बुलडोजर के साथ. घर पर तोड़फोड़ की गई. आजतक के अनिल भारद्वाज की खबर के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि अगर आरोपी थाने नहीं पहुंचे तो पूरा मकान तोड़ दिया जाएगा.
दिल्ली के जहांगीरपुरी में चला बुलडोज़रहनुमान जयंती पर दिल्ली के जहांगीरपुर में सांप्रदायिक हिंसा हुई. हिंसा के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया और उसके बाद जहांगीरपुरी में MCD का बुलडोज़र चला. मंदिर का अतिक्रमण वाला हिस्सा तोड़ा गया. दुकाने तोड़ी गईं. सड़क पर लगने वाले कुछ ठेलों पर भी बुलडोजर चला दिया गया.
जिस समय जहांगीरपुरी में बुलडोजर चल रहा था, उसी सयम सुप्रीम कोर्ट में कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए बहस हुई. कोर्ट ने आदेश दिया कि बुलडोजर रोका जाए. इसके बाद CPM की वरिष्ठ नेता वृंदा करात की वो तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वो कोर्ट का आदेश लेकर बुलडोजर के सामने खड़ी हो गईं.
अप्रैल के महीने में मध्य प्रदेश के खरगोन में सांप्रदायिक हिंसा हुई. आरोपियों पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने उनके कथित अवैध निर्माणों को बुलडोजर से ढहा दिया. इसी सिलसिले में प्रशासन ने हसीना फखरू के खसखासवाड़ी स्थित घर को भी गिरा दिया था. बाद में खुलासा हुआ कि हसीना का घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया था. इसे लेकर खरगोन प्रशासन और मध्य प्रदेश सरकार की किरकिरी हुई. बाद में सरकार ने हसीना फखरू और उनके परिवार को वापस से बसाने की बात कही. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई थी.
मोहम्मद जावेद का घर गिरा दियानूपुर शर्मा ने पैंगबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. यूपी के प्रयागराज में 10 जून शुक्रवार की शाम जुमे की नमाज़ के बाद नूपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गया. कई जगह तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं. पुलिस पर भी पथराव किया गया. पुलिस ने इस हिंसा के लिए मोहम्मद जावेद (जावेद पंप) को जिम्मेदार बताया. इधर प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने कहा कि जावेद का घर अवैध तरीके से बनाया गया था. 1 जून की रात को जावेद के घर पर चिपकाए गए नोटिस में कहा गया था कि 12 जून की सुबह 11 बजे तक घर से सामान हटाकर उसे खाली कर दें, ताकि PDA कार्रवाई कर सके. PDA ने नोटिस में साफ लिखा था कि घर गिराया जाएगा. 12 जून को जावेद के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया. कार्रवाई करीब पांच घंटे चली. और तीन जेसीबी मशीनों ने दो मंजिला इमारत को गिराया.
ये कार्रवाई की थी PDA ने, जो जुलाई में हंसी का पात्र बन गया. प्रयागराज के मोहम्मद रशीद नामक एक व्यक्ति ने एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने शहर के इंदिरा भवन कार्यालय के नीचे दुकानों के अतिक्रमण, पोडियम, बरामदों में अवैध दुकानों को हटाने की मांग की. कोर्ट ने PDA से नक्शा मांगा. तो PDA ने कहा - नक्शा अभी नहीं मिला है और उसे खोजा जा रहा है. जब वकील ने नक्शा खोज कर उसे पेश करने का समय मांगा तो कोर्ट नाराज हो गया और प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई.
ये भी पढ़ें: आफ़रीन फातिमा की कहानी, जिनके घर पर बुलडोजर चला तो JNU में बवाल हो गया!
फर्नीचर का पैसा मांगा तो SDM ने बुलडोजर भेज दियामुरादाबाद की बिलारी तहसील के निवासी जाहिद अहमद का फर्नीचर का कारोबार है. उनके घर के पास ही ‘आर्शीवाद फर्नीचर’ के नाम से उनका शोरूम है. वहां एसडीएम ने फर्नीचर पसंद किया जो उनके बिलारी आवास और मुरादाबाद आवास भेज दिया गया. कीमत थी 1 लाख 48 हजार रुपये. जाहिद का आरोप है कि उन्होंने जब बिल भेजकर पैसे मांगे तो एसडीएम ने कोई जवाब नहीं दिया. उसके बाद एसडीएम दोबारा शोरूम आए और बताया कि उनकी बेटी अलका वर्मा हरदोई में डिप्टी जेलर के पद पर तैनात हैं और उनके घर के लिए भी सामान भेजना है. शोरूम में सामान पसंद करने के बाद उन्होंने सारे सामान की पैकिंग कराई. पूरा सामान गाड़ी मंगाकर मजदूरों के साथ हरदोई भेजा.
5 जुलाई, 2022 को हरदोई सामान पहुंचने के बाद दोबारा से फर्नीचर कारोबारी 1 लाख 19 हजार रुपये का बिल लेकर एसडीएम के पास पहुंचे. व्यापारी के मुताबिक, इस दौरान उनके साथ अभद्रता की गई. 12 जुलाई की शाम उनका घर गिराने के लिए बुलडोजर के साथ प्रशासनिक टीम भेज दी गई. बुलडोजर से घर की दीवार गिरा दी गई. व्यापारी ने बड़े अधिकारियों से गुहार लगाई, तब जाकर घर बचा.
बाद में मुरादाबाद के डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह का कहना था कि इस प्रकरण के दो पहलू हैं. उन्होंने बताया था,
असम के मदरसों पर चला बुलडोज़रशिकायतकर्ता ने शिकायत की है कि एसडीएम बिलारी ने उनके घर पर बुलडोजर भेजकर इसलिए तोड़फोड़ की क्योंकि उन्होंने जो फर्नीचर खरीदा था, उनसे पैसे मांगे गए. लेकिन एसडीएम ने बताया कि जाहिद अहमद ने तालाब पाटकर मकान बनाया है, उसे हटाने के लिए कार्रवाई की गई. इस प्रकरण की जांच एडीएम प्रशासन को सौंपी गई है. जल्द ही जांच रिपोर्ट आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी.
असम के बोंगाईगांव में बुधवार, 31 अगस्त को एक मदरसे को प्रशासन ने बुलडोज़र चलाकर ढहा दिया. प्रशासन के मुताबिक, इस मदरसे के एक शिक्षक को 26 अगस्त को असम पुलिस ने अल कायदा इंडियन सब्कॉन्टीनेंट (AQIS) और प्रतिबंधित संगठन अंसार-उल-बांग्ला टीम (ABT) से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया गया था. इमाम और मदरसे के शिक्षकों सहित 37 लोगों की गिरफ्तारी के बाद असम सरकार ने मदरसे पर कार्रवाई की. एक के बाद एक तीन मदरसों पर बुलडोज़र चलाया गया.
पूरी खबर यहां पढ़िए: असम में एक और मदरसे पर चला बुलडोजर, आतंकी संगठनों से जुड़े होने का आरोप
महिला से छेड़छाड़ की, बुलडोजर चल गयानवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक बिहार के छपरा में 27 सितंबर, 2021 को बाइक पर जा रही एक महिला से छेड़छाड़ की गई. चार लोगों पर आरोप लगा. चार गिरफ्तार हो गए. एक फरार था. इस साल अक्टूबर में बिहार पुलिस ने फरार आरोपी के घर बुलडोजर चला दिया.
गरबा में पत्थर चलाया, घर गिरा दियाअक्टूबर के महीने में मध्य प्रदेश के मंदसौर में गरबा के दौरान कुछ लोगों ने पत्थरबाजी कर दी. इनमें सलमान नाम के शख्स को मुख्य आरोपी माना गया. दो दिन बाद मंदसौर में तीन लोगों के घरों को अवैध बताते हुए बुलडोज़र चला दिया गया. इनकी कीमत थी करीब 3 करोड़ 50 लाख रुपये. ये घर जफर, रईस और सलमान के थे. तीनों गरबा में पत्थरबाजी के मुख्य आरोपी थे.
‘कोर्ट को बंद कर दीजिए फिर’बिहार में 15 अक्टूबर को एक महिला का घर गिरा दिया था. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ जमीन माफियाओं के इशारे पर उनके मकान को अवैध तरीके से गिरा दिया गया. पीड़ित ने कोर्ट ने याचिका दायर की. सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट के जज ने कहा,
"क्या यहां भी बुलडोजर चलने लगा? ऐसा कौन पावरफुल आदमी है जो आप बुलडोजर लेकर इनका (घर) तोड़ दिए? आप किसका प्रतिनिधित्व करते हैं सरकार का या किसी निजी व्यक्ति का? तमाशा बना दिया है कि किसी का घर बुलडोजर से तोड़ देंगे."
"भूमि विवादों को चिन्हित कर थाना को ही मामले के निपटारे का पावर दे दिया गया है? आपकी समस्या है तो थाना जाइए, पैसे दे दीजिए और घर तुड़वा दीजिए किसी का... सिविल कोर्ट को बंद कर दीजिए फिर."
सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि पीड़ित को सबसे (घर गिराए जाने के जिम्मेदार अधिकारी) 5 लाख रुपये का मुआवजा दिलवाए जाएंगे.
ये भी पढ़े: "तमाशा बना दिया है, कोर्ट को बंद कर दीजिए फिर"- बुलडोजर चलाने पर HC के जज गुस्सा गए
बुलडोजर कार्रवाई की पूरी प्रक्रियाक्या बुलडोज़र की ये कार्रवाई जायज है? इस बारे में हमारे साथी मुरारी त्रिपाठी ने मई के महीने में एक विस्तृत खबर की थी. उन्होंने इन सवालों के जवाब जानने के लिए उत्तर प्रदेश के एक प्रशासनिक अधिकारी से बात की. नाम ना छापने की शर्त पर उन्होंने सवालों के जवाब दिए. अधिकारी ने बताया कि बुलडोजर से संपत्ति ढहाने की कार्रवाई 'उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1973' के तहत होती है. अधिकारी ने बताया,
इस कानून में एक धारा है, जिसे धारा 27 कहा जाता है. इसके तहत ही प्रशासन को अवैध संपत्तियों को ढहाने का अधिकार मिला हुआ है. इस संबंध में विकास प्राधिकरण के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन नोटिस जारी कर सकते हैं. राजस्व विभाग के अधिकारी इसमें उनकी मदद करते हैं.
इस एक्ट के मुताबिक, अगर संपत्ति गिराने का अंतिम आदेश जारी हो चुका है, तो प्रशासन को अधिकतम 40 दिनों के अंदर संपत्ति को गिराना होगा. एक्ट ये भी कहता है कि संपत्ति गिराने का आदेश उस संपत्ति के मालिक को अपना पक्ष रखने का एक अच्छा मौका दिए बिना जारी नहीं किया जा सकता. यही नहीं, आदेश जारी होने के 30 दिनों के भीतर संपत्ति का मालिक आदेश के खिलाफ चेयरमैन से अपील कर सकता है. चेयरमैन उस अपील पर सुनवाई के बाद आदेश में संशोधन कर सकते हैं या फिर उसे रद्द भी कर सकते हैं. एक्ट में ये भी लिखा है कि चेयरमैन का फैसला ही अंतिम होगा और उसे किसी अदालत में चैलेंज नहीं किया जा सकेगा.