
होली के दिनों में अश्लील गानों की भरमार हो जाती है.
श्लील और अश्लील की बहस अंतहीन है. भोजपुरी गायिका कल्पना के भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के गानों पर विवाद हुआ. इसने श्लील और अश्लील गानों की अंतहीन बहस को फिर से हवा दी, जो एक बार फिर बुझने के कगार पर है. लेकिन अब भी कुछ लोग होली के अपने उन पुराने गानों को सहेजे हुए हैं, जिनमें लोक है, जिनमें फाग है, जिनमें अध्यात्म है और जो हर किसी के साथ सुने जा सकते हैं.

कल्पना के भिखारी ठाकुर पर दिए बयान के बाद अश्लीलता की बहस को नई हवा मिली थी और सोशल मीडिया पर कल्पना के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया था.
भोजपुरी इलाके में होली की शुरुआत शिवरात्रि से ही हो जाती है. कुछ जगहों पर ये वसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन से होती है. और होली की शुरुआत का मतलब रंग खेलना कतई नहीं है. होली की शुरुआत का मतलब है होली गाने की शुरुआत. ढोलक, झाल, मंजीरा और डफ लेकर जब फाग गाने वाले गाना शुरू करते हैं तो उनका पहला गाना होता है...
शिव पूजन के जात आहे लाला शिवपूजन के जात
राजा जनक जी के परम सुंदरी... राजा जनक जी के परम सुंदरी
शिव पूजन के जात...
शिव पूजत है, अरज करत है, वर मांगे भगवान आरे लाला बर मांगे भगवान
राजा जनक जी के परम सुंदरी वर मांगे भगवान
पूरा गाना सुनिए
इसके बाद गाना होता है...
जहवां नंदलाल, हे उधो पाती ले जा
केथुआ से बने रामा कोरा रे कगजवा, केथु से मोतीझार हो, केथु से बने मोतीझार ए उधो पाती दे जा
जहवां नंदलाल, हे उधो पाती ले जा
अंचरा के फारी फारी कोरा रे कगजवा, नैना बने मोतीझार, हो नैना बने मोतीझार
ए उधो पाती ले जा
भरत शर्मा की आवाज में सुनिए ये गाना
इसके बाद एक-एक करके घंटों तक ये गाने गाए जाते हैं, जिनमें थोड़ा अध्यात्म होता है, थोड़ी चुहल होती है, थोड़ी छेड़खानी होती है, लेकिन नहीं होती है तो वो अश्लीलता, जो अब भोजपुरी का पर्याय बन गई है. ये होलियारे घंटों तक फाग गाते हैं. मंदिरों में जाकर, लोगों के घरों में जाकर, किसी सार्वजनिक जगह पर बैठकर होली गाते हैं और गांव के लोग उन्हें सुनने के लिए घंटों तक बैठे रहते हैं.
जमुना गहरी, कैसे जलवा भरबू ए ननदो जैसे गानों से लेकर निक लागे मरद भोजपुरिया सखी, निक लागे मरद भोजपुरिया.निक लागे धोती, निक लागे कुरता, निक लागे सिर पर पगरिया सखी और चल रे छौड़ी गंगा नहाए, तोरा के छौड़ा बोलवले बा. अपने खाए सूखल रोटी, तोरा के पूड़ी छनौले बा, जैसे चुटीले गाने गाए जाते हैं.
ये गाना सुनिए, इसमें छेड़खानी है, अश्लीलता नहीं
जब होली गाने की प्रक्रिया बंद करनी होती है तो आखिरी में एक गाना आता है...
सदा आनंद रहे एही द्वारे मोहन खेल होली हो
मोहन खेले होली हो, सदा आनंद रहे एही द्वारे मोहन खेले होली हो
एक ओर खेले कुंवर कन्हाई, एक ओर राधा अकेली हो
सदा आनंद रहे एही द्वारे मोहन खेले होली हो
स्थानीय लोगों की ओर से गाया गाना सुनिए और अपनी होली पूरी करिए: