पिछले 2-3 साल में हिंदुस्तानी जनता को OTT प्लेटफॉर्म्स पर क्राइम ड्रामा और थ्रिलर सीरीज़ देखने का चस्का लग गया है. और सही बताएं तो ये चस्का लगना वाजिब भी है. ज़बरदस्त एक्शन, दमदार किरदार और सांसें रोकने को मजबूर कर देने वाले ट्विस्ट- ये सब कुछ साल पहले तक सिर्फ इंटरनेशनल शोज़ में ही देखने को मिलता था. मगर आज हमारे देश में भी एक से बढ़कर एक धांसू सीरीज़ प्रोड्यूस की जा रही हैं, और पब्लिक इन्हें खूब पसंद भी कर रही है. इस लिस्ट में अब 'रक्तांचल' का नाम भी जुड़ गया है.
IMPACT FEATURE: रक्तांचल के बाहुबलियों से एक ख़ास बातचीत
80 के दशक के पूर्वांचल पर बेस्ड है ये वेब सीरीज़.

‘रक्तांचल’ अस्सी के दशक के पूर्वांचल की कहानी है, जहां बाहुबलियों का राज हुआ करता था. सरकारी टेंडर के लिए खून-खराबा हो जाना आम बात हुआ करती थी. जो ज़्यादा बड़ा दबंग, टेंडर भी उसी का. MX Player की यह ओरिजिनल सीरीज़ 28 मई को रिलीज़ की गयी है और कइयों ने तो इसे बिंज-वॉच कर के ख़तम भी कर डाला है. इससे पहले शो का ट्रेलर भी सोशल मीडिया पर काफी धूम मचा चुका है. सीरीज़ का निर्देशन किया है रितम श्रीवास्तव ने.
‘रक्तांचल’ की जान हैं इसके दो मुख्य किरदार, विजय सिंह और वसीम खान. विजय सिंह का किरदार निभाया है क्रांति प्रकाश झा ने, जो ‘एम. एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ और ‘बटला हाउस’ में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं. वहीँ वसीम खान बने हैं निकितिन धीर जिन्हें ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ और ‘जोधा अकबर’ जैसी हिट फिल्मों में उनके रोल्ज़ के लिए काफी पसंद किया जा चुका है. ‘रक्तांचल’ का ट्रेलर देख कर हमारा मन हुआ कि इन दोनों कलाकारों से बात-चीत की जाए. दोनों ही काफी डाउन-टू-अर्थ हैं. समय देने में ज़रा भी आनाकानी नहीं की और बड़ी विनम्रता से सारे सवालों के जवाब दिए.
इस बात-चीत में हमने उनसे इस सीरीज़ और उनके किरदारों के बारे में जानने की कोशिश की. आइये जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
‘रक्तांचल’ अस्सी के दशक के पूर्वांचल में हुई असली घटनाओं पर आधारित है. अपने शब्दों में शो के बारे में कुछ बताइये.
निकितिन: ये बात सच है कि 'रक्तांचल' अस्सी के दशक की कुछ घटनाओं पर बेस्ड है. लेकिन इसके कुछ पहलू काल्पनिक भी हैं. उन दिनों पूर्वांचल में टेंडर माफिया का बोलबाला था और सरकारी ठेकों के लिए गैंगवार होना आम बात थी. कहानी के बारे में ज़्यादा बोलना ठीक नहीं होगा क्यूंकि कई लोगों ने अभी शो देखा नहीं है, लेकिन मेरा मानना है कि ये एक एंटरटेनिंग शो है जो ऑडियंस को काफी पसंद आएगा.
क्रांति: 'रक्तांचल' एक क्राइम ड्रामा है जिसमें उन दिनों टेंडर माफिया के बीच चलने वाली दुश्मनी और हिंसा को दिखाया गया है. इस शो में अस्सी के दशक का पूर्वांचल काफी ऑथेंटिक तरीके से दिखाया गया है. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकि मैं खुद उसी जगह से हूँ और मेरी पैदाइश भी अस्सी के दशक में ही हुई थी. मैं उम्मीद करता हूँ कि इसे दर्शकों का प्यार मिलेगा.
ट्रेलर देख कर विजय सिंह और वसीम खान काफी मज़बूत और लार्जर-दैन-लाइफ कैरेक्टर मालूम पड़ते हैं. शो में अपने किरदार के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
निकितिन: वसीम खान और विजय सिंह, दोनों ही काफी स्ट्रांग कैरेक्टर हैं. दरअसल वो दोनों ही ठेकेदारी में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं और इसी वजह से उन दोनों के बीच दुश्मनी हो जाती है. उस दुश्मनी का अंजाम क्या होता है, ये आपको शो देख कर ही पता चलेगा.
क्रांति: मैंने विजय सिंह का रोल करने का फैसला इसलिए लिया क्यूंकि उसके व्यक्तित्व से मैं काफी रिलेट कर पाता हूँ. वो काफी पढ़ाकू है, अपने परिवार से प्यार करता है, देश से प्यार करता है, सिविल सर्वेंट बनना चाहता है. लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बन जाती हैं कि एक दिन उसके अंदर का गुस्सा फुट पड़ता है और वो सिस्टम के खिलाफ खड़ा हो जाता है. यह काफी इंटेंस कैरेक्टर है जिसे निभाने में मुझे काफी मज़ा आया.
‘रक्तांचल’ में आप दोनों ने ही दबंग किरदार निभाए है. ऐसा क्या चीज़ है जो विजय सिंह और वसीम खान को दबंग बनाती है?
क्रांति: विजय सिंह की सबसे बड़ी ताकत है उसका परिवार. वो अपने घरवालों से बेहद प्यार करता है और उनके लिए किसी भी हद तक जा सकता है. जब बात उसके परिवार पर आ जाती है तो वो फिर दुनिया में उससे ज़्यादा खूंखार इंसान कोई भी नहीं रह जाता.
निकितिन: वसीम खान को किसी का डर नहीं है. अपना मकसद पूरा करने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है. अपने बिज़नेस के लिए खून-खराबा करना उसके लिए छोटी सी बात है. वो एक ऐसा इंसान है जिससे दुश्मनी करना मौत को दावत देने जैसा है.
‘रक्तांचल’ में तो आप एक दूसरे के जानी दुश्मन बने हैं, लेकिन आप दोनों की ऑफ-स्क्रीन केमिस्ट्री कैसी है?
निकितिन: क्रांति को मैं 2005 से जानता हूँ. वो एक बेहतरीन इंसान है और उनके साथ काम करने में मुझे बहुत मज़ा आया. उनका और मेरा काम करने का तरीका और एक्टिंग को ले कर हमारी अप्रोच काफी अलग हैं. इस की वजह से साथ में किया गया हर सीन और भी ज़्यादा दिलचस्प हो जाता है.
क्रांति: निकितिन एक ज़बरदस्त एक्टर हैं और मैं उनकी काफी इज़्ज़त करता हूँ. वो बहुत मेहनती हैं और वो मेहनत उनके काम में साफ़ झलकती है. ‘रक्तांचल’ में उनके साथ काम कर के मैं काफी खुश हूँ.
‘रक्तांचल’ की कहानी पूर्वांचल में बेस्ड है. आपने इस रोल को निभाने के लिए अपने आप को किस तरह तैयार किया?
क्रांति: मेरी आदत है कि मैं हर स्क्रिप्ट को कम से कम 30-40 बार पढता हूँ ताकि खुद को अच्छे से अपने किरदार में ढाल पाऊँ. मैं विजय सिंह के किरदार को जीना चाहता था और इसके लिए मैंने खुद को 2-3 हफ़्तों के लिए पूरी दुनिया से अलग कर लिया था. उसके बाद मैं रितम सर से मिला और उन्हें बताया कि मैं किस तरह इस कैरेक्टर को निभाना चाहता हूँ. उन्हें मेरी सोच अच्छी लगी और मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने मुझे इस रोल की तैयारी करने के लिए पूरी आज़ादी दी. जहाँ तक रही बोल-चाल और हाव-भाव की बात, तो वो मेरे लिए आसान था क्यूंकि मैं खुद बिहार से हूँ और उत्तर प्रदेश में भी मेरा काफी आना जाना रहा है. साथ ही मैं कई दबंग लोगों से मिला भी हूँ. विजय सिंह भले ही दिखता बहुत सख्त है लेकिन उसके भी अपने डर और अपनी कमज़ोरियाँ हैं. मेरे लिए उसके व्यक्तित्व का वो पहलू दिखाना बहुत ज़रूरी था.
निकितिन: शो की राइटिंग लाजवाब है. वसीम का कैरेक्टर भी इतना अच्छे से लिखा गया है कि मुझे खुद को तैयार करने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगा. साथ ही मैंने और रितम ने काफी वक़्त साथ बिताया ताकि अपने रोल को अच्छे से समझ सकूँ. जहाँ तक रही वसीम के लुक की बात तो वो रितम ने मेरे ऊपर छोड़ दिया था. मैंने काफी कुछ ट्राइ किया और फाइनल लुक आपके सामने है. सेट पर काफी एक्टर्स पूर्वांचल से भी थे, मैंने उनके साथ काफी वक़्त बिताया ताकि मेरा लहजा और बॉडी लैंग्वेज ऑथेंटिक लगे.
इस सीरीज़ पर काम करने के दौरान सेट पर आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा? क्या कोई ऐसा मज़ेदार किस्सा है जो आप हमें बताना चाहेंगे?
क्रांति: हमारा शूट शेड्यूल काफी हेक्टिक था क्यूंकि हमें तकरीबन 90 लोकेशंस पर शूट करना था. इसके बावजूद सेट का माहौल काफी मज़ेदार और पॉजिटिव रहता था. शो की पूरी यूनिट एक परिवार की तरह थी. मेरे को-एक्टर्स के साथ बिताया हुआ वक़्त मुझे हमेशा याद रहेगा. सबसे ज़्यादा मज़ेदार बात ये थी कि हम सभी फूडी थे और जैसे ही मौका मिलता था खाने-पीने निकल जाते थे. अस्सी में खाने की एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट चीज़ें मिलती है. हम रोज़ वहां जाया करते थे और कभी गुलाबजामुन, कभी जलेबी, तो कभी चाट खाते-खाते गप्पें मारा करते थे.
निकितिन: शूट के दौरान हम सब ने बहुत मज़े किये. सेट का माहौल हमेशा काफी पॉजिटिव और एनर्जेटिक था. मुझे याद है कि एक बार हम एक एक्शन सीक्वेंस शूट कर रहे थे जिसमें एक जीप बहुत ही हलकी स्पीड पर चल रही थी. एक एक्टर ने अपना बैलेंस खो दिया और सीधा जीप से नीचे आ गिरा. उस वक़्त हंस-हंस कर हम सभी का पेट दुख गया था, और वो एक्टर भी हमारे साथ मिल कर हंस रहा था. ऐसा हंसी मज़ाक सेट पर अक्सर चलता रहता था. शायद हम अपने व्यूअर्स के लिए एक ब्लूपर्स वीडियो भी रिलीज़ करेंगे.
जाते-जाते क्या आप हमारी ऑडियंस के लिए कोई मैसेज देना चाहेंगे?
निकितिन: मैं हर किसी का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने हमेशा मेरे काम को सराहा है, हमेशा मुझे प्यार दिया है. मैं उम्मीद करता हूँ कि ‘रक्तांचल’ आप सबको पसंद आएगा और मुझे आपका प्यार आगे भी मिलता रहेगा. साथ ही मैं सबसे ये अपील करना चाहूंगा कि लॉकडाउन के दौरान अपने घरों में रहे और सारे नियमों का पालन करें ज़िन्दगी बहुत कीमती है. घर पर रहिये, सुरक्षित रहिये.
क्रांति: मैं बस ये कहना चाहूंगा कि, "आज के बाद से यहाँ का हर ठेका विजय सिंह के नाम से जाएगा." यहाँ पर ठेके का मतलब है आप सब का प्यार और सपोर्ट जो आपने हमेशा मुझे दिल खोल कर दिया है. तो एक बार फिर अपने प्रेम का ठेका मुझे दें, 'रक्तांचल' को दें. धन्यवाद.
‘रक्तांचल’ अब MX Player पर अवेलेबल हैं. इसके सभी एपिसोड्स फ्री में देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.
Note: ये स्टोरी प्रायोजित है.