मनोज ओडिशा के कटक के रहने वाले थे. रतनपुर गांव के. मनोज दिसंब, 2018 में एक महीने की छुट्टी पर घर आए थे. वह अपनी बेटी का जन्मदिन मनाकर 6 फरवरी को वापस गए थे. मनोज की पोस्टिंग दूसरी बार जम्मू और कश्मीर में हुई थी. उनके पापा जितेंद्र इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए बताते हैं कि पुलवामा हमले के तुरंत बाद उन्हें कॉल किया था लेकिन उनका नंबर बंद आ रहा था.

शहीद मनोज बेहरा (फोटो: इंडिया टुडे)
इंडिया टुडे की टीम जब मनोज के घर पहुंची तो शहीद जवान के माता-पिता ने आरोप लगाया कि उनकी बहू लीलता बेहरा ने सारा पैसा मिलने के बाद उन्हें छोड़ दिया. लीलता को राज्य सरकार से 25 लाख रुपये और केंद्र सरकार से 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली थी. इंडिया टुडे से फोन पर बात करते हुए लीलता ने कहा-
मुझे राज्य और केंद्र सरकार की ओर से 55 लाख रुपये मिले. मैं इस पैसे से अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा देना चाहती हूं. रिलायंस फाउंडेशन की ओर से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली. मेरी बेटी जब 5 साल की हो जाएगी तो मैं सरकारी नौकरी स्वीकार कर लूंगी. मैं अपने रिश्तेदार के घर पर हूं. लोकेशन नहीं बता सकती.

शहीद मनोज बेहरा के पिता जितेंद्र (फोटो: इंडिया टुडे)
मनोज के पिता जितेंद्र बेहरा ने इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए बताया-
मेरी पत्नी बीमार रहती है. उसका इलाज लगातार जारी है. जब मेरा बेटा जिंदा था तब वह हमारी वित्तीय जरूरतों का ध्यान रख रहा था. अब कोई भी मदद करने वाला नहीं है.मनोज को लेकर ग्रामीण सागरिका सिंह इंडिया टुडे से बातचीत करते हुई बताती हैं,
पूरा गांव सदमे में है. हमने कभी सोचा भी नहीं था कि मनोज के साथ ऐसा होगा. ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए. मनोज के माता-पिता अभी भी कष्ट में हैं. कोई सोर्स ऑफ इनकम नहीं है. उनकी जिंदगी तबाह हो गई है.
वीडियो- पुलवामा में CRPF पर हुए आतंकवादी हमले में इतने जवान कैसे शहीद हुए?