साल 1978 की बात है. अदालत में एक मुकदमा चल रहा था. वहां आवाज गूंज रही थीं,
23 साल की लड़की मकड़ियां खाने लगी, पादरी ने कहा, 'भूत है'
‘हिटलर का भूत’ बताकर बेटी की जान ले ली!
‘मैं हिटलर की आत्मा हूं. मैं नीरो की आत्मा हूं, मैं शैतान की आत्मा हूं’
ये आवाज एक टेप रिकॉर्डर से आ रही थी. एक लड़की की आवाज, जो पहले ही मर चुकी थी. अब बस फैसला होना बाकी था. फैसला इस बात का कि लड़की की मौत का दोषी कौन है.
वो आत्माएं, जिनका वो दावा कर रही थी कि उसके अंदर हैं. या वे मां-बाप जो उसे तथाकथित नर्क में जाने से बचाना चाहते थे. (Exorcism Of Emily Rose)
ऊपर दी गई तस्वीरों देखे , ये एनालीज़ माइकल की तस्वीरें हैं. दोनों तस्वीरों के बीच कुछ ही सालों का अंतर है. इन सालों में ऐनालीज़ ने भयंकर यातनाएं सहीं. उसे रस्सियों से बांधकर रखा गया. उसके साथ 67 बार वो क्रियाएं की गई जिसे अंग्रेज़ी में एक्सोरसिज़्म कहते हैं. यानी भूत-प्रेत भगाने की रस्में. उसने खाना-पीना छोड़ दिया. ये सब सहते हुए मात्र 23 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई. मौत के वक्त उसका वजन मात्र 30 किलो था. अब सुनिए सबसे चौंकाने वाली बात. ये सब एनालीज़ की अपनी मर्जी से हुआ था. वो खुद अपने मां-बाप से ये सब करने को कहती थी. क्यों?
ईसाई धर्म में मान्यता है कि ईसा मसीह इंसानों के पापों के लिए सलीब पर चढ़े थे. ईसाई धर्म को पूरे दिल से मानने वाली एनालीज को भी यही लगता था कि वो दुनिया के पापों की ख़ातिर दर्द सह रही है. ताकि आने वाली पीढ़ी का भला हो सके.
एक रात उसे लगा कोई उसके सीने के ऊपर बैठा हैइस सब की शुरुआत कुछ 15 साल पहले हुई थी. जब एनालीज ने पहली बार होश संभाला था. उसके माता-पिता गहरे धार्मिक थे. एनालीज हर हफ़्ते चर्च जाती और बाइबल का पाठ करती. यहां तक कि उसने लैटिन भाषा भी सीख ली ताकि वो बाइबल के लैटिन सूत्रों को पढ़ सके. 16 साल के उम्र तक सब कुछ ठीक रहा. एनालीज स्कूल गई और बाद में उसने कॉलेज भी जॉइन किया. फिर साल 1968 में एक रोज़ एनालीज के साथ कुछ अजीब घटना हुई.
एक रात जब वो सोई थी, अचानक उसे महसूस हुआ कि कोई उसके सीने में बैठा हुआ है. एनालीज बहुत डर गई. लेकिन उसके मां-बाप ने इसे एक बार की बात मानकर टाल दिया.
ठीक साल भर बार एक रात फिर से एनालीज़ को लगा कि कोई उसे दबा रहा है. अबकि बार उसके मां-बाप उसे डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने कई टेस्ट किए. लेकिन उन्हें कोई दिक्कत नज़र नहीं आई. उन्होंने इसे डर का दौरा मानकर उसे घर भेज दिया. अगले कुछ महीनों एनालीज़ में एक के बाद ऐसे दौरे आए, तो डॉक्टर ने उसे दवाई देना शुरू कर दिया.
कई साल तक दवाईयां चली लेकिन एनालीज की हालत में कोई सुधार ना आया. उसे बार-बार दौरे आते रहे. बल्कि चीजें और ख़राब होती गईं. एनालीज के अनुसार सोते हुए उसे बिस्तर में खटखट की आवाज़ आती थी. उसने अपनी मां को बताया कि कोई उससे कहता है, वो नर्क में जाएगी. बक़ौल एनालीज की मां, एक रोज़ उन्होंने उसे वर्जिन मेरी की मूर्ति को घूरते हुए देखा, जब वो पलटी तो एनालीज की मां के अनुसार उसकी आंखें एकदम काली थीं.
…वो मकड़ियां खाने लगीसितम्बर 1973 में उसने डॉक्टर को बताया कि उसे शैतानी चेहरे दिखाई दे रहे हैं. और उसे ऐसा लग रहा है, मानो शैतान उसके अंदर है. वो ये भी कहती कि उसे जले हुए मल की बदबू आ रही है. दवाइयों से उसे अब भी कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था. डॉक्टर बता रहे थे कि उसे मिर्गी की बीमारी है. उन्होंने उसे और ताकतवर दवाएं देने का फ़ैसला किया लेकिन उनसे भी कुछ फ़ायदा ना हुआ. बल्कि दिन पर दिन उसका बर्ताव और अजीब होता गया.
साल 1975 तक उसने खाना-पीना छोड़ दिया था. वो रात भर जागती रहती. और कोई मक्खी या मकड़ी दिख जाए तो उसे अपने मुंह में डाल लेती. ईसा मसीह की तस्वीर, क्रॉस या ईसाई धर्म से जुड़ी कोई भी चीज़ दिखती तो वो उसे तोड़ डालती थी. उसने चर्च जाना भी बंद कर दिया था. वो कहती थी चर्च की जमीन से उसके पांव जलते हैं. उसका वजन आधा हो गया था और उसकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी.
अंत में उसके मां बाप ने एक रोज़ तय किया कि वो उसे एक पादरी के पास ले जाएंगे. पादरी ने एनालीज़ से मिलकर फैसला सुनाया कि उस पर शैतान का साया है. उन्होंने चर्च से एक्सॉर्सिज़म की पर्मिशन मांगी. लेकिन चर्च ने इंकार कर दिया. दरअसल 1973 में एक फिल्म आई थी. ‘द एक्सॉर्सिस्ट’ (The Exorcist) नाम की. जो खूब हिट हुई थी. तबसे चर्च के पास ऐसे मामलों बढ़ते जा रहे थे. जिनमें लोग एक्सॉर्सिज़म की मांग करते थे. अधिकतर केसों में चर्च इंकार कर देता था. और ऐसा ही उन्होंने एनालीज़ के साथ भी किया. एनालीज़ के माता-पिता ने कैथोलिक चर्च के बिशप जोसेफ स्ट्रैंगल से मुलाक़ात की और अंत में उन्हें एक्सॉर्सिज़म के लिए मना लिया. बिशप जोसेफ स्ट्रैंगल ने एक और पादरी आर्नोल्ड रेंज को एक्सॉर्सिज़म की जिम्मेदारी सौंपी.
दवाई छोड़ दीयहां से शुरू हुआ यातनाओं का एक लम्बा दौर जिसमें एनालीज के ऊपर 67 बार एक्सॉर्सिज़म किया गया. इस दौरान वो अजीब सी गुर्राती हुई आवाज में लैटिन में बोलती थी. उसकी सारे बातें रिकॉर्ड की गई. इनमें वो खुद को हिटलर की आत्मा बता रही थी. रोमन सम्राट नीरो और शैतान की आत्मा भी अपने अंदर होने की बात उसने कही. उसके अनुसार वे सब उसकी आत्मा को नर्क में ले जाने के लिए आए थे. आत्मा का तो पता नहीं लेकिन इस चक्कर में एनालीज का जीवन सचमुच का नर्क बन गया. पादरी से मिलने के बाद उसने दवाईयां खाना छोड़ दिया. जिससे उसकी हालत और बिगड़ती गई.
जून 1976 तक उसका चेहरा धंस चुका था. बाकी शरीर बस हड्डियों का कंकाल लगने लगा था. इसके बावजूद उसने डॉक्टर के पास जाने से इंकार कर दिया. 30 जून 1976 को उसके साथ आख़िरी बार एक्सॉर्सिज़म किया गया. अगली सुबह जब उसके माता-पिता कमरे में गए तो उसकी मौत हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उसकी मौत का कारण भुखमरी बताया. हालांकि कहानी यहीं ख़त्म न हुई.
मौत के बाद कब्र से निकालाएनालीज़ की मौत के बाद पुलिस ने उसके माता-पिता और पादरियों पर गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज़ किया. मामला अदालत तक पहुंचा. जहां बचाव पक्ष ने दलील दी कि सब कुछ एनालीज़ के मर्ज़ी से किया गया था. और इस दौरान वो बालिग़ थी इसलिए दवा या इलाज करना न कराना उसका हक़ था. एक्सॉर्सिज़म पर भी कोई कानूनी रोक नहीं थी. दूसरी तरफ सरकारी वकील की तरफ से डॉक्टरी जांच की दुहाई दी गई. जिसके अनुसार अगर एक हफ्ते पहले भी एनालीज़ को डॉक्टरी मदद मिल जाती तो वो जिंदा बच सकती थी. अंत में अदालत ने सभी अभियुक्तों को दोषी मानते हुए 6 महीने की जेल की सजा सुनाई. लेकिन बाद में उसे प्रोबेशन में तब्दील कर दिया गया.
कुल मिलाकर हुआ ये कि अन्धविश्वास और कट्टर धार्मिकता ने एक 23 साल की लड़की की जान ले ली. लेकिन ड्रामा यहां पर भी खत्म न हुआ. कुछ महीने बाद एनालीज़ की मां ने कब्र से अपनी बेटी की लाश बाहर निकालने की मांग की. कारण- उसे एक नन ने बताया कि सपने में उसने एनालीज़ की लाश देखी है, जो अभी भी सही सलामत है. और उसके अनुसार ये सबूत था उस पर शैतान का साया होने का.बहरहाल एनालीज़ की कब्र से उसकी लाश निकाली गई. किसी भी आम लाश की तरह वो भी सड़ गल चुकी थी.
एनालीज़ की कहानी इतनी मशहूर हुई कि आगे जाकर उस पर फिल्म भी बनी. 2005 में आई एक्सॉर्सिज़म ऑफ एमिली रोज़ की कहानी एनालीज़ पर ही आधारित थी. फिल्म सुपरहिट रही थी.
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