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G20 के देश : जासूस से राष्ट्रपति बने पुतिन ने कैसे संभाली रूस की सत्ता?

रूस पूर्वी यूरोप से लेकर, उत्तरी एशिया तक फैला हुआ है. एरिया के लिहाज से रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

नई दिल्ली में G20 Leaders Summit चल रही है. और इस मौके पर हम G20 परिवार के सदस्यों (G20 Countries) से आपका परिचय करा रहे हैं. आज कहानी रूस की.

रूस पूर्वी यूरोप से लेकर, उत्तरी एशिया तक फैला हुआ है. एरिया के लिहाज से रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है, जिसका क्षेत्रफल 1 करोड़ 70 लाख 98 हज़ार 242 वर्ग किलोमीटर है. इसके दक्षिण-पूरब में पड़ता है, ओकहॉस्टोक का समुद्र, पूर्व में है, ईस्ट साइबेरियन समुद्र, उत्तर पूर्व में है, कारा समुद्र. इसके उत्तर में हैं, आर्कटिक महासागर. और इसके पूर्व में है प्रशांत महासागर.

रूस की लैंड बाउंड्रीज माने वो रेखा जो रूस और पड़ोसी देशों की जमीन को अलग करती है, वो 22,407 किलोमीटर लम्बी हैं. वहीं दूसरी तरफ रूस की समुद्री रेखा 37,653 किलोमीटर लम्बी है. इसके अलावा रूस की सीमाएं 14 देशों से लगती हैं. जिसमें पोलैंड, लिथुआनिया, कज़ाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तरी कोरिया शामिल है.

रूस में प्राकृतिक संसाधनों का खजाना है, तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला और कई सामरिक खनिजों, बॉक्साइट एक अलावा धरती के दुर्लभ खनिजों का भंडार है. इमारती लकड़ी भी वहां प्रचुर मात्रा में पाई जाती है. हालांकि दूरी, इलाकों का ऊबड़-खाबड़ होना और क्लाइमेट की दिक्कतें हैं, इसलिए रूस के संसाधन अभी तक दोहन से बचे हुए हैं.

हिस्ट्री का किस्सा:-

साल 1547 में प्रिंस इवान फोर्थ ने खुद को रूस का पहला शासक घोषित किया. साल 1812 में रूस ने साथ के यूरोपियन देशों के साथ मिलकर नेपोलियन को हरा दिया. इसके बाद साल 1850 के दशक में रूस खुद क्रीमिया के साथ युद्ध हार गया. 1914 में पहले विश्व युद्ध की शुरुआत हुई थी बाल्कन में रूस और ऑस्ट्रिया की दुश्मनी से. 1917 में लेनिन के नेतृत्व में वहां बोल्शेविक क्रांति हुई. 1945 में जर्मनी की हार के बाद कोल्ड-वॉर की शुरुआत हुई, जिसके एक ध्रुव पर था वेस्ट, दूसरे पर था रूस. इसके 1953 में तानाशाह स्टालिन की मौत हो गई. गोर्बाचोव की आर्थिक नीतियों, ग्लास्तनोस्त और पेरिस्त्रोइका के बाद 1991 में रूस का विघटन हो गया. साल 2000 में पुतिन ने राष्ट्रपति पद संभाला. 2014 में रूस ने क्रीमिया का कब्ज़ा कर लिया. वहीं साल 2015 में रूस ने सीरिया में सैन्य दखल दिया. साल 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है. कोल्ड वॉर के बाद से ये वेस्ट के साथ रूस की पहली मुठभेड़ है क्योंकि पूरे विश्व पटल पर रूस को अलग-थलग करने की कोशिश दिखाई देती है.  

बेसिक इन्फो:-

-आधिकारिक नाम है, रशियन फेडरेशन.
-रूस की आबादी है, साढ़े चौदह करोड़. इसमें महिलाओं की आबादी पुरुषों से 8 प्रतिशत अधिक है.
-रूस की राजधानी है, मॉस्को
-रशियन वहां की आधिकारिक भाषा है, जिसे 85 प्रतिशत से अधिक लोग बोलते हैं. इसके अलावा तातार और चेचन भाषा भी रूस में बोली जाती है.  
-रूस की आबादी बाल्टिक सागर से लेकर दक्षिण में कैस्पियन सागर तक और पूर्व में कजाख सीमा में सबसे ज्यादा बसी है.इसके अलावा, बड़े हिस्से अलग-थलग हैं और आम तौर पर दक्षिण में पाए जाते हैं.
-रूस की 75 प्रतिशत से अधिक आबादी शहरों में रहती है.
-अगर रूस की आबादी का धार्मिक बंटवारा देखें तो 72 प्रतिशत वहां ईसाई हैं. और दस प्रतिशत मुसलमान हैं.
-रूस की करंसी का नाम है, रूबल.
-मॉस्को और नई दिल्ली के बीच 4,340 किलोमीटर की दूरी है.
-रूस में 11 टाइम जोन हैं, पूरी दुनिया में ये सबसे ज्यादा टाइम जोन्स वाला देश है.
-रूस में तीस हजार भारतीय रहते हैं.

लेन-देन

भारत और रूस के बीच टोटल व्यापार हुआ USD 13.1 Bn का.
माने 1 लाख 87 हजार करोड़ का.

भारत ने सामान बेचा USD 3.3 Bn का.
माने 27 हजार करोड़ का.
भारत ने सामन ख़रीदा USD 9.8 billion का.
माने 81 हजार करोड़ का.

तो मोटा-माटी समझिये कि हमने ख़रीदा ज्यादा और बेचा कम. इसे कहते हैं व्यापार घाटा और ये ट्रेड डेफिसिट हुआ, 54 हजार करोड़ का.

इसके अलावा

- रूस में भारत का कुल इन्वेस्टमेंट है, एक लाख चौबीस हजार करोड़ रूपये.
- भारत में रूस का कुल इन्वेस्टमेंट है, एक लाख उनचास हजार करोड़ रुपये.

भारत क्या खरीदता है:-
-हथियार
-पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स
- खनिज संसाधन

भारत क्या बेचता है:-
-इलेक्ट्रिकल्स  
-दवाइयां
-चाय और कॉफी

कैसे चलती है सरकार

रूस में ताकत तीन हिस्सों में बंटी हुई है - राष्ट्रपति, सरकार और न्यायपालिका. रूस में भी भारत की तरह राज्य होते हैं, जिनकी अपनी सरकारें होती हैं. राष्ट्रपति हेड ऑफ स्टेट होते हैं, सेना के सुप्रीम कमांडर भी होते हैं.

रूस में प्रधानमंत्री भी होता है जिसकी नियुक्ति स्टेट ड्यूमा की सहमति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. लेकिन असली ताकत राष्ट्रपति के ही पास होती है. क्योंकि उसका चुनाव होता है डायरेक्ट वोट से. तो रूस में प्रेज़िडेंशियल सिस्टम चलता है. ज़ाहिर है, राष्ट्रपति बहुत ताकतवर होता है.

सरकार की कमान:-

रूस का पिछला राष्ट्रपति चुनाव 18 मार्च, 2018 को हुआ था. गिनती के बाद, 7 मई 2018 को व्लादीमीर पुतिन ने राष्ट्रपति के रूप में चौथी अपने दफ्तर में दाखिल हुए. रूसी सरकार के प्रमुख के तौर पर वहां प्रधानमंत्री हैं, मिखाइल मिशुस्टिन. और विदेश मंत्री हैं, सर्गेई लावरोव. पुतिन की अनुपस्थिति में, उन्होंने ही ब्रिक्स में हिस्सा लिया था. जी-20 में भी वे ही आ रहे हैं.

लेकिन वो भी वही कहेंगे और करेंगे, जो पुतिन कहेंगे. रूस के इतिहास में स्टालिन के बाद सबसे ताकतवर नेता पुतिन ही हुए हैं. सोवियत संघ के विघटन के बाद बोरिस येल्तसिन रूस के राष्ट्रपति बने. और उनके बाद साल 2000 में व्लादिमीर पुतिन.

और तब से पुतिन सत्ता के केंद्र बने हुए हैं. इसके लिए पुतिन ने साम-दाम-दंड-भेद का सहारा लिया. उन्होंने राजनैतिक विरोधियों को खत्म किया. रूस के प्रमुख उद्योगपतियों को अपने पाले में मिलाकर फायदा पहुंचाया. बदले में उनके धन और प्रभाव का राजनैतिक इस्तेमाल किया. इन उद्योगपतियों को कहते हैं ऑलिगार्क्स. वैसे पुतिन वो घाघ नेता हैं कि कई ऑलिगार्क्स को भी हज़म कर चुके हैं.

पहले रूस में नियम था कि एक व्यक्ति दो ही कार्यकाल तक राष्ट्रपति रह सकता है. पुतिन ने अपने दोनों कार्यकाल पूरे किए. फिर अपने विश्वासपात्र दमित्री मेद्वेदेव को राष्ट्रपति बना दिया. और खुद बन गए प्रधानमंत्री. सत्ता की चाबी उन्हीं के पास रही. फिर जब उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनना था, तो उन्होंने नियम ही बदलवा दिए.

पुतिन ने देश को अपनी मुट्ठी में बांधने के लिए न्यायपालिका, प्रेस और दूसरी संस्थाओं को क्रमशः कमज़ोर किया है. फिलहाल उन्होंने ये व्यवस्था कर ली है कि 2036 तक वो पद पर बने रह सकते हैं.

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि आज रूस का सबसे ताकतवर शख्स एक आम मज़दूर का बेटा है. पुतिन के पापा फैक्ट्री में मजदूर थे. जासूसों की कहानियां पसंद करने वाले पुतिन वास्तव में KGB के जासूस थे और पूर्वी जर्मनी में तैनात रहे. बर्लिन दीवार गिरी तो कम्युनिस्ट GDR (माने पूरब वाला जर्मनी) और कैपिटलिस्ट वेस्ट जर्मनी एक हुए. सो लेफ्टिनंट कर्नल पुतिन वापस मॉस्को आ गए. सोवियत संघ के विघटन के बाद वो बोरिस येल्तसिन के स्टाफ में शामिल हुए. और सत्ता की सीढ़ियां चढ़ते गए.

पुतिन इतने बड़े हो पाए, उसमें बस मेहनत का रोल नहीं था. उन्होंने बड़े करीने से अपने इर्द-गिर्द एक मिथक गढ़ा. मॉस्को थियेटर में आतंकवादियों ने लोगों को बंधक बनाया, तो पुतिन ने थिएयटर में ज़हरीली गैस छुड़वाकर सैनिक अभियान चलवा दिया. संदेश- पुतिन सख्त कार्रवाई से डरते नहीं हैं.

2008 में पुतिन ने नई ट्रिक आज़माई. अलगाववादियों पर कार्रवाई के नाम पर जॉर्जिया पर हमला कर दिया. और उसके इलाके कब्ज़ा लिये.

2014 में पुतिन ने यूक्रेन से क्रीमिया को हथिया लिया. अगले साल दुनिया की राय की परवाह किये बिना सीरिया में बशर अल असद के पक्ष में फौज रवाना कर दी. उन्हीं की बदौलत असद बच पाए. इसी तरह पुतिन की सूपरमैन छवि गढ़ी गई.

2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर सीधा आक्रमण किया, तब वो इसी सूपरमैन छवि के भरोसे थे. सभी मानकर चल रहे थे कि हफ्ते भर के भीतर कीव में रूसी फौज दाखिल हो जाएगी. लेकिन ये आक्रमण व्लादिमीर पुतिन के लिए किसी दुःस्वप्न की तरह बन गया है. एक साल से ज़्यादा बीत गया है, लेकिन रूसी फौज कीव में दाखिल नहीं हो पाई है. उसका नियंत्रण पूर्वी यूक्रेन के कुछ इलाकों तक सीमित है, जहां उसे स्थानीय नागरिकों का समर्थन मिल रहा है.

इस एक आक्रमण के चलते पुतिन के सामने जितनी चुनौतियां खड़ी हुईं, उतनी पहले कभी नहीं देखी गईं. उनकी सरकार के खिलाफ वैग्नर की बग़ावत हुई. रूस को जी 7 से बाहर कर दिया गया. दुनिया भर ने रूस पर तरह तरह के प्रतिबंध लगा दिए. हालात इतनी खराब है, कि रूस को नॉर्थ कोरिया जैसे देशों से मदद लेनी पड़ रही है.

यूक्रेन की लड़ाई, पुतिन के जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा बन गई है. लेकिन वो इस परीक्षा में उतने भी अकेले नहीं हैं. रूस को चीन का और पुतिन को जिनपिंग का साथ बहुत भा रहा है. और इसीलिए जो पुतिन तरह तरह के बहाने बनाकर कभी दक्षिण अफ्रीका आने से मना करते हैं तो कभी दिल्ली आने से रह जाते हैं, वो जिनपिंग से मिलने चीन जा रहे हैं. संयोग देखिए, जिनपिंग भी G20 समिट के लिए नहीं आ रहे हैं.

सामरिक सम्बन्ध:-

रूस और भारत के बीच सामरिक संबंध अलग से एक वीडियो का विषय हो सकते हैं. क्योंकि ये तथ्य है कि जब दुनिया में किसी ने भारत की मदद नहीं की, रूस ने की. चाहे वो रक्षा सौदों की बात हो, सामरिक महत्व के परमाणु कार्यक्रम हों या फिर भारत का स्पेस प्रोग्राम हो. भारत की तीनों सेनाओं के पास मौजूद हथियारों के ज़खीरे में रूसी हथियारों की बहुत बड़ी तादाद है. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अमेरिका ने अपना नौसैनिक बेड़ा भेजने की धमकी दी, तो रूस ने अपनी परमाणु पनडुब्बियां भेजीं.

- अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में भी भारत और रूस का सहयोग लगभग चार दशक पुराना है. भारत का पहला सैटेलाइट आर्यभट सोवियत संघ ने लॉन्च किया था. और भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा को भी सोवियत संघ ने ही अंतरिक्ष में भेजा था. दोनों देश भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम "गगनयान" में मिलकर काम कर रहे हैं. उम्मीद है कि साल 2024 के अप्रैल में ये मिशन लांच होगा.

-परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिहाज से रूस भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार है. कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) इस क्षेत्र में भारत और रूस के बीच एक प्रमुख प्रोजेक्ट है. इसकी दो यूनिट्स पहले ही चालू हो चुकी हैं.

- रूस, और उससे पहले सोवियत संघ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता रहा है. भारत के खिलाफ आए प्रस्तावों को वीटो करता रहा है.

- रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में भारत लगातार शांति का आह्वान करता रहा है. बातचीत और कूटनीति के रास्ते की वकालत करता रहा है. भारत ने ये तो कहा है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन प्रतिबंध झेल रहे रूस की मदद भी की है, खास तौर पर तेल के व्यापार में.

फुटनोट्स:-

-रूस में दुनिया की सबसे लंबी रेलवे लाइन है, जिसका नाम ट्रांस-साइबेरियन रेलवे है। यह मॉस्को से व्लादिवोस्तोक तक 9,289 किलोमीटर तक फैली है.
-रूस में विश्व का सबसे बड़ा जंगल ताइगा है. ये देश के 60% से अधिक भूमि क्षेत्र को कवर करता है.
-दुनिया में  परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा रूस के पास है. माने नंबर के मामले में.
-दुनिया की सबसे गहरी झील, बैकाल झील, रूस में है.