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बिहार में पुल निर्माण नहीं ब्लंडर हो रहा था, तेजस्वी ने IIT एक्सपर्ट का जिक्र कर खुद ही सब बता दिया

9 सालों से बन रहा ये पुल 2022 में भी गिरा था. तब कहा गया कि आंधी से गिरा है.

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बिहार के सीएम और उनके डिप्टी दोनों ने माना है कि पुल के निर्माण में खामियां हैं (फोटो सोर्स- इंडिया टुडे, PTI)

बिहार का भागलपुर जिला. 4 जून को शाम के वक़्त यहां गंगा नदी पर सालों से बन रहे एक पुल का एक बड़ा हिस्सा गिर पड़ा. लोगों ने पुल के गिरने का वीडियो बनाया (Bhagalpur Bridge Collapse Video). जिसे पूरे देश में देखा गया. खगड़िया-अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच साल 2015 से बन रहा ये पुल बीते साल भी गिर चुका है. 8 साल से ज्यादा का वक़्त हो गया. कई सरकारें आईं और गईं पुल पूरा नहीं बन पाया. अब तो बनते-बनते ही गिरने भी लगा है. बिहार सरकार कह रही है कि इसे ‘नियंत्रित तरीके से गिराया जा रहा था’, तभी का वीडियो है. 

पुल गिरने का कारण जो रहा हो, उसे बुलाया एक ही नाम से जा रहा है - भ्रष्टाचार का पुल. ये बिहार में विपक्ष की भाषा है. लेकिन अगर पुल इस तरह से गिरने लगें, तो सारे सवालों को विपक्षी आलोचना कहकर खारिज नहीं किया जा सकता. क्या है इस पुल की कहानी? विस्तार से जानते हैं-

साल 2014 में 23 फरवरी को नीतीश कुमार ने 3.16 किलोमीटर लंबे इस फोरलेन पुल की नींव रखी थी. ये एक 23 किलोमीटर लंबे प्रोजेक्ट का हिस्सा था. जिसमें पुल के अलावा एक तरफ 4 किलोमीटर और दूसरी तरफ 16 किलोमीटर लंबी सड़क भी बननी थी. कुल 1 हजार 710 करोड़ की लागत से बन रहे इस पुल का काम मार्च 2020 तक पूरा किया जाना था.

पुल से फायदा क्या?

गंगा नदी, बिहार को उत्तर और दक्षिण बिहार में बाटती है. नदी के उत्तरी किनारे से लगा बिहार अपेक्षाकृत पिछड़ा माना जाता है. और इसकी एक बड़ी वजह है कनेक्टिविटी. दक्षिण बिहार, जहां पटना जैसे बड़े शहर हैं, वहां तक जाने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ता है. इसीलिए केंद्र और बिहार - दोनों सरकारें जगह-जगह गंगा नदी पर पुल बनवा रहे हैं, ताकि उत्तर-बिहार और दक्षिण बिहार का फर्क खत्म किया जाए.

ऐसा ही एक प्रॉजेक्ट भागलपुर के सुल्तानगंज को अगुवानी घाट से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा था. इसके तहत नेशनल हाईवे 31 और नेशनल हाईवे 80 को आपस में जोड़ा जाएगा. बीच में गंगा नदी है, तो पुल भी बन रहा है. भागलपुर जिले में ये ऐसा दूसरा पुल है. इसके बनने से बिहार के एक बड़े इलाके में सफ़र के घंटे कम हो जाते. सुल्तानगंज, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जैसे इलाकों के लोगों को इससे खासी सुविधा मिलती.

लेकिन 4 जून शाम के 6 बजे के बाद पुल का करीब 200 मीटर लंबा हिस्सा गिर गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुल के पिलर नंबर 9, 10 और 11 के आस-पास नुकसान हुआ है. जिस वक़्त ये पुल गिरा, उस वक़्त काम बंद हो चुका था इसलिए किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. हालांकि पुल को बनाने वाली कंपनी का एक गार्ड लापता है. उसकी तलाश जारी है आशंका है कि वह हादसे की चपेट में आया है.

एक बार ये पुल आंधी से भी गिर चुका है!

हादसे के बाद सरकार का कहना है कि पुल के कई हिस्सों में 'गंभीर कमियां' थीं. उन हिस्सों को योजनाबद्ध तरीके से गिराया जा रहा था. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब पहली बार पुल गिरा तब वे नेता-प्रतिपक्ष थे और पुल की डिज़ाइन में गड़बड़ी को लेकर उन्हें पहले से आशंका थी जो सही साबित हुई है.

उन्होंने कहा,

“बीते साल 30 अप्रैल को इस पुल का एक हिस्सा ढह गया था. IIT-रुड़की कंस्ट्रक्शन के मामले में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है. हमने इस मामले में उनसे एक स्टडी करने के लिए कहा. इस स्टडी की फाइनल रिपोर्ट अभी आनी है. लेकिन स्टडी करने वाले एक्सपर्ट्स का कहना था कि पुल के स्ट्रक्चर में गंभीर कमियां थीं. रिपोर्ट कहती है कि 30 अप्रैल, 2022 को आंधी-तूफ़ान के कारण पुल गिरा था. हमने विधानसभा में सवाल पूछे जाने पर भी कहा था कि दुर्घटना होने के कारण पुल छतिग्रस्त हो गया था. और उसे दोबारा तोड़कर फिर से बनाने का कार्य प्रगति पर है. हमें शंका थी कि इसके डिज़ाइन में ही कमी थी.”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार की तरफ से कहा गया कि हम कोई ख़तरा नहीं लेना चाहते थे इसलिए पुल के हिस्से गिराने का निर्णय लिया गया. लेकिन रविवार को जो घटना हुई है उसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं. और दोषी अधिकारियों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

कुल मिलाकर सरकार ने मान लिया है कि पुल का काम ठीक से नहीं चल रहा था. उसमें दिक्कतें थीं. बिहार में प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी इस मामले की हाई-लेवल जांच करवाने की मांग कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफ़ा मांगा जा रहा है. ऐसे में दो बड़े सवाल खड़े होते हैं? क्या ये सिर्फ एक सरकार की बात है? और पुल बनाने वाली कंपनी ने एक बार काम गड़बड़ किया तो अब तक कॉन्ट्रैक्ट उसी के पास क्यों है? कोई कारवाई क्यों नहीं की गई? टाइमलाइन समझ लीजिए- 

आज तक से जुड़े शशि भूषण पांडेय की खबर के मुताबिक,

23 फरवरी 2014 को नीतीश कुमार ने खगड़िया में इस पुल का शिलान्यास किया था. लेकिन लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी JDU की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया. और जीतन राम मांझी का नाम आगे कर दिया. मांझी एक साल से भी कम वक़्त तक बिहार के सीएम रहे. इस दौरान पुल का काम शुरू नहीं हुआ. इधर सियासी उठापटक फिर तेज हुई और 2015 में मांझी को इस्तीफ़ा देना पड़ा. नीतीश कुमार फिर बिहार के CM बने.

नीतीश के इस कार्यकाल में 9 मार्च 2015 को फिर से पुल का काम शुरू हुआ. पुल का काम पूरा होने की मियाद 4 साल रखी गई. यानी मार्च 2019. लेकिन काम पूरा नहीं हुआ. फिर दूसरी डेडलाइन तय की गई-मार्च 2020. इस बार भी काम पूरा नहीं हुआ. फिर कोविड का हवाला देकर तीसरी डेडलाइन मार्च 2022 तक की तय की गई. इधर आंधी में पुल का एक भी हिस्सा ढह गया, जिसकी बात तेजस्वी कर रहे थे. काम बढ़ा तो डेडलाइन बढ़ाकर दिसंबर 2022 कर दी गई. इसके बाद फिर एक और डेडलाइन तय की गई इस साल मार्च तक. मार्च 2023 में बिहार विधानसभा में पुल के काम को लेकर दो बार सवाल भी पूछे गए. लेकिन सरकार कोई स्पष्ट तारीख़ नहीं दे पाई. आख़िरकार छठी बार डेडलाइन बढ़ाकर मार्च से जून 2023 की गई थी. जो अब फिर बेमतलब साबित हुई है. जबकि पुल के स्ट्रक्चर का काम 83 फीसद तक और अप्रोच रोड का काम 45 फीसद तक पूरा हो चुका था. अब कहा जा रहा है कि पुल का काम पूरा होने में फिर करीब 2 साल का वक़्त लग सकता है. तिसपर कुछ हिस्सा ढह भी गया है.

जो कंपनी पुल बना रही थी, अब उसके बारे में भी जान लेते हैं-

SP सिंगला की कंपनी

भागलपुर में पुल बना रही कंपनी का नाम है- SP सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड. ये हरियाणा बेस्ड कंपनी है. फोर्ब्स इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सतपाल सिंगला ने कंपनी की शुरुआत की थी. और कंपनी को अपना पहला प्रोजेक्ट साल 1996 में मिला. दस लाख रुपए की लागत से कंपनी ने यमुना नदी पर एक छोटा सा पुल बनाया. उसके बाद साल 2000 में कंपनी को छत्तीसगढ़ में एक पुल बनाने के लिए 12 करोड़ का ठेका मिला. फिर साल 2006 में बिहार में छपरा और आरा के बीच कोसी नदी पर 4.5 किलोमीटर लंबा केबल ब्रिज बनाया. इस प्रोजेक्ट की लागत 700 करोड़ रुपए थी. इस प्रोजेक्ट के साथ ही SP सिंगला की कंपनी पुल बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनियों में गिनी जाने लगी. आज इस कंपनी के प्रोजेक्ट देश के 15 से ज्यादा राज्यों में चल रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में रावी नदी पर अटल सेतु बनाने वाली कंपनियों में SP सिंगला भी शामिल रही है. कंपनी असम, गुजरात, ओडिशा, राजस्थान और यूपी में भी कई नदियों पर पुल बना रही है.

बिज़नेस टुडे की एक खबर के मुताबिक, कंपनी को अपने बेहतर काम के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं. मसलन, साल 2019 में बंगाल में हटनिया दोनिया नदी पर मुश्किल परिस्थितियों में पुल बनाने के लिए एक्सीलेंस अवार्ड, फिर साल 2020 में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया यानी NHAI द्वारा नेशनल हाईवेज़ एक्सीलेंस अवार्ड मिला. कंपनी को लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने बेस्ट कॉन्ट्रैक्टर अवार्ड भी दिया है.

लेकिन भागलपुर पुल हादसे में कंपनी की लापरवाही उजागर हुई है. 30 अप्रैल 2022 को पुल के पिलर नंबर 4, 5 और 6 का हिस्सा गिरा था. वजह बताई गई - आंधी. तब कंपनी पर खराब गुणवत्ता वाले मटेरियल के इस्तेमाल का आरोप लगा था. इसकी जांच के आदेश भी हुए लेकिन अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है. कंपनी, पटना शहर में लोहिया चक्र पथ नाम का एक रोड प्रोजेक्ट भी बना रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे भी जून 2023 तक पूरा किया जाना था. ये कब तक पूरा हो पाएगा अभी इसको लेकर कोई सूचना नहीं है. मई, 2020 में पटना के लोहिया चक्र पथ के निर्माण के दौरान कंक्रीट का स्लैब गिरने से तीन बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में भी जांच हुई लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.

हालिया मामले में अभी तक SP सिंगला कंपनी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. हमने कंपनी से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन फ़ोन नहीं उठाया गया.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा,

“जिसको भी इस पुल को बनाने का ठेका दिया गया, वो इतनी देर क्यों कर रहा है. पुल को ठीक से नहीं बनाया जा रहा है. इसीलिए बार-बार गिर रहा है. हमने विभाग के लोगों को कहा है कि एक्शन लीजिए.”

बिहार के रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी प्रत्यय अमृत ने कहा है कि सरकार कंपनी पर FIR दर्ज करने और उसे ब्लैकलिस्ट करने के विकल्पों पर विचार कर रही है.

JDU विधायक संजीव कुमार ने पुल के उन पिलर्स पर दरारों की तस्वीरें दिखाईं थीं जो अब टूट गए हैं. उनका कहना है कि अधिकारियों और कंपनी के बीच मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता. प्रत्यय अमृत के अधीन जांच ठीक नहीं है. मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए.

इधेर BJP ने भी पुल के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मामले की जांच की मांग की है. बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की भी मांग की है.

इस मामले में आगे जो भी अपडेट आएगा, हम आप तक पहुंचाते रहेंगे.