‘द ग्रेट खली’ की लंबाई 7 फुट और 1 इंच है. बैलेरियॉन उर्फ ‘द ब्लैक ड्रेड’ 126 फुट लंबा और 453 फुट चौड़ा बताया जाता है. ये गेम ऑफ थ्रोंस (GOT) यूनिवर्स का सबसे बड़ा ड्रैगन माना जाता है. अरे वही, जिस पर Game of Thrones वाली खलीसी, बोले तो डेनेरिस टारगेरियन (Daenerys Targaryen) के पर-पर-पर-पर दादा ‘एगॉन द कॉन्करर’ झट से सवार होकर फट से उड़ जाया करते थे.
House of The Dragon वाले ‘दैत्य’ सच में क्यों नहीं हो सकते?
एक कीड़ा जरूर है जो 'आग' उगलता है, बॉम्बार्डियर बीटल. ये पेट में हाइड्रोक्विनोन और हाइड्रोजन परऑक्साइड नाम के केमिकल रखता है. जब कोई खतरा इसके सामने हो, तो दुश्मन पर इन केमिकल्स की बौछार कर देता है. तो क्या House Of The Dragon वाले दैत्य भी ऐसा ही कुछ करते थे? समझते हैं ड्रैगंस कितने सच हो सकते हैं
मगर रील लाइफ से इतर, रियल लाइफ में भी धरती पर काफी बड़े उड़ने वाले जीव रहे हैं. इन उड़ने वाले डायनासोर को टेरोसॉरस कहा जाता है. लेकिन इनके पंखों की चौड़ाई 40 फुट के अल्ले-पल्ले बताई जाती है. माने ऐसी दस सवारियां बैलेरियॉन लेकर उड़ सकता था. अगर होता तो… खैर ड्रैगंस तो कल्पना हैं, लेकिन इनमें अगर ये कमियां न होतीं, तो House Of The Dragon के ये ‘दैत्य’ सच में हो सकते थे.
‘गेम ऑफ थ्रोंस (GOT)’ के फैन हैं? ड्रैगन की मम्मी डेनेरेस टारगेरियन तो याद होगी. दीदी के पास तीन ड्रैगन थे. एक और फेमस फिल्म सीरीज है, ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स (LOTR)’. इसमें भी ड्रैगंस की बातें हैं, स्मौग इनका ड्रैगन है. कार्टून वाली पिक्चरों की तरफ आएं, तो 'हाउ टू ट्रेन योर ड्रैगन' में टूथ लेस है. वहीं हैरी पॉटर के चाहने वाले नोबर्टा को जानते हैं. और नागराज को चिट्ठियों में ‘हिस्सससससससस’ लिख नमस्कार कहने वाले, इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते. या रखते हैं?
तमाम काल्पनिक किरदारों की तरह, ड्रैगंस की कहानियां सदियों से सुनाई जा रही हैं. कई देशों और कई पीढ़ियों ने इनकी बातें बताई हैं. कुछ इनको चार पैरों वाला बताते हैं. कुछ दो पैरों वाला. कहीं ये लंबे सांप जैसे लहराकर उड़ने वाले बताए जाते हैं. मानो इनके आई-पॉड में ‘कजरा रे कजरा रे’ गाना बज रहा हो. खैर दंतकथाओं में इनको जादुई जीव बताया जाता है. जैसे जलपरी, यूनिकॉर्न, जूनियर जी, शक्तीमान और सोनपरी वगैरह हैं.
चीन, जापान, कोरिया, मिस्त्र, प्राचीन ग्रीस हर जगह इनकी कहानियां सुनाई गई हैं. वहां भी पम्मी चाय वाले की गुमटी थी क्या? जहां बैठकर पटियाबाजी होती हो, गप्प लड़ाए जाते हों. माने ये दूध में पेंसिल का छिलका मिलाकर इरेजर बनाने वाले मिथक से भी ज्यादा चर्चित हैं. लेकिन ये मिथक सच क्यों नहीं हो सकता? विज्ञान हमें क्या बताता है कि ड्रैगन जैसे आग उगलने वाले जीव कितना सच हो सकते हैं?
आग कैसे उगली जाएहालांकि फिलहाल तो कोई ऐसे जीव नहीं मिल पाए, जो मुंह से आग उगलते हों, कुछ पड़ोसियों को छोड़ दें तो. हां, एक कीड़े की प्रजाति जरूर है, नाम है बॉम्बार्डियर बीटल. ये पेट में हाइड्रोक्विनोन और हाइड्रोजन परऑक्साइड नाम के केमिकल रखता है. जब कोई खतरा इसके सामने हो, तो इन केमिकल्स की बौछार दुश्मन पर कर देता है.
इससे एक तरह की केमिकल रिएक्शन होती है, जिससे गर्मी पैदा होती है. लेकिन इस कीड़े की इस हरकत से स्टील नहीं पिघलाया जा सकता. वेलेरियन स्टील तो कतई नहीं जैसा GOT वाले ड्रैगंस कर सकते हैं.
स्टील की क्वालिटी के मुताबिक उसका मेल्टिंग प्वाइंट 1400-1500 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो सकता है. माने स्टील पिघलाने वाले ड्रैगंस होने के लिए ये शर्त है. कि इनकी आग का तापमान इससे ज्यादा हो.
हमारे पास जो इतनी गर्मी पैदा करने वाले उपकरण हैं. उनमें से एक है गेम खेलते वक्त फोन. दूसरी है एसिटिलीन टार्च जिसकी लौ का तापमान करीब 2200 °C होता है. इतना तापमान होने के बावजूद, इससे एल्युमिनियम वगैरह की वेल्डिंग तो की जा सकती है. लेकिन फौरन स्टील पिघलाने के लिए ये भी काफी नहीं है.
क्योंकि धातु ऊष्मा की बढ़िया चालक होती है. मतलब हीट को ये तुरंत अपने में फैला लेती हैं. इसलिए इनको एक जगह गर्म करके पिघलाना आसान नहीं. हां, अगर ड्रैगंस कई टैंकर फ्यूल लेकर चलते होंगे तो हो सकता है…
बहरहाल, कार्बन और नाइट्रोजन का एक कंपाउंड है. नाम है डाई साइनो एसिटिलीन (N≡C−C≡C−C≡N). ये ऑक्सीजन के साथ मिलकर, करीब 4990°C ताप वाली लौ के साथ जल सकता है. यानी दिलजले फिल्म में श्याम के दिल में जल रही आग के तापमान से थोड़ा ही कम.
माने अगर ड्रैगन के पेट में ऐसी लैब हो, जिसमें वाल्टर व्हाइट बैठकर ऐसे केमिकल बना रहा हो. तो मुमकिन है कि ड्रैगंस मुंह से आग फेक सकें.
लेकिन इसके साथ एक पेंच है. ड्रैगन के जलते थूक से मुंह भी तो जलेगा. ‘थूक का जला छाछ फूंक फूंक के…’ या जो भी मुहावरा हो. फिलहाल ऑर्किया नाम के प्राचीन बैक्टीरिया ही हैं, जो बेहद ज्यादा ताप पर जी सकते हैं. वो भी महज 122°C ताप पर.
यानी अगर ड्रैगंस मुंह से आग फेंकने वाले हों, तो इसके लिए इनके मुंह को निर्जीव होना होगा. या कोई ऐसा कुदरती कवच हो, जो इतना ताप झेल सके. ध्यान रहे ये फायर पान की आग नहीं है कि मुंह में जाते ही बुझ जाए. ये मुंह से आते ही जलने वाली आग है.
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चौपाया या छह पायाकुदरत में चार पैर वाले जीव हैं. छह पैर वाले जीव भी हैं. और दो पैर वाले भी. लेकिन दो पैरों वाले जीव भी असल में चार वाले ही हैं. बस उनके बाकी दो पैर, किसी और अंग में बदल गए होते हैं. जैसे पक्षियों में पंख, डॉल्फिन में फिन वगैरह. वहीं छह पैर वालों में कीड़े-मकौड़े आते हैं.
माने दो पैरोें वाले ड्रैगंस दो पंख मिलाकर चार पैरों वाले हैं. वहीं चार पैरों वाले ड्रैगंस पंख मिलाकर छह पैरों वाले होंगे. अब सवाल दोनों में से कौन सच के ज्यादा करीब होता. तो होता ये है कि हड्डियों वाले सभी जीव चार लिंब या चौपाया होते हैं. कभी उनके बाकी दो पैर हाथों, तो कभी पंखों में बदले होते हैं. माने कुदरत के ज्यादा करीब दो पैर और दो पंख वाले ड्रैगंस होते हैं.
दूसरी तरफ, देखने में ये गिरगिट या मगर जैसे कुछ लगते हैं.
लेकिन उड़ने वाले मगर. मानो मगर और किसी गिद्ध के बीच बेइंतहा प्यार का नतीजा हों. लेकिन दिक्कत ये है कि मगरमच्छ सरीसृप (reptile) हैं, जैसे हमारा उड़ने वाले डानयनासोर टेरोसॉरस थे. वहीं गिद्ध पक्षी हैं. अब ड्रैगंस सरीसृप हैं या पक्षी ये तो नहीं कहा जा सकता. तो हो सकता है इनमें दोनों के कुछ गुण हों.
इससे याद आता है, एक छिपकली की प्रजाति भी है. जिसका नाम है ड्रैको वोलांस. वैसे तो ये साइज में ड्रैगंस के आस-पास भी नहीं हैं. पर इनका नाम कूल है. काम भी कूल है, ये ग्लाइड या हवा में तैर सकती हैं.
तभी इनको फ्लाइंग लिजर्ड भी कहा जाता है. लेकिन ये किसी ड्रैगन या चिड़िया की तरह पंख फड़फड़ा के नहीं उड़ती हैं. उड़ तो कुछ चिड़िया भी नहीं सकती हैं, जैसे पेंग्विन. ये क्यूट तो लगते हैं लेकिन उड़ नहीं सकते. कोई बताए इनको क्यूटनेस से घर नहीं चलता भाई. चि़ड़ियों की बिरादरी का नाम खराब किए हैं. भला पैदल चलने वाली चिड़िया भी कोई चिड़िया है?
हर चिड़िया क्यों नहीं उड़ सकती?अब अगर किसी जीव के पास पंख हैं. तो पंखा झलने के लिए ताकतवर मसल्स भी चाहिए होंगे. ये मसल्स कुछ पक्षियों के सीने में उभरे से दिखते हैं. इनको कील कहा जाता है. माने अगर ड्रैगंस उड़ना चाहते हैं, तो इनमें ये मसल जरूर होने चाहिए. यानी चपटी छाती वाले ड्रैगंस नहीं उड़ पाते.
वहीं पंखों का साइज भी बहुत मैटर करता है. भले पेंग्विंस में कील मसल्स होते हैं. लेकिन फिर भी ये उड़ नहीं सकते. वजह है इनके छोटे पंख. जो इतने छोटे हैं कि इनको उड़ने के लिए हेलिकॉप्टर जैसे फड़फड़ाना होगा.
हमिंग बर्ड को ही देखिए, बीता भर की चिड़िया, करीब बीस ग्राम वजन. इसको उड़ने के लिए एक सेकेंड में करीब 60 बार पंख फड़फड़ाने पड़ते हैं. तो सोचिए ड्रैगंस को शरीर की तुलना में, छोटे पंखों से उड़ने के लिए कितना चप्पू चलाना पड़ता. माने इनके उड़ने की दो शर्ते हैं. या तो इनके पंख बहुत बड़े होते, या फिर वो डॉन नंबर वन वाले सूर्या की जुबान से ज्यादा तेज चलते.
कुछ फैंस ने मेहनत लगाकर ड्रैगंस के साइज और पंखों के साइज की तुलना की. पता चला कि फिजिक्स के नियमों के मुताबिक, इतने वजन के जानवर को उड़ाने के लिए बहुत बड़े पंख चाहिए होंगे. और मिथकों वाले ड्रैगंस के पंख इतने बड़े नहीं होते. वहीं छोटे पंखों को इतनी तेज चालाना होगा. जितना बॉयोलॉजी के मुताबिक मुमकिन नहीं होता. या फिर इनको बेहद हल्का होना पड़ेगा. जैसे चिड़ियों की हड्डियां खोखली होती हैं ताकि वो आसानी से उड़ सकें.
इस सब से इतना तो समझा जा सकता है कि ड्रैगंस के होने के लिए जादू कितना जरूरी है. लेकिन भले ही ये सच में ना हो सकते हों, लेकिन जितने स्क्रीन पर दिखते हैं. सच्ची मुच्ची के ही लगते हैं. Valar Morghulis साथियों!
वीडियो: सीरीज़ रिव्यू: हाउस ऑफ द ड्रैगन एपिसोड 10