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'भारत कोई धर्मशाला नहीं है', अमित शाह ने जिस बिल के लिए ये बोला उसमें ऐसा क्या जो विपक्ष विरोध कर रहा

DMK ने कहा है कि ये बिल तीन दशकों से तमिलनाडु में रह रहे 90,000 श्रीलंकाई तमिलों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा. कांग्रेस ने कहा है कि सरकार और अधिकारी को कुछ ज्यादा ही अधिकार दे दिए गए हैं. Immigration and Foreigners Bill 2025 में आखिर ऐसा है क्या?

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इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025, लोकसभा से पास हो गया है. (सांकेतिक तस्वीर: AI)

“भारत कोई धर्मशाला नहीं है.” केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) का ये बयान सुर्खियों में है. उन्होंने ये बात लोकसभा में इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 (Immigration and Foreigners Bill 2025) के बहस के दौरान कही. ये बिल अब सदन में पास हो चुका है. गृहमंत्री ने देश को ये भरोसा दिलाया कि अब से भारत आने वाले हर विदेशी की जानकारी सरकार के पास होगी. उन्होंने कहा, "अगर यहां कोई देश के विकास में योगदान देने के लिए आता है, तो उसका हमेशा स्वागत है. लेकिन जो लोग देश के लिए खतरा बनकर आएंगे, हम उन पर कड़ी नजर रखेंगे और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे." 

इस बिल को लेकर एक तरफ अमित शाह के दावे हैं. और दूसरी तरफ विपक्ष की आशंकाएं. इस पर बात करेंगे. लेकिन उससे पहले ये जानते हैं कि इस बिल में है क्या?

इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025

ये बिल इमिग्रेशन से जुड़े कुछ पुराने कानूनों की जगह ले लेगा. जैसे- पासपोर्ट (एंट्री इन इंडिया) एक्ट 1920, रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स एक्ट 1939, फॉरेनर्स एक्ट 1946 और इमिग्रेशन (कैरियर्स लायबिलिटी) एक्ट 2000.

इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 का उद्देश्य है, भारत में किसी विदेशी व्यक्ति के अवैध प्रवेश को रोकना. इसके लिए सख्त दंड के प्रावधान भी किए गए हैं.

  • कानूनी दस्तावेज के बिना भारत में किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करने पर, पांच साल तक की सजा हो सकती है. या पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. या दोनों ही सजाएं दी जा सकती हैं.
  • जानबूझकर जाली या धोखाधड़ी से प्राप्त किए पासपोर्ट या अन्य दस्तावेजों के उपयोग पर, दो से सात साल तक की सजा हो सकती है. और साथ में एक लाख रुपये से लेकर दस लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
  • वीजा में तय सीमा से ज्यादा दिनों तक भारत में रहने पर, या वीजा की शर्तों का उल्लंघन करने पर- तीन साल तक की सजा. या तीन लाख रुपये तक जुर्माना. या दोनों.
  • अपराधों को बढ़ावा देने पर मुख्य अपराध के समान ही दंड का प्रावधान है.

सजा के प्रावधानों के अलावा, किसी सेक्शन के उल्लंघन पर भारत सरकार किसी भी विदेशी को देश से बाहर कर सकती है. एक बार भारत से डिपोर्ट किए जाने के बाद, अगर कोई फिर से भारत में अवैध तरीके की कोशिश करता है, तो उसे 10 साल तक की सजा मिल सकती है. उस पर आजीवन प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है.

भारत में पहुंचते ही खुद को रजिस्टर कराना होगा

देश में प्रवेश करते ही विदेशी व्यक्ति को रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के पास जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. केंद्र सरकार के पास इनके आने-जाने के रास्तों और समय को लेकर शर्तें लगाने का अधिकार है. सरकार ये तय कर सकती है कि कोई विदेशी भारत में कब और कैसे आएगा. केंद्र सरकार के पास इन बातों को तय करने के भी अधिकार हैं-

  • विदेशी भारत में किस जगह पर जा सकते हैं.
  • उन्हें किस जगह पर रिपोर्ट करना होगा.
  • पहचान प्रमाण पत्र, फोटो, बायोमेट्रिक, मेडिकल टेस्ट आदि कब और कहां देने होंगे.
  • किन लोगों या किस तरह की गतिविधियों से दूरी बनाकर रखनी होगी.
  • विदेशी अपने पास कौन-कौन सी चीजें नहीं रख सकते.
यूनिवर्सिटी और होटल-लॉज वालों को भी देनी होगी जानकारी

अगर कोई विदेशी किसी होटल या लॉज में रुकता है, तो उसके मैनेजर को इस बात की जानकारी संबंधित अधिकारी को देनी होगी. हालांकि, नॉन-कमर्शियल घरों के लिए ये नियम तब लागू होगा, जब प्रशासन ऐसा आदेश दे. इसके अलावा विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को भी विदेशी छात्रों की जानकारी देनी होगी. अस्पतालों या मेडिकल संस्थानों को भी ऐसा करना होगा.

प्रशासन ऐसे किसी भी जगह को तय समय के लिए बंद कर सकती है, जहां विदेशी बार-बार आते हों. इन जगहों पर विशेष शर्तों के साथ विशेष वर्ग के विदेशियों के प्रवेश पर रोक लगाई जा सकती है. इस आदेश से असंतुष्ट व्यक्ति 30 दिनों के भीतर केंद्र सरकार से अपील कर सकता है.

किसी गड़बड़ी की स्थिति में, अगर सरकार ने किसी विदेशी को बैन कर दिया. तो ये सरकार तय करेगी कि अगली कार्रवाई या सुनवाई तक उसे कहां रहना है. उस जगह पर व्यक्ति को अनुशासन, व्यवस्था और नियमों का पालन करना होगा. यदि कोई व्यक्ति ऐसे विदेशी को भगाने या छिपाने में मदद करता है, तो उसे भी सजा मिलेगी. ऐसे स्थानों में बाहरी लोगों की आवाजाही और वहां से भेजी जाने वाली चीजों पर भी सरकार का पूरा नियंत्रण होगा.

ये भी पढ़ें: अमित शाह बोले- ‘भारत कोई धर्मशाला नहीं’, इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल 2025 लोकसभा में पास

विदेशियों के लिए नाम बदलने के नियम

भारत में रह रहा कोई भी विदेशी अपना नाम तभी बदल सकता है, जब उसे सरकार से स्पष्ट अनुमति मिली हो. शादी के बाद महिला को अपने पति का सरनेम अपनाने की छूट दी गई है.

दो नागरिकता के मामले में क्या होगा?

यदि कोई विदेशी एक से अधिक देशों की नागरिकता रखता है, तो उसे उस देश का नागरिक माना जाएगा, जिसके पासपोर्ट से वो भारत आया है. या जिससे उसका सबसे करीबी संबंध प्रतीत होता है. अंतिम फैसला लेने का अधिकार संबंधित अधिकारी या केंद्र सरकार के पास होगा. और यदि ये तय करने की स्थिति बनी कि व्यक्ति विदेशी है या नहीं, तो ये साबित करने की जिम्मेदारी उसी व्यक्ति की होगी. ना कि सरकार की.

इमिग्रेशन की व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए ‘ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन’ का गठन किया जाएगा. इस बिल में किसी भी बदलाव के लिए पहले सदन से मंजूरी लेनी होगी.

विरोध क्यों हो रहा है?

इस बिल को लेकर विपक्षी दलों के अपने कुछ सवाल हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और अन्य सांसदों ने कहा है कि इसमें कानून और मौलिक अधिकारों के बीच संतुलन का अभाव है. इसके कड़े नियम केंद्र सरकार और सरकारी अधिकारी को 'मनमौजी' शक्तियां देते हैं. विपक्ष ने ये भी आशंका जताई कि इन नियमों का इस्तेमाल करके सरकार के आलोचकों को भारत आने से रोका जा सकता है. इससे पहले, इस मामले को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजे जाने की मांग उठी थी.

DMK नेता एमके कनिमोझी ने कहा कि ये बिल तीन दशकों से तमिलनाडु में रह रहे 90,000 श्रीलंकाई तमिलों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा. समाजवादी पार्टी, RJD, TMC, AAP जैसे दलों ने भी इस बिल की आलोचना की है.

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