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शिमला में एक मस्जिद को गिराने की मांगें क्यों उठ रही हैं?

हिमाचल प्रदेश सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में मस्जिद निर्माण पर सवाल उठा दिए. उनके इस बयान के बाद सीएम Sukhvinder Singh Sukhu के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई है.

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शिमला के संजौली में 5 सितंबर को प्रदर्शन के दौरान की तस्वीर. (PTI)

आज से ठीक एक हफ्ता पहले 30 अगस्त को हिमाचल प्रदेश के शिमला के मल्याणा गांव में दो समुदायों के लोगों के बीच विवाद हो गया था. दोनों में मारपीट हुई, जिसमें स्थानीय दुकानदार यशपाल सिंह घायल हो गया. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विशेष समुदाय से जुड़े शख्स ने यशपाल के सिर पर रॉड से हमला किया, जिससे उसके सिर पर गहरा घाव हो गया. इस घटना के बाद से एक हफ्ते में शिमला में बहुत कुछ घट चुका है.

यशपाल पर हमले के विरोध में 2 सितंबर को स्थानीय लोगों की भीड़ शिमला के ही एक इलाके संजौली पहुंच गई. लोग दोपहर एक बजे संजौली चौक पर इकट्ठा हुए. वहां से जुलूस निकालते हुए मस्जिद की तरफ बढ़े. मस्जिद पहुंच कर भीड़ समुदाय विशेष के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. हनुमान चालीसा का पाठ किया गया और भजन गाए गए.

मगर बात सिर्फ इतनी नहीं थी. भीड़ ने मस्जिद को अवैध निर्माण करार दिया. और उसको जल्द से जल्द गिराने की मांग की. इसके साथ ही भीड़ ने सड़क पर विशेष समुदाय से जुड़े लोगों की दुकानों और ठेलों को बंद करवाया और वहां दुकान ना लगाने की धमकी दी.

यहां से शुरू हुआ विवाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा तक पहुंच गया.

सुक्खू सरकार के मंत्री ने उठाए सवाल

हिमाचल प्रदेश सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में मस्जिद निर्माण पर सवाल उठा दिए. कहा,

"संजौली बाज़ार में महिलाओं का चलना मुश्किल हो गया है. चोरियां हो रही हैं, लव जिहाद जैसी घटनाएं हो रही हैं, जो प्रदेश और देश के लिए खतरनाक हैं. मस्जिद का अवैध निर्माण हुआ है. पहले एक मंजिल बनाई, फिर बिना परमिशन के बाकी मंजिलें बनाई गईं. 5 मंजिल की मस्जिद बना दी गई है. प्रशासन से यह सवाल है कि मस्जिद के अवैध निर्माण का बिजली-पानी क्यों नहीं काटा गया?"

अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में उसी मस्जिद पर सवाल उठाए जिस पर 2 सितंबर को भीड़ ने प्रदर्शन किया था. इस बीच कांग्रेस के ही विधायक हरीश जनारथा ने अपनी ही सरकार में मंत्री की टिप्पणियों का विरोध जताया. उन्होंने कहा,

"इलाके में कोई तनाव नहीं है. मस्जिद मूल रूप से 1960 से पहले बनाई गई थी और वक्फ बोर्ड की जमीन पर 2010 में तीन अतिरिक्त मंजिलें "अवैध रूप से" बनाई गई थीं. अवैध रूप से निर्मित शौचालयों को ध्वस्त कर दिया गया था."

जनारथ ने कुछ तत्वों पर इस मुद्दे को बढ़ाने का आरोप लगाया.

इस बीच संजौली में मस्जिद के बाहर 5 सितंबर को हुए प्रदर्शन में मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी शामिल हुए. कुछ लोगों का कहना है कि ये प्रदर्शन ‘हिंदूवादी संगठनों’ द्वारा आयोजित किया गया. प्रदर्शन के दौरान सिंह ने कहा,

“190 लोगों का रजिस्ट्रेशन है, जबकि 1900 लोग यहां रह रहे हैं. सबकी जांच होनी चाहिए.”

मस्जिद अवैध है?

आजतक से जुड़े विकास शर्मा कहते हैं कि इलाके के पुराने लोग मस्जिद से जुड़ी कहानी बताते हैं.

“इस जगह पर पहले टेलर की दुकान थी.  कुछ लोगों ने यहीं पर नमाज़ पढ़ना शुरू कर दिया. इसके बाद यहां मस्जिद बना दी गई. और बाद में एक के बाद एक मंजिल ऊपर बनती चली गई. 2010 में पहली बार मस्जिद को नोटिस दिया गया. नोटिस में कहा गया कि एक मंजिल बनाने की इजाजत थी तो दूसरी क्यों बनाई गई? लेकिन नोटिस का कोई असर नहीं हुआ. तीसरी मंजिल भी बनी. चौथी मंजिल भी बनी और पांच मंजिलें बनकर तैयार हो गईं.”

विकास शर्मा के मुताबिक अवैध निर्माण के नोटिस आते रहे लेकिन बिल्डिंग ऊपर बनती चली गई. इस बीच जब से मुकदमा शुरू हुआ तब से कोर्ट में 44 सुनवाइयां हो चुकी हैं. हालांकि अवैध निर्माण पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. विकास एक और महत्वपूर्ण दावा करते हैं. वो कहते हैं कि मौजूदा दस्तावेजों के मुताबिक 1967 से जमीन का मालिकाना हक हिमाचल सरकार के पास है, लेकिन इस पर कब्जा वक्फ बोर्ड का है.

इस मामले में मस्जिद के इमाम का कहना है कि मस्जिद 1947 से पहले की बनी है. उन्होंने दावा किया कि पहले मस्जिद कच्ची थी, बाद में लोगों ने चंदा लगाकर इसका निर्माण करवाया.

यहां नगर निगम के कमिश्नर का बयान भी गौरतलब है. 2 सितंबर को जब भीड़ ने मस्जिद के बाहर हंगामा करना शुरू कर दिया तो पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी और नगर निगम के कमिश्नर ने भी मोर्चा संभाला. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक इसी दौरान भीड़ को शांत करने के लिए नगर निगम के कमिश्नर भूपेंद्र कुमार अत्री ने कहा,

“मस्जिद के ऊपरी तीन फ्लोर गैर कानूनी है यह कोरोना काल के दौरान बनाए गए हैं. जिसका मामला कोर्ट में चला हुआ है. यह जमीन वफ्फ बोर्ड की है. कोर्ट केस में समय इसलिए लगा क्योंकि पार्टी गलत बनाई गई थी. गलती को दुरस्त करते हुए अब कोर्ट में वफ्फ बोर्ड को पार्टी बनाया गया है.”

मस्जिद के बहाने राजनीति

इस मामले पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बयानबाजी का दौर जारी है, जिसमें AIMIM प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी कूद पड़े हैं. उन्होंने मंत्री अनिरुद्ध सिंह के बयान पर कांग्रेस को घेरा है. ओवैसी ने कहा,

“क्या हिमाचल की सरकार भाजपा की है या कांग्रेस की? हिमाचल की 'मोहब्बत की दुकान' में नफ़रत ही नफ़रत है.”

वहीं मस्जिद को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का भी बयान आया है. उन्होंने कहा कि मस्जिद का अवैध निर्माण दुर्भाग्यपूर्ण है, इस पर तुरंत सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

वहीं सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में सभी धर्मों के लोगों का सम्मान है. कानून को हाथ में लेने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. सीएम ने कहा कि इसकी जांच चल रही है कि किन कारणों के चलते ऐसी स्थिति पैदा हुई है.

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