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इंसान ने कपड़े पहनना कब शुरू किया और क्यों?

इंसान ने कब कपड़े पहनने शुरू किए? क्या शर्म और लिहाज के चलते हम अंग ढकने लगे? या फिर इसकी वजह कुछ और ही थी? और कैसे एक 'जूं' ने इंसान के कपड़ों के इस्तेमाल की बात पता लगाने में बड़ी मदद की?

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समय के साथ कपड़ों का रोल बढ़ता गया और ये यात्रा वर्तमान तक पहुंची.

अवशेषों की खुदाई से पता चलता है कि इंसान को धरती पर विचरण करते हुए लाखों साल हो चुके हैं. अब चूंकि पैदा हर कोई नंगा होता है. इसलिए इन सालों में कोई ऐसा एक चरण आया होगा, जब हमने नंगई छोड़, कपड़े पहनने शरू किए होंगे (Humans clothes wearing History). शुरुआत में हम पेड़ों की छाल, जानवरों की खाल, पत्ते, बेल लताएं, ये सब पहनते थे. लेकिन सवाल ये कि हमने ऐसा किया क्यों और कब? क्या शर्मो-लिहाज के चलते हम अंग ढकने लगे? या फिर वजह कुछ और थी?

एक बकरी अपने जीवन काल में जितना मिमियाती है, उससे ज्यादा 'मैं-मैं' इंसान एक हफ्ते में कर देता है. ‘मैं’ में इसी दिलचस्पी के चलते अपने बारे में सब कुछ जानना है इस होमो सेपियन को. लाखों साल पहले हम खाते क्या थे, रहते कैसे थे, ये इंटरेस्टिंग सवाल है. लेकिन इनके जवाब मिलना थोड़ा मुश्किल है. क्यों? क्योंकि वक्त के साथ है मिट्टी का सफर सदियों से. खाना हो या कपड़े, वक्त के साथ सब मिट्टी में मिल जाते हैं. इसलिए लाखों तो छोड़िए, पांच-दस हजार साल पहले भी हम क्या खाते थे, या पहनते थे, ये पता करने के लिए भी हमारे पास बस गिनती के प्रमाण है. और वो भी किस्मत से मिले हैं.

1950 के दशक में वैज्ञानिकों को एक लाश मिली. 2600 साल पुरानी. जिसे नाम दिया गया ‘द टोलेंड मैन’. ऐसे गड़े मुर्दे हमने पहले भी उखाड़े हैं. लेकिन अक्सर ऐसे केसेज़ में सिर्फ हड्डियां मिलती हैं. जिनसे न ये पता लगता कि व्यक्ति क्या पहनता था, न ये पता चलता कि क्या खाता था. टोलेंड मैन के केस में हालांकि किस्मत से पेट भी बचा हुआ था और दिमाग, गुर्दे जैसे अंग भी. ऐसा कैसे हुआ? टोलेंड मैन से हमें पता चला कि 2600 साल पहले के लोग अनाज और घास के मिश्रण से बना एक टाइप का दलिया खाते थे.

पुराने लोग पहनते क्या थे? ये पता करना तो और भी मुश्किल है. क्योंकि जैसा पहले बताया, कपड़ों के इतने पुराने अवषेश मिलना बहुत ही विरली घटना है. कपड़ों के मामले में सबसे पुराना अवशेष जो मिला है. वो 5000 साल पुराना है. 1990 के दशक में मिली, ओत्जी नाम की ममी से पता चलता है कि तब के लोग चमड़े की बेल्ट, चमड़े के जूते, टोपी आदि पहनते थे. हालांकि, मुख्य मुद्दा अब भी वही है, इंसान कैसे कपड़े पहनता था. ये एक सवाल है, इससे भी दिलचस्प सवाल है कि इंसानों ने कपड़े पहनना शुरू कब किया और क्यों?

अफ्रीका के मैदानों से हमने शुरुआत की और पूरी दुनिया में बस गए. इस क्रम में हमने कपड़े पहनने की शुरुआत कब की. इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए वैज्ञानिकों ने सेकेंडरी एविडेन्स से कुछ बातें पता लगाई है. मसलन आधुनिक सुई, वो जिसके ऊपर धागा डालने के लिए छेद होता है. वो लगभग 40 हजार साल पहले अस्तित्व में आई. इसलिए वैज्ञानिक मानते हैं कि पेचीदा सिलाई की प्रक्रिया सम्भवतः इसी समय से शुरू हुई होगी. हालांकि कपड़े पहनने की शरूआत इससे पहले हो गई थी. ये दावा किस आधार पर कर रहे हैं हम? बालों के आधार पर.

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प्राचीन काल में मिलने वाली सुई का एक प्रकार.

हम देखते हैं कि लगभग सभी प्राइमेट्स (गुरिल्ला, चिम्पांजी आदि) के शरीर में ढेरों बाल होते हैं. जो उन्हें ठंड से बचाते हैं. लेकिन हमारे शरीर पर बालों की ऐसी परत नहीं होती. चूंकि ये प्राइमेट्स हमारे ही रिश्तेदार हैं. इसलिए विकास के क्रम में लाखों साल पहले एक मौका आया होगा, जब हमारे शरीर से बाल गायब हो गए होंगे. बाल गायब क्यों हुए? कुछ थियोरीज़ हैं. जिनमें सबसे प्रमुख है - ‘सवाना हाइपोथीसिस’. क्या कहती है ये थियोरी? लगभग 50 लाख साल पहले, हमारे पूर्वज चौपाए से दोपाए में तब्दील हुए. लगभग 20 लाख साल पहले होमो इरेक्टस प्रजाति की शुरुआत हुई. ये हम होमो सेपियंस के पूर्वज थे. जो अफ्रीका के मैदानों में शिकार किया करते थे.

‘सवाना हाइपोथीसिस’ के अनुसार, देर तक भागने के चलते शरीर में गर्मी बढ़ जाती है. इस गर्मी को बाहर निकालने की प्रक्रिया में ही हमें पसीना आता है. लेकिन होमो इरेक्टस के ढेर सारे बालों के चलते पसीना आने में दिक्कत होती थी. इसी मुश्किल के चलते आगे हम इस तरह इवॉल्व हुए कि बाल कम होते चले गए. ताकि पसीना निकलने में आसानी हो. उस्तरे से एक ऊंट के सारे बाल साफ़ कर दिए जाएं, तो उसे 60% ज्यादा पसीना आएगा. 1960 के दशक में इस तरह के एक शोध से ये बात प्रूव भी हो चुकी है. बहरहाल, सवाना हाइपोथीसिस के अलावा बालों के गायब होने की कई और थियोरीज़ भी हैं. लेकिन इतना पक्का है कि विकास के क्रम में कई लाख साल पहले हमारे बाल गायब हो गए. इससे हमें पसीना आने में आसानी हुई.

लेकिन एक घाटा भी हुआ. लगभग 25 लाख साल पहले ‘आइस ऐज’ की शुरुआत हुई. मौसम ठंडा होता चला गया. हमारे पास बालों की सुरक्षा नहीं थी. इसके बावजूद हमारे पूर्वज अफ्रीका से निकले और पूरी दुनिया में फ़ैल गए. आग हमारे काम आई. लेकिन बहुत संभव है कि इस यात्रा में कहीं बीच में हमने कपड़े पहनने भी शुरू कर दिए. ऐसा कब हुआ? पहली बार हमने तन ढकना कब शुरू किया? जैसा पहले बताया, अवशेषों से ये जानकारी मिलना मुश्किल है. इसलिए वैज्ञानिकों ने दूसरे तरीकों से इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की है. और इस काम में हमारी मदद की है, एक छोटे से जीव ने, जो हमारा खून पीता है.

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पहली बार हमने तन ढकना कब शुरू किया, इसका पता लगाने में जूं ने भी मदद की.

हम बात कर रहे हैं लाइस यानी जूं की. जुएं दो प्रकार की होती हैं. एक- जो हमारे सर के बालों में रहती है. दूसरी- जो कपड़ों में रहती हैं. DNA एनालिसिस से वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि ये दोनों जुएं एक-दूसरे से अलग होती हैं. यानी सर वाली जुएं शरीर पर नहीं जातीं, और शरीर वाली सर पर नहीं. इस अंतर से वैज्ञानिकों को एक आईडिया मिला. अगर हम पता लगा लें कि कपड़ों में रहने वाले जुओं की शुरुआत कब हुई. तो सम्भवतः ये भी पता लग जाएगा कि कपड़ों की शुरुआत कहां से हुई. साल 2011 में वैज्ञानिकों को शोध से पता चला कि लगभग एक लाख सत्तर हजार साल पहले, जुएं दो हिस्सों में बंट गए. एक सर में रहने वाली और एक शरीर पर रहने वाली. ये बंटवारा हुआ क्यों?

वैज्ञानिकों के मुताबिक़, संभवतः इंसानों के कपड़े पहनने के कारण ऐसा हुआ होगा. क्योंकि जुओं को छिपने के लिए जगह चाहिए होती है. सर में तो बाल होते हैं. लेकिन शरीर में छुपने के लिए जुओं को जगह तब मिली, जब हमने कपड़े पहनने शुरू किए. यानी कुल मिलाकर कहा जाए तो शरीर में काटने वाली जुओं की जब शुरुआत हुई. सम्भवतः उसी समय इंसान ने कपड़े पहनने भी शुरू किए. तो क्या हम मान लें कि हमें हमारे सवाल का जवाब मिल गया? जुओं वाली थियोरी से कुछ इशारा तो मिलता है, लेकिन पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता. दरअसल वैज्ञानिकों के अनुसार केवल होमो सेपियंस ही कपड़े पहनते हों, ये बात सच नहीं है.

चीन और स्पेन में मिली गुफाओं में शोधकर्ताओं को आठ लाख साल पुराने पत्थर के बने कुछ औजार मिले. इनका इस्तेमाल जानवरों की खाल छीलने के लिए होता था. इनसे पता चलता है कि हमारे पूर्वज यानी होमो इरेक्टस भी चमड़े का इस्तेमाल करते थे. हो सकता है इस चमड़े का इस्तेमाल कपड़ों के तौर पर किया जाता हो. लेकिन पक्का नहीं कहा जा सकता.

कुछ और उदाहरण देखें तो, होमो सेपियंस के चचेरे भाई, यानी नियनडर्थल्स भी अपना शरीर ढकते थे. 2012 के एक शोध से पता चला है कि नियनडर्थल्स को भी अपने शरीर का 80% हिस्सा ढकना पड़ता था. इसके लिए वो सिर्फ जानवरों की खाल को शॉल की तरह ढक लिया करते थे. इससे उन्हें ठंड से कुछ राहत तो मिल जाती होगी, लेकिन फिर भी कपड़ों से हम आज जो आशय लगाते हैं. उनकी शुरुआत कब हुई, ये गुत्थी अभी भी अनसॉल्वड है.

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नियनडर्थल्स भी अपना शरीर ढकते थे.

The Atlantic मैगज़ीन के एक लेख में सैरा झैंग लिखती हैं,

शुरुआती पहनावे की तुलना कपड़ों से नहीं की जा सकती, क्योंकि कपड़े ठंड को रोकने के लिए होते हैं. जबकि प्राचीन कपड़े बहुत ज्यादा ठंड में मदद नहीं कर सकते थे.

नियनडर्थल्स इसी कारण बहुत आगे नहीं बढ़ पाए. जबकि होमो सेपियंस बहुत तेज़ी से फैले. विकास की इस स्पीड में गेम चेंजर साबित हुआ एक छोटा सा हथियार, जिसे हम सुई कहते हैं. पता नहीं वो कौन पहला मनुष्य होगा, जिसने दिमाग लगाया होगा कि औजार के ऊपर एक छेद कर उसमें धागा बांध कर चीजों को सिला जाता है. ये आविष्कार होमो सेपियंस ने ही किया, क्योंकि नियनडर्थल्स के अवशेषों में सुई जैसा कोई औजार नहीं मिला है. अब तक मालूम जानकारी के हिसाब से लगभग चालीस हजार साल पहले सुई का अविष्कार हुआ और हम ऐसे कपड़े बनाने में सफल हुए, जो शरीर में चुस्ती से फिट होते थे. हवा उनके अंदर नहीं जा सकती थी. जिसका मतलब ठंड के मौसम में भी इंसान ट्रेवल कर सकता था और काम कर सकता था. कपड़ों की ये उपयोगिता लगभग 10 हजार साल पहले तक बनी रहीं. लेकिन उसके बाद चीजें बदल गईं.

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लगभग 10 हजार साल पहले आइस ऐज के ख़त्म होने के साथ ही कपड़ों के इस्तेमाल में भी चेंज आया. पहले कपड़ों का इस्तेमाल सिर्फ ठंड से बचने के लिए होता था. लेकिन गर्मी बढ़ने के बाद इनका सामजिक महत्त्व भी बदल गया. गर्म कपड़ों के बजाय इंसान ने हल्के फैब्रिक का इस्तेमाल शुरू किया. और इसी के साथ शुरुआत हुई, उन कपड़ों की जिन्हें आज हम कपड़े कहते हैं. मसलन कपास, रेशम आदि, जिनसे कपड़े बनाने के लिए बुनाई की जरूरत पड़ती है. संभवतः इसी जरूरत के चलते कपास आदि की खेती शुरू हुई. आगे जैसे-जैसे इंसानी सभ्यता विकसित हुई. कपड़ों का रोल बढ़ता गया और ये यात्रा वर्तमान तक पहुंची. जहां कपड़ा महज तन ढकने की वस्तु नहीं, हमारी आपकी सामजिक स्थिति, हमारे व्यवसाय, हर चीज का सिम्बल बना गया.

वीडियो: तारीख: इंसान के कपड़े पहनने का इतिहास, जुएं ने जानकारी जुटाने में कैसे मदद की?