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पाकिस्तान के क़रीब क्यों जा रहा बांग्लादेश? भारत के लिए ख़तरे की घंटी?

15 साल बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच Foreign Office Consultation यानी FOC मीटिंग हुई है. ये मुलाक़ात ठीक उस वक़्त हुई है, जब पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार की ढाका यात्रा की तैयारियां चल रही हैं. ये दोनों लोग 27-28 अप्रैल को बांग्लादेश दौरे पर पहुंचेंगे. ये 2012 के बाद से किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला बांग्लादेश दौरा होगा.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस.

“मां, अगर आज तुम मुझे देखो तो पहचान नहीं पाओगी. मैं कैसा दिखता हूं, ये ठीक-ठीक नहीं कह सकता, क्योंकि यहां कोई आईना नहीं है. अब मैं वैसा नहीं रहा जैसा पहले था. मां, तुम्हें याद है, जब कोई मुर्गा काटता था तो मैं नज़रें फेर लेता था? तुम्हारा वही फ़िरदौस अब ख़ून की नदियों में तैरता है.” (बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का सैनिक फ़िरदौस, 3 सितंबर 1971 को अपनी मां को लिखे ख़त में)

“मैंने देखा, आज सड़कों पर कई कारें ऐसी थीं जिन पर उर्दू में नामपट्टियां लगी थीं. कुछ छोटी दुकानों के साइनबोर्ड अब उर्दू में लिखे गए थे. मैंने एक दुकानदार से पूछा. उसने जवाब दिया–‘अब से घर में, दुकानों में और गाड़ियों पर नाम और नंबर उर्दू में ही लिखना होगा. ऊपर से हुक्म आया है.’
(जहांआरा इमाम की आत्मकथा 'एकत्तोरेर डिंगुली' यानी सन 71 के वे दिन से)

“जब जंग ख़त्म हुई, तो मैं देखने गया कि मोर्चे पर क्या हाल है. किसी ने पाकिस्तानी सिपाहियों की लाशें नहीं हटाईं थीं. एक बड़े मैदान में, ढलान पर, आंगनों में, पेड़ों के नीचे, बंकरों के अंदर. सैकड़ों लाशें कुत्तों, बकरियों और भैंसों के पास सड़ रही थीं. ये सब देखने के बाद मुझे यकीन हो गया कि हम जीत गए हैं.”
(हसन अज़ीज़ुल हक़ की किताब 'अनंतेर अनुभव: बिजोयेर मुहूर्तो’ से)

16 दिसंबर 1971. बांग्लादेश की मिट्टी पर खड़ी पाकिस्तानी फौज ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया. क्यों? क्योंकि भारत की सेना ने बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी. हमारे सहयोग से बांग्लादेश वजूद में आया. और, जनवरी 1972 में, ढाका में भारत ने सबसे पहले अपना दूतावास खोला. भारत को एक नया दोस्त और नया पड़ोसी मिला. लेकिन आज हम इसकी बात क्यों कर रहे हैं. हमने उस लड़ाई के चश्मदीदों के कुछ बयानात आपके सामने क्यों पेश किए. 

तो बात ये है कि यही बांग्लादेश जिसे मित्रता और कूटनीति के प्रत्येक सिद्धांत से हमारा अटूट मित्र बने रहना था, आज अलग राग अलाप रहा है. 17 अप्रैल को बांग्लादेश में पाकिस्तानी विदेश सचिव अमना बलोच मेहमान बनीं. जगह. ढाका का पद्मा स्टेट गेस्ट हाउस. और, मौक़ा? 15 साल बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हुई Foreign Office Consultation यानी FOC मीटिंग. यानी इतने बड़े लेवल पर कूटनीतिक संबंधों की बहाली. ये मुलाक़ात ठीक उस वक़्त हुई है, जब पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार की ढाका यात्रा की तैयारियां चल रही हैं. ये दोनों लोग 27-28 अप्रैल को बांग्लादेश दौरे पर पहुंचेंगे. ये 2012 के बाद से किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला बांग्लादेश दौरा होगा.

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पाकिस्तान की विदेश सचिव अमना बलोच के साथ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस (सोर्स-एक्स)

आप जानते ही हैं अगस्त, 2024 से पहले शेख़ हसीना की सरकार थी. हसीना सरकार के दौर में बांग्लादेश पाकिस्तान के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे. 2010 के बाद बांग्लादेश ने 1971 की जंग में पाकिस्तानी फौज के मददगारों पर मुकदमे चलाने शुरू किए थे. तबसे दोनों देशों के रिश्ते और भी बदतर हुए थे. अगस्त, 2024 में शेख़ हसीना की विदाई हुई. उन्हें भाग कर भारत आना पड़ा. इसके बाद बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार बनी. उसने एक साल से भी कम वक़्त में वो कर दिखाया, जो पिछले डेढ़ दशक में कभी नहीं हुआ. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में. इस नई सरकार को बांग्लादेश की जनता ने नहीं चुना है. अगले चुनाव कब होंगे इसका कुछ तय समय सामने नहीं आ रहा है. और, इसी बीच ये सरकार पाकिस्तान से फिर बातचीत शुरू कर चुकी है. और, यही नहीं. अब बांग्लादेश ने वो सारे ऐतिहासिक मसले पाकिस्तान के सामने रख दिए हैं. जो 1971 से अब तक अधर में लटके थे. बांग्लादेश के विदेश मंत्री विदेश सचिव जसीम उद्दीन ने मुलाक़ात के बाद प्रेस से कहा,

“हमने पाकिस्तान से 1971 की जंग के दौरान हुए नरसंहार के लिए सार्वजनिक माफ़ी की मांग की. पाकिस्तान से कहा कि विभाजन के वक़्त बची संयुक्त संपत्ति में उसका जो 4.3 अरब डॉलर (क़रीब 36 हज़ार करोड़) का जो हिस्सा था, उसे लौटाया जाए.”

इसके साथ-साथ, बांग्लादेश ने 1970 के चक्रवात पीड़ितों के लिए आए विदेशी फंड का हिसाब भी पाकिस्तान से मांगा. तक़रीबन 17 हज़ार करोड़ की रकम. जो पाकिस्तान ने तब खा ली थी, जब पूर्वी पाकिस्तान में हज़ारों लोग मारे गए थे और दुनिया भर से मदद आई थी. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 

 "हमने दोस्ताना और भविष्य के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर बातचीत की. व्यापार, कृषि, पर्यावरण, शिक्षा और रक्षा सहयोग पर नए रास्ते खोजे जा रहे हैं."

चलिए ये तो हुईं औपचारिक बातें. इस बातचीत का सबसे अहम हिस्सा था सीधी व्यापार व्यवस्था को फिर से शुरू करना. यानी अब बांग्लादेश और पाकिस्तान बिना किसी तीसरे देश के माध्यम के, एक-दूसरे से व्यापार करेंगे. दोनों देशों में सीधी फ्लाइट्स शुरू करने की बात भी चल रही है. फिलहाल ध्यान व्यापार वाली बात पर देते हैं. दोनों देशों में व्यापारिक रिश्ते बहाल होने की सुगबुगाहट पिछले साल से ही मिलने लगी थी. 19 नवंबर, 2024 को इतिहास में पहली बार कराची से एक पाकिस्तानी मालवाहक जहाज़ सीधे बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पहुंचा. ये दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार लिंक की शुरुआत थी, जो दशकों तक ठप रहा था. फरवरी, 2025 में करीब 50 साल बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच औपचारिक सीधा व्यापार फिर से शुरू हुआ. रायटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान के क़ासिम पोर्ट से 50 हज़ार टन चावल बांग्लादेश भेजा गया. एक सरकारी डील के तहत. 

ध्यान देने लायक बात ये है कि जिस वक़्त बांग्लादेश और पाकिस्तान में रिश्ते बहाल हो रहे हैं. उसी वक़्त बांग्लादेश और भारत के बीच व्यापार के क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है. हम ऐसा क्यों कह रहे है? देखिए दो वजहें हैं. पहली, 9 अप्रैल को भारत ने अपनी ज़मीन से होकर गुज़रने वाली बांग्लादेश की ट्रांस-शिपमेंट सुविधाओं पर रोक लगा दी थी. इनके सहारे ही बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे देशों से व्यापार करता था. बांग्लादेश की 4 हज़ार 427 किलोमीटर के बॉर्डर में से 4 हज़ार 96 किलोमीटर की सीमा भारत से लगती है. बाक़ी की सीमा म्यांमार से.  जो महज़ 271 किलोमीटर लंबी है. बांग्लादेश, नेपाल और भूटान सिर्फ़ एक पतले से ज़मीनी रास्ते से जुड़ सकते हैं, और ये पतली सी ज़मीन भारत की है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक. ये रास्ता भारत के लिए भी अहम है क्योंकि चिकन नेक नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को भारत के मेनलैंड से जोड़ता है.

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सिलीगुड़ी कॉरिडोर.  

बांग्लादेश के व्यापार के लिए चिकन नेक बहुत ज़रूरी हो जाता है. क्योंकि इसी रास्ते बांग्लादेश के कार्गो शिप, नदी और सड़कों के रास्ते नेपाल, भूटान पहुंचते हैं. नेपाल और भूटान लैंडलॉक्ड हैं, मतलब चारों ओर से ज़मीन से घिरे हैं. कोई समुद्री सीमा नहीं लगती. ऐसे में बांग्लादेश से व्यापार करने का उनका इकलौता जरिया भारत है.

दूसरा, 13 अप्रैल को बांग्लादेश ने भारत, नेपाल और भूटान से अनेक चीज़ों के आयात पर पाबंदी लगा दी. नेपाल और भूटान से धागे और आलू के आयात पर रोक लगाई गई. लेकिन भारत से प्रतिबंधित आयातित वस्तुओं की सूची लंबी थी. इसमें धागे और आलू के साथ-साथ डूप्लेक्स बोर्ड, अख़बारी काग़ज़, क्राफ़्ट पेपर, सिगरेट पेपर, मछली, दूध पाउडर, तम्बाकू, रेडियो/टीवी के पुर्जे, साइकिल और मोटर के पुर्जे, फ़ॉर्मिका शीट, सेरामिक के सामान, सैनिटरी सामान, स्टील के सामान, संगमरमर पट्टी/टाइल्स और मिक्स्ड कपड़े आदि थे.  

एक तरफ़ बांग्लादेश और भारत में व्यापार के क्षेत्र में तनाव शुरू हुआ तो दूसरी तरफ़ बांग्लादेश चीन के भी क़रीब जा रहा है. चीन बांग्लादेश में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश की प्लानिंग कर रहा है. मोहम्मद यूनुस पिछले महीने चीन के दौरे पर भी पहुंचे थे. वहां उन्होंने भारत के बारे में एक विवादित बयान भी दे दिया था. उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लैंडलॉक्ड बता दिया था. और, ख़ुद को समुद्र का इकलौता दरबान. उन्होंने चीन को निवेश का आमंत्रण भी दिया. कई डील्स पर दस्तख़त भी कर आए. यानी. पश्चिम से पाकिस्तान, पूरब से चीन, दोनों मिलकर बांग्लादेश को भारत की पकड़ से दूर ले जा रहे हैं. शेख़ हसीना का युग, जिसमें भारत के साथ रिश्ते प्राथमिकता थे, वो ख़त्म हो रहा है. और एक नया बांग्लादेश उभर रहा है, जो त्रिकोणीय संतुलन की नीति अपना सकता है. भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि भारत को इस स्थिति को कैसे समझना चाहिए? और, भू-राजनीतिक मंच पर क्या प्रतिक्रिया देनी चाहिए? 

पाकिस्तानी विदेश सचिव अमना बलोच की मुलाक़ात मोहम्मद यूनुस से भी हुई. इसके बाद यूनुस ने कहा,

“हमने एक-दूसरे को लंबे समय तक मिस किया. यूनुस ने कहा कि अब समय है कि हम अपने बीच के अवरोध हटाएं और साथ आगे बढ़ें.”

यूनुस ने ये भी याद दिलाया कि वो सितंबर 2024 में न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से मिल चुके हैं. और, फिर दिसंबर में काहिरा के D-8 सम्मेलन में भी दोनों की मुलाक़ात हुई थी. बात हुई थी. यूनुस ने इन दोनों मुलाक़ातों का ज़िक्र किया. 

Shahbaz Sharif
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस.  

मुलाक़ातों की बात हो ही रही है तो एक्स्ट्रा इन्फॉर्मेशन के तौर पर जान लीजिए. 31 मार्च, 2025 को ईद के मौक़े पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस से बात की और उन्हें पाकिस्तान आने का न्योता दिया था. साथ ही बताया कि पाकिस्तान 22 अप्रैल को व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल ढाका भेजने जा रहा है. यानी इस कूटनीतिक बहाली की पटकथा बहुत पहले से लिखी जा रही थी. और, अब ये फैसला आने वाला वक़्त करेगा कि क्या बांग्लादेश वाक़ई अपनी पुरानी कहानी को भूलने के लिए तैयार है, या ये सिर्फ़ एक अस्थायी राजनीतिक समीकरण है. 

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