भारत से हर साल हजारों लोग अमेरिका का रुख करते हैं. तरक्की की तलाश में. बेहतर जिंदगी की तलाश में. इनमें से अधिकतर की पहचान तीन अक्षरों में सिमट कर रह जाती है - NRI. महज गिनती भर के लोग होते हैं, जो इन तीन अक्षरों के परे भी अपनी पहचान बना पाते हैं. उदाहरण के लिए सत्य नडेला, सुन्दर पिचाई. ये वो लोग हैं जिनका नाम सुनकर आप फख्र महसूस करते हैं कि ये भारतीय हैं. भद्रेशकुमार चेतनभाई पटेल भी ऐसे ही भारतीयों की लिस्ट में अपना नाम शामिल करना चाहता था. गुजरात के अहमदाबाद में एक जगह का नाम है वीरमगाम. साल 1990 में भद्रेश की यहां पैदाइश हुई. जिंदगी के 24 साल इसी शहर में काटने के बाद एक रोज़ उसे अमेरिका जाने की इच्छा हुई. साल 2015 में भद्रेश की शादी हुई. पलक पटेल नाम की एक लड़की से.
कैसे एक भारतीय बना अमेरिका का सबसे खूंखार अपराधी?
इस भारतीय को ढूढ़ने के लिए FBI लाख डॉलर दे रही है!

शादी के तुरंत बाद दोनों पति-पत्नी अमेरिका पहुंच गए. और डंकिन डोनट नाम के एक रेस्त्रां में काम करने लगे. जिंदगी बढ़िया चल रही थी. भद्रेश जल्द से जल्द अमेरिकी नागरिकता हासिल करना चाहता था. इसलिए खूब मेहनत से काम करता था. पलक भी खूब मन से उसका हाथ बंटाती थी. अमेरिका में किस्मत चमकाने की आस रखने वाले हजारों भारतीय की तरह दोनों की जिंदगी एकदम साधारण थी. जमकर काम करो. खूब मेहनत करो. पैसा कमाओ. और जल्द से जल्द NRI बन जाओ.

कहानी यूं ही आगे बढ़ती रहती लेकिन फिर एक तारीख ने इस कहानी में खलल डाल दिया.
12 अप्रैल, 2015 की बात है. अमेरिका के मेरीलैंड राज्य में एक शहर है, हैनोवर. मुम्बई में जैसे वड़ा पाव होता है, वैसे ही अमेरिका में एक चीज चलती है, डोनट. एक गोल वड़ा नुमा व्यंजन जिसके बीच में छेद होता है. बस अंतर ये कि डोनट मीठा होता है. डंकिन डोनट नाम की एक रेस्त्रां चेन इसके लिए काफी मशहूर है. और अब भारत के मेट्रो शहरों में भी ये मिलने लगा है.
बहरहाल 12 अप्रैल के उस रोज़, डंकिन डोनट की एक ऐसी ही दुकान पर देर रात कस्टमर इकठ्ठा हो रहे थे. लेकिन दुकान में उन्हें सर्व करने वाला कोई नहीं था. इत्तेफाक से इसी समय दुकान के पास से एक पुलिस वाला गुजर रहा था. दुकान में भीड़ देखकर उसने कौतूहल वश पूछताछ की. उसे जब पता चला कि काफी देर से दुकान को देखने वाला कोई नहीं है, उसने अंदर जाकर छानबीन करने की ठानी. किचन के पास उसने देखा कि खून में लथपथ एक महिला की लाश पड़ी है. ये पलक पटेल की लाश थी. किसने की थी पलक की हत्या?
पुलिस ने केस दर्ज़ कर मामले की छानबीन शुरू की. सबसे पहले दुकान में मौजूद CCTV की फुटेज छानी गईं. फुटेज में पलक के पति, भद्रेश को दुकान से निकलते देखा जा सकता था. चूंकि फुटेज में कोई और नज़र नहीं आ रहा था, इसलिए पुलिस को भद्रेश पर शक हुआ. और उसकी खोजबीन शुरू हो गई. पुलिस पलक और भद्रेश के रिश्तेदारों से मिलने पहुंची. यहां से पुलिस को जो पता चला उसने उनके शक को यकीन में बदल दिया.

घरवालों ने बताया कि दोनों के बीच काफी दिनों से तनाव चल रहा था. शुरुआत में पलक अमेरिका आकर खुश थी. लेकिन उसे लगता था कि कुछ महीने बाद वो भारत लौट जाएंगे. दोनों का वीज़ा भी एक्सपायर होने वाला था. उधर भद्रेश के इरादे कुछ और ही थे. वीज़ा की अवधि ख़त्म होने के बाद भी वो अमेरिका छोड़ने को तैयार नहीं था. इस बात पर दोनों में आए दिन बहस होती थी.
कुछ और लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने माना कि हत्या के रोज़ दोनों में इसी बात को लेकर बहस हुई. जिसके बाद गुस्से में आकर भद्रेश ने अपनी पत्नी की हत्या कर डाली. हालांकि पूरी कहानी तभी पता चल सकती थी, जब भद्रेश हाथ में आता. लेकिन वो तो हवा में जादू की माफिक गायब हो गया था.
कहां गया भद्रेश?तहकीकात के दौरान पुलिस की मुलाक़ात एक कैब वाले से हुई. उसने भद्रेश की फोटो देख उसे झट से पहचान लिया. पता चला कि भद्रेश क़त्ल करने के बाद दुकान से अपने घर गया था. वहां उसने कुछ चीजें लीं. और फिर एक टैक्सी पकड़ कर होटल में रहने चला गया. ये होटल अमेरिकी में न्यू जर्सी शहर के एक एयरपोर्ट के नजदीक था. टैक्सी वाले ने ये भी बताया कि पूरी यात्रा के दौरान भद्रेश एकदम शांत था. उसका चेहरा देखकर कोई नहीं बता सकता था कि उसने अभी-अभी एक क़त्ल किया है. न्यू जर्सी के होटल से मिले CCTV फुटेज से पता चला कि भद्रेश एक रात होटल में रुका था. अगली सुबह वो होटल से निकला. 13 अप्रैल के रोज़, सुबह 10 बजे, आख़िरी बार उसे एक रेलवे स्टेशन पर देखा गया था.
FBI की एंट्रीचूंकि भद्रेश गुजराती कम्युनिटी से आता था, इसलिए पुलिस ने हिंदी, गुजराती तमाम भाषाओं में उसके पर्चे छपवाए और जगह-जगह बांटे. हालांकि इससे कोई फ़ायदा न हुआ. दो साल की कोशिश के बाद मामला FBI के पास पहुंचा. अमेरिका में FBI का रोल कुछ ऐसा ही है, जैसे भारत में CBI का. FBI मुख्यतः आतंरिक सुरक्षा से जुड़े मामले देखती हैं. लेकिन ऐसे जुर्म जो किसी राज्य की बाउंड्री क्रॉस कर जाएं, वो भी FBI की अधिकार सीमा में आ जाते हैं.

FBI ने बड़े पैमाने पर भद्रेश की खोज शुरू की. पता लगाया कि उसके जान पहचान के लोग कहां-कहां रहते हैं. भद्रेश के रिश्तेदार अमेरिकी के कई राज्यों में रहते थे. साथ ही कनाडा में भी उसकी जान-पहचान थी. FBI ने इन सभी जगहों पर छानबीन की. लेकिन भद्रेश का कोई सुराग न लगा. यहां एक शक ये भी उपजा कि कहीं भद्रेश किसी दूसरे देश तो नहीं चला गया. वीजा एक्सपायर होने के कारण वो कानूनी रूप से ऐसा नहीं कर सकता थाा. लेकिन फिर भी उसकी कनाडा या मेक्सिको पहुंचने की संभावना थी. अब उसे पकड़ने के लिए FBI के पास एकमात्र चारा बचा था, मोस्ट वांटेड लिस्ट में उसका नाम शामिल करना.
मोस्ट वांटेड लिस्ट में आया नाम14 मार्च, 1950 की तारीख को FBI ने पहली बार अपनी टॉप मोस्ट वांटेड लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट में शामिल थे वो खूंखार नाम, जिन्हें पुलिस लम्बे समय बाद भी नहीं पकड़ पाई थी. तब से ये लिस्ट हर साल जारी होती है. और समय-समय पर इसमें नाम घटते-जुड़ते रहते हैं. भद्रेशकुमार चेतनभाई पटेल का नाम इस लिस्ट में कैसे आया?
हर साल अमेरिका में हजारों क़त्ल के केस होते हैं. लेकिन हर किसी का नाम FBI की लिस्ट में नहीं आता. FBI की वेबसाइट के अनुसार मोस्ट वांटेड लिस्ट में सिर्फ ऐसे नाम जोड़े जाते हैं, जो पूरे समाज के लिए खतरा हो सकते हैं. भद्रेश का नाम इस लिस्ट में इसलिए जुड़ा क्योंकि उसकी साइकोलॉजिकल प्रोफाइलिंग के अनुसार उसे अपने किए का कोई पछतावा नहीं था. ऐसे लोग समाज के लिए खतरा होते हैं क्योंकि वो बार-बार ऐसे अपराधों को अंजाम दे सकते हैं. हालांकि इस बात में एक पेच है. न्यू यॉर्क टाइम्स के लिए पत्रकारिता करने वाले माइकल स्मिट बताते हैं कि मोस्ट वांटेड लिस्ट में जोड़े जाने का एक और क्राइटीरिया है. किसी अपराधी का चेहरा-मोहरा कितना यूनीक है. मसलन चेहरे पर कोई निशान है या तिल है, तो ऐसे अपराधियों को पहचानना आसान होता है. और इसलिए उन्हें लिस्ट में शामिल करने में वरीयता दी जाती है.
खैर कारण जो भी हो. भद्रेशकुमार चेतनभाई पटेल का नाम साल 2023 में भी 10 मोस्ट वांटेड की लिस्ट में बना हुआ है. FBI पिछले 6 सालों से उसे ढूंढ रही है. FBI की वेबसाइट पर जाकर आप भद्रेश से जुड़ी कोई भी जानकारी आप FBI तक पहुंचा सकते हैं. और अगर उस जानकारी से भद्रेश पकड़ा गया तो 1 लाख डॉलर या लगभग 80 लाख रुपये आपके.
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